नेपाल में भूस्खलन के बाद उत्पन्न भयावह स्थिति के बावजूद नियंत्रित मात्रा में पानी छोड़े जाने के कारण बिहार की कोसी नदी में भीषण बाढ़ की आशंका कम हो गई है। कोसी में इस समय 1़ 56 लाख क्यूसेक पानी का बहाव है। आधिकारिक तौर पर बताया जा रहा है कि खतरा फिलहाल कम हुआ है, मगर टला नहीं है। आपदा प्रबंधन विभाग के प्रधान सचिव ब्यास जी ने सोमवार की शाम बताया कि नेपाल स्थित कोसी की मुख्य धारा से चट्टानें हटाए जाने के बाद नियंत्रित तरीके से पानी छोड़ा जा रहा है। इस कारण बिहार में भीषण बाढ़ की आशंका कुछ हद तक कम हो गई है। फिलहाल घबराने की जरूरत नहीं है।
उन्होंने बताया कि ताजा जानकारी मिलने के बाद नौ संभावित खतरे वाले जिलों में से चार जिलों भागलपुर, खगड़िया, दरभंगा तथा मधुबनी में आबादी को ऊंचे स्थान पर बने शिविरों में बलपूर्वक भेजने का काम रोक दिया गया है। कुछ लोग स्वेच्छा से शिविरों में जा रहे हैं। ब्यास जी ने बताया कि आपात स्थिति से निपटने के लिए राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ ) और राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (एसडीआरएफ ) की टीमें हालांकि बाढ़ संभावित क्षेत्रों में तैनात रहेंगी।
उन्होंने बताया कि संभावित कोसी आपदा की चपेट में आने वाले कोसी प्रमंडल के तीन जिलों सहरसा, मधेपुरा, सुपौल में आबादी को नदी के आसपास के क्षेत्र से हटाने का कार्य जारी रहेगा और अभियंता तटबंधों की निगरानी जारी रखेंगे। प्रधान सचिव ने बताया कि बाढ़ की आशंका वाले क्षेत्रों में 163 शिविर खोले गए हैं। इसमें सुपौल में 50, सहरसा 29, मधेपुरा 14 खगड़िया 21, अररिया और पूर्णिया में आठ-आठ, मधुबनी में 14, भागलपुर में 10 तथा दरभंगा में नौ हैं। इसके अलावा विभिन्न जिलों में जरूरत के मुताबिक 33 पशु शिविर भी कार्य कर रहे हैं।
बाढ़ की आशंका वाले क्षेत्रों में 14 एनडीआरएफ तथा पांच एसडीआरएफ टीमें तैनात की गई हैं। जिलों में स्वास्थ्य देखभाल के लिए 29 एंबुलेंस तथा 107 चिकित्सकों का दल तैनात किया गया है।