- फूलन केघर के गेट पर ही कर दी गई थी हत्या, वर्ष 1996 व 1999 में भदोही सांसद रही
बीहड़ की पूर्व दस्यु सुंदरी फूलन देवी की हत्या के मामले में दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने मुख्य आरोपी शेर सिंह राणा को दोषी करार देते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई है। 13 साल पहले जुर्म व ज्यादती के खिलाफ संघर्ष करने वाली भदोही की सांसद रही फूलन देवी की 25 जुलाई 2001 को हत्या उनके घर के गेट पर कर दी गई थी।
इस हत्याकांड में शेर सिंह राणा समेत 12 आरोपी थे, जिसमें से एक की मौत हो गई है। अदालत ने राणा को 307 और 302 धाराओं में दोषी करार दिया, जबकि फर्जीवाड़े, ऑर्म्स ऐक्ट और 120 बी (साजिश) के आरोपों से बरी कर दिया। वर्ष 1996 व में पहली बार भदोही के मतदाताओं ने महिला सांसद फूलन को जीताया था। उन्हें दो बार प्रतिनिधित्व करने का मौका मिला, तो दो बार हार का भी स्वाद चखना पड़ा।
10 अगस्त 1963 को जालौन के बेहमई में मल्लाह परिवार में जन्मी फूलन 12 साल के उम्र में ही किडनैप व सामूहिक बलात्कार की शिकार होने के बाद बीहड़ की दस्यु सुंदरी बन गयी। इस दौरान तमाम झंझावतों के बीच बदला लेने की गरज से उन्होंने अपनी प्रताड़ना में शामिल 22 क्षत्रियों की सामूहिक हत्या कर देश ही नहीं विश्वभर में मसहूर हो गयी। यूपी और मध्य प्रदेश सरकार ने लंबे समय तक फूलन को पकड़ने में नाकाम रहीं तो साल 1983 में इंदिरा गांधी सरकार ने उनके सामने आत्मसमर्पण करने का प्रस्ताव रखा। फांसी की सजा न दिए जाने की शर्त पर फूलन ने आत्मसमर्पण कर दिया था। 11 सालों तक जेल में रहने के बाद वह सियासत में अपना कदम रखी।
1994 में फिल्म बैंडिट क्वीन की शक्ल में फूलन की रॉबिनहुड छवि रुपहले पर्दे पर उतरी थी। समाजवादी पार्टी ने फूलन के नाम को भुनाया और मिर्जापुर से लोकसभा का चुनाव लड़वाया। वर्ष 1996 के लोकसभा चुनाव में सपा के टिकट पर मिर्जापुर-भदोही संसदीय सीट पर चुनाव लड़ी। उनका मुकाबला वर्ष 1991 में जीते भाजपा सांसद वीरेन्द्र सिंह मस्त से हुआ। फूलन के यहां से चुनाव लड़ने से यह क्षेत्र सुर्खियों में आ गया। 25 जुलाई 2001 को संसद का सत्र चल रहा था। दोपहर के भोजन के लिए संसद से फूलन 44 अशोका रोड के अपने सरकारी बंगले पर लौटीं। बंगले के बाहर सीआईपी 907 नंबर की हरे रंग की एक मारुति कार पहले से खड़ी थी। जैसे ही फूलन अपने घर की दहलीज पर पहुंची, पहले से उनका इंतजार कर रहे तीन नकाबपोश अचानक कार से बाहर आए और फूलन पर ताबड़तोड़ पांच गोलियां दाग दी। एक गोली फूलन के माथे पर जा लगी. गोलीबारी में फूलन देवी का एक गार्ड भी घायल हो गया। इसके बाद हत्यारे उसी कार में बैठकर फरार हो गए। यह एक राजनीतिक हत्या थी या कुछ और पुलिस के हाथ कोई सुराग नहीं लग पा रहा था।
पुलिस फूलन के कातिल की तलाश में मारी मारी फिर रही थी कि तभी 27 जुलाई 2001 को शेर सिंह राणा ने बाकायदा प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सबको सकते में डाल दिया। उसने कबूल किया कि उसी ने फूलन को गोलियों से उड़ाया है। एक सनसनीखेज वारदात को अंजाम देने के बाद राणा के इस सरेआम इकबालिया बयान ने पुलिस को भी हैरत में डाल दिया। गिरफ्तारी के बाद करीब ढाई साल राणा ने तिहाड़ जेल में गुजारे। इसी दौरान एक बार उसने बयान दिया कि तिहाड़ की सलाखें उसे ज्यादा देर तक नहीं रोक पाएंगी। और हुआ भी ठीक वैसा ही, सुबह 6.55 मिनट का वक्त था. तिहाड़ की जेल नंबर एक के बाहर एक ऑटो आकर रुका. तमाम सुरक्षाकर्मियों की मौजूदगी में पुलिस की वर्दी में एक आदमी ऑटो से उतरकर जेल के अंदर पहुंचा. अपना नाम अरविंद बताते हुए उसने शेर सिंह राणा को हरिद्वार कोर्ट में पेशी के लिए ले जाने की इजाजत मांगी। जरूरी कागजात को ध्यान से देखे बिना ड्यूटी पर तैनात तिहाड़ के सुरक्षाकर्मियों ने राणा को नकली पुलिस के हवाले कर दिया। इस तरह 7.05 मिनट पर फूलन देवी की हत्या का मुख्य आरोपी राणा तिहाड़ की कैद से फरार हो गया। पूरे 40 मिनट बाद जेल प्रशासन की नींद टूटी, यानी पौने आठ बजे. इसके बाद तो जैसे जेल समेत पूरे पुलिस महकमे में हड़कंप मच गया. आनन फानन में जेल प्रशासन ने आसिस्टेंट सुपारिटेंडेंट और गार्ड को सस्पेंड कर दिया। राणा की फरारी ने सुरक्षा एजेंसियों की नींद उड़ा दी थी। उसकी गिरफ्तारी के लिए हरिद्वार, रुड़की और मुजफ्फरनगर इलाके में पुलिस की टीमों ने जबरदस्त छापामारी की. राणा का सुराग देने वाले को 50 हजार रुपये इनाम देने की भी घोषणा कर दी गई. लेकिन पुलिस नाकामयाब रही. फिर तभी अचानक एक वीडियो सामना आता है. इधर पुलिस शेर सिंह राणा को हिन्दुस्तान में ढूंढ़ रही थी और उधर राणा हरेक को चकमा देकर अफगानिस्तान पहुंच गया था। फूलन देवी हत्याकांड के आरोपी शेर सिंह राणा ने दावा कि वह अफगानिस्तान में पृथ्वीराज चैहान की असली समाधि पर गया और समाधि की मिट्टी लेकर वापस आ गया। राणा ने अफगानिस्तान में गजनी शहर तक के अपने सफर की बाकायदा वीसीडी तैयार की. तिहाड़ जेल से भागने के पूरे दो साल बाद शेर सिंह राणा 2006 में कोलकाता में पकड़ा गया। उसके बाद उसे वापस दिल्ली के उसी तिहाड़ जेल में लाया गया। तब से अब तक यानी पिछले आठ साल से राणा तिहाड़ में ही कैद है।
(सुरेश गांधी)