पटना। पूर्व मध्य रेलवे परियोजना के तहत गंगा नदी पर रेल सह सड़क सेतु निर्माणाधीन है। ग्रामीण क्षेत्र से पलायन करके गरीब लोग झोपड़ी बनाकर रहते हैं। अब जबकि रेल सह सड़क सेतु निर्माण यौवनावस्था पर है। झोपड़ी बनाकर रहने के कारण कार्य मेेें व्यवधान पड़़ रहा है। इसके आलोक में अतिक्रमण हटाओं अभियान के तहत प्रशासन सख्ती से अतिक्रमणकारियों को खदेड़ने में लग गया है। झोपडि़यों को हटाया के लिए भारी संख्या में पुलिसकर्मी आते हैं। जेसीबी मशीन चलाने वाले पागल हाथियों की तरह सामने आये रूकावट को दूर करते चलते जाते है। बिना सूचना और बिना पुनर्वास के विस्थापन करने से लोगों को कष्ट हो रहा है। कई दशक से रहने वाले तिनका जोड-़जोड़कर आशियाना बनाए थे। अपनी आंख के सामने धराशाही होते देखकर कष्ट के समन्दर में चले जाते हैं।
पाटलिपुत्र स्टेशन के पास रहने वालों को दीवार के अंदर कर दियाःपूर्व मध्य रेलवे ने रेलवे लाइन के बगल में रहने वालों से मुक्ति प्राप्त करने के लिए चहारदीवारी खड़ा कर दी है। पाटलिपुत्र स्टेशन से बेलीरोड ऊपरी पुल तक चहारदीवारी खड़ा कर दी है। इसके आगे रहने वालों जेसीबी मशीन से झोपड़ी धराशाही कर दी गयी है। यह सब कवायद पाटलिपुत्र स्टेशन को चालू करने के लिए की गयी । कई बार पाटलिपुत्र स्टेशन का उद्घाटन तिथि निर्धारित करने के बाद तिथि को अगली तिथि तक बढ़ा दी जाती। चहारदीवारी के अंदर रहने वाले लोगों का कहना है कि हमलोगों ने पटना उच्च न्यायालय में लोकहित याचिका दायर करके विस्थापन के पूर्व पुनर्वास की मांग किए थे। माननीय न्यायालय ने 6 माह के अंदर सरकार को पुनर्वास कर देने का आदेश पारित किया था। सुशासन सरकार के नौकरशाहों ने माननीय न्यायालय के पारित आदेश को अमान्य कर दिया। इस बीच लोकहित याचिका दायर करने वाले विद्वान अधिवक्ता की मृत्यु हो गयी। इसके कारण माननीय न्यायालय का अवमानना का मामला अधर में लटक गया। आज भी परेशान लोग पुनर्वास करवाने की मांग को लेकर अधिकारियों के द्वार पर दस्तक करते ही रहते हैं। अभी लोग नहर के किनारे बसे हैं।
रेलवे के बाद सड़क निर्माण करने में बाधा डालने वालों को हटाया जाने लगाःदीघा से लेकर खगौल तक नहर के किनारे रहने वाले लोगों को हटाया जा रहा है। शुक्रवार और शनिवार को बेलीरोड से खगौल तक नहर के किनारे रहने वालों को बेघर किया गया। इसके बाद संडे को अतिक्रमण हटाओं अभियान दीघा में चला। दीघा नहर के किनारे रहने वालों को हटाया गया। इस क्षेत्र के गण प्रतिनिधियों के द्वारा हस्तक्षेप करने पर अभियान को अगले संडे तक स्थगित कर दिया गया। गण प्रतिनिधियों और लोगों का कहना है कि प्रशासन ने किसी तरह की जानकारी नहीं दी। एकाएक आकर झोपडि़यों को ढांना शुरू कर दिया गया। तब मौके पर तैनात अधिकारियों ने सूचना दे दिए कि अगले संडे को हटाने आएंगे। इसके पहले आपलोग रण छोड़ मैदान खाली कर दंे।
मुख्यमंत्री को हस्तक्षेप करना चाहिएः बिहार के मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी को चाहिए कि सरकार के पास विस्थापन एवं पुनर्वास करने की नीति है। इसके तहत लोगों को लाभ दिलवाने की जरूरत है। आपके पास आवासहीन लोगों को आवासीय जमीन देने की भी नीति है। हुजूर, जरा गरीबों पर ध्यान देंगे। भारी संख्या में महादलित मुसहर समुदाय के लोग रहते हैं। इसके आलोक में भी लोगों को लाभ पहुंचाने का कष्ट करेंगे।
अभी तक दीघा बिन्द टोली के ही लोगों को बसाने की घोषणा की गयी हैः पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मंत्रिपरिषद की बैठक में प्रस्ताव पारित कर दीघा बिन्द टोली के लोगों को जमीन बंदोबस्ती कर बसाने का निर्णय लिया है। जो अभी तक अमल नहीं किया गया है। इसके अलावे रेलखंड और सड़क निर्माण के दौरान विस्थापित होने वालों की सुधि नहीं ली गयी है। ऐसा प्रतीक होता है कि सरकार ने मन बना लिया कि किसी तरह का मुआवजा तथा योजना से लाभ दिए ही लोगों को खदेड़ दिया जाए। ऐसा माहौल बना दें ताकि मजबूरी में खुद ही मैदान छोड़कर भाग खड़ा हो जाए। यह कदम कल्याणकारी सरकार के लिए शोभायमान नहीं है।
आलोक कुमार
बिहार