जम्मू एवं कश्मीर घाटी में बारिश के कारण आई बाढ़ से शुक्रवार को हालात और गंभीर हो चुके हैं। सैकड़ों लोग अपना घर छोड़कर दूसरी जगहों पर चले गए हैं। घाटी में शुक्रवार को लगातार चौथे दिन मूसलाधार बारिश जारी रही। प्रशासन को बाढ़ग्रस्त इलाकों में पहुंचने में मुश्किल हो रही है। घाटी के सभी 10 जिलों में बाढ़ग्रस्त इलाकों में लोग अपने घरों को छोड़कर सुरक्षित स्थानों पर चले गए हैं।
बारिश और बाढ़ से बिजली के खंभे गिर जाने से जलभराव वाले इलाकों में शॉर्टसर्किट होने की आशंका है, इसलिए दक्षिण कश्मीर के अधिकतर इलाकों में बिजली आपूर्ति रोक दी गई है। जलभराव एवं बिजली गुल होने के कारण 500 से ज्यादा जलापूर्ति योजनाओं से पेयजल आपूर्ति बाधित है। स्थानीय मौसम अधिकारी सोनम लोटस ने आईएएनएस से कहा कि शुक्रवार दोपहर से मौसम में सुधार होना शुरू होगा।
हालांकि झेलम नदी के जलग्रहण क्षेत्रों में भारी बारिश से दक्षिण कश्मीर के जिलों अनंतनाग, शोपियां, पुलवामा और उत्तरी कश्मीर के जिलों गंदेरबल, श्रीनगर और बडगाम के 100 से अधिक गांव जलमग्न हो चुके हैं। अकेले श्रीनगर जिले में निचले इलाकों में रहने वाले 70 हजार से अधिक लोग प्रभावित हुए हैं, क्योंकि बाढ़ का पानी उनकी खेतों व घरों में घुस गया है।
अनंतनाग जिले के संगम में झेलम नदी का जलस्तर 34 फीट था, जो खतरे के निशान से 11 फीट ऊपर है। वहीं श्रीनगर के राम मुंशी बाग में नदी का जलस्तर 24 फीट मापा गया, जो खतरे के निशान से छह फीट ऊपर है। एक वरिष्ठ अभियंता ने कहा, "पानी के अत्यधिक प्रवाह वाले क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले इलाकों के लिए गंभीर खतरा है।"
बाढ़ के कारण कश्मीर में अब तक चार लोगों की मौत हो चुकी है। माना जा रहा है कि 50 वर्षो के दौरान बाढ़ के कारण यह घाटी की सबसे बदतर स्थिति है। गांदेरबल में रहने वाले 71 वर्षीय मास्टर गुलाम नबी ने कहा, "घाटी में सबसे भीषण बाढ़ 1992 में आई थी। लेकिन इस साल आई बाढ़ से हुई बर्बादी और झेलम नदी के बढ़ते जलस्तर के मद्ेनजर कश्मीर में 1959 में आई बाढ़ की याद ताजा हो गई है।"
सभी शैक्षणिक संस्थानों को सोमवार तक बंद कर दिया गया है। कश्मीर से सऊदी अरब के लिए हज की उड़ानों को भी आठ सितंबर तक रद्द कर दिया गया है। कश्मीर के अनुमंडल आयुक्त रोहित कंसल ने आईएएनएस से कहा कि रेडियो कश्मीर तमाम प्रसारणों को रद्द कर केवल बाढ़ से संबंधित खबरों का ही लगातार प्रसारण कर रहा है। राज्य सरकार की शीर्ष प्राथमिकता है कि जान का नुकसान न हो।