सरकार ने कहा है कि राम कथा में वर्णित और भारत-श्रीलंका के बीच राम सेतु मानी जा रही भौगोलिक संरचना के साथ कोई छेड़खानी नहीं की जाएगी। सड़क परिवहन, राजमार्ग एवं जहाजरानी मंत्री नितिन गडकरी ने कहा है कि पालक की खाड़ी में जल मार्ग विकसित करने का प्रस्ताव सर्वोच्च न्यायालय के विचाराधीन है। उन्होंने कहा कि सरकार इस मुद्दे का योग्य समाधान तलाशने का प्रस्ताव किया है जिससे राष्ट्र के विकास में योगदान मिलेगा।
पूर्व की सरकार ने शीर्ष अदालत में ऐतिहासिक ढांचे को बाधित करने के अपने फैसले पर एक शपथ पत्र पेश किया था। सेतुसमुद्रम नाम से जहाजों की आवाजाही के लिए परियोजना 1990 के दशक में सामने आई थी जिसके तहत दक्षिणी तमिलनाडु स्थित रामेश्वरम के नाम से ज्ञात पांबन द्वीप और उत्तरी श्रीलंका के मन्नार द्वीप के बीच 83 किलोमीटर लंबी और गहरी नहर बनाने का प्रस्ताव था।
मिथकीय मान्यताओं के मुताबिक श्रीलंका युद्ध पर जाने के लिए भगवान श्रीराम ने वरदान प्राप्त दो वानरों नल और नील की सहायता से इस पुल का निर्माण किया था जिससे उनकी सेना बीच समुद्र में स्थित लंका तक पहुंच सकी थी। इस पुल के साथ ईसाई और इस्लाम की आस्था भी बंधी है जिसके तहत मान्यता है कि हजरत आदम ने इसी पुल का इस्तेमाल धरती के शेष हिस्से तक पहुंचने के लिए किया था। ईसाई और इस्लामिक मान्यताओं में इसे आदम का पुल कहा जाता है।