सर्वोच्च न्यायालय ने गुरुवार को उत्तराखंड के राज्यपाल अजीज कुरैशी की ओर से दायर याचिका पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है। कुरैशी ने यह याचिका भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सत्ता में आने के मद्देनजर राज्यपालों के इस्तीफे से संबंधित प्रक्रिया को चुनौती देते हुए यह याचिका दायर की है।
प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति आर.एम.लोढ़ा की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि इस मामले में पांच सदस्यीय न्यायाधीशों की पीठ सुनवाई करेगी क्योंकि मामला संविधान के अनुच्छेद 156 से जुड़ा हुआ है, जिसमें यह वर्णित है कि राज्यपाल को हटाने का फैसला राष्ट्रपति अपने स्वविवेक से कर सकते हैं।
न्यायालय ने यह बात वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल के उस बयान के बाद कही जिसमें उन्होंने कहा था कि राज्यपाल को सिर्फ राष्ट्रपति ही हटा सकते हैं, ऐसा नहीं हो सकता कि गृह सचिव फोन उठाएं और उनसे इस्तीफे की मांग करें। उन्होंने कहा कि राज्यपाल को इस्तीफे से बचाने के लिए एक प्रक्रिया होनी चाहिए। संवैधानिक पीठ के फैसले का उल्लेख करते हुए सिब्बल ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय कह चुका है कि राज्यपाल केंद्र सरकार के कर्मचारी नहीं है और वह राष्ट्रपति की इच्छा पर पद ग्रहण करते हैं।