मुंबई के मालाबार हिल का यह बंगला भारत के विज्ञान जगत के लिए किसी मंदिर-मस्जिद से कम नहीं है। इसी बंगले में ऐसे जाने कितने विचार पैदा हुए, जिन्होंने भारत का भविष्य बदलकर रख दिया। भारतीय परमाणु कार्यक्रम के पिता कहे जाने वाले होमी जे भाभा का यह बंगला 372 करोड़ में बिका है। बुधवार को इस बंगले को नीलाम कर दिया गया। खरीदने वाले का नाम फिलहाल उजागर नहीं किया गया है।
इस बंगले को नीलाम करने के फैसले पर काफी तीखी प्रतिक्रिया हुई थी। भारत रत्न से सम्मानित वैज्ञानिक सीएन राव ने इसी महीने की शुरुआत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर अनुरोध किया था कि इस बंगले को नीलाम होने से बचाया जाए। ब्रिटिश युग के अंदाज में बने इस भव्य बंगले को मेहारानगिर कहा जाता है। डॉ. भाभा और उनके भाई जमशेद इसके मालिक थे। 1966 में डॉ. भाभा की एक विमान हादसे में मौत के बाद उनके भाई इस बंगले के संरक्षक बन गए। कला और संस्कृति के प्रेमी रहे जमशेद ने 2007 में अपनी मौत से पहले इस बंगले को नैशनल सेंटर फॉर द परफॉर्मिंग आर्ट्स (एनसीपीए) को दे दिया।
एनसीपीए के अध्यक्ष खुश्बू संतूक ने बंगले को नीलाम करने के फैसले को सही ठहराते हुए कहा कि ऐसा जमशेद की इच्छा के अनुसार ही किया गया है। उन्होंने कहा, 'हमें भी दुख है कि बंगला नीलाम हो रहा है लेकिन यही जमशेद की इच्छा थी।'कई वैज्ञानिकों ने मुहिम चलाकर इस बंगले को नीलाम करने के बजाय मेमॉरियल बनाने का अनुरोध किया था। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने भी वैज्ञानिकों की इस मांग का समर्थन किया था।