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कुम्भ हो या राजजात, घोटालेबाजों की मौज ही मौज

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rajim uttrakhand
देहरादून, 5 जून (राजेन्द्र जोशी)। उत्तराखण्ड में अभी 2010 के कुंभ घोटाले का बवाल थमा भी नहीं था कि राजजात का घोटाला सामने आ गया है। चूंकि कुंभ घोटाला पिछली भाजपा सरकार के कार्यकाल का था, इसलिये राज्य की कांग्रेस सरकार उसे कैश करने का कोई मौक नहीं चूक रही है। लेकिन राजजात घोटाले पर आॅडिट रिपोर्ट में सारी पोल खुल जाने के बाद भी सरकार ने चुप्पी साधी हुयी है। सीएजी की रिपोर्ट के आधार पर शुरू हुयी हरिद्वार महाकुुंभ घोटाले की की जांच अभी अंजाम तक पहंची भी नहीं कि उससे पहले राजजात घोटाले का पर्दाफास राज्य सरकार की अपनी ही आॅडिट ऐजेंसी ने कर दिया। राजजात के कार्यों की आॅडिट रिपोर्ट के अनुसार राजजात मार्ग पर कराये गये करोड़ों रुपये के निर्माण कार्य कायदे कानूनों को ताक पर रख कर चहेते लोगों को दे दिये गये। विर्तमान जिला पंचायत अध्यक्ष ने तकनीकी सलाहकार समिति की सलाह को दरकिनार कर ऊंची दर वाली निविदाओं को पास कर दिया। इस घोटाले की शिकायत जब मुख्यमंत्री से की गयी तो सरकार की अस्थिरता के डर से उन्होंने भी चुप्पी साध ली।क्योंकि निवर्तमान जिला पंचायत अध्यक्ष श्रीमति रजनी भण्डारी को आडिट रिपोर्ट में सीधे-सीेधे जिम्मेदार ठहराया गया है वह हरीश रावत सरकार में विशेष दर्जाधारी मंत्री है। वहीं उनके सतपाल महाराज से भी नजदीकी संम्बधों के कारण व पाला बदलने की संभावनाओं देखते हुए हरीश रावत इस मामले में कोई भी कठोर कदम उठाने से परहेज कर रहे हैं। गौरतलब है कि जब राजेन्द्र भण्डारी स्वयं जिला पंचायत अध्यक्ष थे तब हरियाली घोटाला काफी चर्चित रहा था यही नहीं पिछली भाजपा सरकार के कार्यकाल में जब वे वैकल्पिक उर्जा मंत्री थे तब उन पर अपने रिश्तेदारों के नाम से निंगोल नदी पर अपने करीबी रिश्तेदारों के नाम पर सूक्ष्म विद्युत परियोजना आबंटित करने का भी आरोप था। लेखा परीक्षण में नंदा राजजात के लिए जिला पंचायत चमोली को मिली 65 योजनाओं में घोटाला पकड़ में आया है। ये सारे कारनामें निवर्तमान जिला पंचायत अध्यक्ष के कार्यकाल के हैं। इन सभी योजनाओं के लिए टेंडर आमंत्रित किये गये, लेकिन मजेदार बात यह है कि काम न्यूनतम बोली लगाने वालों को न देकर अधिकतम रेट डालने वालों को आवंटित कर दिये गये। जिला पंचायत द्वारा कराये गये 345.23 लाख के कार्य में हुई यह घपलेबाजी तो मात्र बानगी भर है। नंदा राजजात के नाम पर आवंटित बजट में से ये सभी कार्य वर्ष 2012-13 में कराये जा चुके हैं। लेखा परीक्षण के बाद आॅडिट टीम ने स्पष्ट शब्दों में लिखा है कि जिला पंचायत स्तर पर इस कार्य के लिए समिति का गठन तो नियमानुसार हुआ, लेकिन जब निविदाएं आमंत्रित की गयीं तो ज्यादातर मामलों में यह बात सामने आयी कि न्यूनतम रेट डालने वाले ठेकेदारों की निविदाएं अस्वीकृत करके अधिकतम बोलीदाता को काम दे दिया गया। यही नहीं आडिट रिपोर्ट में इस बात पर भी आपत्ति जतायी गयी है कि जब पत्रावली में कहीं भी भौतिक प्रगति का उल्लेख नहीं किया गया, लेकिन वित्तीय प्रगति को प्रतिशत में दर्शाया गया। यही नहीं पर्यटन विभाग द्वारा वाण के कोटीगाड़ में प्रस्तावित पुल के लिए 6.17 लाख रुपये जारी किये गये, जिसमें कार्य उस ठेकेदार को दे दिया गया, जिसकी निविदा ही अपूर्ण थी। आडिट टीम ने साफ लिखा है कि क्रम संख्या चार पर महिपाल सिंह की निविदा की संस्तुति की गयी थी, लेकिन काम क्रम संख्या पांच के प्रताप सिंह को दिया गया, जबकि उसकी निविदा अपूर्ण थी। उल्लेखनीय है कि नंदा राजजात के ये कार्य 2012 से ही चल रहे हैं। सरकार की ओर से अब तक 150 करोड़ रुपये के कायरे की स्वीकृति दे दी गयी और इस धन में से 91 करोड़ रुपये रिलीज भी किये जा चुके हैं। जिला पंचायत के साथ ही लोक निर्माण विभाग, आरईएस, जल संस्थान, वन विभाग, जल निगम, पावर कारपोरेशन, स्वास्थ्य, उरेडा व सुलभ इंटरनेशनल भी कार्यदायी संस्थाओं के रूप में काम कर रहे हैं। ऊपर जिस घोटाले का उल्लेख किया गया है यह सिर्फ जिला पंचायत अध्यक्ष के स्तर पर हुई अनियमितताओं का कच्चा-चिट्ठा है। अन्य महकमों के द्वारा भी भारी वित्तीय अनियमितताएं किये जाने की र्चचाएं हैं। 

rajim uttrakhand
उत्तराखंड अधिप्राप्ति नियमावली 2008 के अनुसार केवल सबसे कम बोलीदाता के नाम ही निविदा छूट सकती है। लेकिन तत्कालीन जिला पंचायत अध्यक्ष ने उत्तर प्रदेश के जमाने के उस पुराने शासनादेश के आधार पर निविदायें स्वीकृत कर दीं जो कि उत्तराखण्ड में लागू ही नहीं है, क्योंकि उत्तराखण्ड में 2008 में नयी नियमावली लागू है। पंचायती राज निदेशक ज्योति नीरज खैरवाल ने भी इस अनियमितता की पुष्टि की है। उन्होंने बतौर प्रशासक जिला पंचायत, जिलाधिकारी चमोली को लिखे सात मार्च के पत्र में साफ लिखा है कि भुगतान उत्तराखंड अधिप्राप्ति नियमावली 2008 के अनुसार ही करें।

व्यास घाटी के छियालेख, मुनस्यारी घाटी,मर्तोली व दारमा घाटी ,वारलिंग घाटी को सस्ती हवाई सेवायें
  • फार्मसिष्ट व दवाओं के साथ डाक्टरों को एयर लिफ्ट किया जायेगा
  • गैरसैंण में विधानसभा सत्रों के दौरान मंत्रीगण एक समय खाने व पानी का स्वयं करेंगे भुगतान 

अल्मोड़ा/ देहरादून ,5 जून। राजधानी देहरादून से इतर अल्मोडा में राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिये गये जिसमें व्यास घाटी के छियालेख, मुनस्यारी घाटी,मर्तोली व दारमा घाटी ,वारलिंग घाटी को सस्ती हवाई सेवायें देने डाक्टरों की तैनाती किये जाने सहित, ऐसे इलाकों में  फार्मसिष्ट व दवाओं के साथ डाक्टरों को एयर लिफ्ट किये जाने व गैरसैंण में विधानसभा सत्रों के दौरान मंत्रीगण एक समय खाने व पानी का भुगतान स्वयं करने का निर्णय लिया गया। पुरोला व अल्मोड़ा की धार्मिक एवं सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने के लिये 50-50 करोड़ की धनराशि स्वीकृत की गयीए संविदा में कार्यरत आर्युवेदिक एवं होम्योपैथिक चिकित्सकों का मानदेय बढ़ाने के निर्णय के साथ ही उत्तराखण्ड परा-चिकित्सा परिषद विनियम  2014 के प्रख्यान के सम्बन्ध में निर्णय लिया गया।

 मंत्रिमडल ने शहरी विकास परिषद निदेशालय ने पूर्व में  43 पद स्वीकृत किये गये थे जिन्हे अब बढ़ाकर 66 कर दिया गया है साथ ही और पदों की आवश्यकता होने पर मुख्य सचिव व वित्त सचिव की अध्यक्षता में कमेटी गठन कर और पद बढ़ाये जाने का निर्णय लिया गया। वहीं जिया नन्द भारती के नाम से नगर निगम व  नगर पालिका में एक करोड़ की धनराशि से पार्क व अन्य सुधार कार्य व सौन्दर्यकरण कराने का निर्णय लिया  गया। प्रदेश में 2 हेक्टेयर भूमि पर खेती करने वाले किसानों के लिये किसान प्रोत्साहन पेंशन योजना लागू की जा रही है, जिसके तहत किसानों को 800 रू0 प्रतिमाह पेंशन दी जायेगी, इससे एक ओर खेती को प्रोत्साहन मिलेगा वही पलायन भी रूकेगा।  जबकि सुदूरवर्ती गांव में डाक्टरों की तैनाती की जायेगी, फार्मसिष्ट व दवाओं के साथ डाक्टरों को एयर लिफ्ट किया जायेगा, एक महीने के उपरान्त डाक्टरों को एयर लिफ्ट कर वापस लाया जायेगा। वहीं ऐलोपैेथिक स्वास्थ्य केन्द्रो के लिये 06 पद फार्मसिष्ट व चिकित्सको के पद भी स्वीकृत किये गये। संविदा में कार्यरत आर्युवेदिक, होमोपैथिक, चिकित्सको का मानदेय भी बढाये जाने की संस्तुति भी की गयी है। इसके लिये वित्त मंत्री की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन किया गया है जिसमें स्वास्थ्य मंत्री, मुख्य सचिव, स्वास्थ्य सचिव व वित्त सचिव होंगे।
   
व्यास घाटी के छियालेख, मुनस्यारी घाटी के मर्तोली व दारमा घाटी के वारलिंग घाटी के लिये सस्ती हवाई सेवाये प्रारम्भ की जायेगी। वहीं खाद्य सुरक्षा योजना व राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की तरह मुख्यमंत्री स्वास्थ्य बीमा योजना 15 अगस्त 2014 से लागू करने का निर्णय लिया गया।जबकि राजकीय महाविद्यालयों में कार्यरत शिक्षकों को सेवानिवृत्त के बाद सतांत्र लाभ दिया जाने का भी निर्णय किया गया। वीर चन्द्र सिंह गढ़वाली योजना के अन्र्तगत पर्वतीय क्षेत्रों में धारा-143 भू उपयोग से सम्बन्धित उद्यमियों को नियमानुसार इस योजना के अन्र्तगत छूट दी जायेगी। वहीं ब्याधि निधि के नियमों को सरलीकरण किया गया है जिससे लोगों को इलाज करने हेतु सहायता समय से मिल सकें।  वन पंचायतों को भी युवा मंगल दल, महिला मंगल दल, की तरह ही विधायक निधि से 3 लाख तक की धनराशि के कार्य बिना निविदा के कराये जा सकेगें।
   
यह भी निर्णय लिया गया कि गैरसैंण में आयोजित होने वाले विधानसभा सत्रों के दौरान मंत्रीगण एक समय खाने व पानी का भुगतान स्वयं करेंगें। सत्र के दौरान मंत्रीगण व अधिकारी अपने साथ कम से कम स्टाफ लायेंगे। अगला विधान सभा सत्र शिक्षा व कृषि को समर्पित होगा इन विषयों पर खुली चर्चा की जायेगी। गैरसैंण विकास प्राधिकरण को 50 करोड़ रू0 दिये गये। गैरसैंण में विधानसभा सत्र वीरचन्द्र सिंह गढ़वाली, इन्द्रमणी बडौनी, पी0सी0जोशी को समर्पित होगा। कैबिनेट ने अगली कैबिनेट की बैठक में राज्य की आर्थिक संसाधनों की वृद्वि पर विशेष चर्चा की जायेगी।  अल्मोड़ा में बढ़ते हुए यातायात को देखते हुए अल्मोड़ा में अपर माल रोड से लोवर माल रोड को सुरंग से जोड़ने के लिये तकनीकि रिपोर्ट भू वैज्ञानिकों से मांगी गयी है। इस सुरंग के बनने से 06 किमी0 की दूरी केवल 2.50 किमी की हो जायेगी। वर्षा आधारित नदियों में जल संरक्षण एवं संर्वधन के लिये जनपद अल्मोड़ा एवं पौड़ी को पायलट प्रोजेक्ट के रूप में लेेने का निर्णय लिया गया। विगत वर्षाें आयी आपदा ग्रस्त क्षेत्रों में महिला मंगल दलों को 1 लाख रू0 मंत्री राहत कोष से देने का भी निर्णय लिया गया।  रानीखेत मंे खेल के मैदान हेतु 10 करोड़ रू0 व मलीन बस्ती सुधारीकरण में करीबों के मकान हेतु 05 करोड़ रू0 स्वीकृत किया गया। साथ ही हरि प्रसाद टम्टा धर्मशाला को एक करोड़ रूपये  दिये जाने का भी निर्णय किया गया।

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