सोनिया के बताये रोडमैप पर सरकार चलेगी विकास के रास्ते पर: सीएम
- कृषि और बागवानी बनेगी आजाविका का मुख्य आधार
देहरादून, 28 जुलाई (राजेन्द्र जोशी) ।मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि उनकी सरकार सोनिया गांधी द्वारा राज्य सरकार को दिए रोड मैप पर कार्य कर आगे बढ़ेगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार अब तीगुने उत्साह से कार्य करेगी और जनता ने उस पर जो विश्वास जताया है वह उस पर खरा उतरने का प्रयास करेगी। विधानसभा में विधायक के शपथ ग्रहण करने के बाद मीडिया से मुखातिब होते हुए मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि उन्होंने राज्य के राज्य के लिए अपनी प्राथमिकता तय की है जिसके तहत राज्य राष्ट्रीय खा़द्य सुरक्षा योजना लागु कर दी गई है। इससे राज्य की 62 फीसदी आबादी लाभान्वित हुई है। सरकार की मंशा है कि शेष 38 फीसदी जनसंख्या को भी खाद्य सुरक्षा योजना के तहत लाया जाये। उन्होंने कहा कि खाद्य सुरक्षा योजना को राज्य में प्रभावी ढ़ग से लागू किया जाए। इस पर वह स्वंय निगाह रखे हुये है। उन्होंने कहा कि उन्होंने सभी जिले के प्रभारी मंत्रियों को निदेश दिए है कि वे अपने जिलों में जाये जहां के वे प्रभारी है और अगस्त 8 और 9 को इस योजना की समीक्षा की करें। उन्होंने जिलाधिकारियों को भी निदेर्शित किया है कि इस योजना के लिए चिन्हित सत-प्रतिशत लोगों को राशन कार्ड वितरित किया जाए ताकि वे इस योजना का लाभ उठा सके। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार शीघ्र ही सार्वभौम स्वास्थ्य बीमा योजना की तैयारी कर रही हैं। इसके लिए राज्य के गरीब तबके के अतंर्गत जीवन यापन करने वाले परिवारों पर लागू किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि हिमाचल की तर्ज पर उत्तराखंड के किसानों की आजीविका को कृषि आधारित बनाने की योजना बनाई गई है। ताकि पर्वतीय क्षेत्रों से पलायन को रोका जा सके और वहां के लोग स्वालंबी बन सके। उन्होंने कहा कि इसके लिए कार्ययोजना तैयार की जा रही है। पर्वतीय क्षेत्रों में कृषि व बागवानी को पुर्नजीवित करने पर सरकार का फोकस है, और इस बहुआयामी योजना के लिए राज्य के सभी विभागों को इस योजना में समन्वित प्रयास कर लोगों के जीवन स्तर को सुधारा जाएगा।
मुख्यमंत्री सहित हीरा व रेखा ने ली विधायक की शपथ
देहरादून, 28 जुलाई (निस)। मुख्यमंत्री हरीश रावत सहित हीरा ंिसंह बिष्ट व रेखा आर्य ने सोमवार को विधानसभा में विधायक की शपथ ली। विधानसभा स्थित सभागार में विधानसभा अघ्यक्ष गोविन्द्र सिंह कुंजवाल ने मत्रिमंडल के सदस्यों की उपस्थिति व कांग्रेस के कार्यकर्ताओं की मौजूदगी में तीनों लोगों को उत्तराखंड विधानसभा के विधायक की शपथ दिलाई। उल्लेखनीय है कि हरीश रावत ने एक फरवरी को उत्तराखंड के मुख्यमंत्री की कुर्सी संभाली । उस दौरान वे हरिद्वार लोकसभा क्षेत्र के सांसद थे और मनमोहन सरकार में केन्द्रीय मंत्री भी रहे थे। संविधान के अनुसार उन्हें छह माह के भीतर विधानसभा की सदस्यता ग्रहण करनी थी। जबकि इस बीच लोकसभा चुनाव हो जाने के बाद डोईवाला और सोमेश्वर (आरक्षित) विधानसभा सीटें खाली हुई थी। लेकिन मुख्यमंत्री ने राजनीतिक कारणों से डोईवाला सीट को चुनाव लड़ने के लिए मुुफीद नहीं माना था। यहीं कारण है कि गैरसैंण विधानसभा सत्र के दौरान मुख्यमंत्री के नजदीक समझे जाने वाले धारचूला विधायक हरीश धामी ने इस्तीफा दे दिया था। राज्य में तीनों सीटों के लिए हुये उपचुनाव में मुख्यमंत्री हरीश रावत धारचूला से, हीरा सिंह बिष्ट ने डोईवाला से व रेखा आर्य ने सोमेश्वर से भाजपा विधायकों को हराया। तीनों निर्वाचित प्रतिनिधियों ने सोमवार को विधानसभा में राज्य विधान सभा की शपथ ली। जिसके बाद ये तीनों राज्य विधानसभा के सदस्य हो गए।
आखिर चैदह करोड़ में बने सीएम आवास में क्यों नहीं रहना चाहते मुख्यमंत्री !
देहरादून, 28 जुलाई (निस)। उत्तराखंड में 14 करोड़ रूपये की लागत से बना मुख्यमंत्री आवास मुख्यमंत्रियों को ही रास नहीं आ रहा है। कारगिल शहीद मेख गुरूंग मार्ग स्थित इस मुख्यमंत्री आवास के तैयार हो जाने के बाद से अब तक जितने भी मुख्यमंत्री रहे है कोई भी अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाया है। यहीं कारण है कि वर्तमान मुख्यमंत्री हरीश रावत भी इस मुख्यमंत्री आवास में जाने से कतराते रहे हैं, और वे मुख्यमंत्री के लिए बने इस सरकारी आवास से महज सौ मीटर की दूरी पर स्थित बीजापुर राज्य अतिथि गृह के अति महत्वपूर्ण व्यक्तियों के बनाये गए सुईट में रह रहे है। वहीं करोड़ो की लागत से पर्वतीय वास्तुकला शैली मे बना यह मुख्यमंत्री आवास वीरान खड़ा है। हालांकि इसके बाई ओर राज्यपाल के लिए नवनिर्मित राजभवन भी इसी दौरान बना है, और लगभग साथ-साथ बने इन भवनों में राज्यपाल माग्र्रेट आल्वा व अब डा. अजीज कुरैशी रह रहे है। उल्लेखनीय है कि पूर्व सीएम पं नारायण दत्त तिवारी जिस स्थान पर यह नया मुख्यमंत्री आवास बना है वहां ब्रिटिश काल के भवन पर पूरे पांच साल रहे थे। उसके बाद नये सीएम अवास में कोई भी मुख्यमंत्री डेढ़ साल से अधिक नही रह पाया है। जबकि इस सीएम आवास को पर्वतीय वास्तुकला की दृष्टि से पूरी तरह सजाया संवारा गया है। तत्कालीन सीएम डाॅ. रमेश पोखरियाल निशंक ने एक- एक बिन्दु पर चर्चा परिचर्चा कर उसे सुव्यवस्थित बनवाया। इसे संयोग कहे या दुरयोग, मुख्यमंत्री परिवर्तन के बाद व लगभग एक साल तक ही नये अवास में रह सके। उसके बाद नये सीएम के रूप में खण्डूडी को शपथ दिलाई गई और वे इस अवास के हकदार हो गए। आंकड़ों की माने तो मुख्यमंत्री अवास का मुददा पहली सरकार से ही चर्चा का विषय रहा है। कैंट स्थित वर्तमान सीएम अवास का निर्माण चल रहा था। नित्यानंद स्वामी जो उत्तरांचल के पहले सीएम थे उन्होंने अपनी सरकार पार्क रोड स्थित निजी अवास से ही चलाया। दुसरे सीएम के रूप में शपथ ली भगत सिंह कोश्यारी ने। श्री कोश्यारी हाथीबड़कल्ला के अपने मंत्री अवास से ही सरकार का संचालन करते रहे। तीसरे पं़ नारायण दत्त तिवारी मुख्यमंत्री आवास में पुरे पांच साल तक रहे। लेकिन यह सीएम आवास पुराने ढर्रे पर बना हुआ था और उसका नवनिर्माण नही किया गया था। केवल व्यवस्था के दुष्टि से कुछ कार्यालय बनाए गये थे। ताकि सीएम कार्यालय में जनता को असुविधा न हो। तिवारी जी के कार्यकाल में बनने वाले सीएम आवास को पुर्णतः डाॅ. निशंक के कार्यकाल में मिली लेकिन उसके बाद कोई सीएम अब तक अपने पांच वर्ष इस आवास में नही काट सका है जिसके कारण ये भवन चर्चाओं में है। अब इसे लोग अलग- अलग ढंग से परिभाषित कर रहे है। डाॅ. रमेश पोखरियाल निशंक ने पुरी तरह धार्मिक रीति रिवाज का पालन करते हुए सीएम आवास में प्रवेश किया पर वे महत एक साल ही इस आवास में रह सके। सत्ता परिवर्तन के कारण उन्हे सीएम आवास छोड़ना पड़ा। फौजी एवं राजनेता अधिकारी भुवन चन्द्र खण्डूडी ने सितंबर 2011 में सीएम पद का शपथ लिया और वे अपने पुराने यमुना काॅलोनी स्थित पूर्व मुख्यमंत्री के लिए बने उसी आवास से काम करते रहे। केवल नये सीएम आवास को उन्होंने कार्यालय के रूप में प्रयोग किया। विधानसभा चुनाव में बीसी खण्डूडी हार गये और भाजपा कांग्रेस से अंको की गणित में एक अंक पीछे रह गई। भाजपा को 31 सीटों पर संतोष करना पड़े जबकि कांग्रेस को 32 सीटे मिली। सीएम पद के दावेदार बीसी खण्डूडी की कोटद्वार से हार ने भाजपा को काफी पीछे धकेल दिया। इसके बाद दूसरा झटका भाजपा को तब लगा उसके नवनिर्ववाचित विधायक किरण मंडल ने तत्कालीन सीएम विजय बहुगुणा के लिए अपनी सीट छोड़ दी। इस घटनाक्रम के बाद भाजपा तीस और कांग्रेस 33 हो गई। इस रणनीतिक चूक का खामियाजा भाजपा को अब तक भुगतना पड़ रहा है। वर्तमान उपचुनाव में दो सीटे और खोकर भाजपा महज 28 पर ही सिमट गई है। दूसरी ओर सीएम विजय बहुगण्ुाा इस आवास में सपरिवार रहे लेकिन पौने दो साल बाद नेतृत्व परिवर्तन होने के कारण उन्हें भी सीएम आवास छोडना पड़ा। उनके बाद सीएम बने हरीश रावत जो अब तक सीएम आवास में नही गए है और वे राजकीय अतिथि गृह बीजापुर में ही रह रहे है। जिसके कारण चर्चाओं को और बल मिला है। कारण कुछ भी दिये जाए पर कही ना कही सीएम पुराने मसुरी देहरादुन विकास प्राधिकारण डालनवाला को अपना कैंप कार्यालय बनाने को जुटे हुए है। अधिकारियों ने इसका निरीक्षण कर उसे दुरूस्त करने की मंशा तय कर ली हैं पर पेच न्यायालय का फंसा हुआ है। सीएम हरीश रावत का मुख्यमंत्री अवास में न जाना इन दिनों मीडिया जगत में चर्चा का विषय बना हुआ है । जितने मुंह उतनी बाते पर लोगों का मानना है शुभ अशुभ के चक्कर में सीएम हरीश रावत इस अवास पर नही जा रहे है। अवास में जा ने न जाने का परिणाम क्या होगा यह तो समय बताएगा पर कही ना कही यह मुददा चर्चाओं में बना हुआ है।
राज्यपाल ने किया डायरिया नियंत्रण पखवाड़े का शुभारंभ
देेहरादून, 28 जुलाई (निस)। उत्तराखण्ड के राज्यपाल डा0 अज़ीज़ कुरैशी ने बुधवार को बच्चों को ओ.आर.एस घोल पिलाकर तथा जिंक टैबलेट खिलाकर ‘सघन डायरिया नियंत्रण पखवाड़ा (28जुलाई से 08 अगस्त) का औपचारिक शुभारंम किया। दून महिला चिकित्सालय देहरादून में ‘राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन’ के अन्तर्गत, डायरिया से होने वाले पाँच वर्ष की आयु तक के बच्चों की मृत्यु दर को शून्य करने के लक्ष्य के उद्देश्य से आयोजित इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में अपने सम्बोधन में राज्यपाल ने कहा - ‘‘सरकार तथा स्वास्थ्य विभाग से जुड़े सभी कर्मियों का यह नैतिक दायित्व ही नहीं बल्कि धार्मिक कर्तव्य भी है कि राज्य में एक भी बच्चे की मृत्यु डायरिया या निमोनिया जैसे रोगों से न हो।’’ राज्यपाल ने कहा-‘‘ देश और राज्यों में ऐसी व्यवस्था होनी चाहिए कि जाति, धर्म तथा वर्ग का भेद किए बिना प्रत्येक नागरिक को स्वास्थ्य तथा शिक्षा जैसी बुनियादी सुविधायें समान रूप से आसानी से उपलब्ध हों। आजाद भारत के नागरिकों के लिए गाँधी जी और नेहरू जी की यही परिकल्पना थी।’’ उन्होंने डायरिया जैसे रोगों को इंसानी जिंदगी विशेषतः बच्चों की जिन्दगी का सबसे बड़ा दुश्मन बताते हुए कहा कि इस रोग का प्रकोप वहीं ज्यादा होता है जहाँ विकास के किरणों की रोशनी नहीं पहुँचने से लोगों में स्वास्थ्य व शिक्षा के प्रति जागरूकता नहीं आ पाती। इस जानलेवा रोग से निजात के लिए आवश्यक है कि जागरूकता का सघन व सतत् अभियान उन गरीब व मलिन बस्तियों में प्राथमिकता से चलाया जाय जहाँ की अधिकांश आबादी को छोटी-छोटी जानकारी, सावधानी व उपचार के अभाव में जीवन खोना पड़ जाता है। राज्यपाल ने कार्यक्रम में उपस्थित स्वास्थ्य से जुड़े सभी कर्मियों को अभियान की सफलता/लक्ष्य प्राप्ति के लिए शुभकामनायें देते हुए विश्वास जताया कि सभी के सामूहिक प्रयास से उत्तराखंड में डायरिया से होने वाली मृत्यु दर न्यूनतम से शून्य तक पहुँच जायेगी। इस अवसर पर स्वास्थ्य मंत्री सुरेन्द्र सिंह नेगी ने इस अभियान/पखवाड़ा चलाये जाने की आवश्यकता पर विस्तृत प्रकाश ड़ालते हुए राज्य में पाँच वर्ष से कम आयु के बच्चों की मृत्यु दर को शून्य करने के लक्ष्य प्राप्ति के लिए बनाई गई रणनीति के विषय में बताया। उन्होंने इसके लिए जागरूकता अभियान की महत्ता के साथ-साथ फील्ड लेवल कर्मियों की भूमिका को भी महत्वपूर्ण बताया। कार्यक्रम के प्रांरभ में अतिथियों का स्वागत उद्बोधन महानिदेशक स्वास्थ्य डा0 जी.एस.जोशी द्वारा, अतिथियों का धन्यवाद स्थानीय विधायक श्री राजकुमार ने किया तथा संचालन डा0 रमोला द्वारा किया गया। इस अवसर पर प्रमुख सचिव स्वास्थ्य श्री ओम प्रकाश, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की परियोजना निदेशक एवं अपर सचिव राज्यपाल डा0 निधि पाण्डेय, जिलाधिकारी देहरादून श्री चन्द्रेश यादव, परिसहाय राज्यपाल डा0 योगेन्द्र सिंह रावत, डा0 चन्द्रापंत सहित स्वास्थ्य विभाग व अन्य संबंधित विभागों के अधिकारी एवं कर्मचारी(आशा वर्कर) मौजूद थे।
स्वास्थ्य सेवाओं को बनाया जा रहा बेहतर: तिवारी
अल्मोड़ा, 28 जुलाई (निस)। संसदीय सचिव मनोज तिवारी ने आज डायरिया पखवाड़े का शुभारम्भ करते हुए कहा कि प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाये जाने के प्रयास किये जा रहे है। उन्होंने कहा कि इन रोगों की रोकथाम हेतु जनजागरूकता नितान्त आवश्यक है। इसके लिए स्वास्थ्य विभाग और आम लोगों को मिलकर सामूहिक प्रयास करने होंगे। संसदीय सचिव ने कहा कि यह तभी सम्भव होगा जब स्वास्थ्य विभाग से जुड़े अधिकारी पूरी सक्रियता से काम करेंगे। संसदीय सचिव मनोज तिवारी व जिलाधिकारी विनोद कुमार सुमन ने आज बेस चिकित्सालय का औचक निरीक्षण किया वहाॅ की पेयजल व्यवस्थाओं सहित अन्य आन्तरिक व्यवस्थाओं का निरीक्षण किया उन्होंने नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि जब सभी व्यवस्थाओं के लिए पर्याप्त धनराशि उपलब्ध करायी जा रही है तो उसके बावजूद इस प्रकार की लापरवाही क्षम्य नहीं होगी। जिलाधिकारी ने इस पखवाड़ के बारे में आम लोगो से अपील की है कि वे अपने-अपने क्षेत्रों में जागरूकता पैदा कर लोगों में इस तरह की बीमारियों के बारे में विस्तृत रूप से बतायें। उन्होंने बताया कि डायरिया पखवाड़े का आकाशवाणी के माध्यम से भी व्यापक प्रचार-प्रसार किया जायेगा। इस अवसर पर डा0 के0सी0 भटट ने बताया कि डायरिया एवं एडस से सम्बन्धित उपाय एवं बचाव हेतु दो चरणों में 28 जुलाई से 02 अगस्त, 2014 तक तथा दूसरा चरण 04 अगस्त, 2014 से 08 अगस्त, 2014 तक आयोजित किया जायेगा। जिला कार्यक्रम प्रबन्धक ने विस्तृत रूप से बताया कि आगनबाड़ी कार्यकर्ती घर घर में जाकर लोगों को जागरूक करेंगी और जिस तरह पोलियों ड्राप पिलाने में रिकार्ड रखा जाता है उसी तरह इसका भी रिकार्ड रखा जायेगा। इस बैठक में अपर मुख्य चिकित्साधिकारी डा0ए0के0सिंह , मुख्य चिकित्साधीक्षक जे0सी0पाण्डे, डा0 इन्दु पुनेठा, डा0 एच0के0 जोशी, डा0 ए0के0 सिंह, डा0 पी0के0 उप्रेती सहित स्वास्थ्य व चिकित्सा विभाग से जुड़े अधिकारी उपस्थित थे।
नेपाली फार्म में हाथी ने किया ताड़व
ऋषिकेश, 28 जुलाई (निस)। कुछ समय की शान्ति के बाद जगंल से निकल आबादी में घुसे हाथी ने नेपाली फार्म के पास खेरी-खुर्द गांव में चार घंटे तक उत्पात मचाते हुए कई लोगों की चहारदीवारी तोड़ने के साथ उनकी फसले रौंद डाली। हाथी ने यहां दो घरों की चहारदीवारी ढहा दी और कई लोगों की धान चारे की फसलें रौंद डाली। हाथी गांव में करीब चार घंटे तक जमा रहा, दहशत में लोग घरों मे छिपे रहे। जैसे-तैसे कुछ लोगों ने शोर गुल मचाकर उसे जंगल की ओर खदेडा खैरी खुर्द गावं में एक जंगली हाथी घुस आया। उसकी चिंघाड सुनकर लोग घरों में दुबक गए। सबसे पहले बिजेंद्र सिंह रावत के घर को निशाना बनाते हुए हाथी ने टक्कर मार कर चहारदीवारी गिरा दी। इसके बाद खुशीराम चमोली के घर पर हमला बोलकर वहां चहारदीवारी ढहा दी। पास ही रहने वाले नरेन्द्र रावत की धान की फसल राजी रमोला की चारा और मक्की की फसल रघु के चारे की फसले ंउत्पाती हाथी ने रौंद डाली। तडके करीब साढे़ तीन बजे तक हाथी पूरे इलाके में तांडव करता रहा। बिजेंद्र सिंह रावत ने बताया कि ग्रामीणों ने हो हल्ला मचाकर किसी तरह हाथी को खदेड़ा । उन्होने वन विभाग से क्षेत्र में हाथी की आमद रोकने की मांग की है। कहा कि आबादी में हाथी के आने से जानमाल का खतरा हो गया हैं। लोगों ने विभाग से नुकसान की एवज मे पीडि़त परिवारांे को मुआवजा देने की मांग की ।
पुर्नवास के नाम पर गुर्जरों को की जमीन आवंटित
देेहरादून, 28 जुलाई (निस)। गत वर्ष की आपदा में बेघर हो चुके लोगों के विस्थापन व पुनर्वास के लिए भले ही राज्य सरकार को भूमि नहीं मिल पा रही हो, लेकिन पुनर्वास के नाम पर फर्जी तरीके से गुर्जरों को जमीन आवंटित कर दी गई है। पिता का नाम बदलकर एक गुर्जर को गैंडीखाता में भूमि आवंटित करने का मामला प्रकाश में आया है। उच्चाधिकारी सब कुछ जानने के बाद भी इस मामले में कार्यवाही को तैयार नहीं हैं। गुर्जर बस्ती गैंडी खाता (हरिद्वार) के प्लाट नंबर 526 के आवंटित गुलामदीन पुत्र स्व. सराजदीन ने श्यामपुर थाना सहित राजाजी राष्ट्रीय पार्क के निदेशक व वन क्षेत्राधिकारी को प्रार्थना पत्र देकर फर्जी तरीके से प्लाट नंबर 528 के मामले को प्रकाश में लाते हुए कार्यवाही की मांग की है। उसका कहना है कि उसके पिता सराजदीन की लगभग 45 वर्ष पहले मृत्यु हो गई थी। मीर हमजा पुत्र नूर आलम नाम के व्यक्ति जिसकी उम्र लगभग 32 साल है, ने स्वयं को मोहम्मद अली तथा पिता का नाम स्व. सराजदीन बताते हुए वन विभाग के अभिलेखों में कथित रूप में धोखाधड़ी से अवैध तरीके से प्लाट आवंटित करा लिया। अब वह इस आवंटित भूमि पर कब्जा कर खेती भी कर रहा है। गुलामदीन का यह भी कहना है कि उसके पिता सराजदीन की पत्नी सेनबीबी ने नूरआलम से करीब 40 वर्ष पूर्व पुनर्विवाह कर लिया था। इसके बावजूद वह भी छुटे परिवारों में अपना नाम क्रमांक 1454 में दर्शाकर पुनः वन विभाग को भ्रमित कर भूमि आवंटित कराना चाहती है। सेनबीबी की वर्तमान में उम्र लगभग 75 वर्ष बताई गई है। गुलामदीन ने यह भी आरोप लगाया है कि नूरआलम व उसके बेटे उसको मार डालने की तथा प्लाट से बाहर निकलने की कथित रूप से धमकी देते रहते हैं। इस संबंध् में उच्चाधिकारियों से जब बात की गई तो उन्होंने जांच के उपरांत आवश्यक कार्यवाही की बात कही है। सब कुछ संज्ञान में होने के बावजूद फर्जी तरीके से भूमि के आवंटन के मामले को पार्क प्रशासन व उच्चाधिकारियों द्वारा गंभीरता से नहीं लिया जाना यह संकेत देता है कि अवैध रूप से आवंटन में कहीं न कहीं विभागीय अधिकारियों की मिलीभगत है। यह स्थिति तब है, जब सरकार के पास आपदा में घरबार गंवा चुके लोगों के विस्थापन व पुनर्वास के लिए सरकार भूमि चिन्हित करने की बात कहती रही है, लेकिन एक साल बाद भी उसे सबसे अधिक प्रभावित लोगों को बसाने के लिए भी जमीन नहीं मिली। गुर्जरों के पुनर्वास के संबंध में 1998 को कट आॅफ डेट मानते हुए तत्समय बालिग व विवाहित परिवार को ही भूमि आवंटन की व्यवस्था है। प्रारंभ में पुनर्वासित किए जाने वाले गुर्जरों की संख्या लगभग 526 थी, जो अब 1300 से भी ऊपर पहुंचा दी गई है। माना जा रहा है कि पुनर्वासित होने वाले गुर्जरों की संख्या में लगातार इजाफा किया जा रहा है और कट आॅफ डेट के अनुसार निर्धारित व्यवस्था का पालन भी नहीं किया जा रहा है।
समीक्षा अधिकारियों ने किया कार्य बहिष्कार
देहरादून, 28 जुलाई (निस)। अपनी 6 सूत्रीय मांगों पर कार्यवाही न होने से आक्रोशित सचिवालय समीक्षा अधिकारी संघ ने सोमवार को कार्य बहिष्कार कर अपना विरोध दर्ज कराया। सोमवार को सचिवालय समीक्षा अधिकारी संघ सचिवालय परिसर में एकत्र हुए, जहां उन्होंने सांकेतिक कार्य बहिष्कार करते हुए जोरदार नारेबाजी की। इस अवसर पर आयोजित सभा में वक्ताओं ने कहा कि संघ ने अपनी छः सूत्रीय लंबित मांगो को पूर्ण कराये जाने के संबध में शासन द्वारा अधिकारियों को दिये गये अतिरिक्त समयवधि के बावजूद भी किसी भी प्रकार का निर्णय नही लिया गया, जिसके चलते अब संघ द्वारा साप्ताहिक कार्य बहिष्कार किया जायेगा। इस अवसर पर संघ से जुड़े पदाधिकारी व सदस्य मौजूद थे। उधर संघ के कार्य. अध्यक्ष सतीश चंद सती ने संघ से जुड़े सदस्यों से अनुरोध किया है कि संघ द्वारा लिये गये कार्य बहिष्कार को पालन कर संघ द्वारा लिये गये निर्णयों का पालन करे।
पहाड़ो मे एक्सपायरी दवाई से बना जान का खतरा
चमोली, 28 जुलाई (निस)। पहाड़ो के जिला अस्पताल में प्रशासन की लापरवाही का नया मामला सामने आया है। स्वास्थ्य कर्मचारियों ने लापरवाही में भर्ती एक बालक को एक्सपायरी डेट ग्लुकोज चढाए जाने का मामला प्रकाश में आया है। हालांकि बालक की जान को किसी प्रकार का खतरा होने से पहले ही ग्लुकोज की बोतल को हटा दिया गया। यदि यह कोई अन्य दवा होती जिसे तुरंत ही खाया या लगाया जाता तो एक बड़ी घटना हो सकती थी। जो अस्तपाल प्रशासन की लापरवाही को दर्शाता है। यह मामला भी चिकित्सालय में घटित अन्य मामलों की तरह ही दबा दिया जाता लेकिन मामला तब प्रकाश में आया उक्रांद दिवाकर गुट के मुख्य प्रवक्ता सतीश सेमवाल अपने किसी मरीज साथी का हालचाल जानने के लिए जिला चिकित्सालय गए हुए थे। इसी बीच वहां भर्ती एक सरकारी कर्मचारी जो कि काफी परेशान होकर चहल कदमी कर रहा था इस पर जब उन्होंने उससे उसकी परेशानी के बारे में जानना चाहा तो पता चला कि उसके बच्चे पर चढ़ाया जा रहा ग्लुकोज एक्सपायरी डेट का है। इस पर जब सेमवाल ने हो हल्ला किया तो वहां तैनात कर्मचारी व महिला स्टाफ पहुंचा देखने पर सभी ने इस बात की हामी भरी की बच्चे पर चढ़ रहा ग्लुकोज एक्सपायरी डेट का है। जब उन्होंने इस संबंध में सीएमओ तथा सीएमएस से संपर्क करना चाहा तो किसी ने भी उनके फोन का उतर नही दिया। बाद में एक चिकित्सक वहां पहुंचा जिसने किसी तरह मामले को संभालने का प्रयास किया। सूत्रों के अनुसार सेमवाल के जाने के बाद अस्पताल प्रशासन ने पूरी रात भर अपने भंडारों का निरीक्षण किया इसके उपरांत भी 15 अन्य ग्लुकोज की बोतले मिली वे भी सभी एक्सपायरी डेट के थे जिस पर अस्पताल प्रशासन के हाथ पांव फूल गए इसे गंभीरता से लेते हुए इसकी जांच शुरू कर संबंधित कर्मचारियों से स्पष्टीकरण भी मांगा जा रहा है। पर सवाल ये उठता है कि मरीज के जीवन के साथ इतना बड़ा खिलवाड़ किया जाना स्वास्थ्य महकमंे पर एक बड़ा सवाल खड़ा कर रहा है। उनके अनुसार जीवन रक्षक दवाओं के मामले में इस तरह की लापरवाही चिंता का विषय है। इस पूरे प्रकरण में अस्पताल के वे कर्मचारी अधिकारी दोषी है जिन्होंने इन दवाओं को प्राप्त व वितरण किया है इन सबके प्रति कार्यवाही की जानी चाहिए साथ ही सीएमओ और सीएमएस द्वारा जनप्रतिनिधियों के फोन का उतर न दिया जाना भी कहीं न कहीं दुर्भाग्य पूर्ण स्थिति है। उनका कहना प्रदेश सरकार स्वास्थ्य के क्षेत्र में काफी सराहनीय कार्य कर रही है लेकिन उसके मातहत कर्मचारी इस तरह का कार्य कर सरकार की साख पर भी बट्टा लगा रहे है। जिला चिकित्सालय में इस तरह की गैरजिम्मेदारना घटना का यह पहला मामला नहीं है। इससे पहले भी कई ऐसी घटनाऐं हो चुकी है। जिसमें एक नवजात शिशु का जीवन रक्षक मशीन के अंदर ही जलकर मौत हो जाना, कथित तौर पर आपरेशन से पहले दिए गये इंजेक्शन से मरीज की मौत हो जाना। परिवार नियोजन के बाद भी महिला का गर्भवती हो जाना ऐसी तमाम घटनाऐ है। जिन पर अस्पताल प्रशासन ने कार्यवाही करने के बजाए पर्दा डालने का कार्य किया है।
नन्दा देवी राजजात का संचालन सफल व सुरक्षित हो - सीएम
देहरादून, 28 जुलाई, (निस)। मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा है कि राज्य सरकार श्री नन्दादेवी राजजात 2014 के सफल एवं सुरक्षित संचालन के लिए वचनबद्ध है। इसके लिए अधिकारियों को निर्देश दिये गये है कि राजजात समिति से समन्वय कर सभी आधारभूत कार्य समय से सुनिश्चित करा लिये जाय। उन्होंने कहा कहा नन्दादेवी राजजात का धार्मिक व सांस्कृतिक महत्व है। इससे देश-विदेश से तीर्थ यात्रीगण शामिल होने आते है। उन्होंने कहा कि सरकार का प्रयास होगा कि यात्रियों को अधिक से अधिक सुविधाएं उपलब्ध करायी जाय। साथ उन्होंने राजजात समिति के पदाधिकारियों से अपेक्षा की कि मौसम विभाग द्वारा जारी की जाने वाली चेतावनियों का भी समय-समय पर पालन किया जाय। यात्रा में कोई अव्यवस्था न हो, इसका ध्यान रखा जाय। उन्होंने कहा कि राजजात की व्यवस्थाओं से जुड़े विभागों को निर्देश दिये जा चुके है। फिर भी राजजात समिति स्वंय भी निर्माण व अन्य कार्यों का अनुश्रवण करे और गुणवत्ता पर विशेष जोर दिया जाय।
सोमवार को विधान सभा में नन्दादेवी राजजात समिति के महामंत्री भुवन नौटियाल ने मुख्यमंत्री से भेंट कर राजजात की व्यवस्थाओं के संबंध में एक ज्ञापन भी दिया। श्री नौटियाल ने मुख्यमंत्री से अनुरोध किया कि यात्रा मार्ग से संबंधित निर्माण कार्य समय पर पूरे हो, इसके लिए जिलाधिकारियों को निर्देश जारी किये जाय। जिलाधिकारियों को और अधिक अधिकार दिये जाय, ताकि वे राजात यात्रा से संबंधित कार्यों को और अधिक गति से कर सके। राजजात में आने वाले यात्रियों का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य रूप से किया जाय। यात्रा मार्ग पर संचार तंत्र को और अधिक मजबूत किया जाय। केन्द्र सरकार के स्तर पर की जाने वाली कार्यवाही के लिए भी समय से समन्वय किया जाय। प्रतिनिधिमण्डल में नन्दादेवी राजजात समिति के अध्यक्ष कुंवर डाॅ. राकेश सिंह, प्रचार सचिव शिव पैन्यूली आदि उपस्थित थे।
सचिवालय कूच कर रहे पाॅलीटैक्निक संविदा शिक्षक गिरफ्तार
देहरादून, 28 जुलाई (निस)। उत्तराखण्ड पाॅलीटैक्निक संविदा शिक्षकों ने रैली निकाल जैसे ही परेड मैदान से सचिवालय कूच करने का प्रयास किया पुलिस ने उन्हें रोक लिया। जिस पर गुस्साये प्रदर्शनकारियो ने शासन-प्रशासन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। पाॅलीटैक्निक संविदा शिक्षक शासन प्रशासन की उपेक्षापूर्ण नीतियों के विरोध में विरोध प्रदर्शन कर रहे थे। सोमवार को शासन प्रशासन की उपेक्षा से नाराज संविदा शिक्षकों ने परेड मैदान में एकत्र होकर रैली निकालकर सचिवालय कूच करने का प्रयास किया। इस पर यहां मौजूद भारी पुलिस बल ने उन्हंे मौके पर ही रोक लिया जिसको लेकर पुलिस व प्रदर्शनकारियों के बीच तीखी नोक झौंक व धक्का मुक्की हुई। इसके बाद पुलिस ने उन्हंे गिरफ्तार कर लिया। सोसाइटी के अध्यक्ष सर्वेश चैधरी ने कहा कि सरकार संविदा शिक्षकों के प्रति जरा भी गंभीर नहीं है और धरने पर बैठे शिक्षकों की कोई सुध नहीं ले रही है। पिछले पांच दिनों से धरने पर बैठै शिक्षकों की समस्याओं और मांगों के संबध में शासन प्रशासन मौन है। जिस कारण प्रदर्शनकारी संविदा शिक्षकों ने सोमवार को सचिवालय घेराव का ऐलान किया था। गिरफ्तार होने वालों में नागेन्द्र अवस्थी, नरेन्द्र पाठक, आशीष सेमवाल, महेश पाल, पूरन सिंह स्वाति, निधि, दिव्या, सिमरन, कविता, मुनीर, अरूण कुमार, कविता भण्डारी, जयवीर, सुमित कुमार, अंजलि आदि शामिल थे जिन्हंे पुलिस लाइन ले जाकर छोड़ दिया गया।
पाॅलीथीन का प्रयोग बंद करने का आह्वान
लालकुआं, 28 जुलाई (निस)। उच्च न्यायालय द्वारा पौलिथिन पर पूर्णतया प्रतिबन्ध लगाने के आदेशो के बाद जिला प्रशासन द्वारा पौलिथिन पर सख्ती से रोक लगाने के उद्देश्य से स्थानीय नगर पंचायत के सभागार मे उपजिलाधिकारी स0 हरवीर सिह ने बैठक कर अबिलम्ब पौलिथिन का प्रयोग बन्द करने का आह्वान किया। हाईकोर्ट के आदेश के बाद शासन-प्रशासन द्वारा पूरे राज्य मे चालीस माईक्रोन से नीचे की पाॅलौथीन पर प्रतिबन्ध लगाने के लिये आवश्यक कदम उठाये जा रहे है इसी क्रम में उप-जिलाधिकारी द्वारा लालकुआं क्षेत्र मे भी पाॅलौथीन को पूरी तरह से बन्द कराने के लिये सोमवार को नगर पंचायत के सभागार मे स्थानीय जनप्रतिनिधियों, व्यापारियों, शिक्षण संस्थानो समेत क्षेत्र की औद्योगिक इकाइयो के साथ बैठक कि गयी जिसमें पौलिथिन पर कड़ाई से रोक लगाने को लेकर क्षेत्रवासियो को बताया गया साथ ही इसके प्रयोग पर होने वाले नुकसान के सम्बन्ध में भी नगरवासियो को अवगत कराया गया सभी गणमान्य लोगो की राय के बाद उपजिलाधिकारी ने चेतावनी दी कि प्रशासन जल्द पौलिथिन की रोकथाम के लिये विशेष छापामार अभियान चलायेगा। नगर पंचायत अध्यक्ष रामबाबू मिश्रा ने कहा कि नगर को स्वच्छ रखने के लिये सभी नगरवासी एकजुट होकर प्रयास करे क्योकि पाॅलौथीन से पर्यावरण को गम्भीर खतरा हो रहा है जिससे आम जनता अछूती नही है उन्होने कहा कि नगर मे पाॅलौथीन का प्रयोग हर हाल मे बन्द होना चाहिये इसके लिये सभी की सामुहिक जिम्मेदारी है। इस दौरान नगर पंचायत की अधिशाषी अधिकारी राजू नबियाल ने भी पर्यावरण जागरूकता को बेहतर बनाने के लिये अभियान चलाने पर जोर देते हुए स्कूलो के द्वारा भी प्रचार-प्रसार करने की बात कही। कार्यक्रम मे तहसीलदार आनन्द सिह भंण्ड़ारी, सेचुरी पल्प एण्ड पेपर मिल के प्रशासनिक अधिकारी एमपी श्रीवास्तव, नैनीताल दुग्ध संघ के सहायक अभियंता हरीश आर्या, उद्योग व्यापार मण्डल के अध्यक्ष अशोक अग्रवाल, देवभूमि व्यापार मंण्डल के अध्यक्ष शेखर उपाध्याय, कोतवाल विपिन चन्द्र पंत, सभासद राजकुमार सेतिया, लक्ष्मण खाती, धनसिह बिष्ट, मुख्तयार अन्सारी, इण्टर कालेज के प्रधानाचार्य जीपीएस सेंगर, संजय जोशी, राधा देवी, विनोद श्रीवास्तव, अनुज शर्मा, बौबी सम्भल, महेश भट्ट, मोनू गोयल, भुवन मेलकानी सहित कई जनप्रतिनिधी उपस्थित थे।
दो चोर पकड़े
लालकुआॅ, 28 जुलाई (निस)। पुलिस ने मोटाहल्दू क्षेत्र से सैल्फ और बैटरी चुराने वाले दो शातिर चोरो को चुराये गये सैल्फ सहित गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। स्थानीय पुलिस कर्मियो ने गश्त के दौरान महालक्ष्मी मन्दिर के निकट झोले में भर कर हल्द्वानी कि ओर को जाने का प्रयास कर रहे दो संदिग्ध युवको को दबोच लिया जिनसे पूछताछ की गयी तो उन्होने बताया कि उनसे बरामद सामान मोटाहल्दू क्षेत्र से चुराये गये सैल्फ है। कोतवाल विपिन चन्द्र पन्त ने बताया कि 10 दिन पूर्व उक्त सैल्फ मोटाहल्दू क्षेत्र से चोरी हुये थे उस समय उक्त दोनो युवक फरार होगये थे परन्तु आज छुपाये गये सैल्फ को लेजाते हुऐ पुलिस के हाथ चड़ गये पकडे़ गये युवको हरीश आर्य, व बहादुर सिंह बिष्ट को धारा 379 व 411 आई पी सी के तहत जेल भेज दिया।
चोरी गया पुरस्कार स्वरूप मिला धंटा
लालकुआं, 28 जुलाई (निस)। लालकुआं रेलवे स्टेशन को 1975 में महाप्रबंधक पुरस्कार स्वरूप मिला घंटा चोरी हो गया है। स्टेशन मास्टर की लिखित तहरीर के बाद भी रेलवे जीआरपी व आरपीएफ ने रिपोर्ट दर्ज न कर मामला एक दूसरे के अधिकार क्षेत्र में होने की बात कहकर कन्नी काट रहें है। लालकुआं रेलवे स्टेशन को सन् 1975 मंेे सर्वेश्रेष्ठ स्टेशन के रूप में महाप्रबंधक पुरस्कार स्वरूप घंटा मिला था, जो स्टेशन अधीक्षक के आफिस में लगा हुआ था। स्टेशन मास्टर लालकुआं आरबी शुक्ला ने बताया कि वह 26 जुलाई को अपराहन 1ः45 से 2ः30 बजे तक टेªन में कैश डालने के लिए अपने आफिस से बाहर निकले थे कि इसी बीच अज्ञात चोर आफिस में लगा घंटा चोरी कर फरार हो गया। इसकी लिखित सूचना रेलवे सुरक्षा बल लालकुआं को देने पर उन्होंने यह मामला जीआरपी के डाल दिया। जीआरपी काठगोदाम को लिखित शिकायत करने पर उन्होंने यह मामला आरपीएफ के उपर डाल अपना पलड़ा झाड़ दिया। रेलवे सुरक्षा बल के प्रभारी निरीक्षक आलोक कुमार का कहना है कि घंटा सरकारी सम्पत्ति नहीं है। यह बजार से खरीदा गया है। इसलिए यह मामला जीआरपी के अधिकार क्षेत्र में आता है, वहीं जीआरपी काठगोदाम के प्रभारी निरीक्षक कैलाश भैसोड़ा का कहना है कि यह सरकारी सम्पत्ति है इसलिए यह मामला आरपीएफ का है।