- समाज को विषमताओं से मुक्ति दिलाने बुद्धिजीवी आगे आएं - महंतश्री हरिओमशरणदास
बांसवाड़ा, 19 जनवरी/बांसवाड़ा के सदियों पुराने मठ और लोक श्रद्धा केन्द्र लालीवाव मठ में श्रीमहंत नारायणदास महाराज के ग्यारहवें स्मृति महोत्सव अन्तर्गत तीन दिवसीय कार्यक्रमों की श्रृंखला में शनिवार रात वार्षिक पुरस्कार एवं सम्मान समारोह देश की प्रसिद्ध चित्रकार डॉ. वीरबाला भावसार के मुख्य आतिथ्य, मशहूर गीतकार हरीश आचार्य के विशिष्ट आतिथ्य एवं लालीवाव मठ के पीठाधीश्वर श्रीमहंत हरिओमशरणदास महाराज की अध्यक्षता में आयोजित किया गया।
इसमें कला-संस्कृति, साहित्य एवं समाजसेवा आदि विभिन्न क्षेत्रों में उल्लेखनीय एवं उत्कृष्ट कार्य करने वाले ग्यारह विशिष्टजनों लालीवाव पीठाधीश्वर महंतश्री हरिओमशरणदास महाराज एवं अतिथियों ने को शॉल ओढ़ाकर एवं महंतश्री नारायणदास विशिष्ट सेवा सम्मान प्रदान कर अभिनंदन किया।
समारोह में 88 वर्षीय समाजसेवी एवं रचनात्मक कर्मयोगी पं. मुरलीधर भट्ट एवं 75 वर्षीय शिक्षाविद शंकरलाल दोसी को सेवा सुमेरू सम्मान प्रदान किया गया। इस वर्ष का साहित्य शिखर सम्मान शिक्षाशास्त्र, भाषाविद् एवं मनीषी साहित्य चिंतक डॉ. प्रभु शर्मा तथा सूफी काव्यचिंतक शायर सिराज नूर चिश्ती को तथा साहित्य भारती सम्मान कवयित्री श्रीमती प्रेम शर्मा को तथा साहित्यश्री सम्मान हिन्दी-वागड़ी मोहनदास वैष्णव(सरेड़ी बड़ी) व उत्सव जैन (नौगामा) तथा शायर रउफ अली को प्रदान किया गया। बहुआयामी सामाजिक सेवा क्षेत्रों में उल्लेखनीय भूमिका निभा रहे पूर्णाशंकर आचार्य को सेवा भगीरथ सम्मान तथा भागवत कुन्दन एवं दीपक तेली को सेवा दधीचि सम्मान प्रदान किया गया।
सामाजिक नवनिर्माण बुद्धिजीवियों की जिम्मेदारी
समारोह में अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में लालीवाव पीठाधीश्वर महंतश्री हरिओमशरणदास महाराज ने बुद्धिजीवियों से समाज को विषमताओं और समस्याओं से मुक्ति दिलाने लायक प्रेरण साहित्य सृजन एवं लोक जागरुकता के लिए समर्पित प्रयासों में जुटने का आह्वान किया और कहा कि आज समाज कई संकीर्णताओं के दौर से गुजर रहा है, ऎसे में प्रबुद्धजनों को अपनी ओर से पहल करते हुए लोक जागृति एवं सामाजिक नवनिर्माण में आगे आना चाहिए।
इंसानियत का पैगाम पसरे चारों ओर
समारोह की मुख्य अतिथि, राष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त चित्रकार डॉ. वीरबाला भावसार ने साहित्य को उत्सवी धर्म का प्रतिबिंब बताया और कहा कि शाश्वत आनंद और आत्मतोष प्रदान कर इंसानियत को पल्लवित-पुष्पित करने के लिए साहित्य प्रेरणादायी एवं सशक्त माध्यम है।
सामाजिक सरोकार प्राथमिकता पर हों
विशिष्ट अतिथि मशहूर गीतकार हरीश आचार्य ने वागड़ की रचनाधर्मिता को जनोन्मुखी बनाने पर जोर दिया और कहा कि आज साहित्य के माध्यम से सामाजिक सरोकारों को नई गति दिए जाने की आवश्यकता महसूस की जा रही है। समारोह का संचालन डॉ. दीपक द्विवेदी ने किया जबकि आभार प्रदर्शन की रस्म कृष्णा भावसार ने अदा की। समारोह में बज्मे सूफी कल्चर के अध्यक्ष सिराज नूर चिश्ती ने लालीवाव पीठाधीश्वर महंतश्री हरिओमशरणदास महाराज को सूफी शायर बिस्मिल नक्षबंदी की पुस्तक ‘ग़ज़ल से कविता तक’ भेंट की। इसी प्रकार कवि नरेन्द्र नंदन (तलवाड़ा) ने काव्य पोस्टर भेंट किया। आरंभ में अतिथियों ने लालीवाव के पूर्व पीठाधीश्वर महंतश्री नारायणदास महाराज एवं हनुमानजी की तस्वीर के सम्मुख दीप प्रज्वलित कर समारोह की शुरूआत की। समारोह में महंत अभिरामदास महाराज, महंत नागाजी, महंत देवनारायणदास, समाजसेवी सुखलाल तेली, गायत्री पीठ के अधिष्ठाता पं. विजयकुमार त्रिवेदी‘बण्डू महाराज’, वहीद खान(उदयपुर) सहित प्रमुख साहित्यकार, विभिन्न संस्थाओं के प्रतिनिधि, गणमान्य नागरिक आदि उपस्थित थे।