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महिला जज यौन उत्पीड़न मामले में जांच पर सुप्रीम कोर्ट का रोक

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सुप्रीम कोर्ट ने ग्वालियर की पूर्व जिला जज की ओर से मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के एक पदस्थ न्यायाधीश के खिलाफ लगाए गए यौन उत्पीड़न के आरोपों की गठित समिति द्वारा की जा रही जांच पर शुक्रवार को रोक लगा दी। इस समिति का गठन मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने किया था। लेकिन शिकायतकर्ता पूर्व महिला न्यायाधीश का कहना है कि इस समिति में उनका तबादला ग्वालियर से सीधी करने वाले न्यायाधीश न्यायमूर्ति अजित सिंह भी शामिल हैं। 

न्यायमूर्ति जे.एस. खेहर की अध्यक्षता वाली पीठ ने इस मामले में मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के न्यायाधीश और महापंजीयक को नोटिस भी जारी किया। इससे पहले वरिष्ठ वकील इंदिरा जयसिंह ने न्यायालय से यौन उत्पीड़न के आरोपों की जांच के लिए दूसरे राज्यों के उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीशों को शामिल करते हुए एक नई दो सदस्यीय समति बनाने की अपील की। 

अपने संक्षिप्त आदेश में शीर्ष अदालत ने कहा कि नोटिस जारी किया जाए। इस बीच 8 अगस्त 2014 के आदेश की प्रक्रिया पर रोक लगी रहेगी। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने 8 अगस्त को महिला न्यायाधीश के आरोपों की प्रारंभिक जांच के लिए समिति का गठन किया था। शीर्ष अदालत ने ग्वालियर की पूर्व न्यायाधीश के वकील को प्रतिवादियों को दस्ती के जरिए भी सूचित करने की छूट दे दी। इससे पहले शिकायतकर्ता पूर्व न्यायाधीश ने प्रधान न्यायाधीश लोढ़ा को भेजे गए पत्र में ग्वालियर के प्रशासकीय प्रभारी हाई कोर्ट के न्यायाधीश द्वारा की गई प्रताड़ना का ब्योरा दिया था। 

उन्होंने आरोप लगाया था कि एक घरेलू पार्टी में आइटम सॉन्ग पर नाचने से मना करने के कारण उनका तबादला पिछड़े इलाके में कर दिया गया। 

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