सीएम धारचूला विस के विकास का चार्ट सार्वजनिक करे , जनमोर्चा ने भेजा पत्र
- 11 दिन बाद भी सीमान्त के नहीं आये अच्छे दिन
पिथौरागढ 7 अगस्त,(निस)। उत्तराखण्ड जनमोर्चा ने राज्य के मुख्यमंत्री और धारचूला के विधायक हरीष रावत को ज्ञापन भेजकर आपदा प्रभावितों के पुर्नवास और क्षेत्रीय विकास का ऐजेण्डा सार्वजनिक करने की मांग की। मोर्चा ने कहा कि धारचूला और मुनस्यारी में आमजन की समस्याऐं जस की तस है। मुख्यमंत्री की विधानसभा बनने के बाद कहीं भी कोई परिवर्तन नहीं आया है। जनमोर्चा के संयोजक जगत मर्तोलिया ने मुख्यमंत्री को पत्र भेजकर कहा कि चुनाव परिणाम के 11 दिन बीत जाने के भी सीएम ने धारचूला विधानसभा के विकास का खांका सार्वजनिक नहीं किया है। उन्होंने कहा कि आपदा प्रभावित पुर्नवास के लिए भटक रहे। अभी तक अधिकांष प्रभावितों को राहत राषि नहीं मिल पायी है। उपचुनाव में राहत से वंचित प्रभावितों को राहत देने के नाम पर भी वोट मांगा गया। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड में रामनगर, धूमाकोट और सितारगंज में मुख्यमंत्रियों के उपचुनाव लड़ने के दौरान किये गये वायदे पूरे नहीं हुए और इन विधानसभाओं में उपचुनाव के बाद हुए चुनाव मंे विपक्षी दलों की जीत हुई। उन्होंने कहा कि जनमोर्चा मुख्यमंत्री द्वारा दिखाये गये विकास के सपनों की पड़ताल करता रहेगा और जनता को साथ लेकर धारचूला और मुनस्यारी के विकास के लिए आन्दोलन करते रहेगा। मर्तोलिया ने कहा कि मदकोट के चिकित्सालय में फार्मसिस्ट तक नहीं है। विधानसभा में पानी, बिजली, स्वास्थ्य, षिक्षा, सडक मार्ग की स्थिति बेहद खराब है। सीमान्त के गांवो की दषा को सुधारने के लिए और रोजगार उपलब्ध कराने के लिए सीएम को एक वर्श का चार्ट सार्वजनिक करना चाहिए। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री के उपचुनाव के बाद सीमान्तवासियों को विकास की आषा है इस सपने को जनमोर्चा पूरा करवाने के लिए पूरी ताकत के साथ सीएम पर दबाव बनायेगा।
नितिन गडकरी से चार धाम यात्रा को लेकर मिले खण्डूरी
देहरादून, 7 अगस्त,(निस)। पौड़ी गढ़वाल से सांसद भुवन चन्द्र खण्डूड़ी ने केन्द्रीय सड़क, भूतल एवं परिवहन मंत्री, भारत सरकार नितिन गडकरी से भंेट कर उत्तराखण्ड प्रदेश की खराब सड़कांे विशेषकर चार धाम यात्रा मार्गों के विषय में केन्द्रीय सड़क, भूतल एवं परिवहन मंत्री भारत सरकार का ध्यान आकृष्ट किया। पौड़ी संासद ने श्री नितिन गडकरी, मंत्री भारत सरकार से अनुरोध किया कि बी.आर.ओ. को अधिक से अधिक धन आवंटन किया जाये ताकि चार धाम यात्रा से सम्बन्धित मार्गाें का उचित रखरखाव हो सके।
भाजपा के सवालों पर मुख्यमंत्री की तल्खी, सरकार नन्दादेवी राज जात को लेकर संजीदा ही नहीं बल्कि सक्रिय भी है: हरीश रावत
देहरादून, 7 अगस्त, (निस)। श्री नंदा देवी राजजात यात्रा पर भाजपा नेताओं के आये दिन आ रहे बयानों के बाद प्रदेश सरकार ने गुरूवार को पूरे तामझाम के साथ बैठक कर यह संदेश देने की कोशिश की है कि वह नन्दादेवी राज जात को लेकर संजीदा ही नहीं बल्कि सक्रिय भी है। इस सम्बंध में मुख्यमंत्री ने गुरूवार को बैठक में भाजपा के सवालों को जवाब देते हुए कहा कि सफलतापूर्वक सम्पन्न कराने के लिए राज्य सरकार पूरी तरह सजग और सतर्क है। गुरूवार को बीजापुर में नंदा राजजात यात्रा की तैयारियों की समीक्षा करते हुए मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि मौसम संबंधी अनिश्चितताओं को ध्यान में रखते हुए यात्रा के लिए सतर्कता और ऐहतियात बरती जाए। यह यात्रा हमारी प्रतिष्ठा से जुड़ी है। इसमें किसी तरह की लापरवाही बरदाश्त नहीं की जा सकती है। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि नंदकेसरी, वाण व वेदनी में यात्रियों के मेडिकल टेस्ट की व्यवस्था की जाए। बरसात के कारण बंद होने वाले मार्ग अविलम्ब खोले जा सके, इसके लिए 35 जेसीबी चिन्हित पाॅइन्टों पर तैनात रखी जाएं। मेडिकल सामग्री, टेंट, बिजली उपकरण आदि आवश्यक सामान 10 अगस्त तक वाण तक पहुंचा दिया जाए। यात्रा के दौरान शराब के सेवन पर सख्त रोक सुनिश्चित की जाए। मुख्यमंत्री ने कहा कि पूरे रास्ते पर लगातार पेटाªेलिंग की जाए ताकि मार्ग बंद होने पर सूचना तुरंत मिल सके। आवश्यक संख्या में सैटेलाईट फोन की व्यवस्था कर दी जाए। वाण से आगे के काम के लिए वन विभाग, निम्स व पुलिस की संयुक्त टीम बनाई जाए। बिजली की व्यवस्था के लिए सीएम ने 25 अकसा जेनरेटर उपलब्ध करवाने के निर्देश दिए। यात्रा मार्ग पर डाक्टरों की मोबाईल टीम तैनात की जाए। इसमें महिला डाक्टर भी हों। शुद्ध पेयजल की आपूर्ति सुनिश्चित की जाए। संचार की व्यवस्था के लिए पुलिस व प्रशासन के अपने सैटेलाईट फोन के साथ ही बीएसएनएल व अन्य निजी कम्पनियों से सहयोग लिया जाए। प्रमुख पड़ावों पर यात्रियों की संख्या के अनुरूप शौचालय स्थापित किए जाएं। महिला शौचालय पृथक से बनाए जाएं। पुलिस को निर्देशित किया गया कि पर्याप्त चैकसी रखते हुए सुनिश्चित किया जाए कि किसी तरह की अराजकता ना हो। कुमायूं कमिश्नर को 1 करोड़ 55 लाख रूपए व नंदा राज जात यात्रा समिति को 11 लाख रूपए आवंटित करने के निर्देश दिए गए। मुख्यमंत्री ने मुख्य सचिव सुभाष कुमार को लगातार माॅनिटरिंग करने व मौसम संबंधी किसी भी अप्रिय घटना की स्थिति का सामना करने के लिए वर्कप्लान तैयार रखने के निर्देश दिए। बैठक में बताया गया कि एसडीआरएफ के 100 प्रशिक्षित जवान तैनात रहेंगे। आईटीबीपी की भी 1 कम्पनी की स्वीकृति मिल चुकी है। शौचालयों के निर्माण व कचरा निस्तारण की जिम्मेवारी सुलभ इंटरनेशनल को दी गई है। कुल 621 शौचालय बनाए जाने हैं। आवश्यकता होने पर अधिक शौचालय भी बनाए जा सकते हैं। निर्जन पड़ावों में अस्थाई शौचालय पुलिस द्वारा भी बनाए जाएंगे। शुद्ध पेयजल के लिए व्यवस्था कर ली गई है। चिन्हित स्थानों पर टैंकरों की व्यवस्था की जा रही है। नए नल लगा दिए गए हैं। यात्रा को निम्स व पुलिस की उच्च प्रशिक्षित टीम एस्कोर्ट करेगी। जिलाधिकारियों को मांग के अनुरूप गेहूं, चावल व केरोसीन उपलब्ध करवा दिया गया है। टैंट की व्यवस्था जीएमवीएन के सहयोग से डीएम स्तर से की जा रही है। रास्तों को लगातार खुला रखा जा सके, इसके लिए जेसीबी रखी गई हैं। स्ट्रेचवाईज सहायक अभियंताओं की नियुक्ति की गई है। कर्णप्रयाग में मुख्य अभियंता को तैनात किया गया है। बैठक में नेता प्रतिपक्ष अजय भट्ट, विधानसभा उपाध्यक्ष अनुसूईया प्रसाद मैखुरी, पर्यटन मंत्री दिनेश धनै, विधायक राजेंद्र भण्डारी, मुख्य सचिव सुभाष कुमार, अपर मुख्य सचिव राकेश शर्मा, प्रमुख सचिव ओमप्रकाश, एसएस संधु, श्रीमती राधा रतूड़ी, एमएच खान, डा. उमाकांत पवांर, डीजीपी बीएस सिद्धू सहित अन्य अधिकारी व नंदा देवी राजजात यात्रा समिति के पदाधिकारी मौजूद थे।
कृषिकरण को बढ़ावा देने एवं नदी-नालों के जल संवर्द्धन जरूरी:मुख्यमंत्री
देहरादून, 7 अगस्त, (निस)। मुख्यमंत्री हरीश रावत ने राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक के अधिकारियों से प्रदेश के पर्वतीय क्षेत्रों में कृषिकरण को बढ़ावा देने एवं नदी-नालों के जल संवर्द्धन जैसी योजनाओं में सहयोग की अपेक्षा की है। उन्होंने कहा कि पर्वतीय क्षेत्रों की कृषि को जंगली जानवरों से सुरक्षित करना एक चुनौती बन गई है, इसके लिए राज्य सरकार जो कार्य योजना तैयार कर रही है उसमें भी नाबार्ड अपना सहयोग करे। नाबार्ड के मुख्य महा प्रबन्धक सी. पी. मोहन ने बीजापुर अतिथि गृह में नाबार्ड के अन्य अधिकारियों के साथ मुख्यमंत्री श्री रावत से भेंट कर प्रदेश में नाबार्ड द्वारा संचालित कार्यक्रमों व योजनाओं की जानकारी दी। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि के साथ ही क्षेत्रीय विकास से सम्बन्धित अन्य योजनाओं के क्रियान्वयन में नाबार्ड को राज्य सरकार पूरा सहयोग देगी। मुख्यमंत्री ने नाबार्ड से पर्वतीय क्षेत्रों में जल श्रोतों के रिचार्जिंग तथा जंगली जानवरों से फसलों के नुकसान को कम करने से सम्बन्धित योजनाओं में सहयोग करने को कहा। उन्होंने कहा कि जंगलों से सटे गांवो में सुरक्षा दीवार बनायी जानी है तथा बंदरों के लिए भी पृथक से बाड़े तैयार किये जाने हैं इसके लिए वन विभाग के साथ ही मनरेगा से भी मदद ली जा रही है। इसके लिए ग्राम्य विकास अथवा वन विभाग को नोडल विभाग बनाया जायेगा। नाबार्ड इसके लिए विभागों से समन्वय कर 50 प्रतिशत वित्तीय सहयोग कर सके तो इस कार्य में तेजी सकेगी। पर्वतीय क्षेत्रों में कृषिकरण सुरक्षित होने पर पलायन रोकने में मदद मिलेगी तथा जमीन बंजर होने से बच सकेगी। मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि जंगलों में फलदार पेड़ व चारा प्रजाति के पेड़ों के रोपण को भी इस योजना में सम्मिलित किया जायेगा। ग्रामीणों द्वारा भी इन पेड़ों का रोपण अपनी जमीन पर किये जाने के लिए राज्य सरकार उन्हें पौधे उपलब्ध करायेगी, जो भविष्य में उनकी आर्थिकी का साधन भी बनेंगे। इसके साथ ही पर्वतीय क्षेत्र में चारे की कमी को दूर करने के लिए फोडर ब्रिक्स उपलब्ध कराये जायेंगे। इसके लिए ट्रांसपोर्ट सब्सिडी दी जायेगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि हिमाचल के सेब की भांति यहां के सेब व अन्य उत्पादों को विपणन की बेहतर व्यवस्था होनी चाहिए, इसके लिए आधारभूत ढांचा विकसित करना होगा। मुख्यमंत्री ने मौसमी फलों व सब्जियों के साथ बेमौसमी सब्जियों के उत्पादन पर भी ध्यान देने को कहा। उन्होंने नाबार्ड से यह भी अपेक्षा की कि ग्रामीण क्षेत्रों में स्कूल व अस्पताल के भवन यदि ग्रामीण क्षेत्रों के लोग बनाना चाहते हैं तो उसके लिए वित्तीय सहयोग पर ध्यान दिया जाय। इन भवनों को सरकार 30 साल तक के लिए किराये पर ले सकती है। नाबार्ड के मुख्य महा प्रबन्धक ने बताया कि उनके द्वारा ग्रामीण विकास से सम्बन्धित विभिन्न योजनाओं के लिए वित्तीय सहयोग दिया जा रहा है। भेड़ पालन, खाद्यान्न गोदाम, कोआॅपरेटिव ढांचे को मजबूती प्रदान करने सम्बन्धी योजनाओं पर कार्य किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि नाबार्ड द्वारा सड़क, सिंचाई, ऊर्जा व तकनीकि शिक्षा के क्षेत्र में संचालित योजनाओं के लिए 750 करोड़ का वित्तीय सहयोग किया जा रहा है। इस अवसर पर कैबिनेट मंत्री दिनेश अग्रवाल, नाबार्ड के महा प्रबन्धक टी के हजारिका सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे।
पांच वर्षों में खाद्य प्रसंस्करण के क्षेत्र में राज्य में 3.2 लाख नयी नौकरियों सम्भावनाएं: एसोचैम अध्ययन
देहरादून,7 अगस्त(निस)। दो मेगा फूड पार्कों का संचालन अगले तीन-चार वर्षों में राज्य के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में छह हजार करोड़ रुपये का योगदान कर सकता है, उत्तराखण्ड में कृषि तथा खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों में प्राणवायु फूंकने की मजबूत और सुनियोजित कार्यप्रणाली अपनाये जाने से अगले पांच साल के दौरान रोजगार के 3.20 लाख अतिरिक्त अवसर उत्पन्न हो सकते हैं। इनमें करीब 30 हजार प्रत्यक्ष और लगभग 2.90 लाख अप्रत्यक्ष अवसर होंगे। एसोसिएटेड चैम्बर्स और कामर्स एण्ड इण्डस्ट्री आफ इण्डिया (एसोचैम) द्वारा कराये गये ताजा अध्ययन में यह तथ्य उभरकर सामने आये हैं। एसोचैम द्वारा कराये गये ‘फूड प्रोसेसिंग अपाॅरच्युनिटीज इन उत्तराखण्ड’ (उत्तराखण्ड में खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में अवसर) विषयक अध्ययन में कहा गया है ‘‘हरिद्वार और ऊधम सिंह नगर जिलों में दो मेगा फूड पार्कों का संचालन अगले तीन-चार साल में शुरू होने के बाद उसके उत्तराखण्ड के सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) में करीब छह हजार करोड़ रुपये (आनुषांगिक एवं सहयोगी इकाइयों के योगदान सहित) के योगदान की सम्भावना है।’’ एसोचैम के राष्ट्रीय महासचिव डी. एस. रावत और कुटीर, लघु एवं मध्यम उद्योगों पर एसोचैम की राष्ट्रीय परिषद के अध्यक्ष पी. के. जैन ने गुरूवार को यहां इस अध्ययन की रिपोर्ट को संयुक्त रूप से जारी किया। इस रिपोर्ट में कहा गया है ‘‘खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र को बढ़ावा दिया गया तो वह उत्तराखण्ड के जीएसडीपी में कृषि तथा उससे जुड़ी गतिविधियों के योगदान को अगले 10 साल के अंदर 13 फीसद से बढ़ाकर 25 प्रतिशत तक बढ़ाने में बेहद महत्वपूर्ण कारक बनकर उभरेगा।’’ श्री रावत ने कहा ‘‘हमने एसोचैम की उत्तराखण्ड इकाई में एक विशेष प्रकोष्ठ बनाया है। इसका उद्देश्य खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में निवेश और प्रौद्योगिकी को आकर्षित करना है ताकि कम से कम 50 नयी कम्पनियां इस पर्वतीय राज्य में अपनी इकाइयां स्थापित करें। एसोचैम नये उद्यमियों को प्रशिक्षण देगा। साथ ही खेतों में ही प्रसंस्करण प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल को प्रोत्साहन भी देगा।’’ उन्होंने कहा ‘‘उत्तराखण्ड में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग को बढ़ावा देने की कोशिश के तहत एसोचैम आगामी 27 नवम्बर को रुद्रपुर में कृषि एवं खाद्य प्रसंस्करकर्ता सम्मेलन: अवसर, वित्त, प्रौद्योगिकी एवं बाजार विषय पर कार्यक्रम आयोजित करेगा।’’ एसोचैम के आर्थिक अनुसंधान ब्यूरो (एईआरबी) द्वारा किये गये अध्ययन के मुताबिक बैंकों तथा अन्य वित्तीय संस्थाओं द्वारा पूरी की जाने वाली निजी पूंजी तथा कार्यगत पूंजी की आवश्यकताओं के अलावा सरकार को भी अतिरिक्त प्रयास करने होंगे। सरकार को मौजूदा प्रोत्साहन एवं अनुदान योजनाओं के अतिरिक्त खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों तथा आपूर्ति केन्द्रों के नजदीक बने ग्रामीण भण्डारण केन्द्रों के लिये सड़क एवं निर्बाध बिजली आपूर्ति के लिये कम से कम 1500 करोड़ रुपये खर्च करने चाहिये। अध्ययन में कहा गया है कि उत्तराखण्ड सरकार को औद्योगिक कचरे में कमी लाने के लिये आधुनिक भण्डारगृह तथा ग्रामीण/पर्वतीय क्षेत्रों में सम्पर्क मार्ग बनाने में ज्यादा धन खर्च करना चाहिये। साथ ही प्रसंस्करण इकाइयों को उत्पादन केन्द्रों के नजदीक अपने संयंत्र इत्यादि स्थापित करने के लिये प्रोत्साहित करना चाहिये। इससे कचरे में और कमी लाने में मदद मिलेगी। अध्ययन के मुताबिक मूलभूत कृषि एवं सहयोगी गतिविधियों के लिये कच्चे माल की उपलब्धता के लिहाज से उत्तराखण्ड की मजबूत स्थिति के मद्देनजर इस राज्य को उत्तर भारत में खाद्य प्रसंस्करण का हब बनाने के लिये एक सुगठित कार्ययोजना बनाने को प्राथमिकता दिये जाने की जरूरत है। अध्ययन में कहा गया है ‘‘उत्तराखण्ड में 20 लाख टन से ज्यादा फल और सब्जियांे का उत्पादन होता है। इसमें आठ लाख टन फल और करीब 12 लाख टन सब्जियां शामिल हैं। इसके अलावा इस राज्य में करीब 1.75 लाख टन अनाज और 66 लाख टन गन्ने का उत्पादन भी होता है।’’ इसके अलावा, उत्तराखण्ड के कृषि क्षेत्र को एक और लाभ हासिल है। इस राज्य में कृषि योग्य कुल भूमि का करीब 73 प्रतिशत हिस्सा मंझोले तथा बड़े किसानों के पास है जो आधिक्य में फसल उत्पादित कर सकते हैं। साथ ही वे उत्पादन के तरीके को बेहतर बनाने और सम्भावनाओं का पूरा इस्तेमाल करने के लिये खेत स्तर पर प्रसंस्करण के क्षेत्र में अच्छा निवेश भी कर सकते हैं। एसोचैम का अध्ययन यह कहता है कि ऐसे अनुकूल माहौल में यह जरूरी है कि किसानों को सामान्य मूल्य संवर्द्धन तकनीक का इस्तेमाल करके अपनी जमीन के पर्याप्त हिस्से पर फलों की खेती के लिये प्रोत्साहित किया जाए। इससे वे किसान बड़े प्रसंस्करणकर्ताओं को मौसमी उत्पादों की आपूर्ति भी कर सकते हैं। इसके अलावा, गैर-मौसमी सब्जियों की खेती को भी बढ़ावा दिया जाना चाहिये। उत्तर प्रदेश, दिल्ली तथा मुनाफे के लिहाज से लुभावनी जगहों के बाजारों में पहुंचकर ज्यादा लाभ दिलाने वाली ऐसी सब्जियों को प्रसंस्करण इकाइयों में पैक करके फ्रीजर में रखा जा सकता है। इससे उन्हें बेहद अच्छा लाभ अर्जित हो सकता है। एसोचैम के अध्ययन में कहा गया है कि पहाड़ी इलाकों में आलू उत्पादन के बेहतरीन अवसर हैं। खास स्वाद और कुदरत के खालिस गुणों से ओतप्रोत वातावरण में उगे सामान्य आलू की फसल भी मैदानी इलाकों में उगे आलू के मुकाबले ज्यादा लाभ दिलाते हैं। अध्ययन के मुताबिक पेप्सी और आईटीसी जैसे बड़े निगमित पक्ष अपनी भण्डारण जरूरतों का ध्यान रखने के लिये किसानों से साझेदारी करने के इच्छुक हंै। साथ ही वे गुणवत्ता तथा कृषि रकबा बढ़ाने के लिये विशेषज्ञ सलाह के रूप में किसानों की मदद भी करना चाहते हैं। इससे राज्य में किसान समुदाय के लिये बेहतरी होती है। श्री जैन ने इस अवसर पर कहा ‘‘कोल्ड स्टोरेज इकाइयों के विकास और आलू के प्रसंस्करण से उत्तराखण्ड को अतिरिक्त लाभ मिलेगा।’’ उन्होंने कहा ‘‘उत्तराखण्ड में बीज उत्पादन के लिये जैव-प्रौद्योगिकी उद्योग को बढ़ावा दिये जाने की भी अपार सम्भावनाएं हैं। इस राज्य का विविधतापूर्ण पर्यावरण, मिट्टी और स्थलाकृति इसके लिये बिल्कुल अनुकूल है। अगर इस उद्योग को प्रोत्साहित किया गया तो उसके बहुत अच्छे लाभ प्राप्त होंगे।’’ अध्ययन में सुझाव दिया गया है कि औषधीय एवं सुगंधयुक्त पौधों, मशरूम एवं चाय की खेती तथा रेशम उत्पादन और मधुमक्खी पालन जैसे कार्याें को बागान की तर्ज पर वाणिज्यिक लिहाज से विकसित किया जाना चाहिये, क्योंकि इनमें बड़े पैमाने पर श्रम संसाधनों की जरूरत पड़ती है। इससे स्थानीय श्रमिकों के लिये रोजगार तथा ऐसे सामूहिक खेती में हिस्सेदार बनने के अवसर उत्पन्न होंगे। चुनाई/कटाई, संग्रहण, सुखाना, पत्तियां अलग करना तथा ऐसी ही अन्य गतिविधियों से ना सिर्फ उत्पाद बेहतर होते हैं बल्कि इससे बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसर भी पैदा होते हैं। एसोचैम ने अपने अध्ययन में राज्य सरकार को सुझाव दिया है कि वह खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में काम कर रहे निगमित पक्षों को किसानों को विशेष प्रशिक्षण उपलब्ध कराने में मदद करने तथा किसानों के उत्पाद को गारंटी के साथ खरीदने के लिये प्रेरित करे। अध्ययन के मुताबिक कुक्कुट, पशुधन तथा मत्स्य उद्योग को बढ़ावा दिये जाने से भी सम्बन्धित किसानों के जीवन स्तर में सुधार लाया जा सकता है। साथ ही इससे उत्तराखण्ड की जीएसडीपी भी बढ़ेगी। इस क्षेत्र की सम्पूर्ण सम्भावनाओं के दोहन के लिये इसे घरेलू उद्योग के तौर पर विकसित करने के वास्ते विशेष सहयोग की जरूरत है। अध्ययन में कहा गया है कि कच्चे माल के लिये उद्योग की किसानों पर निर्भरता के मद्देनजर यह सुनिश्चित किया जाना चाहिये कि किसानों को उपज का अच्छा दाम, गुणवत्तापूर्ण कृषि उत्पादन के लिये वांछित सहयोग और सबसे बेहतर मूल्य प्राप्त करने के लिये उपजोपरान्त सहलग्नता हासिल हो। उत्तराखण्ड में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग का तीव्र विकास सुनिश्चित करने के लिये किसानों को साझीदार के तौर पर लिया जाना चाहिये। यहां तक कि विशेष आर्थिक क्षेत्र और मेगा फूड पार्क इकाइयां भी किसानों के साथ साझीदारी करने की इच्छुक हैं। खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों को स्थानीय श्रमिकों की सेवाओं का पूरे साल इस्तेमाल करना चाहिये। इससे रोजगार में कमी के कारण श्रमिकों के दूसरे स्थान पर पलायन को रोकने में मदद मिलेगी। एसोचैम का अध्ययन कहता है कि नीतियों और उनके क्रियान्वयन के मामले में केन्द्र तथा राज्य सरकारों के बीच अच्छे समन्वय की बहुत सख्त जरूरत है। इससे केन्द्र तथा राज्य की एजेंसियां वांछित लक्ष्य हासिल करने के लिये काम कर सकेंगी।
छह सूत्रीय मांगों को लेकर आंदोलनरत उत्तराखंड समीक्षा अधिकारी संघ का प्रदर्शन
देहरादून, 7 जुलाई,(निस)। गुरूवार को सचिवालय में 16 अतिरिक्त अनुभागों समेत छह सूत्रीय मांगों को लेकर आंदोलनरत उत्तराखंड समीक्षा अधिकारी संघ के कार्यकर्ताओं ने सुबह 10 बजे से दोपहर 2 बजे तक चार घंटे का कार्य बहिष्कार किया। कार्यकर्ताओं ने सचिवालय के सामने छह सूत्रीय मांगों को लेकर प्रर्दशन किया। आयोजित सभा में सचिवालय प्रशासन की ओर से अतिरिक्त अनुभागों के औचित्य के संबंध में जारी पत्र की होली जलाई गई। दोपहर को पुलिसकर्मियों ने कार्य बहिष्कार कर रहे कार्यकर्ताओं को सचिवालय में घुसने नहीं दिया। संघ के नेताओं ने बताया की अभी प्रशासन से मांगो को लेकर बातचीत चल रही है और यह भी स्पष्ट किया है कि जब तक मांगों पर पूर्ण सहमति नहीं बनती व अपेक्षित निर्णय नहीं लिया जाता तब तक आंदोलन जारी रहेगा। सभा के बाद समीक्षा अधिकारी संघ की मुख्य सचिव की अध्यक्षता में शासन से वार्ता हुई। वार्ता की जानकारी देते हुए समीक्षा अधिकारी संघ के महासचिव दीपक जोशी ने बताया कि वार्ता सकारात्मक रही और अधिकांश मांगों पर सहमति बन गई है। उन्होंने कहा कि जब तक सहमति के आधार पर कोई ठोस निर्णय व आश्वासन नहीं दिया जाता तब तक आंदोलन जारी रहेगा। वार्ता में संघ की ओर से कार्यकारी अध्यक्ष सतीश चंद्र सती, कमल कुमार, मनोज हल्दिया व अनिल प्रकाश उनियाल आदि उपस्थित थे। इससे पहले सोमवार को मुख्य सचिव की अध्यक्षता में सचिवालय समीक्षा अधिकारी संघ व शासन के बीच हुई वार्ता में आंदोलन के तमाम बिंदुओं पर वार्ता हुई लेकिन सहमति न बनने के कारण वार्ता विफल हो गई थी। इस दौरान अधिकारियों की ओर से हड़ताल सचिवालय से बाहर करने की बात को लेकर संघ के पदाधिकारी आक्रोशित हो गए। उन्होंने कहा कि उनका कार्यस्थल सचिवालय है और वे यहीं धरना प्रदर्शन करेंगे। यदि शासन चाहता है कि उनकी हड़ताल सचिवालय के बाहर हो तो उन्हें जबरन बाहर करे। पुलिसकर्मियों ने सचिवालय को घेर प्रदर्शन कर रहे कर्मचारियों को सचिवालय में प्रवेश करने से रोक कर रखा। इसे पूरे प्रक्रम से सचिवालय का कामकाज प्रभावित रहा। दो बजे बाद भी कर्मचारियों को अंदर नहीं जाने दिया गया।