वर्षो से तन्हा-तन्हा रहने वाली बांग्ला-हिंदी फिल्मों की सुचर्चित अभिनेत्री सुचित्रा सेन की अंतिम यात्रा भी उनकी फिल्मों के बाद की जिंदगी की तरह ही तन्हा और शांतिपूर्ण रही। प्रशासन ने उनकी इच्छा का सम्मान करते हुए उनके चेहरे को जनता की नजरों से दूर रखा। सुचित्रा सेन का शुक्रवार सुबह दिल का दौरा पड़ने से बेले व्यू क्लीनिक (नर्सिग होम) में निधन हो गया। उनका पार्थिव शरीर बालीगंज स्थित उनके आवास पर एक ताबूत में लाया गया। ताबूत काले शीशों और मालाओं से ढका हुआ था। इस पूरी प्रक्रिया के दौरान महानायिका की मुखाकृति जनता की नजरों से छिपी रही।
सुचित्रा के पार्थिव शरीर को बेले व्यू क्लीनिक के बाहर उमड़े सैकड़ों प्रशंसकों के बीच से निकालने के दौरान पर्याप्त सुरक्षा उपाय किए गए थे। यही नहीं, उनके घर के बाहर भी बड़ी तादाद में सुरक्षाकर्मी तैनात थे। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और उनके कुछ मंत्रिमंडलीय सहयोगियों के अलावा अभिनेत्री के परिजन ही उन्हें अंतिम श्रद्धांजलि दे सके। केवड़ातला श्मशान घाट पर उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए उमड़े लोगों में फिल्मी हस्तियां भी शामिल थीं। इस दिग्गज अभिनेत्री के पार्थिव शरीर को 21 बंदूकों की सलामी दी गई।
उनकी अंतिम यात्रा में बंगाली सिनेमा से प्रसेनजीत चटर्जी, जून मलीह और बॉलीवुड अभिनेता विश्वजीत शामिल रहे। वहीं, कुछ राजनेता, वरिष्ठ पुलिस अधिकारी और अभिनेत्री की देखरेख में 26 दिनों से लगे चिकित्सक शामिल हुए। सुचित्रा को मुखाग्नि देते ही प्रशंसकों की आंखें छलक पड़ीं।
ममता बनर्जी ने कहा, "उनके परिवार के लोगों ने अंत्येष्टि शांतिपूर्ण ढंग से करने का निर्णय लिया। उन्होंने मुझसे कहा कि आप लोगों से कहिए कि वे शांति बनाए रखें, कोई तामझाम न हो।"पुलिस को निर्देश देने के बाद मुख्यमंत्री ममता अंत्येष्टि की रस्में निभा रहीं सुचित्रा की बेटी मुनमुन सेन के साथ रहीं।