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मुलायम के गुंडाराज को तगड़ा झटका, मायावती ने हाथ मिलाने से किया इनकार

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  • कहा, गठबंधन का मतलब गुंडाराज को बढ़ावा होगा, वह सत्ता की नहीं मान-सम्मान की है भूखी 

mayawati
गुंडाराज को बढ़ावा देने के लिए आगे आएं बिहार केे पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव, नीतिश कुमार व मुलायम सिंह यादव को सुश्री मायावती ने हाथ से मिलाने से यह कहकर इंकार कर दिया कि सत्ता की नहीं मान-सम्मान की भूखी है। हालांकि उनके इस बयान का मकसद जो भी हो, लेकिन सच यही है कि उनका अकेलापन ही उन्हें इस बार फिर से उनकी मंजिल तक पहुंचाने के लिए वर्तमान हालात व बदली हुई परिस्थितियां तेजी से अग्रसर हो रही है। मुलायम व अखिलेश के गुंडाराज की तुलना अब जनता खुद मायावती के कार्यकाल से करने लगी है। मतलब साफ है जनता को लूटने वाला नहीं उसके साथ न्याय करने वाली सरकार चाहिए। शुरुवाती दौर से ही जनता की नब्ज पकड़ने वाली मायावती जो समय-समय पर अपने प्रयोगों का इस्तेमाल कर न सिर्फ सत्ता हासिल की, बल्कि काशीराम के द्वारा लगाएं गए एक नन्हें से पौधे को वट विशाल वृक्ष के रुप में विकसित कर साबित कर दिया है कि वह जनता के हित के लिए किसी भी तरह का समझौता नहीं करेंगी। 

mulayam singh
मुलायम सिंह द्वारा हाथ मिलाने के दुहाई दिए जाने के तुरंत बाद मायावती ने प्रेस कांफ्रेस कर स्पष्ट कर दिया कि वह अभी गेस्ट हाउस कांड भूली नहीं है। मुलायम के गुंडों ने जिस तरह गेस्ट हाउस में उन पर जानलेवा हमला किया वह अपने आप में बया करने के लिए काफी है कि दलित, पिछड़ी व सर्वसमाज की राजनीति को किस तरह नेस्तनाबूद करने की साजिश रची गयी। मुलायम व अखिलेश के साथ गठबंधन का मतलब होगा गुंडाराज को बढ़ावा देना। वैसे भी मुलायम के गुंडाराज को सपोर्ट करने वाले लालू यादव पर कटाक्ष करते हुए मायावती ने कह दिया है कि क्या उनकी बहन-बेटी के साथ गेस्टहाउस घटनाक्रम होता तो क्या वह इन गुंडो को माफ कर देते। मायावती ने बिना लाग-लपेट के दो टूक में कह दिया कि मुलायम की सत्ता ही गुंडागर्दी से बनी है और उसकी पहचान भी गुंडागर्दी, अराजकता, लूटपाट, डकैती, सच लिखने वाले पत्रकारों पर जुर्म-ज्यादीति, साम्प्रदायिक दंगे, मारकाट कराना ही पार्टी का मूल उद्देश्य है, जिस दिन ये सभी आरोप खत्म हो जायेंगे, सपा का भी अस्तित्व खत्म हो जायेगा। मुलायम पर प्रदेश में सांप्रदायिक हिंसा फैलाने और सांप्रदायिक ताकतों के साथ मिले होने का आरोप लगाते हुए मायावती ने बीएसपी उत्तर प्रदेश में किसी के साथ गठबंधन नहीं करेगी और अपने बूते चुनाव लड़ेगी। बता दें, लालू प्रसाद यादव के प्रस्ताव पर प्रतिक्रिया देते हुए मुलायम ने आज सुबह कहा था कि वह मायावती से हाथ मिलाने को तैयार हैं, बशर्ते लालू खुद बीएसपी नेता का हाथ पकड़ कर उनके पास ले आएं।

कानून व्यवस्था और सांप्रदायिक दंगों को लेकर सपा की कन्नौज सांसद डिंपल यादव के बयान सिर्फ नौटंकी के सिवाय कुछ भी नहीं। यूपी में इन दिनों माफियाओं की गुंडागर्दी और पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों का तांडव से जनता बेहाल है। उनका यह कहा जाना कि औसतन दिल्ली और मध्यप्रदेश में यूपी के मुकाबले महिलाओं के खिलाफ हिंसा के ज्यादा मामले सामने आते हैं, का मतलब बिल्कुल बचकाना है। उनका यह बयान माफियों व लापरवाह पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों का अपराध वृद्धि के लिए हौसलाबुलंद करने वाला है। यूपी में अगर हर घटना की जांच सीबीआई के भरोेसे ही वर्कआउट करना है तो अखिलेश को अपना इस्तीफा सीबीआई को ही सौंप दें, जिससे भयभीत यूपी के लोग सकून से गुजर-बसर कर सके। जहां तक डिंपल यादव द्वारा यूपी में विकास की दुहाई देने वाला का मामला है तो दो माह पहले ही बनी उखड़ी सड़के इस बात की खुद गवाही दे रहे हे कि उनके जनप्रतिनिधि कितना लूटपाट कर रहे है। सरकार की बेहतर का प्रदर्शन यही है कि लोग अब अपनों घरों में भी सुरक्षित नहीं है। दंगों से लेकर दुष्कर्म जैसे कानून व्यवस्था के तमाम मामलें सरकार की विकास रुपी कहानी खुद बया कर रही है। महिलाओं का सड़क पर चलना दुभर हो गया है। महंगाई के खिलाफ जहां तक आवाज उठाने की उनकी दुहाई का असर है कि कालाबाजारी करने वालों का होसला बुलंद है। पूरे में यूपी में किसी भी जनपद में जमाखोरों के खिलाफ न ही अभियान चलाया गया और न ही छापामारी। जबकि जमाखोरों के खिलाफ छापामारी के सख्त निर्देश केन्द्र सरकार ने दिए है। बिजली हालत यह है कि गांव को ठीक से 4 घंटे भी नहीं मुहैया हो रही है। शहरी इलाकों में बेइंतहा कटौती से हर तबका त्राहि-त्राहि कर रहा है। आगरा से लखनऊ तक एक्सप्रेस हाईवे बनाने के मामले में करोड़ों रुपये की डील हुआ है। जिले की सड़के फोर लेन हो या न हो माफिया जनप्रतिनिधि पहले ही मालामाल हो रहे है। सपा की गुंडागर्दी का ही असर रहा कि लोकसभा चुनाव में पार्टी का सुफाया हो गया। प्रदेश के गन्ना किसानों का भुगतान अब तक न हो पाने के कारण किसानों की दयनीय स्थिति काफी खराब हो गयी है। कोर्ट के आदेशों के बावजूद किसानों का भुगतान नहीं हो सका। 


(सुरेश गांधी )

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