रक्षा मंत्री अरुण जेटली ने बुधवार को कहा कि लेफ्टिनेंट जनरल दलबीर सिंह सुहाग की सेनाप्रमुख के रूप में नियुक्ति अंतिम निर्णय है और इसके साथ ही उन्होंने विपक्ष से इस मुद्दे पर राजनीति न करने का आग्रह किया। कांग्रेस सांसद आनंद शर्मा द्वारा पूर्व सेनाप्रमुख व भाजपा मंत्री वी.के.सिंह के ट्विट का हवाला देते हुए इस मुद्दे को उठाए जाने व उनके इस्तीफे की मांग किए जाने पर जवाब देते हुए जेटली ने यह बात कही। जेटली ने राज्यसभा में कहा, "हमें सेना की नियुक्ति को राजनीति से दूर रखना चाहिए। जहां तक सरकार का सवाल है, सेनाप्रमुख की नियुक्ति अंतिम फैसला है।"
शर्मा ने सवालिया लहजे में कहा कि जब रक्षा मंत्री का प्रभार लेने के बाद जेटली नियुक्ति को अंतिम बता चुके हैं तो फिर पूर्व सेनाप्रमुख क्यों बार-बार बयान दे रहे हैं और ट्विट कर रहे हैं। शर्मा ने कहा, "वी.के.सिंह का लगातार ट्विट और बयान अस्वीकार्य और बेहद आपत्तिजनक है। वह सेना का मनोबल गिरा रहे हैं, उन्हें हटाया जाना चाहिए।"यह मसला कांग्रेस सांसद अमरिंदर सिंह ने लोकसभा में उठाया, उन्होंने कहा कि वी.के.सिंह का बयान सेना के लिए अपमानजनक है।
अमरिंदर ने कहा, "ट्विट में उनके द्वारा इस्तेमाल की गई भाषा बेहद अपमानजनक है। सरकार ने एक सेना अध्यक्ष का चुनाव किया है, उन्हें अपराधी और उनके अधीन काम करने वालों को डकैत कहना अपमानजनक है। मुझे उम्मीद है कि सरकार इस पर ध्यान देगी और वह मंत्री को बर्खास्त करेगी।"गौरतलब है कि वी.के.सिंह ने ट्विटर पर लिखा था, "अगर सेना की इकाई निर्दोषों को मारती है, लूटपाट करती है और संस्था के प्रमुख उन्हें बचाने की कोशिश करते हैं, तो क्या उसे दोषी नहीं ठहराया जाना चाहिए? अपराधियों को क्या मुक्त छोड़ देना चाहिए।"
जनरल वी.के.सिंह ने लेफ्टिेनेंट सुहाग पर असम के खुफिया अभियान में संलिप्तता को लेकर प्रतिबंध लगा दिया था। जनरल बिक्रम सिंह ने सेनाप्रमुख का पदभार मई 2012 में ग्रहण करने के बाद यह प्रतिबंध हटा दिया था। अब जनरल सुहाग, जनरल बिक्रम सिंह का स्थान लेंगे। रक्षा मंत्रालय ने महीने के प्रारंभ में लेफ्टिनेंट जनरल रवि दस्ताने की पदोन्नति से जुड़ा हलफनामा सर्वोच्च न्यायालय में दाखिल किया था, जिसमें कहा गया था कि सुहाग पर अनुशासनात्मक प्रतिबंध लगाए जाने के लिए की गई कथित भूल पूर्वनियोजित और अवैध थी।
जेटली ने रक्षा मंत्री का पदभार ग्रहण करने के फौरन बाद कहा था कि नए सेनाप्रमुख की नियुक्ति का फैसला अंतिम है और इसको लेकर कोई विवाद नहीं होना चाहिए। सूत्रों के अनुसार, रक्षा मंत्री ने मंत्रालय के अधिकारियों से पूछा है कि सर्वोच्च न्यायालय में हलफनामा भेजे जाने से पहले उन्हें क्यों नहीं दिखाया गया।