- लगातार मीडिया में सुर्खिया बने रहने व स्वयंसेवी संगठनों की मांग पर सरकार ने संस्तुति भेजी
- परिवार वालों का आरोप था कि उनकी बेटी के साथ हुई वारदात में शामिल लोगों को पुलिस बचाव कर रही
यूपी सरकार की काफी किरकिरी व छिछालेदर करा लेने के बाद मुखिया ने लखनउ निर्भया गैंगरेप प्रकरण की सीबीआई जांच कराने के लिए हामी भर दी है। इसके लिए संबंधित अधिकारियों की रिपोर्ट लेकर संस्तुति पत्र केन्द्र सरकार को मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने भेज दी है। सवाल यह है कि यूपी पुलिस ने गैंगेरेप के बाद हत्या की शिकार महिला के सबूतों के साथ इतना छेड़छाड़ व माथापच्ची कर दी है कि सीबीआई को भी एक बार नाको चने चबाने पड़ सकते है। हालांकि सीबीआई ने धैर्य का परिचय देते हुए गंभीरतापूर्वक जांच करेगी तो बिल्कुल सही खुलासा हो सकता है। महिला के आरोपी जेल जा सकते है। यह जांच लगातार मीडिया में सुर्खिया बने रहने व स्वयंसेवी संगठनों के लगातार आदोलन-धरना-प्रदर्शन के बाद सरकार ने दी है। खासतौर से इस प्रकरण में पुलिसिया गुत्थी उलझने व जांच रिर्पोटों में साबित हो जाने के बाद कि महिला के साथ रेप की कोशिश नहीं बल्कि गैंगरेप हुआ था। शुरुवाती दौर में उत्तर प्रदेश पुलिस ने कहा था महिला से रेप की कोशिश हुई थी, लेकिन असफल रहने पर आरोपी रामसेवक ने उसकी हत्या कर दी थी। वह भी बाइक चाॅभी से महिला के प्राइवेट पर हमला कर। जब फॉरेंसिक रिपोर्ट में महिला के नाखूनों में एक से अधिक लोगों के चमड़े की कोशिकाएं भी मिली तो जांबाज पुलिसकर्मियों के होश ठेकाने हो गए।
मोहनलालगंज के प्राथमिक स्कूल, बलसिंहखेडा में गैंगरेप के बाद नृशंस हत्या के मामले में गार्ड रामसेवक को गिरफतार किया था। पुलिस के मुताबिक आरोपी रामसेवक द्वारा ही महिला को बुलाने के बाद रेप न करने पाने की दशा में उसकी हत्या कर दी थी। पुलिस ने आरोपी का हेलमेट, चाभी, कपड़े व अन्य सामान भी बरामद दिखाएं है। लेकिन रामसेवक ने घटना के दौरान महिला से छिनी गयी मोबाइल को झाडी-गड्ढे में फेके जाने की बात पुलिस को बताई उसे नहीं बरामद कर सकी। अगर पुलिस को मोबाइल नहीं मिला तो उसके काॅल डिटेल से क्यों नहीं पुलिस पता कर पा रही है कि उस रात किससे-किससे बात हुई। पुलिस ने जिस राजीव नाम के शख्स के ईदगिर्द खुलासे की कहानी रची, वह राजीव कौन है? इसका पुलिस के पास कोई जवाब नहीं था। खुलासे की कहानी से साबित हो रहा था कि पुलिस अन्य घटनाओं की तरह इसमें भी फर्जी खुलासा कर महिला के आरोपियों को बचाना चाह रही थी। जबकि यह घटना कोई सामान्य घटना नहीं थी। जिंदगी से जूझकर बच्चों की परवरिश में खुद को खपाने वाली जांबाज महिला का अंत इतनी आसानी से हो जायेगा, बिलकुल सोचा नहीं जा सकता। महिला अपने हर सांस तक संघर्श करती रही और आरोपी को सिर्फ नाखून के खरोच ही लगे, यह संभव ही नहीं था। एडीजी सान्याल ने 18 जुलाई को प्रेस कांफ्रेस में कहा था कि पीड़िता का शव सुरक्षित रखा जायेगा। लेकिन उसी रात को गुपचुप अंतिम संस्कार करा दिया। घर वालों का आरोप है कि पुलिस ने जबरन संस्कार करवाया।
गौरतलब है कि गत 17 जुलाई को मोहनलालगंज के बलसिंह खेड़ा गांव में एक प्राइमरी स्कूल में एक महिला का निर्वस्त्र शव बरामद किया गया था। पुलिस ने इस मामले के खुलासे का दावा करते हुए रामसेवक नामक व्यक्ति को गिरफ्तार किया था। हालांकि, परिवार वाले इस दावे से खुश नहीं थे। इसके अलावा विरोधी पार्टियां और सामाजिक संगठनों ने भी सीबीआई से जांच कराने की मांग की थी। परिवार वालों का कहना था कि उनकी बेटी के साथ हुई वारदात में कई लोग शामिल रहे होंगे और पुलिस इसमें किसी का बचाव कर रही है। उनके शव की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में उसके दोनों गुर्दे सलामत होने की बात कही गई है, जबकि वह अपना एक गुर्दा अपने पति को दान कर चुकी थीं। शुरू में घटना को कई लोगों द्वारा अंजाम दिए जाने की आशंका जाहिर करने वाली अपर पुलिस महानिदेशक (एडीजीपी) सुतपा सान्याल ने गत 20 जुलाई को संवाददाताओं को बताया कि वारदात को सिर्फ एक ही आदमी ने अंजाम दिया था और महिला से बलात्कार नहीं हुआ था। हालांकि फॉरेंसिक जांच में महिला के साथ बलात्कार होने और नाखूनों में एक से ज्यादा व्यक्तियों की कोशिकाएं पाए जाने की पुष्टि हुई।
---सुरेश गांधी---