झूठ व फरेब के सहारे पाकिस्तान न सिर्फ सीजफायर का उल्लंघन, घुसपैठ व आतंकवादियों के मदद से हमला कर उसकी कूटनीतिक पूंजी को खाली व सैन्य ताकत को कमजोर कर रहा रहा है, बल्कि आरोप पर आरोप भी लगाएं जा रहा, पर भारत है जहां यही बहस चल रही है कि पाकिस्तानी संगीतकारों को देश में प्रवेश देना चाहिए या नहीं। तमाम समझौतों के बाद भी वह न्यूक्लीयर पावर का धौंस जमा सीजफायर का उल्लंघन कर जताते रहते है कि कश्मीर पर वह एकाधिकार चाहते है। यही वजह है कि भारत में बैठे अलगाववादियों को वह खाद-पानी देते रहते है। भारत जब-जब शांति वार्ता की कोशिश की, तब-तब उसे नुकसान उठाना पड़ा है। कारगिल हमला से लेकर मुंबई धमाका उसके उदाहरण है
पाकिस्तानी सेना किसी भी दशा में भारत से बातचीत नहीं होने देना चाहता। उसका मकसद सिर्फ भारत की आर्थिक, सैन्य और भौगोलिक बढ़त को किसी भी दशा में कमजोर करना है। इसके लिए वह किसी भी हद तक जाकर गैर पंरपरागत साधनों का इस्तेमाल करता रहा है। भारत परमाणु शक्ति हासिल कर इसकी काट खोजी तो उसने आतंकवाद को विदेश नीति का प्रमुख औजार बना लिया। खासकर अब जब इस्लामी आतंकवाद उसी की धरती पर घटनाओं को अंजाम देकर उसी को चुनौती दे रहा है तो अपनी वजूद बचाएं रखने के लिए भारत विरोध की जरुरत उसे और अधिक होने लगी है। आजादी के बात से अब तक हुए टकरावों पर गौर करें तो हर बार पहले हमला, फिर बातचीत कर बीच का रास्ता निकाला गया और इन सलूसनों में बहुत हद तक पाकिस्तान अपनी बातें मनवाने में सफल भी रहा है। एक बार फिर उन्हीं राहों पर चलकर अपनी बाते मनवाने की फिराक में है। उसे लगता है कि हमलों व खूनखराबों के बाद होने वाले समझौतों से कश्मीर उसे मिल सकता है। हालांकि केन्द्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह की तरफ से दो टूक में करारा जवाब दे दिया गया है कि पाकिस्तान जबतक फायरिंग नहीं रोकता कूटनीतिक या बैक चैनल से कोई बातचीत नहीं होगी। इसके लिए सीमा पर तैनात कमान को खुली छूट दी गई है। बावजूद इसके भारत सरकार को संभवतः अधिक दूरगामी तैयारी करनी होगी।
भारतीय सुरक्षा बलों ने पल्लनवाला सेक्टर में तकरीबन 50 मीटर लंबी ऐसी सुरंग का पता लगाया है, जो पाकिस्तानी इलाके से निकलकर जम्मू-कश्मीर तक पहुंचती। बेशक, यह आतंकवादियों की घुसपैठ कराने के लिए बनाई जा रही थी। संदेश साफ है। पाकिस्तान में ऐसी ताकतें मजबूत हो गई हैं, जो कश्मीर में फिर से अशांति भड़काने पर आमादा हैं। इन हालातों में हमें खुद को मजबूत बनाकर पाकिस्तान की ओर से होने वाले हमलों के लिए हर पल तैयार रहना होगा। जम्मू इलाके में पाकिस्तान रेंजर्स की फायरिंग से दो नागरिकों की जान गई है। सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के कुछ जवान और कई आम लोग जख्मी हुए हैं। इससे खास कर आरएस पुरा सेक्टर के बाशिंदों में भय और अफरातफरी का माहौल बन गया है। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की सरकार की इसमें कितनी और कैसी भूमिका है, इस बारे में तयशुदा रूप से कुछ नहीं कहा जा सकता। इस सिलसिले में पाकिस्तान में शरीफ सरकार को अस्थिर करने के तेज हुए प्रयासों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। वहां सेना और खुफिया तंत्र के एक हिस्से के समर्थन से चरमपंथी तत्व खुलकर मैदान में गए हैं। यह अनुमान लगाने का आधार है कि उसी तंत्र की शह पर सीमा और नियंत्रण रेखा पर तैनात पाकिस्तानी बलों ने भारतीय इलाकों पर हमले तेज किए हैं। निहितार्थ यह कि ये चुनौती स्थानीय या फौरी नहीं है बल्कि इसके पीछे भारतीय क्षेत्र में आतंक फैलाने और भारत को सीमा पर लड़ाइयों में उलझाने की सोची-समझी साजिश है। एनडीए के प्रमुख घटक दल शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे का प्रधानमंत्री नरेंद्र से मोदी से यह दरख्वास जिसमें उन्होंने कहा है कि अब समय आ गया है कि भारत को पाकिस्तान पर हमला कर देना चाहिए, लाजिमी है। लगातार सीमा पर सीजफायर तोड़ने के मामले में पाकिस्तान पर हमला कर अब उसे सबक सिखाने की जरूरत है।
कराची में जिन्ना इंटरनैशनल एयरपोर्ट पर हुए हमले की जिम्मेदारी भले ही पाक के आतंकी संगठन तहरीक-ए-इस्लाम ने ले ली है, बावजूद इसके भारत पर दोष मढ़ने की कोशिश की जा रही है। पाकिस्तानी मीडिया और कुछ एक्सपर्ट्स आंतकियों के पास मौजूद हथियारों के भारत में बने होने का दावा कर भारत को दोष दे रहे हैं। पाकिस्तान के कुछ जाने-माने अखबारों की वेबसाइट्स पर ऐसी खबरें पब्लिश हुई हैं, जिनमें आतंकियों का रिश्ता भारत से होने का कयास लगाया गया है। झूठ व फरेब के सहारे पाकिस्तान न सिर्फ सिर्फ सीजफायर का उल्लंघन, घुसपैठ व आतंकवादियों के मदद से हमला कर उसकी कूटनीतिक ूपजी को खाली को खाली व सैन्य ताकत को कमजोर कर रहा रहा है, बल्कि आरोप पर आरोप भी लगाएं जा रहा, पर भारत है, जहां यही बहस चल रही है कि पाकिस्तानी संगीतकारों को देश में प्रवेश देना चाहिए या नहीं। पाकिस्तान खुलेतौर पर आतंककारियों की शरणगाह बना है। कुख्यात आतंककारी वहां खुलेआम घूम रहे है। खतरनाक जिहादी गुट पाकिस्तानी सेना ने पाले पोसे है। वहां की सरकारें, कट्टरपंथी जमात और सेना कश्मीर के मसले को ज्वलंत बनाएं रखना चाहती है। तमाम समझौतों के बाद भी वह न्यूक्लीयर पावर का धौंस जमा सीजफायर का उल्लंघन कर जताते रहते है कि कश्मीर पर वह एकाधिकार चाहते है। यही वजह है कि भारत में बैठे अलगाववादियों को वह खाद-पानी देते रहते है। संयुक्त राष्ट की आमसभा में खुद नवाज शरीफ ने कश्मीर पर बिल्कुल नकारात्मक भाषण दिया था। भारत जब-जब शांति वार्ता की कोशिश की, तब-तब उसे नुकसान उठाना पड़ा है। कारगिल हमला से लेकर मुंबई धमाका उसके उदाहरण है।
इसके अलावा कुपवाड़ा में आतंकियों से मुठभेड़ में ग्रेनेडियर राहुल कुमार शहीद हो गए, लेकिन बेटे के अंतिम संस्कार तुरंत बाद मातमी माहौल में भी एक पिता का सीना गर्व से चैड़ा है, कहा राहुल कुमार के पिता चाहते हैं कि उनका दूसरा बेटा भी देश की सेवा में जान न्योछावर करे। शहीद राहुल कुमार के पिता अपने बेटे का जिक्र करते हुए कहते हैं, मैंने उसे बड़ा किया और मिलिट्री स्कूल में दाखिल करवाया। सरकार के पास सैनिकों के लिए जरूरी और कड़े नियम नहीं हैं। उन्हें उचित आदेश नहीं दिए जाते और न ही हथियार ही दिए जाते हैं। सरकार खामोश रहती है। मेरे पास दूसरा बेटा भी है और मैं उसे भी देश के नाम पर कुर्बान करने के लिए तैयार हूं। बेशक सलाम करती है देश की जनता ऐसे परिवारीजनों पर।
(सुरेश गांधी)