कई वर्षों पहले हमने नियति को मिलने का एक वचन दिया था और अब समय आ गया है की हम अपने वचन को निभाएं, पूरी तरह न सही, लेकिन बहुत हद तक| आज रात बारह बजे,जब सारी दुनिया सो रही होगी, भारत जीवन और स्वतंत्रता की नई सुबह के साथ उठेगा| एक ऐसा क्षण जो इतिहास में बहुत ही कम आता है, जब हम पुराने को छोड़ नए की तरफ जाते हैं, जब एक युग का अंत होता है और जब वर्षों से शोषित एक देश की आत्मा, अपनी बात कह सकती है| ये एक संयोग है कि इस पवित्र मौके पर हम समर्पण के साथ खुद को भारत और उसकी जनता की सेवा और उससे भी बढ़कर सारी मानवता की सेवा करने के लिए प्रतिज्ञा ले रहे हैं| भारत की सेवा का अर्थ है लाखों-करोड़ों पीड़ित लोगों की सेवा करना है| इसका मतलब है गरीबी और अज्ञानता को मिटाना, बीमारियों और अवसर की असमानता को मिटाना| हमारी पीढ़ी के सबसे महान व्यक्ति की यही महत्वाकांक्षा रही है कि हर एक आंख से आंसू मिट जाएं| शायद ये हमारे लिए संभव न हो पर जब तक लोगों कि आंखों में आंसू हैं और वे पीड़ित हैं तब तक हमारा काम ख़त्म नहीं होगा और इसलिए हमें परिश्रम करना होगा और कठिन परिश्रम करना होगा ताकि हम अपने सपनो को साकार कर सकें|
स्वतंत्र भारत के प्रथम प्रधानमंत्री स्व. पं. जवाहर लाल नेहरू ने १४ अगस्त १९४७ की मध्य रात्रि को दिए भाषण में भार-विभोर होते हुए देश की स्वतंत्रता को परिभाषित किया था और भविष्य के भारत के प्रति वे आशांवित भी थे| उपरोक्त कथन उनके प्रथम उद्बोधन 'ट्रस्ट विथ डेस्टिनी'से लिया गया है| यदि आप इसके भाव की गहनता में जाएं तो आप पाएंगे की जिस आज़ादी में हमने बड़ी आसानी से सांस ली है, दरअसल उसके पीछे महान विभूतियों सहित असंख्य हिन्दुस्तानियों का बलिदान था| आज़ादी के ६७ वर्षों बाद हम और हमारा समाज भले ही स्वतंत्रता का मूल उद्देश्य भूल गया हो किन्तु हिंदुस्तान तब भी संघर्षरत और वर्तमान में भी संघर्ष अनवरत जारी है| पीढ़ियां बीत गईं, अतीत धुंधला गया, वर्तमान कुंठाग्रस्त है और भविष्य चुनौतियों से भरा है किन्तु स्वतंत्रता का मान कम नहीं हुआ है| १९४७ से लेकर अब तक हर वर्ष १५ अगस्त को देश के प्रधानमंत्री राष्ट्र के नाम अपने संदेश में वर्तमान की चुनौतियों और भावी योजनाओं का खाका प्रस्तुत करते हैं| इस वर्ष लाल किले की प्राचीर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश और देशवासियों के प्रति क्या भाव प्रकट करते हैं, इस पर पूरी दुनिया की निगाहें हैं| मुझे याद है, १४ अगस्त २०१३ को गुजरात के भुज जिले में युवाओं के एक समूह को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा था कि कल पूरा देश मेरे और प्रधानमंत्री (तत्कालीन) के भाषण की समीक्षा करेगा| इससे इतर सितम्बर माह में छत्तीसगढ़ के रायपुर जिले में मोदी लाल किले की प्रतिकृति जैसे मंच से संबोधित कर वे देश की जनता का ध्यान आकृष्ट कर चुके हैं| ऐसे में यह उम्मीद बेमानी नहीं है कि मोदी का वास्तविक लाल किले की प्राचीर से होने वाला भाषण इतिहास रच देने में सक्षम है|
मोदी सत्ता में आने के बाद संवाद को और बढ़ाने की रणनीति पर काम करेंगे| लगभग ७० दिनों में राजग सरकार के दौरान हुए फैसलों और कामों को सरकार अब सीधे कार्यकर्ताओं और जनता के साथ साझा करेगी| प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद १५ अगस्त को लाल किले की प्राचीर से राष्ट्र के नाम संबोधन में अपनी उपलब्धियों के साथ ही भविष्य की योजनाओं का खाका पेश कर सकते हैं| सूत्रों के मुताबिक सभी मंत्रालयों के सूचना अधिकारियों से उनके मंत्रालयों के बारे में पांच प्रमुख सूचनाएं मांगी हैं| मोदी सरकार बनने के बाद से जो नए कदम उठाए गए हैं और अब तक जो थोड़े-बहुत नतीजे निकले हैं, उसका पांच बिंदुओं में ब्योरा देश के समक्ष पेश किया जा सकता है|
कौशल विकास से लेकर गंगा अभियान को मिलेगी प्राथमिकता
हाल ही की ख़बरों पर यकीन किया जाए तो स्वतंत्रता दिवस के दिन दिल्ली के लाल किले से दिया जाने वाला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भाषण 'कौशल आधार'पर केंद्रित हो सकता है| इसके साथ ही एक नए विभाग जिसमें 'कौशल विकास'पर जोर दिया जाएगा का निर्माण किया जा सकता है| इस संबंध में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सरकार द्वारा नोडल अधिकारियों को निर्देश जारी कर दिए गए हैं| ऐसी भी खबरें हैं कि 'कौशल विकास'को बढ़ावा देने का काम २१ मंत्रालयों द्वारा नियंत्रित होगा| इसी तर्ज पर गंगा सफाई अभियान पर भी मोदी प्रकाश डाल सकते हैं| सूत्रों के अनुसार १४ अगस्त की बैठक में इन कार्यों को पूरा करने के लिए एक डेडलाइन दी जाएगी| इस बात की झलक १५ अगस्त के भाषण में देखने को मिलेगी|
अर्थव्यवस्था की स्थिति पर प्रकाश
वैश्विक जगत के साथ ही हिंदुस्तान में छाया अर्थव्यवस्था का बुरा दौर अब बीत चुका है| इसके बावजूद संप्रग के कार्यकाल में अर्थव्यवस्था की जो दुर्गति हुई है, उसे पटरी पर लाने में कम से कम दो साल लगेंगे| अगले दो वर्ष तक आर्थिक विकास की दर सुस्त ही बनी रहेगी| महंगाई की समस्या भी कमोबेश बरकरार रहेगी| प्रधानमंत्री मोदी जब लाल किले की प्राचीर से देश के नाम संदेश दे रहे होंगे तो निश्चित रूप से उनके समक्ष महंगाई और विकास को लेकर स्पष्ट सोच होगी| वर्तमान में निवेशकों के लिए अब निवेश के बेहतरीन मौके उपलब्ध हैं| खास तौर पर जिस तरह से केंद्र में एक स्थिर सरकार बनी है, उससे नीतियों को लेकर कोई असमंजस नहीं है| यहां तक कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर यह स्वीकार किया जा रहा है कि भारत कोई जोखिम भरा बाजार नहीं है| हालांकि महंगाई के खिलाफ जंग जीतना एक बड़ा कदम होगा, क्योंकि उसके बगैर विकास के फायदे को अधिकांश आबादी तक नहीं पहुंचाया जा सकता| निश्चित रूप से मोदी के जेहन में यह बिंदु होंगे जिन्हें वे विस्तार से प्रस्तुत करना चाहेंगे|
अहिंसा और शांति का संदेश
विश्व में भारत की पहचान एक शांतिप्रिय देश के रूप में होती है| भारत के इतिहास को देखा जाए तो भारत ने किसी भी देश पर हमला नहीं किया है| ऐसा नहीं है कि भारत सामरिक रूप से कमजोर है| भारत के पास दुनिया की सर्वश्रेष्ठ सैन्य शक्ति है तथा भारत के गिनती विश्व के उन चुनिंदा देशों में होती है, जिसके पास आधुनिक हथियार और मिसाइलें हैं| सुपरसोनिक ब्रह्मोस, पृथ्वी, अग्नि, नाग, जैसी मिसाइलें देश के पास हैं, जो चंद सेकंड्स में दुश्मनों के छक्के छुड़ा सकती हैं| जल, जमीन और आकाश तीनों में भारत की सैन्य शक्ति बहुत मजबूत है| भारत की नीति आक्रामक देश के रूप में नहीं बल्कि शांतिप्रिय देश के रूप में होती है| बुद्ध और गांधी का देश भारत बंदूक से नहीं बातचीत से हर समस्या कर हल करना चाहता है| भारत की इसी कमजोरी का लाभ पड़ोसी देश पाकिस्तान और चीन उठाते रहते हैं| पर इस बार हो सकता है, इस स्थिति में परिवर्तन आए| कमोबेश सभी पूर्व प्रधानमंत्रियों ने देश की एकता और अखंडता के प्रति देशवासियों को आश्वस्त किया है और मोदी से भी देश की यही अपेक्षाएं हैं| हालांकि इन अपेक्षाओं में ढील-पोल नहीं वरन आक्रामक नीति की चाहत मोदी से है| १५ अगस्त को मोदी अपने पडोसी देशों समेत दुनिया के अन्य राष्ट्रों के समक्ष हिंदुस्तान की मजबूत एवं निडर छवि को प्रस्तुत कर सकते हैं|
तकनीक पर होगी बात
धर्म और अध्यात्म के साथ हिंदुस्तान में तकनीकी ज्ञान का भी भंडार है| भारतीय तकनीक का लोहा पूरी दुनिया मानती है| भारत की सॉफ्टवेयर कंपनियां दुनिया के ९० से ज्यादा देशों में निर्यात करती है| वहीं भारतीय रेल दुनिया की चौथी सबसे बड़ी रेलसेवा है| भारतीय रेलवे ६३,९७४ किलोमीटर लंबे रेल मार्ग के साथ दुनिया का चौथा सबसे विशाल रेल यातायात नेटवर्क संचालित करता है| यह दुनिया में सबसे ज्यादा लोगों को रोजगार प्रदान करने वाला उपक्रम है| भारतीय रेलवे ने १० लाख से ज्यादा लोगों को रोजगार प्रदान किया है| भारतीय रेलवे प्रतिदिन १९,००० ट्रेनें संचालित करता है| मोदी सरकार के पहले रेल बजट में देश में जहां बुलेट ट्रेन चलाने की मंशा दिखी वहीं रेलवे से जुड़े उद्योगों की भी बात की गई| मोदी का संबोधन आधुनिक तकनीक के साथ ही नई संरचनाओं पर भी प्रकाश डाल सकता है|
एक बार फिर याद आ सकता है घोषणा-पत्र
इस बार के लोकसभा चुनाव में पहले चरण के मतदान के शुरू होने के कुछ देर बाद ही भाजपा ने अपना चुनावी घोषणा पत्र जारी करते हुए एक से बढ़कर एक सौगातों का स्व्प्न जनता को दिखाने की कोशिश की थी| यह भी दावा किया गया था कि पार्टी का घोषणा पत्र ज़ारी करने से पूर्व लगभग १ लाख से अधिक लोगों से राय-मशविरा किया गया था| वर्तमान समय के सबसे बड़े मुद्दे महंगाई से निपटने और दाम स्थिर रखने के लिए पार्टी ने विशेष फंड बनाने का वादा किया था जिसपर अब तक कोई कार्य नहीं हुआ है। फसल उत्पादन के लिए रियल टाइम डाटा, कालेधन को लाने के लिए विशेष कानून, कालाबाजारी रोकने के लिए विशेष अदालतों का गठन, विदेशी किराना खुदरा में नहीं, भ्रष्टाचार रोकने के लिए ई-गवर्नेस, रोजगार केंद्र को करियर सेंटर बनाना, आतंकवाद रोकने के लिए कानून का निर्माण, कर प्रणाली को आसान बनाना, स्वर्णिम चतुर्भुज बुलेट ट्रेन योजना, एफसीआई को तीन भागों में बांटना, सस्ते घर की योजना शुरू करना, सेटेलाइट नेटवर्क का विकास, हर गांव में ऑप्टिकल फाइबर, देशभर में गैस ग्रिड की स्थापना, किसानों के लिए कृषि रेल मार्ग की स्थापना, मनरेगा को कृषि से जोड़ना, हर घर में नल की योजना, नदियों को जोड़ने की योजना, कम पानी से ज्यादा उत्पादन के लिए सिंचाई के नए साधन विकसित करना, नई स्वास्थ्य नीति का निर्धारण, हर राज्य में एम्स की स्थापना, आयुर्वेद के विकास पर खास ध्यान देना, छात्रों के लिए नेशनल ई-लाइबेरी का गठन और उनके विकास के लिए जरूरी कदम उठाना, शिक्षण संस्थाओं के स्तर को सुधारने पर जोर, ई-लर्निग पर विशेष ध्यान, १०० नए शहरों का निर्माण, मदरसों का आधुनिकरण, भाषाओं का विकास, पूर्वी और पश्चिमी भारत में अंतर मिटाना, हिमालयी राज्यों के विकास के लिए विशेष ध्यान तथा समस्या के हिसाब से राज्यों के लिए योजना जैसे वादों से भाजपा ने समाज के हर तबके को अपनी ऒर करने का प्रयास किया था| घोषणा पत्र में पार्टी के अहम मुद्दों में शामिल राम मंदिर के साथ धारा ३७० और समान नागरिक संहिता को भी शामिल किया था| कुछ घोषणाओं का जिक्र सरकार ने अपने पहले पेश बजट में किया था पर काफी घोषाओं को लेकर अभी भी असमंजस की स्थिति बनी हुई है| ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि मोदी लाल किले की प्राचीर से सरकार की अल्पकालीन उपलब्धियों के गुणगान के साथ ही भविष्य की योजनाओं व उनके क्रियान्वयन के तौर-तरीकों पर भी प्रकाश डालेंगे| इस बहाने भाजपा का चुनाव पूर्व घोषणा पत्र याद आ सकता है|
सांप्रदायिक सद्भाव पर राय की आस
हमारा देश धर्म व आस्था के मामले में विश्वभर में अनूठा है| यहां अनेक जाति और संप्रदाय के लोग रहते हैं| उनके अपने-अपने रीति-रिवाज व विविधताएं हैं| धर्मों में भिन्न होने के बाद भी लोग मिलकर रहते हैं| विश्व पटल पर अनेकता में एकता भारत की पहचान है किन्तु राजनीति ने इस पहचान को घुन लगा दिया है| उदाहरण के लिए, इस वर्ष हुए आम चुनाव के बाद से लेकर अब तक देश के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश में ६०० से अधिक सांप्रदायिक झड़पें हो चुकी हैं| सेक्युलर राजनीति के नाम पर अल्पसंख्यकों को छला जा रहा है| देश सुलग रहा है, राजनेता हंस रहे हैं और जनता रो रही है| प्रधानमंत्री होने के नाते मोदी से देश की जनता को यह उम्मीद भी होगी कि वे जनादेश का सम्मान करते हुए धर्मों के इस टकराव को रोकने के लिए प्रभावी कदमों पर प्रकाश डालें| स्वतंत्रता पर सभी का बराबर का हक़ है| हमारा देश नित नई उपलब्धियों को छू रहा है मगर सांप्रदायिक सद्भाव का प्रेम-भाव न जाने कहां खो सा गया है| मोदी का इस संवेदनशील मुद्दे पर बोलना और उसपर प्रतिक्रिया देखना दिलचस्प होगा|
इन सबके अलावा वैश्विक नीति, विज्ञान, कृषि जैसे कई ज्वलनशील मुद्दे हैं जिन पर मोदी को लाल किले की प्राचीर से सुनने की इच्छा हर हिन्दुस्तानी को है| १५ अगस्त २०१४ को हिन्दुस्तान मोदी का इस्तकबाल करने को बेताब होगा, जिसपर पूरी दुनिया की निगाह होगी|
स्वतंत्र भारत के प्रधानमंत्रियों की सूची
1. श्री जवाहरलाल नेहरू १५ अगस्त १९४७ - २७ मई १९६४ कांग्रेस
2. श्री गुलजारी लाल नंदा २७ मई १९६४ - ०९ जून १९६४ कांग्रेस (कार्यकारी)
3. श्री लाल बहादुर शास्त्री ९ जून १९६४ - ११ जनवरी १९६६ कांग्रेस
4. श्री गुलजारी लाल नंदा ११ जनवरी १९६६ - २४ जनवरी १९६६ कांग्रेस (कार्यकारी)
5. श्रीमती इंदिरा गांधी २४ जनवरी १९६६ - २४ मार्च १९७७ कांग्रेस
6. श्री मोरारजी देसाई २४ मार्च १९७७ - २८ जुलाई १९७९ जनता पार्टी
7. श्री चौधरी चरण सिंह २८ जुलाई १९७९ - १४ जनवरी १९८० जनता पार्टी
8. श्रीमती इंदिरा गांधी १४ जनवरी १९८० - ३१ अक्टूबर १९८४ कांग्रेस (आई)
9. श्री राजीव गांधी ३१ अक्टूबर १९८४ - ०२ दिसंबर १९८९ कांग्रेस (आई)
10. श्री विश्वनाथ प्रताप सिंह ०२ दिसंबर १९८९ - १० नवंबर १९९० जनता दल
11. श्री चंद्रशेखर १० नवंबर १९९० - २१ जून १९९१ जनता दल (एस)
12. श्री पी.वी. नरसिम्हा राव २१ जून १९९१ - १६ मई १९९६ कांग्रेस (आई)
13. श्री अटल बिहारी वाजपेयी १६ मई १९९६ - ०१ जून १९९६ भाजपा
14. श्री एच.डी. देवेगौडा ०१ जून १९९६ - २१ अप्रैल १९९७ जनता दल
15. श्री इंद्र कुमार गुजराल २१ अप्रैल १९९७ - १९ मार्च १९९८ जनता दल
16. श्री अटल बिहारी वाजपेयी १९ मार्च १९९८ - २२ मई २००४ भाजपा
17. डॉ. मनमोहन सिंह २२ मई २००४ - २६ मई २०१४ भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
18. श्री नरेंद्र मोदी २६ मई २०१४ - कार्यकाल जारी भाजपा
विशेष: श्री गुलजारी लाल नंदा (कार्यकारी), श्री चंद्रशेखर और श्री अटल बिहारी वाजपेयी (पहला कार्यकाल) ऐसे प्रधानमंत्री रहे हैं जिन्हें अपने कार्यकाल में लाल किले की प्राचीर से देश को संबोधित करने का अवसर नहीं मिला|
सिद्धार्थ शंकर गौतम
संपर्क : ०९४२४०३८८०१