सुप्रीम कोर्ट ने कोयला घोटाला मामले में सोमवार को 1993 से 2010 तक हुए सभी कोल ब्लॉक आवंटनों को गैरकानूनी घोषित कर दिया। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि आवंटन की प्रक्रिया में पारदर्शिता नहीं बरती गई। इसके अलावा, नियम-कायदों को भी पूरी तरह से ताक पर रख दिया गया। हालांकि, कोर्ट ने इस समयावधि में हुए सभी 218 आवंटनों को रद्द करने के लिए अभी और सुनवाई की जरूरत पर जोर दिया। चीफ जस्टिस आर एम लोढ़ा की अध्यक्षता वाली बेंच ने आवंटन का काम देख रहीं 36 स्क्रीनिंग कमेटियों के कामकाज में भी कमियां होने की बात कही। कोर्ट ने कहा कि कोल ब्लॉक के आवंटन में आम लोगों के हितों का भी ध्यान नहीं रखा गया।
सूत्रों के मुताबिक, आगामी 1 सितबंर को होने वाली सुनवाई में सभी आवंटनों को रद्द करने का फैसला लिया जा सकता है। दरअसल, चीफ जस्टिस की बेंच 194 कोल ब्लॉक आवंटन में अनियमितता की सुनवाई कर रही थी। ये कोल ब्लॉक झारखंड, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, ओडिशा और मध्य प्रदेश में निजी कंपनियों और पार्टियों को 2004 से 2011 के बीच आवंटित किए गए थे।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए कांग्रेस नेता शकील अहमद ने कहा कि कोल ब्लॉक आवंटन के मामले में यूपीए सरकार वही पैटर्न अपना रही थी, जो एनडीए ने तैयार किया था। एनडीए के शासनकाल में एक भी कोल ब्लॉक का आवंटन विज्ञापन देकर नहीं किया गया, जिसे यूपीए सरकार ने भी अपनाया।