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पापा मुझे छुड़ा लो.....नाबालिग की दास्तां पर पुलिस खामोश

झांतला। पापा मुझे छुडा लो। मैने 20 दिन से खाना नहीं खाया है। मैने कई दिनों से सूरज नहीं देखा है। अभी मैं एक अस्पताल में हूॅं। कहां हॅू यह नहीं पता। पास में लगे पलंग पर लेटे मरीज के मोबाईल में सीम डालकर मैं यह बात कर रही हॅूू। मुझे लेने आ जाओ पापा.........क्यांे किससे बात कर रही है। दे तेरा मोबाईल....।

यह वाकिया जिले की सिंगोली तहसील के ग्राम धनगांव की एक नाबालिग बालिका का है। गांव के धनाढय जैन परिवार का युवक मनीष पिता महावीर जैन स्कूल से इस बालिका को बहला-फुसलाकर ले गया है। युवक के गायब होने का परिवार को गम नहीं है। जैन परिवार के रोजमर्रा के जीवन में कोई फर्क नहीं है, लेकिन लड़की के परिजनों और मां की हालत तो बहुत खराब है। पुलिस के निकम्मेपन का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि बच्ची के फोन आने की पूरी जानकारी सिंगोली थानेदार को दी है, लेकिन मोबाइल ट्रेस करने के ना पर पुलिस ने एक कदम भी नहीं उठाया है। इस बात को एक माह बीत गया है। लड़की के मां-पिता का रो-रोकर बुरा हाल है और पुलिस कह रही है कि जांच चल रही है। लड़के के माता-पिता को एक दिन थाने लाकर नहीं बैठाया है। गांव के लोगों का कहना है कि जैन समाज में कम होती लड़कियों की संख्या के कारण गांव के धनाढय परिवार ने यह प्रपंच रचा है। 

लड़के के माता-पिता इतने अनजान बन रहे हैं जैसे कुछ हुआ ही नही। इधर लड़की के परिवार वाले पुलिस को हर पल की जानकारी दे रहे हैं, लेकिन सिंगोली थाना प्रभारी संभवतः उपकृत होने के कारण लड़के के परिवार वालों के खिलाफ कोई कदम नहीं उठा रहा है। पुलिस की कार्यप्रणाली का प्रमाण हाल ही में सामने आया है। जिसमें नगरपालिका अधिकारी से बदसलूकी करने वाले पार्षद पुत्र पवन अग्रवाल की गिरफतारी के लिए उसके भाई को थाने में बैठा लिया, लेकिन एक परिवार की बालिका 14 अप्रैल से गायब है। लड़की के पिता नामजद थाने में रिपोर्ट दर्ज करा रहे हैं, लेकिन पुलिस ने केवल खानापूर्ति के सहारे काम करने का भ्रम पैदा कर रखा है। इस मामले में पुलिस अधीक्षक एवं अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक को भी अवगत करा दिया है, लेकिन जांच के नाम पर केवल कागज रंगे जा रहे हैं। 

यह बालिका 13 अप्रैल घर से षौच के लिए गई थी और उसके बाद आज तक नहीं लौटी है। 17 वर्षीय बालिका का गत दिनांे अचानक पिता के मोबाइल पर फोन आता है। जिसमें बच्ची रो-रोकर अपनी दास्तांन सुना रही है। बच्ची के दर्द का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि उसे जैन युवक मनीष के पास अपार सम्पदा है और कहीं भी रहने के दौरान परिवार से उसे धन की आपूर्ति हो सकती है। यही कारण है कि बच्ची को किसी ऐसी जगह पर रखे हुए हैं जहां बच्ची को दिन-रात का पता नहीं चल पा रहा है। उसने फोन पर अपने पिता को बताया कि एक अस्पताल में उसे भर्ती करा रखा है और मनीष कहीं गया है इस बीच पास में पलंग पर सो रहे दूसरे मरीज के मोबाइल में अपनी सीम लगाकर बात कर पा रही है। उसे 20 दिन से खाना नहीं दिया गया है। जिससे उसकी हालत लगातार खराब होतीे जा रही है। इस बात से चिंतित परिजनों ने पुलिस से आस खत्म कर ली है। परिजनों ने अब मानव अधिकार से गुहार की है।

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