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सुप्रीम कोर्ट द्वारा कोल ब्लाॅक आवटनों को अवैध घोषित करना, ऐतिहासिक -उमेश तिवारी

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  • काॅग्रेस ,भा.ज.पा.दोनों ने अपनी-अपनी पारी में लूटा
  • पाकृतिक संसाधनों की सुरक्षा, लोगो की भी जवाबदेही

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सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसला सुनाते हुए 1993 से 2010 के बीच आवांटित सभी 216 कोल ब्लाॅकों को गैरकानूनी बताया है। फैसले में सर्वोच्च अदालत ने टिप्पणी की कि स्क्रीनिग कमिटी द्वारा कोयला खदानों का आवंटन निस्पक्ष और पारदर्शी तरीके से नहीं किया गया। फैसले में यह भी कहा कि कोयला खदान आवंटन की कोई तथ्यपरक कसौटी नही थी और निर्देशों का उल्घंन किया गया। सभी आवंटन गैरकानूनी और मनमौजी पूर्ण तरीके से किए गए। देश की सर्वोच्च अदालत के इस निर्णय को टोेकों-रोकों-ठोकों क्रांतिकारी मोर्चा के संयोजक उमेश तिवारी ने ऐतिहासिक बताते हुए कह है कि इस फैसले से साफ हो गया, है कि प्राक्तिक एवं सार्वजजिकसंसाधनों-संपत्तियाॅ को लूटने मंे जन प्रतिनिध, उद्योगपति, नौकरसाह और दलालों की चैकडी बेशर्मी से लगी है। 

श्री तिवारी ने कहा की वर्ष 1993 से लेकर 2010 तक में कुल 216 कोल ब्लाॅक आवांटित किये गये। ये कोल ब्लाॅक मध्य प्रदेश, झारखंड, छत्तीसगढ, महाराष्ट्र, पश्चिमबंगाल और उडीसा में निजी कंपनियों को आवांटित किए गए। साल 1993 से लेकर 2005 के दौरान कुल 70 कोयला ब्लाॅकों का आवंटन हुआ । इसके बाद साल 2006 में 53, 2007 मंे 52, 2008 में 24, 2009 में 16 और 2010 में एक कोयला ब्लाॅक आवंटित किया गया। इस तरह इन सत्रह वर्षो में वर्ष 93 से 96 तक काॅग्रेस गठवंधन सरकार रही। वर्ष 96 से 99 तक भा.ज.पा. गठवंधन तथा अन्य की सरकार रही। वर्ष 1999 से 2004 तक भा.ज.पा. गठवंधन की सरकार रही ( भा. ज.पा.सरकार में लगभग 60 कोल ब्लाॅक आवंटित किये गये )2004 से 2010 तक काॅग्रेस  गठवंधन की सरकार रही। श्री तिवारी ने कहा की जो दल सरकार में रहा उसके नेता देश को लूटने एवं लुटाने में तनिक भी शर्मसार नही हुए।

उमेश तिवारी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला प्राक्तिक संसाधनों एवं सार्वजनिक संपत्तियाॅ की हो रही लूट की एक बानगी भर दिखाता है। देश के अंदर अन्य खनिज संसाधन लोहा, चूना, पत्थर , वाक्साइड गैस आदि दिखावे की रायल्टी पर लुटाये जा रहे है। नदियाॅ लूटी जा रही है। पहाड लूटाये जा रहे है, वन भूमि , राजस्व भूमि, किसानों की भूमि की लूट की जा रही है। लूट का यह अखण्ड सिलसिला अदालत के निर्णय भर से समाप्त नही हो सकता, क्योंकी अदालतों की अपनी सीमा है। बेलगाम लूट पर लगाम जनता ही छाती ठोंक कर खड़े हो कर लगा सकती है। जनतंत्र में जनता ही सर्व सक्तिमान होती है। 

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