केन्द्र सरकार ने 218 कोयला खदानों के आवंटन के मामले में फैसला सोमवार को उच्चतम न्यायालय पर छोड़ दिया। न्यायालय ने अपने फैसले में इन खदानों के आवंटन को गैरकानूनी घोषित किया था। सरकार ने इसके साथ ही न्यायालय से कहा कि चालू वर्ष में पांच करोड़ टन कोयले का उत्पादन करने के लिये करीब 40 खदानों में उत्पादन हो रहा है और छह अन्य खदानें भी इसके लिये तैयार हैं।
कोयला मंत्रालय ने इस संबंध में एक हलफनामा दाखिल किया है जिसमें अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी के एक मई के इन बयानों को भी शामिल किया है कि न्यायालय द्वारा गैरकानूनी घोषित किये गये आवंटनों को रद्द किये जाने पर सरकार को आपत्ति नहीं है और वह नीलामी के लिये विशेष प्रकार को कोई तरीका अपनाने पर भी जोर नहीं दे रही है।
न्यायालय के निर्देश पर दाखिल हलफनामे में कोयला उत्पादन कर रही करीब 40 खदानों और 2014-15 के दौरान उत्पादन शुरू करने वाली संभावित छह खदानों का विवरण दिया गया है। हलफनामे में कहा गया है, अनुमान है कि इनसे चालू वर्ष में करीब पांच करोड़ टन कोयले का उत्पादन होगा। कोयला मंत्रालय ने कोयला उत्पादन कर रही इन 40 खदानों और खनन के लिये तैयार छह खदानों के बोरमें आबंटियों से मिली जानकारी का विवरण न्यायालय के समक्ष पेश किया। इसमें खनन का पट्टा, उत्पादन की शुरुआत और उत्पादन का अंतिम उपयोग तथा निवेश की जानकारी शामिल हैं। उत्पादन कर रही इन 40 खदानों में से दो का आवंटन अल्ट्रा मेगा विद्युत परियोजना के लिये किया गया है जिन्हें 25 अगस्त के फैसले में गैरकानूनी घोषित नहीं किया गया है।
हलफनामे में कहा गया है कि छह खदानें जिनमें उत्पादन शुरू होने की संभावना है, उनका निर्धारण कोयला नियंत्रक संगठन ने निर्धारण किया है क्योंकि इन ब्लाकों को कोयला खदन नियंत्रण अधिनियम 2004 के नियम नौ के तहत खदान शुरू करने की अनुमति मिल चुकी है। यह अनुमति खनन चालू करने की दिशा में अंतिम मंजूरी होती है।