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बृजबिहारी हत्याकांड के सभी अभियुक्त बरी

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पटना हाइकोर्ट ने पूर्व मंत्री बृजबिहारी प्रसाद हत्याकांड के सभी नौ अभियुक्तों को गुरुवार को बरी कर दिया. न्यायाधीश वीएन सिन्हा और इकबाल अहमद अंसारी के खंडपीठ ने यह फैसला सुनाया. इन सभी अभियुक्तों को निचली अदालत से सजा मिल चुकी थी. 

हाइकोर्ट ने उन्हें इस आधार पर बरी किया कि मामले में कोई भी चश्मदीद गवाह नहीं है. तत्कालीन राजद सरकार में विज्ञान एवं प्रावैधिकी मंत्री बृजबिहारी प्रसाद की हत्या 13 जून, 1998 को पटना के इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान (आइजीआइएमएस) में कर दी गयी थी. फायरिंग में एक सुरक्षा गार्ड लक्ष्मेश्वर साह भी मारे गये थे. सीबीआइ ने इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा में गड़बड़ी (मेधा घोटाला) में उन्हें गिरफ्तार किया था और आइजीआइएमएस में न्यायिक हिरासत में उनका इलाज चल रहा था. करीब 16 साल पहले हुई इस घटना ने तब बिहार के राजनीतिक हलके में हलचल मचा दी थी. पहले इस कांड की जांच पुलिस ने की. बाद में राज्य सरकार ने जांच का जिम्मा सीबीआइ को सौंप दिया था.

इस कांड के तीन अभियुक्त मुन्ना शुक्ला, राजन तिवारी और मंटू तिवारी अब भी जेल में बंद हैं, जबकि अन्य अभियुक्त ललन सिंह, कैप्टन सुनील सिंह, राम निरंजन चौबे, सूरजभान सिंह, मुकेश सिंह जमानत पर हैं. एक अभियुक्त पूर्व विधायक शशि कुमार राय की मौत हो चुकी है. कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि इस केस में अभियोजन पक्ष ने कोई ऐसा गवाह नहीं जुटाया, जिसने हत्याकांड अपनी आंखों देखी हो. सीबीआइ के वकील विपिन कुमार सिंह ने अपील याचिका का विरोध किया था. पटना की जिला अदालत ने 12 अगस्त, 2009 को सभी अभियुक्तों को उम्रकैद की सजा सुनायी थी और 20-20 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया था.  अभियुक्तों ने निचली अदालत के फैसले के खिलाफ हाइकोर्ट में अपील याचिका दायर की थी.

अपील दायर करनेवाले राजन तिवारी के अधिवक्ता ने कहा कि सारी कहानी गढ़ी हुई लगती है. खुद बृजबिहारी प्रसाद पर भी कई आपराधिक मुकदमे चल रहे थे.  राजन तिवारी की ओर से कोर्ट को यह भी बताया गया कि वह  13 वर्षो से जेल में बंद हैं. इस पर सीबीआइ की ओर से कहा गया कि इस केस में राजन तिवारी सिर्फ छह साल से बंद हैं. बाकी का समय दूसरे केस से संबंधित है.

बृजबिहारी प्रसाद हत्याकांड कई मायनों में हाइ प्रोफाइल था. स्व प्रसाद खुद रसूखदार मंत्री रहे थे. वह एक घोटाले में न्यायिक हिरासत में थे. इस मामले में जिन्हें आरोपित किया गया, उनमें से कई बड़े हिस्ट्रीशीटर रहे हैं. बाद में राजन तिवारी, मुन्ना शुक्ला विधायक बने. सूरजभान सिंह सांसद बने. इस मुकदमे के ट्रायल के दौरान 54 गवाहों की गवाही हुई थी. खास यह कि बृजबिहारी प्रसाद के एक रिश्तेदार भी होस्टाइल हो गये थे. निचली अदालत के फैसले को हाइकोर्ट में चुनौती दी गयी थी. कोर्ट ने 19 जून को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. इस केस में 15 अभियुक्त बनाये गये थे. उनमें से श्रीप्रकाश शुक्ला की हत्या हो गयी. एक अभियुक्त सुनील सिंह ने बेऊर जेल में आत्महत्या कर ली थी,  जबकि सजायाफ्ता शशि कुमार राय (पूर्व विधायक) का बाद में निधन हो गया. एक अन्य अभियुक्त सतीश तिवारी पुलिस रेकॉर्ड में फरार है. बृजबिहारी की विधवा रमा देवी अभी  शिवहर से भाजपा की सांसद हैं.

सीबीआइ ने 164 मे बयान दर्ज किया: अरविंद सिंह, शशिभूषण सिंह, रघुनंदन सिंह और महंथ अश्विनी दास.
सूरजभान सिंह, विजय कुमार शुक्ला उर्फ मुन्ना शुक्ला, रामनिरंजन चौधरी, मंटू तिवारी, राजन तिवारी, कैप्टन सुनील सिंह, ललन सिंह, मुकेश सिंह, शशि कुमार राय (मृत)



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