- लालपुर में व्यापार केन्द्र व पावरलूम सर्विस सेंटर का शिलान्यास
- केन्द्र की तरफ से बुनकरों के खातों में सीधे पैसे देगी सरकार
- यूपी सरकार पर हमला, कहा शहर के पास नहीं दी जमीन
- खुद को बताया बनारस का सेवक, कहा बोलूंगा कम, करके दिखाउंगा
- पूर्वी यूपी के बंद पड़े 16 बैंकों को जीवित करने के लिए 2375 करोड़ के पैकेज दिए जाने की बात मोदी ने कही
वाराणसी (सुरेश गांधी )।प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शुक्रवार को सालों से उपेक्षित काशी के बुनकरों को बड़ा तोहफा देकर उनका भरोसा जीत लिया है। उन्होंने शहर से 5 किमी दूर लालपुर में 150 करोड़ की लागत से व्यापार केन्द्र व पावरलूम सर्विस सेंटर का शिलान्यास किया। इस दौरान प्रधानमंत्री ने बुनकरों को आधुनिक टेक्नोलाॅजी से सुसज्जित करने की वकालत करते हुए कहा अब बुनकरों के दिन बहुरने वाले है। केन्द्र की तरफ से बुनकरों को दी जाने वाली सब्सिडी सरकार सीधे उनके खातों में पैसे देगी। यूपी सरकार पर हमला बोलते हुए कहा उनकी मंशा थी कि यह सेंटर शहर में खुले, लेकिन यूपी सरकार ने जमीन नहीं दी। इसके अलावा मोदी ने खुद को बनारस का उसेवक बताते हुए कहा, बोलूंगा कम करके दिखाउंगा।
शिलान्यास से पहले बाबतपुर एअरपोर्ट पर सुबह 9.35 बजे सूबे के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने प्रधानमंत्री के प्रथम आगमन पर पोर्ट पर ही फूलमालाओं से उनका स्वागत किया। शिलान्यास स्थल पर बुनकरों की सभा को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, साड़ी एक ऐसी इंडस्टी है, जो बुनकरों को न सिर्फ सम्मान दिलाता है बल्कि टेक्सटाइल अधिक रोजगार देने वाला क्षेत्र भी है। कृषि के बाद यह इंडस्टी लोगों को कम पूंजी में अधिक रोजगार का अवसर प्रदान करता है। इस उद्योग में विकास की अपार संभावनाएं है। इस इंडस्टी में मालिक व मजदूर के बीच खाई नहीं है। जबकि खेती में ऐसा नहीं है। यह एक ऐसा क्षेत्र है जहां पूरा माहौल अपनेपन या परिवार का होता है। न कोई जातिवाद और न ही साम्प्रदायवाद का, ठीक उसी तरह जैसे कपड़े के ताना-बाना बुना जाता है उसी तरह ये बनने वाले समाज के भी ताने-बाने बुनते रहते है। यह सामाजिक ताना-बाना हर हथकरघे से जुड़ा नजर आता है। लेकिन समय रहते इन क्षेत्रों में विकास नहीं होता तो पिछड़ापन नजर आता है। ऐसे में आज के आधुनिकता को ध्यान में रखकर इस क्षेत्र में भी बदलाव कर नए-नए तौर-तरीकों, नए टेक्नोलाॅजी, नए मार्केटिंग की जरुरत है। इसका शुभारंभ बनारस की धरती से किया गया। इस सेंटर से बुनकरों को कंप्यूटर डिजाइनिंग, नए-नए रिसर्च खोजने में सहायक होगा। डिजाइनिंग में कंप्यूटर का इस्तेमाल बढ़ेगा, कारीगरों को बेहतर टेनिंग का अवसर मिलेगा। कहा, जब क्वालिटी बेहतर होगा तो बिक्री भी अधिक होगा। हमारी नयी पीढ़ी को भी जुड़ने की जरुरत है।
बनारस की साड़ी की महत्ता बताते हुए कहा हिन्दुस्तान में कोई ऐसी महिला नहीं होगी जो बनारसी साड़ी से अवगत न हो। बनारसी साड़ी देशभर में मशहूर है। हर शादी में मां-बाप का सपना होता है कि वह अपनी बेटी को बनारसी साड़ी दे। मतलब हर साल 20 करोड़ बेटियों की शादी होता है यानी 20 करोड़ का साड़ी मार्केट है। जमीन की लागत जोड़ने पर इस योजना की लागत 500 करोड़ का हो जायेगा। उन्होंने कहा साड़ी कारोबार आपके सम्मान से जुड़ा है, इसलिए नयी पीढ़ी को भी जुड़ना चाहिए। कहा, हर ग्राहक को नए प्रोजक्ट चाहिए, इसलिए हमें ग्लोबल मार्केट के अनुरुप अपने उत्पाद को बनाना होगा। आज दुनिया में ई-बिजनेस का बोलबाला है। ऐसे में कारीगरों को भी आधुनिक बनाने की जरुरत है। और वह जब आधुनिकता से रुबरु हो जायेगा तो मार्केटिंग भी वह अच्छा कर लेगा। उन्होंने यूएस के बोस्टन की तुलना बनारस से करते हुए कहा यहां सबकुछ मौजूद है। यहां की विरासत को लेकर हम आगे बढ़ सकते है। हमारे पूर्वजों का इस कारोबार में बड़ा योगदान है, जिन्होंने एक अवसर हमारे लिए छोड़ रखी है, काशी का मान पूरी दुनिया में बढ़ाया है। कहा, सिर्फ पश्चिमी छोर के विकास से भारत का विकास संभव नहीं है। कहा, एक हाथ मजबूत हो, दुसरा अपंग हो तो शरीर का विकास नहीं कहा जा सकता। इसलिए हमने हिन्दुस्तान के इस पूर्वी हिस्से को भी विकास करने पर जोर दिया है। कहा, पूर्वी यूपी में 16 बैंक बंद पड़े है। इसका ज्यादा नुकसान गरीबो को उठाना पड़ा। इन बैंको को जिंदा करने के लिए पूर्वी यूपी के सहकारी ग्रामीणों बैंको को 2375 करोड़ के पैकेज दिए गए है। इस धन से हर तबके का विकास होगा। हर सामान्य व्यापारी इस बैंक से जुड़कर कारोबार कर सकेगा। प्रधानमंत्री जन योजना के जरिए गरीब से गरीब लोग लाभ ले सकते है। अंत में उन्होंने बनारस के लोगों में आत्मीयता जताते हुए कहा, आपने हम पर भरोसा जताया है, हमारा पूरा प्रयास होगा इस क्षेत्र का विकास करु। बनारस की विरासत जिक्र करते हुए कहा कि पैसा हीं नहीं हर तरह के सहयोग के लिए वह तैयार है।