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दाउद को पकड़कर भारत लाने के लिए सरकार प्रतिबद्ध : राजनाथ सिंह

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मोदी सरकार ने सोमवार को संसद में कहा कि जम्मू कश्मीर मुद्दे के हल के लिए संविधान के दायरे में रहकर समाधान निकालने की कोशिश की जाएगी. लेकिन संभव हुआ, तो ‘इंसानियत के दायरे’ में जाकर इसके समाधान का प्रयास किया जाएगा. गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने राज्यसभा में अपने मंत्रालय के कामकाज पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि सरकार कश्मीर घाटी के मुद्दे का हल आम सहमति से निकालने के लिए प्रतिबद्ध है. उन्होंने कहा कि यदि इस मामले में कांग्रेस और अन्य दल भी कोई पहल करते हैं तो सरकार उसका स्वागत करेगी.

सिंह ने कहा, 'हमारी सरकार इस मुद्दे का समाधान संविधान के दायरे में निकालने का प्रयास करेगी और यदि जरूरत हुई तो इंसानियत के दायरे में जाकर भी कोशिश की जाएगी.'उन्होंने कहा कि कश्मीर मुद्दे के हल के लिए सरकार किसी ‘एजेंट’ की मदद नहीं लेगी. उन्होंने यह भी कहा कि कोई भी समाधान राज्य सरकार को भरोसे में लिए बिना नहीं निकाला जाएगा. अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी और 2008 के मुंबई आतंकवादी हमले के षडयंत्रकर्ता दाउद इब्राहिम को पकड़ कर भारत लाने की अपनी सरकार की प्रतिबद्धता जताते हुए गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि पूर्ववर्ती संप्रग सरकार ने भी इस दिशा में प्रयास किये थे. उन्होंने कहा कि हमारी सरकार भी ‘दाउद कंपनी’ को पकड़ने और भारत लाने के लिए पूरे प्रयास कर रही है.

गृह मंत्री ने कहा कि पूर्वोत्तर क्षेत्र के उन विद्रोहियों और नक्सलियों से बातचीत करने के लिए हम तैयार है जो हिंसा त्यागते हैं. उन्होंने कहा कि सरकार नक्सल समस्या के प्रति पूरी तरह से गंभीर है और हम नक्सलियों को समझाने और जरूरत पड़ने पर बल प्रयोग से भी पीछे नहीं रहेंगे. उन्होंने कहा कि सरकार नक्सल समस्या को इस नजरिए से भी देखती है कि जिन सामाजिक और आर्थिक वजहों से यह पनप रही है, उनका निदान किया जाना चाहिए.

सिंह ने कहा कि पूर्वोत्तर में शांति को सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न विद्रोही गुटों के साथ संविधान के दायरे में बातचीत की जाएगी. उन्होंने माना कि पिछले वर्षों में पूर्वोत्तर क्षेत्र के विकास पर अपेक्षित ध्यान नहीं दिया गया. उन्होंने कहा कि आत्मसमर्पण करने वाले विद्रोहियों के पुनर्वास के लिए गृह मंत्रालय में एक योजना है. इसके अलावा गृह मंत्रालय के तहत आने वाले अर्धसैनिक बलों की दो नई बटालियनों में पूर्वोत्तर क्षेत्र के लोगों की भर्ती की जाएगी.

कश्मीर घाटी से विस्थापित हुए 56 हजार कश्मीरी पंडितों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि हमारी सरकार की इच्छा है कि जो भी विस्थापित अपने मूल स्थान पर लौटना चाहता है, सरकार उसके पुनर्वास में हर संभव मदद करेगी. उन्होंने कहा कि इसी मकसद से चालू वित्त वर्ष के बजट में 500 करोड़ रूपए का प्रावधान किया गया है.

गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि सरकार देश में घुसपैठ रोकने के लिए कृत संकल्पित है और देश के हर नागरिक को भारतीय नागरिकता कार्ड प्रदान किया जाएगा. उन्होंने कहा कि इस काम को पूरा करने में तीन चार साल का समय लगेगा. सिंह ने कहा कि सीमावर्ती क्षेत्रों में बाड़बंदी की जांच करने और पुरानी पड़ गयी बाड़ों को बदलने का कार्य नियमित रूप से चलता रहता है.

महिलाओं की सुरक्षा की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि राज्यों में पुलिस थानों में महिला कर्मियों की संख्या बढ़ाई गई है. इसके अलावा ऑनलाइन प्राथमिकी दर्ज कराने की व्यवस्था शुरू की गई है. इस प्रणाली को और आगे बढ़ाया जाएगा. पड़ोसी देशों के साथ बेहतर संबंध बनाने पर जोर देते हुए सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में सभी पड़ोसी देशों के प्रमुखों को आमंत्रित कर हमारी सरकार ने शुरू में ही यह संकेत दे दिया था कि हम उनके साथ मधुर संबंध चाहते हैं.

इस सिलसिले में उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के उस बयान का उल्लेख किया कि 'आप अपने मित्र बदल सकते हैं, पड़ेासी नहीं.'प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘कांग्रेस मुक्त’ नारे पर कांग्रेस सदस्यों की आपत्ति का जिक्र करते हुए सिंह ने कहा कि इसका तात्पर्य ‘कांग्रेस मुक्त सरकार’ बनाने से है और इसमें कोई और अर्थ नहीं देखा जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि हमारा देश बहुदलीय लोकतंत्र है और यहां कांग्रेस सहित सभी राजनीतिक पार्टियों का अस्तित्व बना रहना चाहिए.

राजनाथ ने कहा कि उनकी पार्टी केवल सरकार बनाने की राजनीति नहीं करती. ‘हम समाज बनाने की राजनीति करते हैं. समाज का माहौल खराब होने का कारण वोट बैंक की राजनीति है.’ उन्होंने कहा कि सरकार देश में साम्प्रदायिक सौहार्द को हर हाल में बरकरार रखना चाहती है. सरकार इंसाफ और इंसान की डगर पर चलना चाहती है और हर नागरिक को रोजी, रोटी, सुरक्षा और सम्मान दिलाना चाहती है.

राज्यपालों की नियुक्ति के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि संविधान के अनुसार इनकी नियुक्ति के पहले संबंधित राज्य के मुख्यमंत्री से परामर्श करना पड़ता है. हालांकि इसके लिए उनकी सहमति की जरूरत नहीं है. उन्होंने कहा कि इस सरकार ने हर राज्यपाल की नियुक्ति से पहले संबंधित मुख्यमंत्री से बातचीत कर उन्हें संभावित नामों के बारे में अवगत करा दिया था.

दिल्ली में सुरक्षा व्यवस्था का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि सरकार ने इस संबंध में विभिन्न कदम उठाए हैं और आने वाले समय में 8,000 सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएंगे. अभी ऐसे कैमरों की संख्या करीब 3,000 है. उन्होंने इस बात से इंकार किया कि सरकार ने किसी मंत्री का फोन टेप कराया है.

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