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हिमाचल : फ़ूड सेफ्टी कानून को लेकर व्यापारी संशय में

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  • डॉ. हर्षवर्धन से तारिक आगे बढाने की करी मांग

cait himachal
देश के व्यापारियों के बड़े संगठन कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ़ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ.हर्षवर्धन को एक ज्ञापन देकर पिछली सरकार द्वारा लागू फ़ूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स एक्ट में पंजीकरण कराने की अंतिम तारीख 4 अगस्त को आगे बढ़ाने की मांग की है और यह भी कहा है की इस कानून एवं इसके नियमों  में संशोधन लाने के लिए एक उच्च स्तरीय संयुक्त समिति गठित की जाए जिसमें सरकारी अधिकारीयों के अलावा व्यापारियों के प्रतिनिधि और खाद्य विशेषज्ञ शामिल हों ! 

याद रहे की पिछली सरकार के समय वर्तमान विदेश मंत्री श्रीमती सुषमा स्वराज और वरिष्ठ भाजपा नेता डॉ. मुरली मनोहर जोशी ने इस कानून में संशोधन की मांग का समर्थन करते हुए तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह और स्वास्थ्य मंत्री श्री गुलाम नबी आज़ाद से इस मामले में हस्तक्षेप का आग्रह किया था जिसके चलते श्री आज़ाद ने इस कानून के अंतर्गत पंजीकरण कराने की अंतिम तारीख 4 फरवरी से बढ़ाकर 4 अगस्त,2014 की थी और कैट के प्रतिनिधिमंडल से एक संयुक्त समिति गठित करने का आशवासन दिया था ! इस मामले में तत्कालीन केंद्रीय मंत्री श्री कपिल सिब्बल ने भी व्यापारियों की मांग का समर्थन किया था ! इस कानून के अंतर्गत किसी भी प्रकार के खाद्य व्यापार करने वाले व्यक्ति को सरकारी विभाग से पंजीकरण कराना अनिवार्य है और ऐसा न करने की सूरत में सख्त दंड का प्रावधान है ! 

यह कानून गत सरकार द्वारा वर्ष 2006 में संसद से पारित कराया गया था और इसके नियम एवं उपनियम 5 अगस्त,2011 से देश भर में लागू किये गए हैं ! हालाँकि अनेक राज्य सरकारों ने भी इस कानून को लागू करने में अपनी आपत्तियां दर्ज़ करायी हैं ! 

कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री बी.सी.भरतिया एवं राष्ट्रीय महामंत्री श्री प्रवीन खण्डेलवाल ने इस कानून का विरोध करते हुए कहा की इस कानून को बनाते समय भारत के खाद्य बाजार और खाद्य प्रवृति की भरी अनदेखी की गयी और बहुराष्ट्रीय कम्पनियों द्वारा निर्मित पैक्ड फ़ूड संस्कृति को बढ़ावा देने और उनके हाथों में भारतीय खाद्य बाजार सौंपने के इरादे से लाया गया था ! उन्होंने ने यह  ही कहा की यह कानून और इसके नियम न्याय के प्राकृतिक सिद्धांत का सीधे पर उल्लंघन करते है ! कानून बनाते समय व्यापारियों अथवा अन्य वर्गों से बातचीत तक नहीं की गयी ! भारत की भौगौलिक स्तिथि और जगह जगह पर बदलते मौसम, कृषि की परिसिस्थितियों आदि का कतई ध्यान नहीं रखा गया और विदेशी देशों की तर्ज़ के आधार पर भारतीय खाद्य व्यापार पर इस कानून को थोप दिया ! इस कानून के अंतर्गत अधिकारीयों को अनेक प्रकार के विशेष अधिकार दिए गए हैं जो एक तरफ़ा हैं और व्यापारियों को प्रताड़ित करने को काफी हैं ! 

इस कानून में न केवल व्यापारियों, बल्कि किसी भी प्रकार का खाद्य सामग्री का व्यापार करने वाले लोग चाहे वो निर्माता हो, प्रोसेसिंग या ग्रेडिंग करते हों, दूध संग्रह अथवा दूध ठंडा करने वाले, स्लॉटर हाउस, साल्वेंट निकालने वाले प्लांट,किसी भी प्रकार का तेल का व्यापार करने वाले,रिफाइनिंग प्लांट, पैकर्स, लैबलर्स, आयत करने वाले, स्टोरेज, वेयरहाउस, ट्रांसपोर्ट,हॉकर्स, थोक/रिटेल व्यापर करने वाले,फ़ूड कैटरिंग,क्लब,कैंटीन,होटल, ढाबा और यहाँ तक की मुंबई में डब्बे में खाना वितरण करने वाले लोग भी शामिल हैं ! कानून के अनेक प्रावधान बेहद अस्पष्ट हैं ! कानून के अंतर्गत हर खाद्य व्यापार करने वाले को एक तकनीशियन रखना आवशयक है और अनेक प्रकार की अत्यंत आधुनिक लेबोरेटरी भी रखनी होगी जो सर्वथा असंभव है !

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