हरीश रावत खेमे की चुप्पी ने उड़ाई बहुगुणा खेमे की नींद
देहरादून,17 जनवरी। उत्तराखण्ड में नेतृत्व परिवर्तन की अटकलों से राजनीतिक पारा काफी चढ़ा हुआ है बहुगुणा कैम्प के लोग अपने मुखिया की कुर्सी बचाये रखने के लिए लगातार प्रयास करने में लगे हुए हैं वहीं इन अटकलों पर पहली बार हरीश रावत व उनके समर्थक पूरी तरह से खामोशी बनाये हुए हैं जिसके चलते बहुगुणा कैम्प काफी विचलित दिखाई पड़ रहा है। शुक्रवार को दिल्ली में होने वाली कांग्रेस की बड़ी बैठक पर उत्तराखण्ड के तमाम कांग्रेसी दिग्गजों की नजर गढ़ी हुई है वहीं बहुगुणा कैम्प के विधायकों में भी उत्तराखण्ड में नेतृत्व परिवर्तनों की अटकलों को लेकर उनके दिलों की धड़कनें बढ़ती जा रही है। उन्हें यह बात भी काफी विचलित कर रही है कि नेतृत्व परिवर्तन को लेकर हरीश रावत व उनके समर्थकों का गुट आखिरकार क्यों पूरी तरह से चुप्पी साधे हुए है। हरीश रावत दो बार मुख्यमंत्री की कुर्सी हासिल करने को लेकर हो-हल्ला मचाकर हाईकमान के सामने अपने राजनीतिक अंक कम कर चुके थे लेकिन इस बार हरीश रावत ने अपने समर्थक विधायकों को पूरी तरह से खामोश रहने का फरमान जारी कर रखा है और उन्हें इस मामले में शांत रहने का पाठ पढाया गया है। इसी का परिणाम है कि बहुगुणा कैम्प हरीश रावत कैम्प की चुप्पी को लेकर काफी हैरान व परेशान दिखाई पड रहा है। बहुुगुणा कैम्प ने जहां कई विधायकों के हस्ताक्षर कराकर अपने मुखिया को राज्य में सबसे शक्तिशाली साबित करने का जो दृश्य पेश किया है उसकी गूंज लगातार हाईकमान के कानों में भी गूंज रही है और कहीं ऐसा न हो कि बहुगुणा कैम्प का अपने पाले में 22 विधायकों के होने का दांव कहीं इस बार उल्टा न पड जाये क्योंकि पहली बार मुख्यमंत्री को बचाये रखने के लिए उनके कैम्प के लोग दिल्ली में हाईकमान के सामने शक्ति प्रदर्शन कर रहे हंै। वहीं हमेशा बगावत करने वाले हरीश रावत की इस बार चुप्पी ने बहुुगुणा कैम्प के दिलों की धडकने तेज कर रखी हैं।
भाजपा चलाएगी मतदाता सत्यापन कार्यक्रम
देहरादून 17 जनवरी (निस)। 21 जनवरी 2014 से 25 जनवरी 2014 तक भारतीय जनता पार्टी घर-घर जाकर मतदाता सत्यापन कार्यक्रम चलायेगी। भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश कार्यालय प्रमुख उर्बादत्त भट्ट ने बताया कि भारतीय जनता पार्टी प्रदेश अध्यक्ष श्री तीरथ सिंह रावत जी द्वारा 15 जनवरी 2014 को शुभारम्भ किये गये मतदाता सत्यापन कार्यक्रम को 21 जनवरी 2014 से 25 जनवरी 2014 तक प्रत्येक बूथ स्तर पर किया जायेगा। कार्यक्रम में प्रत्येक बूथ पर उस बूथ पर रहने वाले पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं सभी कार्यकर्ता घर-घर जाकर मतदाता सत्यापन का कार्य करेंगे एवं जिनका नाम मतदाता सूची से छूट गया है उनके नाम को मतदाता सूची में जोड़े जायेंगे। कार्यक्रम में प्रदेश अध्यक्ष, तीनों पूर्व मुख्यमंत्री, नेता प्रतिपक्ष, प्रदेश पदाधिकारी, सांसद, विधायक, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष, वरिष्ठ नेताओं सहित सभी बूथ स्तर तक के कार्य कर्ता एवं बी0एल0ए0 अपने बूथों पर मतदाता सूची में नाम जोड़ने हेतु लोगों को प्रेरित कर मतदाता सूची में नाम जोड़ने में सहयोग करेंगे।
पुलिस अधिकारियों की कार्यशैली से जनता हैरान
देहरादून,17 जनवरी (निस)। उत्तराखण्ड में चंद पुलिस कप्तान पुलिस एक्ट की धज्जियां उडाने से भी पीछे नहीं हट रहे हैं। इसकी बानगी हरिद्वार व टिहरी में साफ देखने को मिल रही है जहां तीन कोतवालियों में कोतवालों को तैनात न करके उनके स्थान पर दरोगाओं को तैनात किया हुआ है ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि क्या पुलिस महकमें में अब अपने पंसद के दरोगाओं को कोतवालियों से नवाजा जायेगा? ऐसे में अब राज्य के नए डीजीपी से पुलिस महकमें को एक आशा की किरण नजर आ रही है कि वह आगे आकर कुछ कप्तानों की हिटलरशाही पर रोक लगाने के लिए जरूर आगे आएंगे? एक ओर तो हरिद्वार में हो रहे ताबडतोड अपराधों को लेकर सरकार व राज्य के पुलिस मुखिया बीएस सिद्धू हरिद्वार पुलिस अधिकारियों की कार्यशैली से खासे नाराज चले आ रहे हैं वहीं हरिद्वार की दो सबसे बड़ी कोतवाली गंगनहर व रूडकी में अपराध का ग्राफ हमेशा आसमान छूता रहता है जहां हमेशा से तेज तर्रार इंस्पेक्टरों को तैनात करने की रणनीति वहां के पुलिस कप्तान बनाते आए हैं लेकिन पिछले कुछ समय से देखने में आ रहा है कि हरिद्वार के पुलिस मुखिया ने पुलिस एक्ट को भी दरकिनार करते हुए गंगनहर व रूडकी जैसी बडी कोतवालियों का प्रभार दरोगाओं के हाथों में सौंप रखा है जिससे सवाल उठ रहे हैं कि आखिरकार पुलिस महकमें में क्या कुछ अधिकारी अपनी पंसद के चंद दरोगाओं के लिए सारे नियम कानूनांे को ताक पर रखते रहेंगे? हैरानी वाली बात यह है कि हरिद्वार में कई तेज तर्रार इंस्पेक्टर मौजूद हैं लेकिन उसके बावजूद भी वहां तैनात इंस्पेक्टरों को अपराधग्रस्त कोतवाली गंगनहर व रूडकी में क्यों तैनात नहीं किया जा रहा है इसको लेकर अब पुलिस महकमें के अन्दर ही कई तरह के सवाल खडे होने शुरू हो गए हैं? सवाल उठ रहे हैं कि अगर जनपद के पुलिस मुखिया को कोई इंस्पेक्टर पसंद नहीं है तो वह उसके स्थान पर दूसरे इंस्पेक्टर को वहां तैनात कर सकता है लेकिन इंस्पेक्टरों के होने के बावजूद कोतवाली को दरोगा से चलाना यह कई पुलिस अधिकारियों को काफी हैरान कर रहा है। अपराध पर लगाम लगाने के लिए जहां एक ओर प्रदेश के पुलिस मुखिया बीएस सिद्धू दिन-रात मेहनत करने में लगे हुए हैं वहीं पुलिस के कुछ कप्तान उनकी मेहनत पर ग्रहण लगाने में लगे हुए हैं। हरिद्वार की तर्ज पर टिहरी में भी एक दरोगा को कोतवाली का प्रभार देना काफी चर्चा का विषय बना हुआ है और अब सबकी नजर डीजीपी के ऊपर टिकी हुई है।
आखिर पुलिस रेंज का क्या है खेल!
देहरादून। तेरह जिलों वाले इस छोटे से प्रदेश में आखिरकार बहुगुणा सरकार को दुबारा क्यों राज्य में चार रेंज बनाने की सुझ रही है इसको लेकर भी कई तरह की चर्चाएं जन्म ले रही हैं। अब तक शासन ने गढ़वाल व कुमांऊ मंे रेंज बनाने का जो खाका तैयार किया है उसमें गढ़वाल रेंज में तो संतुलित जिले शामिल किए जा रहे हैं जिसको लेकर कई आईपीएस अधिकारी इस रेंज के विस्तार से संतुष्ट हैं लेकिन कुमांऊ रेंज का स्वरूप जिस तर्ज पर बनाया जा रहा है उसको लेकर राज्य के कई आईपीएस अधिकारी खासे नाराज चले आ रहे हैं उनका मानना है कि अगर कुमांऊ में चीन-तिब्बत अन्तर्राष्ट्रीय सीमा को ध्यान में रखते हुए रेंज का संतुलन न बनाया गया तो कुमांऊ में बनाये जाने वाली रेंज का कोई औचित्य नजर नहीं आएगा? उल्लेखनीय है कि बहुगुणा सरकार आनन-फानन में फैसले लेने में तो काफी तेजी दिखा देती है लेकिन कई बार जिस तरह से उसने अपने ही आदेशों को कुछ समय के बाद पलट दिया उससे राज्य के अन्दर एक संदेश गया कि बहुगुणा सरकार अपने फैसले कायम रखने में सक्षम नहीं है। प्रदेश में बहुगुणा सरकार ने सत्ता संभालने के बाद दो रेंज को बढ़ाकर चार कर दिया था लेकिन गढ़वाल व कुमांऊ की दो रेंजो में जिलों का संतुलन न होने पर अध्किांश डीआईजी पौडी व कुमांऊ की रेंज में तैनात होने से बचते रहे। क्योंकि इन दोनो रेंजों में डीआईजी के पास काम करने का कोई स्कोप नहीं था। बहुगुणा सरकार ने काफी समय पूर्व चार रेंज को समाप्त कर उसे दो कर दिया था लेकिन अब अचानक एक बार फिर सरकार ने गढ़वाल व कुमांऊ में दो-दो रेंज बनाने की कवायद शुरू कर दी है इस कवायद के तहत गढवाल में दोनो रेंज को अब मैदानी व पहाड़ के जिलों से संतुलित किया जा रहा है जिससे कई आईपीएस अधिकारी इस रेंज को सही मान रहे हैं जबकि कुमांऊ में बनने वाली नैनीताल रेंज तो मलाईदार बनाई जा रही है जिसमें नैनीताल, उधमसिंहनगर व चम्पावत शामिल हैं जबकि कुछ अधिकारियों का मानना है कि चीन-तिब्बत की अन्तर्राष्ट्रीय सीमा को देखते हुए बाॅडर रेंज में उधमसिंहनगर, चम्पावत व पिथौरागढ़ को शामिल किया जाए।