- दो दर्जन से अधिक बड़े डेवलपरों इंडस्टी लगाने के लिए जगह तलाशी
- कालीन, साड़ी, हैंडलूम, काष्ठ व खिलौना उद्योग सहित अन्य कुटीर उद्योगों की बदहाली दूर करने के वास्ते मास्टर प्लान तैयार
- टेक्सटाइल टूरिज्म के रुप में विकसित कर पर्यटकों को लुभाने की है योजना
- बुद्धिष्ट परिपथ वाराणसी-गोरखपुर सहित वाराणसी वाया जौनपुर-सुल्तानपुर व वाराणसी-गाजीपुर मार्ग को फोरलेन बनाने की मंजूरी
- सारनाथ व राजातालाब में बनेगा शिल्प म्यूजियम, मीरजापुर और विन्ध्य क्षेत्र में बनेगा नया टूरिस्ट सेंटर
- भदोही के ज्ञानपुर व गोपीगंज मेगा मार्ट, गाजीपुर को एग्रो बेस इंडस्टी व सर्विस टाउन के रुप में विकसित करने की है योजना
- सोनभद्र में विकसित होगा कलस्टर व विंडम फाॅल, टांडा फाॅल सहित अन्य वाटर फाॅलों का होगा सौंदर्यीकरण
- जौनपुर के शाहगंज क्षेत्र को बनया जायेगा बेहतर टाउन
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पूर्वांचल राज्य बनाने के मामले भले ही अभी कोई विचार नहीं कर पाएं, लेकिन इसके विकास को लेकर काफी संजीदा है। अपने वायदे के मुताबिक उन्होंने पूर्वांचल को हरा-भरा बनाने के साथ यहां के लोगों की रोजी-रोटी चलती रहे, इसके लिए विकास का रोडमैप तैयार कर दी है। योजना के मुताबिक दो दर्जन से अधिक बड़े डेवलपर पूर्वांचल के विभिन्न जनपदों में इंडस्टी लगाने के लिए जगह तलाश ली है। जबकि प्रशासनिक तंत्र भी प्रधानमंत्री के विकासरुपी रोडमैप को अंतिम रुप में देने में दिन-रात एक कर दिया है। प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रुप से 20 लाख से भी अधिक लोगों की दो जून की रोटी मुहैया कराने वाले कालीन, साड़ी, हैंडलूम, काष्ठ व खिलौना उद्योग सहित अन्य कुटीर उद्योगों की बदहाली दूर करने के वास्ते मास्टर प्लान तैयार कर दी है। मानना है कि विदेशियों को बनारस के घाट, तीर्थस्थल, सारनाथ की बोध प्रतिमा व गंगा आरती ही नहीं पूरी दुनिया में हाथ से बनी बलबूटेदार कालीने व साडि़यां भी आकर्षित कर सकती है। इसीलिए टेक्सटाइल टूरिज्म के रुप में विकसित कर पर्यटकों को लुभाने के साथ ही अच्छा व्यापार करने की योजना है।
मास्टर प्लान बनाने वाले अधिकारियों की मानें तो गाजीपुर को एग्रो बेस इंडस्टी व सर्विस टाउन, डाला, पिपरी, रेनूकोट, ओबरा, चोपन, शक्तिनगर, रिहंदनगर के इलाकों में नए इंडस्टियल कलस्टर के अलावा दर्जनभर वाटर फाॅल व प्राकृतिक सौंदर्यता वाले इलाकों को संसाधनयुक्त बनाने, भदोही में मेगा मार्ट व बनारस में हस्तकला उत्पाद केन्द्र की स्थापना कर वस्त्र पर्यटक केन्द्र तथा जौनपुर के शाहगंज क्षेत्र को बेहतर टाउन के रुप में विकसित करने की योजना है। बुद्धिष्ट परिपथ वाराणसी-गोरखपुर 208 किमी, वाराणसी वाया जौनपुर-सुल्तानपुर 146 किमी व वाराणसी-गाजीपुर 110 किमी मार्ग को फोरलेन बनाने की भी मंजूरी हो गई है। नए मास्टर प्लान में इंडस्टीज और टूरिज्म के लिए दर्जनभर कलस्टर विकसित करने के अलावा बढ़ती आबादी के लिए मूलभूत सुविधाओं को रखा गया है। पर्यटकों के लिए सुवेनेयर शाॅप यानी जहां यादगार सामान बिकते हो, और उद्योग को बढ़ावा देने के लिए टेड फैसिलिटेशन सेंटर भी स्थापित करने की योजना है।
मंदी सहित अन्य समस्याओं से जूझ रहे कालीन व साड़ी बुनकरों तथा कारोबारियों को उबारने के लिए काम शुरु हो गया है। शिल्प म्यूजियम के लिए सारनाथ व राजातालाब में जमीन खोजी गयी है। इसमें बुनकरों के कल्याण व हथकरघा क्षेत्र प्रोत्साहन के लिए व्यापार सुविधा केन्द्र व हैंडीक्रैफट म्यूजियम निर्माण के लिए 50 करोड़ रुपये का प्राविधान है। इससे न सिर्फ गरीब बुनकर मजदूरों का पलायन रुकेगा, बल्कि वाराणसी व भदोही में मेगा कलस्टर की स्थापना से वस्त्र उद्योग को भी बढ़ा मिलेगा। व्यापार सुविधाकरण केन्द्र व शिल्प संग्राहालय की स्थापना अंगूलियों की जादू लगाने वाले इलाके के बुनकरों के लिए सरकार की बड़ी सौगात है। टेंड सेंटर का विकास इस तरीके से होगा कि बुनकरों को अपनी मेहनत का माल आधे-पौने दाम पर या फिर कई दिन की उधारी पर गद्दीदारों को देने से मुक्ति मिल जायेगी। टेड सेंटर में बुनकरों का माल विचैलियों की बजाए सीधे खरीदने की योजना है। इसके अलावा बनारस का लकड़ी खिलौना उद्योग जो बनारस के नक्शे से गायब हो चला है, को एकबार फिर म्यूजियम के रुप में विकसित करने की योजना है। जरी-जरदोजी, पाटरीज व पत्थर के आकर्षक दैनिक उपयोग की वस्तुएं-डाइंगरुम ेके सजावटी सामान, हैंडमेड वाॅल पेटिंग आदि काशी की कभी पहचान रही एक जगह नजर आयेगी।
मीरजापुर और विन्ध्य क्षेत्र का संयुक्त मास्टर प्लान 2031 बनाया गया है। इसमें 15 वर्ग किमी क्षेत्र में कालीन इंडस्टी और विन्ध्य इलाके में नए टूरिस्ट सेंटर बनाया जाना है। भदोही के ज्ञानपुर व गोपीगंज इलाके को मिलाकर तैयार होने वाले मास्टर प्लान में 58 गांवों को शामिल किया गया है। इसके लिए फिजिकल सर्वे का काम शुरु होने के साथ ही सेटेलाइट मैपिंग नगर नियोजन विभाग को दिया गया है। गाजीपुर को एग्रो बेस इंडस्टी व सर्विस टाउन के रुप में विकसित करने के लिए 2875 हेक्टेयर के रायूलेटरी क्षेत्र में 32 राजस्व गांवों को शामिल किया गया है। इसमें शहर के बाहरी इलाकों में सभी सुविधाओं से युक्त मंडी, पालिटेक्निक, इंजियनियरिंग-उच्च शिक्षा केन्द्र, स्टेडियम और ग्रीन बेल्ट का प्राविधान है। वाराणसी की ही तरह यहां भी गंगा किनारे के 200 मीटर क्षेत्र में किसी भी तरह के निर्माण पर प्रतिबंध रहेगा। डाला, पिपरी, रेनूकोट, ओबरा, चोपन, शक्तिनगर, रिहंदनगर के इलाकों में नए इंडस्टियल कलस्टर बनाने के मद्देनजर 3450 वर्ग किमी का दायरा लिया गया है। इसमें दर्जनभर वाटर फाॅल व प्राकृतिक सौंदर्यता वाले इलाकों में टूरिज्म बढ़ावा के मद्देनजर हर तरह की आधुनिक सुविधाएं मुहैया किया जाना है। जौनपुर में शाहगंज क्षेत्र को बेहतर टाउन के रुप में विकसित करने की योजना है।
बुद्धिष्ट परिपथ वाराणसी-गोरखपुर 208 किमी मार्ग को फोरलेन बनाने के लिए 3440 करोड़ रुपया स्वीकृत हो गया है। पीपीपी माफत्रॅडल के साथ पूरा खाका भी तैयार किया जा चुका है। इसके लिए मार्च 2015 तक भूमि अधिग्रहण का भी काम पूरा कर लिया जायेगा। वाराणसी वाया जौनपुर-सुल्तानपुर 146 किमी टूलेन रोड को फोरलेन में तब्दील करने के लिए मंजूरी दे दी गई है। इस परियोजना पर कुल 1975 करोड़ रुपये खर्च किया जाना है। वाराणसी-गाजीपुर 110 किमी मार्ग को फोरलेन बनाने की भी मंजूरी हो गई है और 6 माह के भीतर काम शुरु हो जायेगा। मां गंगा की दशा व प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए 2037 करोड़ की जो धनराशि आवंटित की गयी है उससे बनारस, इलाहाबाद, कानपुर से हरिद्वार तक मां को गंगा का निर्मलीकरण करने का काम भी शुरु हो गया। काशी, कानपुर, इलाहाबाद सहित अन्य घाटों की सफाई के लिए भी 100 करोड़ खर्च करने की योजना है।
इलाहाबाद से हंडिया-संतरविदासनगर भदोही-बनारस-पटना-कोलकाता होते हुए हल्दिया तक 1620 किमी जलमार्ग बनाकर पानी का जहाज चलाने की भी योजना है। इस योजना में यात्री के साथ-साथ मालवाहक जहाज भी चलेंगे। इसके लिए कुल 4200 करोड़ राशि का प्राविधान है और 6 साल के अंदर कार्य पूरा कर आवागमन शुरु करने की बात कहीं गयी है। जलमार्ग पर हर 30 किमी पर एक टर्मिनल व डैम भी बनाए जायेंगे। जिससे यात्री व व्यापारी अपनी यात्रा व माल अमूक स्थानों तक पहुंचा सकते है। माना जा रहा है कि इससे यात्रियों व व्यपारियों का समय तो बचेगा ही भाड़ा में भी काफी किफायत होगी। इतना हीं नहीं नमामि गंगे योजना का सर्वाधिक लाभ इलाहाबाद-बनारस के सहित पूरे पूर्वांचल का होगा। न सिर्फ टूरिज्म बढेगा बल्कि माल ढुलाई भी आसान हो जायेगा। बड़े जहाजों का आवागमन पश्चिम बंगाल से पटना के रास्ते तमाम पर्यटक स्थलों तक की पहुंच आसान हो जायेगा। रेल व सड़क मार्ग से आधे दाम पर माल की ढुलाई होगी। बड़े जहाज से एक बार में 1000 टन माल ढोया जा सकता है। बड़े प्लांट मशीनरी जलमार्ग से आसानी से पहुंचाएं जा सकते है। गंगा में हर वक्त पर्याप्त पानी तो होगी ही अविरल हिलोेरे मारती लहरें पर्यटकों को लुभाएगी।
पूर्वांचल में एम्स की स्थापना से गरीब व मध्यम वर्ग के लोगों को काफी लाभ व सहूलियतें मिलेगी। उम्मीद है कि अब सहजे ही उनके किसी सगे-संबंधी की जान नहीं जायेंगी। क्योंकि यहां के अधिकांश अस्पताल सुविधाओं के अभाव में सिर्फ रेफर तक सिमित होकर रह गए है। किडनी टासंप्लांट, हार्ट अटैक, कार्डियक सर्जरी, न्यूरो, बाईपास सर्जरी, समेत विभिन्न गंभीर रोगों की सर्जरी के लिए एम्स भेजे जाने वाले दो दर्जन से अधिक मरीज खुद की सांसे भगवान की मर्जी पर छोड़ देने को विवश होते है। हैरानी होगी कि गंभीर रोगों से पीडि़तों के अलावा इसमें मरीज की संख्या होती है जिन्हें तत्काल इलाज की दरकार होती है। दुर्घटनाओं में गंभीर रुप से घायल दो दर्जन से अधिक मरीज पूर्वांचल के अस्पतालों में पहुंचते है, लेकिन सुविधाओं के अभाव में दम तोड़ देते है। जो बनारस तक किसी तरह पहुंच जाते है वहां भी चिकित्सकों की लापरवाही उन्हें नहीं बचा पाती।
बनारस जब स्मार्ट सीटी बनेगा तो न सिर्फ व्यापार बढ़ेगा बल्कि काफी संख्या में लोगों को रोजगार के अवसर भी उपलब्ध होंगे। सारनाथ, गया व वाराणसी के बीच बौद्ध सर्किट बनने से भी काशी की महत्ता तो बढ़ेगी ही, महात्मा बुद्ध की जन्मभूमि और कर्मक्षेत्र रहे काशी व कुशीनगर में विश्वस्तरीय प्र्यटन सुविधाओं का संजाल स्थापित हो सकेगा। इन दोनों स्थानों के अहमियत का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि सारनाथ व कुशीनगर में सालाना करीब 7 लाख से भी अध्कि विदेशी पर्यटक अपनी आमद दर्ज कराते है। यह पर्यटक मुख्यरुप से श्रीलंका, जाना, कोरिया, थाईलैंड, सिंगापुर, ताइवान, चीन, सहित पूरे भारत के कोने-कोने से आते है। गांव-गांव में ई-क्रांति लाने के लिए डिजिटल इंडिया कार्यक्रम से युवाओं को रोजगार के अवसर मिलेंगे। इसके तहत 500 करोड़ का प्राविधान बजट में किया गया है।
---सुरेश गांधी---