त्रिपुरा की एक अदालत ने गुरुवार को एक अखबार के संपादक और मालिक सुशील चौधरी को एक साल पहले हुए तिहरे हत्याकांड के मामले में उम्रकैद की सजा सुनाई है। यह जानकारी सरकारी वकील ने दी। पश्चिम त्रिपुरा जिले के अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश कृपांकुर चक्रबर्ती ने बांग्ला भाषा के दैनिक समाचारपत्र 'दैनिक गणदूत'के संपादक और मालिक 73 वर्षीय चौधरी पर 70,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया है। फैसले के बाद विशेष सरकारी वकील दिलीप सरकार ने संवाददाताओं को बताया कि 19 मई, 2013 में समाचारपत्र के तीन कर्मचारियों की हत्या के आरोप में चौधरी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई। अदालत ने भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के अंतर्गत सोमवार को सुशील को दोषी करार दिया था।
न्यायाधीश ने अपने 434 पेज के फैसले में कहा, "यह दुर्लभतम मामला है। तीन लोगों की हत्या में चौधरी की मुख्य भूमिका थी और यह पूर्व नियोजित और चतुराई से की गई हत्या थी।"न्यायाधीश ने कहा, "दोषी की उम्र का ध्यान रखते हुए मौत की सजा की जगह आजीवन कारावास की सजा सुनाई जाती है।"सरकारी वकील सरकार ने बताया, "हालांकि हमने चौधरी के लिए मौत की सजा की मांग की थी, लेकिन हम न्यायालय के फैसले से खुश हैं।" सरकार ने बताया कि दोषी जिला न्यायालय के फैसले के खिलाफ 60 दिनों के अंदर उच्च न्यायालय में मुकदमा दायर कर सकता है।
चौधरी को उनके कार्यालय के तीन कर्मचारियों की हत्या के कुछ हफ्तों बाद उनकी एक महिला कर्मचारी नियति घोष के साथ गिरफ्तार किया गया था। समाचार-पत्र कार्यालय के वाहन चालक बलराम घोष की पत्नी नियति बाद में मामले की सरकारी गवाह बन गई थीं, जिसके बाद उसे छोड़ दिया गया। नियति और उसकी 13 साल की बेटी बलराम घोष की हत्या की चश्मदीद गवाह थी। परिवार समाचार पत्र कार्यालय की इमारत में ही रहता था।
नियति के पति बलराम घोष, समाचार पत्र के प्रबंधक और पूर्व बीएसएफ कर्मचारी रंजीत चौधरी और समाचार-पत्र के प्रूफ रीडर सुजीत भट्टाचार्जी की समाचार-पत्र के कार्यालय में हत्या कर दी गई थी। जांच अधिकारी मानस पॉल ने कहा कि इन हत्याओं के पीछे संपत्ति विवाद और अवैध संबंध मुख्य कारण थे। उन्होंने कहा कि सुनवाई के दौरान 41 गवाहों को पेश किया गया। राष्ट्रपतियों और प्रधानमंत्रियों के साथ 80 से ज्यादा विदेश यात्राएं करने वाले चौधरी ने अपनी यात्राओं पर किताबें भी लिखी हैं।