शहर से लेकर देहात तक भाई की कलाईयों पर बहनों ने प्यार बांधकर न सिर्फ आर्शीवाद के साथ गिफट लिए, बल्कि उनकी जीवन के लंबी उम्र की कामना भी की। जवाब में भाईयों ने भी बहनों का ताउम्र रक्षा का वादा किया। रक्षाबंधन का पवित्र त्योहार रविवार को पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। प्रजापिता ब्रह्मकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय की बहनों ने भी लोगों को राखी बांधी। पूरे दिन इसकी खुमारी में लोग डूबे रहे। बाजार तो गुलजार थे ही हवा मिठाई की खुशबू महकती रही।
बहनें सुबह से ही राखी बांधने की तैयारी करने लगीं। उन्हें शुभ मुहुर्त दोपहर बाद डेढ़ बजे का बेसब्री से इंतजार रहा। डेढ़ बजते ही भाइयों की कलाई पर राखी बांधने का सिलसिला शुरू हुआ देर रात तकजारी रहा। शहर की सड़कों पर वाहनों को आवागमन बढ़ गया था। इसके चलते जगह-जगह जाम लग रहा। जाम को खुलवाने के लिए पुलिस को कड़ी मशक्कत करनी पड़ी। आयोजित कार्यक्रमों में वक्ताओं ने कहां रक्षाबंधन का पर्व हमें मानवीय मूल्यों की रक्षा करने की प्रेरणा देता है। आज के इस घोर कलयुग में हमारी बहनें सुरक्षित नहीं है। ऐसे में हमें उनकी रक्षा का संकल्प लेना होगा। इससे हमारे समाज और संस्कृति की रक्षा हो सकेगी। हम सभी को आज नारी के सम्मान की रक्षा के लिए प्रतिज्ञा करनी होगी, तभी रक्षाबंधनसार्थक होगा। हमें अपने जीवन को सफल बनाने के लिए विकारों को त्यागना होगा, चाहे हमारे जीवन में कैसी भी परिस्थिति क्यों न हो। हमें उसका मुकाबला करना होगा। रक्षाबंधन पर्व की महत्ता का वर्णन करते हुए बताया गया कि पर्व का अर्थ है पवित्र दिन। जिस किसी भी दिन विशेष के साथ हमारी भावना जुड़ी होती है, वह दिन पवित्र बन जाता है। प्रारंभ में यह ब्राह्मणों का पर्व था। कालांतर में सुरक्षा का पर्व बन गया था। आज भी अनेक प्रांतों में ब्राह्मण लोग अपने यजमानों को रक्षासूत्र बाधकर उनकी मंगल कामना करते हैं। वर्तमान में यह पर्व बहन-भाई के प्रेम का प्रतीक बन गया है। इस मौके पर सभी बहनों को उपहार के रूप में अपने भाइयों से संकल्प कराना चाहिए कि वे प्रत्येक नारी का सम्मान करेंगे। युवा वर्ग अगर यह संकल्प कर ले तो देश को 16 दिसंबर की तरह शर्मसार नहीं होना पड़ेगा।
(सुरेश गांधी)