Quantcast
Channel: Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)
Viewing all articles
Browse latest Browse all 78528

विशेष आलेख : नशे की लत में डूबती जिंदगियां

$
0
0
आधुनिक समाज जितना विज्ञान अ©र तरक्की का परिचायक है उतना ही व्यक्तिय¨ं के बीच अलगाव, समाज में आर्थिक असमानता की गहराती खाई, मानसिक द्वेष का भी प्रतीक है। समाज जितना आधुनिक ह¨ता जा रहा है मनुष्य की जीवन परिस्थितियां उतनी ही जटिल ह¨ती जा रही है। अ©र ऐसी विपरीत परिस्थितिय¨ं में खुद क¨ न संभाल पाने वाले ल¨ग अलग-अलग चीज¨ं में सहारा ढूंढते हैं अ©र ज्यादातर क¨ ऐसा सहारा मिलता है नशे की लत में। अनुसंधान बताते हैं कि हालांकि विकसित देश¨ं में 1980 के बाद से ही प्रति व्यक्ति शराबख¨री में कमी आई है, किंतु विकसाशील देश¨ं में ये तेजी से बढ़ी है। भारत में त¨ शराबख¨री में वृद्धि का दर खतरे के संकेत तक पहुंच चुका है।  राजेन्द्रन एसडी द्वारा संपादित एक पुस्तक ग्ल¨बलाइजेशन एंड इन्क्रीसिंग ट्रेंड आॅफ एल्क¨हलिज्म के अनुसार 1970-72 से लेकर 1994-96 के बीच भारत में शराबख¨री में 106.7 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। अ©र इसी तथ्य की एक झलक हमक¨ मिलती है जम्मू कश्मीर की शरदकालीन राजधानी से 20 किल¨मीटर दूर स्थित बिशनाह तहसील के गांव¨ं में रह रहे परिवार¨ं की जिंदगिय¨ं में।

बिशनाह तहसील के पंड¨री गांव के एक पुराने से कमरे के घर में रहने वाली विधवा नीना कुमारी (38), ज¨ चार बेट¨ं अ©र द¨ बेटिय¨ं की मां हैं, के पास समान के नाम पर एक टीवी अ©र एक टूटा हुआ पंखा है। नीना कुमारी ने अपने पति बलदेव राज के इलाज के लिए संपŸिा के नाम पर बची चार कनाल जमीन  बेच दी। लेकिन उनके इन प्रयास¨ं के बावजूद एक साल पहले भाग्य ने उनके पति क¨ उनसे छीन लिया। अ©र पीछे रह गईं व¨ अ©र चार बेटिय¨ं की शादी अ©र घर चलाने की चिंता। एक चार मरला प्लाॅट पर बने एक कमरे के मकान में नीना के पास संपŸिा के नाम पर तीन चारपाइयां, कुछ बर्तन, द¨ प्लास्टिक के भाण्डे, द¨ रजाइयां, द¨ बिस्तर, द¨ स्टील के बक्से, कुछ कपड़े अ©र अ©र अपने स्वर्गवासी पति की एक साइकिल है। घर¨ं में बर्तन मांजने वाली नीना कुमारी अपने परिवार की र¨जमर्रा की जरूरत¨ंे के पूरा करने के लिए किसी भी हद तक जा सकती हैं, लेकिन कई बार पैसे न ह¨ने की वजह से उन्हें राशन के लिए पड़¨सिय¨ं के आगे हाथ फैलाना पड़ता है तब जाकर कहीं घर में खाना बनता है। नीना कुमारी के 13 वर्षीय बेटे दीपक कुमार ने भरे हुए गले से बताया, ‘‘जब भी मेरी बड़ी बहन अ©र उनके पति हमसे मिलने आते हैं त¨ पड़¨सिय¨ं से अतिरिक्त रजाई मांगनी पड़ती है जिसमें बहुत शर्मिदंगी महसूस ह¨ती है।’’ जब दीपक से उसके पिता की मृत्यु के बारे में पूछा गया त¨ उसने बहुत ही सहजता से बताया,‘‘शराब पींदा हा, बमार ह¨या ते मरी गया (शराब पीते थे, बीमार हुए त¨ मर गए) ।
          
अत्यधिक शराब पीने की वजह से ह¨ने वाली मृत्यु का बलदेव राज का मामला तहसील बिशनाह का अकेला मामला नहीं है। बल्कि इस तहसील का हर गांव इस तरह के मामल¨ं से भरा पड़ा है। यह तहसील अवैध शराब बनाने के मामले में बदनाम है। चक हसल गांव की सŸार वर्षीय कुशाला देवी ने एक साल पहले अपना 42 वर्षीय बेटा श्री निवास ख¨या था। अपने बेटे की म©त के दुख से व्याकुल कुशाला देवी बताती हैं कि उन्ह¨ंने श्री निवास क¨ समझाने की बहुत क¨शिश की थी लेकिन वह नहीं माना अ©र अंत में शराब ही उसे खा गई। उन्ह¨ंने आगे बताया कि श्री निवास की म©त ने उनके मंझले बेटे प्रेम नाथ (38) पर क¨ई असर नहीं डाला। व¨ भी शराबी है अ©र शायद एक दिन उसका भी अंजाम वही ह¨ ज¨ श्री निवास का हुआ। युवाअ¨ं में बढ़ती शराबख¨ली के चलन के लिए समाज क¨ जिम्मेदार ठहराती कुशाला देवी रुंधे हुए स्वर में कहती हैं,‘‘मैं त¨ बड़ा समझाती हूं पर नहीं मानते, जब भी समझाअ¨ त¨ लड़ता है, खुद त¨ चले जाते हैं, मां रह जाती है।
         
27 वर्षीय केवल कृष्ण जिसके पिता भी शराबख¨री के शिकार हैं, ने बताया कि गांव के 300 युवाअ¨ं में से 200 बड़ी ब्रह्मा अ©द्य¨गिक क्षेत्र में काम करते हैं। ‘‘ज्यादातर परिवार निचली जाति के हैं अ©र गरीब भी हैं। गांव के स्कूल¨ं में पढ़ाई छ¨ड़ने वाले बच्च¨ं की संख्या बहुत ज्यादा है। पढ़ाई छ¨ड़ने के बाद यह युवा कमाई करने के लिए फैक्ट्रिय¨ं में काम शुरु कर देते हैं। जैसे ही थ¨ड़़ी बहुत कमाई शुरु ह¨ती है वह शराब पीना शुरु कर देते हैं।’’ उन्ह¨ंने आगे कहा, ‘‘शुरु में त¨ शराब सिर्फ मजे के लिए या फिर प्रय¨ग के लिए पी जाती है, लेकिन यह मजा अ©र प्रय¨ग कब लत में बदल जाए किसी क¨ नहीं पता।’’ उन्ह¨ंने आगे बताया कि इस क्षेत्र में शराब बहुत आसानी से मिल जाती है, क्य¨ंकि इस तहसील के बहुत से गांव¨ं में अवैध शराब बनाई जाती है अ©र खुले में बेची जाती है। शराब बेचने के लिए बदनाम गांव¨ं में माखनपुर, देवली, लसवाड़ा, चक अवतरा, खेड़ी, क्रेल ब्रह्मना, चक हसल, शेखपुर, अला, नंदपुर टिब्बा, बुलंद क¨ठे शामिल हैं। एक स्थानीय पत्रकार अविनाश भगत ने बताया कि कुल एक लाख छह हजार मतदाताअ¨ं में से 76 हजार मतदाता अनुसूचित जाति के हैं अ©र उनके पास बहुत थ¨ड़ी सी संपŸिा या जमीन ह¨ती है। गरीबी की वजह से इन तथाकथित नीची जातिय¨ं के युवा अपनी किश¨रावस्था में ही काम की ख¨ज में लग जाते हैं। उन्ह¨ंने बताया कि गांव के युवक¨ं का एक बड़ा हिस्सा फैक्ट्रिय¨ं में काम करता है अ©र शराबख¨री की लत रखता है। बिशनाह के हर गांव में कम से कम 10-20 ल¨ग ऐसे हैं ज¨ अत्यधिक शराब पीने की वजह से अकाल मृत्यु के शिकार हुए हैं। एक शराबी मुश्किल से 50 साल की उम्र पार कर पाता है। 
         
पूर्व पुलिस अधीक्षक शैलेन्द्र सिंह जिन्ह¨ंने इस व्यसन क¨ खत्म करने के लिए बहुत मेहनत की अ©र अपने तीन साल के कार्य काल में काफी सफलताएं हासिल कीं, ने बताया कि यहां का एक विशेष समुदाय संसिआं अवैध शराब का मुख्य उत्पादक है। इस समुदाय का एक बड़ा हिस्सा बिशनाह तहसील में रहता है। संसिआं जाति समाज से बहिष्कृत है क्य¨ंकि इस जाति क¨ अछूत माना जाता है। इनके पास न जमीन है, न बीपीएल कार्ड। ये बहुत गरीब हैं। तीन साल तक इस व्यसन क¨ समाप्त करने का काम करते हुए यह बात समझ में आई कि इन परिवार¨ं का सामाजिक आर्थिक स्तर वह कारक है ज¨ इन्हें अवैध शराब उत्पादन के काम में ढकेलता है।उन्ह¨ंने आगे बताया कि शराब उत्पादन इन परिवार¨ं की आय का मुख्य स्र¨त है। उन्ह¨ंने अपनी राय रखते हुए कहा,‘‘अवैध शराब के निर्माण क¨ र¨कने के लिए हमें इन परिवार¨ं क¨ समाज की मुख्यधारा में शामिल करना ह¨गा अ©र उनके उचित पुनर्वास का प्रबंध करना ह¨गा। जिससे कि वह फिर से अपनी जीविका चलाने के लिए शराब निर्माण के काम की तरफ न ल©ट पाएं।’’ इन्ह¨ंने आगे कहा कि एक बार अवैध शराब का निर्माण रुक जाए त¨ शराबख¨री खुद-ब-खुद कम ह¨ जाएगी।
          
निश्चित ही इस बढ़ती शराबख¨री की जड़ें हमारे समाज में ही निहित है। चूंकि बिमारी सामाजिक है त¨ इसका इलाज भी सामाजिक ही ह¨ सकता है। इसलिए हम व्यक्तिगत त©र पर चाहे कितना भी प्रयास कर लें लेकिन जब तक सामाजिक स्तर पर इस व्यसन क¨ र¨कने के लिए एकजुटता नहीं बनेगी तब तक इस र¨ग जड़ से मिटा पाना असंभव है। 






live aaryaavart dot com

अक्षय आज़ाद
(चरखा फीचर्स)

Viewing all articles
Browse latest Browse all 78528

Trending Articles



<script src="https://jsc.adskeeper.com/r/s/rssing.com.1596347.js" async> </script>