पटना।19 जनवरी 2014। मौजुदा भारत में शारिरिक और मानसिक रोगों का इलाज डॉक्टरों के द्वारा हो रहा है परंतु सामाजिक रोगों का इलाज ’संडेसभा’ करता है। अभियान का योजना सबको समान शिक्षा, चिकित्सा, यातायात और सरकारी आवास के साथ सहयोग प्रणाली विकसित करना है। ये बाते रविवार को बापू प्रतिमा गांधी मैदान में देशप्रेम अभियान की ’संडेसभा’ में वैज्ञानिक कुमार राजीव ने कही।
सभा में देश के अलग-अलग जगहों से पहुंचे लोगों ने देशप्रेम अभियान की परिकल्पना की सराहना करते हुए इसके व्यापक प्रसार पर जोर दिया। वैज्ञानिक राजीव ने राजनीति को लोकनीति में बदलने के लिए गांव-गांव में सत्सभा करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि आज भारत के लोग स्कूल की वर्तमान शिक्षा से सिर्फ सेल्समैन, नौकर और दलाल बनकर जीवन ढो रहे हैं। इस प्रणाली से किसी में कोई खुशी नहीं है। ऐसा जीवन लोगों को बीमार कर रहा है। वर्तमान शिक्षा के सिलेबस में परिवर्तन के लिए देशप्रेम अभियान के तहत तैयार किए गए विषयों की पढ़ाई हो। ये विषय हैं- देशप्रेम, वैज्ञानिक दृष्टिकोण, नैतिकता, वनस्पति-जीव-प्रेम और करसेवा, उपकरण ज्ञान, भाषाज्ञान, सर्वधर्म। इन विषयों की पढ़ाई से हम बेहतर जीवन जी सकते हैं। पंचायत से संसद तक अच्छे मतदाता और लीडर भी तैयार होंगे।
’संडेसभा’रूपरेखा - स्वयं को परिष्कृत कर ज्ञार्नाजन करते हैं। निडर होकर दिल की बात करते हैं। अपने जीवन के यथार्थ और व्यावहारिक अनुभव सुनाते हैं। अपने जीवन के प्रश्न, जिज्ञासा, समस्या का निराकरण पूछते हैं। अपने जीवन को सुंदर बनाने के यथार्थ और व्यावहारिक प्रस्ताव देते हैं। ’संडेसभा’ से सहयोग की विनती करते हैं। सांस्कृतिक अभिव्यक्ति के साथ सभा विसर्जित होती है। सत्सभा प्रत्येक गांव और घर-घर में सुबह 7 बजे से 8 बजे और शाम में 4 बजे से 7 बजे हर परिवार को करने की जरूरत है। इससे गांव और घर में खुशहाली एवं परिजनों में घट रहा आपसी संवाद फिर से अच्छे वातावरण में शुरू हो जाएगा।
कार्यक्रम में लोगों नेे देशप्रेम अभियान की सराहना करते हुए कहा कि ऐसा अभियान पूरे देश में चलाने की जरूरत है। अभियान के विचारों को सभी अपने जीवन में उतारें। केंद्र और राज्य सरकारें इस पूरे मॉडल को अपनाएं और गांव-गांव में सत्सभा का आयोजन हो।
’संडेसभा’ में संयोजक धन्नजय, मनोज, सोनु, प्रेम, संजीव, राम, संजय, राजेश, चंदन, प्रेमसागर, बंशी गोपाल एवं काफी संख्या में विभिन्न जगहो से आएं गणमान्य लोग उपस्थि थे।