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मेजर मुकुंद वरदराजन को मिला अशोक चक्र

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 स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर वीरता को भारत सरकार ने सम्मानित किया है। 44 वीं राष्ट्रीय राइफल्स के मेजर मुकुंद वरदराजन को स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर शांतिकाल के सर्वोच्च वीरता पुरस्कार अशोक चक्र से मरणोपरांत सम्मानित करने का फैसला किया गया है। मेजर मुंकुद ने जम्मू कश्मीर के शोपियां जिले में मुठभेड़ में शहीद होने से पहले दो आतंकवादियों को मार गिराया था। मुंद की बहादुरी को सम्मानित करते हुए देश को गौरव की अनुभूति हो रही है। 12 कर्मियों को जम्मू कश्मीर, पूर्वोत्तर राज्यों और अन्य उग्रवाद निरोधी अभियानों में अपने-अपने वीरतापूर्ण कार्यों के लिए तीसरे सर्वोच्च वीरता पुरस्कार शौर्य चक्र से सम्मानित किया जाएगा।


आपको बता दें कि ये स्मानित हासिल करने वाले बहादुरों में से चार को यह सम्मान मरणोपरांत दिया जाएगा। इस स्वतंत्रता दिवस के मौके पर कुल 55 वीरता पुरस्कारों को देने की घोषणा की गई है। मेजर मुकुंद वरदराजन ने 25 अप्रैल 2014 जम्मू कश्मीर के शोपियां के काजीपथरी गांव में एक आउटहाउस में छिपे तीन आतंकवादियों को घेरने के लिए अपने तीन सैनिकों को तैनात किया था। अपने साहस का परिचय देते हुए मेजर ने आतंकवादियों से कड़ा मुकाबला किया। बाद में आतंकवादियों की गोलीबारी से मुकुंद गंभीर रूप से घायल हो गए। शरीर से खून निकल रहा था, लेकिन फिर भी वह रेंगते हुए आगे बढ़े और गोलीबारी करके दूसरे आतंकवादी को ढेर कर दिया।

मेजर मुंकद के साथी सिपाही विक्रम को भी मरणोपरांत शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया है। उन्होंने घटनास्थल से भाग रहे तीसरे आतंकवादी को मार गिराया था। गौरतलब है कि सशस्त्र बल कर्मियों और अर्द्धसैनिक बल के सदस्यों को जो 55 वीरता पुरस्कार देने की घोषणा की गई है उसमें एक को अशोक चक्र, 12 को शौर्य चक्र, 39 को सेना पदक (वीरता), एक को नौसेना पदक (वीरता) और दो को वायु सेना पदक (वीरता) से सम्मानित करने की घोषणा की गई है।


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