भाजपाईयो को रास नही आ रही सत्ता-आपस में ही भिड़ रहें औंर ईधर कांग्रेस हो रही एकजुट ?
- जिले की राजनैतिक एवं प्रषासनिक हलचल
झाबुआ---- कहने वाले कहते हैं कि सत्ता हर किसी को रास नही आती औंर जब सत्ता रास नही आती हैं तो वह सिर चढ़कर बोलती हैं। ऐसा ही कुछ नजारा इन दिनो जिला मुख्यालय पर औंर जिले में सत्तासीन भाजपाईओ के अंदर देखने को मिल रहा हैं। सत्ता के चलतें जो विकृतियां कांग्रेस के अंदर 60 साल के एक लंबे अंतराल के बाद आई वे सारी बुराईयां भाजपा की 10 साल की सत्ता के चलतें जिले के भाजपाईयों में प्रवेष कर गई हैं। सत्ता के नषे में चूर भाजपाई आपस में ही भिड़ते हुए नजर आ रहे, जिले में एक अघोशित नेता जो अपने आपको बहुत बड़ा साहकारी नेता मानता हैं, को लेकर भाजपा संगठन से जुड़े एक समर्पित दाढ़ी वाले कार्यकर्ता ने विगत दिवस एक साहकारी संस्था में जाकर जमकर सहकारी नेता की लू उतारने का प्रयास किया। जब दाढ़ी वाला नेता साहकारी नेता की लू उतार रहा था तब सहकारी नेता वहां से गायब था। यदि समर्पित दाढ़ी वाले नेता की उपस्थिति में घटनास्थल पर साहकारी नेता आ जाता तो षायद बात तु-तु, मैं-मैं से पहुचकर हाथापाई की प्रबल संभावनाएं थी। भगवान का खैर मानो की उक्त सहकारिता नेता उस समय वहां नही पहुचा अन्यथा औंर ज्यादा जग हंसाई होती ? तो दूसरी ओर सत्ता का नषा वास्तव में असली नषे से भी ज्यादा होता हैं औंर इसका असर भाजपाईयांे के अंदर अब देखने को मिला हैं, कि सत्ते के नषे में चूर अब अधिकांष भाजपाई असली नषे के व्यवसाय में जुड़ते हुए नजर आ रहें। उनको ऐसा लग रहा हैं कि सत्ता एवं संगठन के बल से इस नषा व्यवसाय से जुड़ने पर रातोरात करोड़पति, अरबपति बन जायेंगे, किंतु ये यह भूल जाते हैं कि यह भाजपा संगठन हैं जिस तरह वह कार्यकर्ता को सिर पर चढ़ाती हैं वेैसे वह उन्हे नीचे भी उतारती हैं। इसका ज्वलंत उदाहरण हमारे सामने हैं। पूर्व विधायक एवं जिलाध्यक्ष पवेसिंह पारगी को जिस कदर भाजपा संगठन ने सिरमौर बनाया था औंर जिस तरह उन्होने गलत राह पकड़कर भाजपा संगठन से उपर मानने का जो अपने अंदर गरूर पाल लिया था, उसके चलते जो उनका हश्र में हुआ हैं सर्वविदित हैं। कहने वाले यह भी कहते हैं कि संगठन के कुछ सूत्र धार बने हुए वर्तमान मुखियाओ ने अपनी ही लाबी से जतुड़े अपने ही समर्थको को जब यह सिख दी कि तुम नषे के व्यवसाय से दूर रहों,इससे संगठन औंर भाजपा सरकार की बदनामी हो सकती हैं। जिस व्यक्तिम को यह सिख दी जा रही थी उसने भी पलटवार करते हुए सिख देने वाले संगइन के सूत्रधारो को कहा कि पहले अपनो चेहरा आयने में देखकर आओ कि हम क्या कर रहे हैं। बात एक ही लाबी के समर्थको की यसही नही समाप्त हो रही हैं। उसी लाबी के कुछ समर्थको ने अपने आपको प्रादेषिक नेतृत्व के सामने पाक साफ अपना दामन दिखाने के लिए प्रादेषिक नेता से लगाकर सत्ता के मुखिया तक आगे चलकर यह पैगाम पहुचाया दिया कि जिले के नवनिर्वाचित प्रतिनिधियों के नातेदार, रिष्तेदार समर्थक कांग्रेस की तर्ज पर षराबमाफियाओ की तर्ज पर दौड़ते हुए नजर आ रहे औंर इस कारोबार में पुलिस का भी सहयोग ले रहें ? खैर एक ही लाबी से जुड़े ये कार्यकर्ता जिस प्रकार यादवी संघर्श आपस में कर रहे हैं, जिसके चलते राजनैतिक समीक्षको का मानना हैं कि की उक्त समर्थक गुट में कभी भी लंबी दरार पड़ सकती हैं औंर इस दरार के चलतें ये अलग-अलग हो सकते हैं तो राजनीतिक समीक्षको का यह भी मानना हैं कि यह नूरा लड़ाई लड़कर अपने ही दल के अपने प्रतिद्वंद्वी गुट को उपर तक षिकायत करने का मौका न देकर प्रादेषिक नेतृत्व में अपना ही वर्चस्व बरकरार रखने की रणनीति मात्र हैं। भाजपाईयों के सामने विधानसभा, लोकसभा चुनाव के पश्चात् एक बार औंर राजनीतिक चुनौति पर खरा उतरने की चुनौति पेष हो गई हैं। झाबुआ जिले की दो विधानसभाओ में पेटलावद और झाबुआ का जिला पंचायत सदस्यो के हो रहे उपचुनावो में सबसे बड़ी चुनौति भाजपा के लिए यह हैं कि यह दोनो सींटे भाजपा के कब्जे वाली रही हैं औंर भाजपा का कब्जा इन सींटो पर बरकरार रखना उनके लिए बड़ी चुनौति। तो दूसरी ओर कांग्रेस हर स्तर पर दोनो सींटो पर भाजपा से यें सींटे छिनकर अपना वजूद सिद्ध करने की जुगत में नजर में आ रही हैं। राजनैतिक समीक्षको का मानना हैं कि हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव में जिले की 3 विधानसभा सींटो में से 2 पर थांदला एवं पेटलावद में भाजपा ने कागे्रस प्रत्याषी से बढ़ते प्राप्त की थी। किंतु जिला मुख्यालय की विधानसभा क्षैत्र झाबुआ में कांग्रेस ने बढ़ते बढ़ाते हुए साढे़ सात हजार की लीड लेते हुए भाजपा को पीछे छोड़ दिया था औंर जिन क्षैत्रो में भाजपा कांग्रेस से पिछड़ी हैं, वह अधिकांष क्षैत्र जिला पंचायत के सदस्य के उप चुनाव में हो रहा हैं उस चुनाव क्षैत्र मे ही आता हैं, इसलिए कांग्रेस की चुनौति को भी हल्के-फुल्के में नही लेना चाहिए। लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की करारी हार के पश्चात् जहां कांग्रेस नीचे से उपर तक एकजुटता का प्रदर्षन कर अपना प्रदर्षन कर रही हैं। इस बड़ी पराजय के बाद राजनैतिक समीक्षको का मानना हैं कि कांग्रेस के जिला स्तरीय नेतृत्व में परिवर्तन होगा औंर इस परिवर्तन की हलचल कांग्रेस के अंदर चल भी रही हैं। कांग्रेस सूत्रो से मिली जानकारी के अनुसार 15-20 के अंतराल में जिला कांग्रेस में नये अध्यक्ष के रूप में झाबुआ के पूर्व कांग्रेस विधायक जेवियर मेड़ा की ताजपोषी हो सकती हैं। औंर इस प्रकार की चर्चा कांग्रेसजनो में भी नीचे से उपर तक चल रही हैं। यदि ऐसा हो जाता हैं तो वर्तमान कांग्रेस के छत्रपो के लिए बहुत बड़ा झटका माना जायेगा ? लोकसभा में बड़ी पराजय के बाद कांग्रेस के छत्रप पूर्व सांसद कांतिलाल भूरिया ने पुनः धरती पर चलना सिख लिया हैं। अब वे संसदीय क्षेत्र ेक कांग्रेस जनो के आंदोलनो एवं कार्यक्रमो में पहुचकर भाजपा सरकार के खिलाफ ज्ञापन देते हुए नजर आ रहें।