कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने लोकसभा में सरकार के खिलाफ आरोप लगाने के बाद वरिष्ठ भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी से मुलाकात की और इस दौरान आडवाणी ने उन्हें सलाह दी कि वह कांग्रेस सांसदों को सदन में संयमित रहने के लिए कहें। सूत्रों के अनुसार, राहुल और कांग्रेस सांसदों ने सांप्रदायिक हिंसा पर एक बहस की मांग करते हुए लोकसभा बाधित की और उसके बाद आडवाणी से मुलाकात की।
सूत्र के अनुसार, आडवाणी सदन में व्यवधान को लेकर खिन्न थे और उन्होंने इच्छा जताई कि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के सदन प्रबंधक मुद्दे को सुलझाएं। राहुल के नेतृत्व में कांग्रेस सदस्य लोकसभा अध्यक्ष के आसन के पास पहुंच गए। कांग्रेस सदस्यों ने ऐसा इसलिए किया क्योंकि सरकार ने देश में बढ़ी सांप्रदायिक हिंसा की घटनाओं पर चर्चा कराने से इंकार कर दिया।
लोकसभा में इस मुद्दे को लेकर विपक्षी दल लगातार विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय जनता दल सभी इस मुद्दे पर बहस कराने की मांग कर रहे हैं। केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि वे एक ऐसे विषय को मुद्दा बना रहे हैं, जो कोई मुद्दा है ही नहीं। जेटली ने कहा, "कांग्रेस इस बेमुद्दे को मुद्दा क्यों बना रही है? कारण स्पष्ट है कि पार्टी का एक वर्ग जो नेतृत्व में अक्षम है, तख्तापलट का सामना कर रहा है।"
भाजपा नेता राजीव प्रताप रूडी ने कहा, "राहुल गांधी का लोकसभा अध्यक्ष को पक्षपाती कहना दुर्भाग्यपूर्ण है। यह सिर्फ हताशा के अलावा और कुछ नहीं है।"केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री एम. वेंकैया नायडू ने कहा कि सरकार किसी भी बहस के लिए तैयार है। उन्होंने कहा, "देश में शांति है, संसद में भी शांति कायम करें। हम किसी भी बहस के लिए तैयार हैं।"