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विशेष आलेख : संदेह के घेरे में सचिन के दावे

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  • द्रविड़ की प्रतिक्रिया के बाद तथ्यों पर उठने लगे हैं सवाल

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रिलीज होने से पहले ही चर्चा में आ चुकी सचिन तेंदुलकर की आत्मकथा ‘प्लेइंग इट माई वे’ का विमोचन बुधवार को हुआ। किताब की पहली प्रति सचिन ने अपनी मां को प्रदान किया। इस किताब में सचिन ने भारतीय टीम के पूर्व कोच ग्रेग चैपल पर हमला बोलते हुए उन्हें रिंगमास्टर बताया है। किताब के मुताबिक, चैपल ने 2007 विश्व कप से कई महीनों पूर्व राहुल द्रविड़ को कप्तानी से हटाने का प्रयास भी किया था और उनकी जगह सचिन को भारतीय टीम की कमान संभालने की पेशकश की थी। सचिन के  खुलासे के बाद उनके समर्थन में लक्ष्मण, हरभजन और जहीर सरीखे साथी खिलाड़ियों ने भी चैपल पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं। चैपल के साथ सबसे ज्यादा विवादों में रहे पूर्व कप्तान सौरभ गांगुली ने दावा किया है कि द्रविड़ को चैपल की साजिश के बार में पता था। लेकिन इस पूरे घटनाक्रम पर द्रविड़ की प्रतिक्रिया ने सचिन और गांगुली के दावों की पोल खोल दिए हैं। द्रविड़ ने चैपल की साजिश के सवाल पर कहा कि वे जब किताब पढ़ेंगे तभी कुछ कहेंगे। वहीं गांगुली के दावों के बारे में उनका कहना है कि वे अपनी बात मेरे मुंह से बुलवाना चाहते हैं। द्रविड़ ने कहा, ‘मुझे इस पूरे विवाद के बारे में कुछ भी नहीं बोलना है। क्योंकि मुझे कोई जानकारी नहीं है। जहां तक गांगुली के आरोपों की बात है तो मुझे लगता है कि वे अपनी बात मुझ से बुलवाना चाहते हैं।’ बहरहाल, चैपल ने सचिन के आरोपों का खंडन भी कर दिया है। चैपल के अनुसार वे एक बार ही सचिन के घर गए हैं और वो भी किताब में बताए गए तारीख से लगभग एक साल पहले। उनके साथ दो और लोग भी थे। ऐसे में सवाल है कि सच कौन बोल रहा है? अब तक सचिन इस मुद्दे पर चुप क्यों थे? आखिर उसी वक्त उन्होंने बीसीसीआई को चैपल की शिकायत क्यों नहीं की? चूंकि सचिन क्रिकेट के बड़े आइकन हैं उनकी बातों को बोर्ड गंभीरता से लेता। 

सचिन को सिर्फ एक बार तब प्रतिक्रिया करते देखा गया, जब विश्व कप-2007 के दौरान ग्रेग चैपल ने उनका बल्लेबाजी क्रम बदलने की कोशिश की थी। विश्व कप से लौटने के बाद सचिन यह मामला बीसीसीआई तक लेकर गए। लेकिन द्रविड़ मामले में चुप क्यों रहे? इससे उनके इमान पर सवाल उठता है।   वहीं अतीत में और झांके तो पूर्व कप्तान सौरभ गांगुली तब चैपल के खिलाफ बोलने वालों में अकेले थे और उन्हें इसके एवज में अपनी कप्तानी गंवानी पड़ी थी. गांगुली ने तब सनसनीखेज खुलासा करते हुए कहा था कि चैपल ने द्रविड़ को अपने पक्ष में करके उन्हें कप्तानी से हटाया लेकिन यहां एक विवादजनक स्थिति पैदा होती है. अगर द्रविड़, चैपल से इतने नजदीक थे तो उन्हें हटाकर तेंदुलकर को कप्तान कैसे बनाया जा सकता था। अगर सचिन के दावे सचमुच मजबूत हैं तो उन्हें अपने घर की विजिटर डायरी (आने-जाने वालों का लेखा-जोखा )  सार्वजनिक करनी चाहिए जिसके तहत यह साफ हो सके की चैपल झूठे हैं या फिर सचिन सच बोल रहे हैं। क्योंकि यह मुद्दा अब विश्व क्रिकेट के बहस का हिस्सा बन चुका है। विदेशी खिलाड़ियों की भी प्रतिक्रियाएं आने लगी हैं ऐसे में सचिन को रिकॉर्ड में रखी गई विजिटर डायरी को सार्वजनिक करने की जरूरत है।  कुछ भी हो एक खिलाड़ी के तौर पर सचिन के योगदान पर सवाल नहीं खड़ा किया जा सकता। उन्हें भगवान मानने वाले उनके लिखे को सर आंखों पर रखेंगे ही और निश्चित तौर पर प्रकाशक जब ऐसे महान खिलाड़ी की आत्मकथा लेकर आते हैं तो उनका मकसद कुछ ऐसी चीजें लेकर आना होता है जो लेखक के समर्थकों को पुस्तक खरीदने पर विवश कर दे।

एक संदेह यह भी
सचिन ने पूर्व कोच ग्रेग चैपल से जुड़े विवाद में राहुल द्रविड़ का नाम क्यों लिया, इस पर कई सवाल उठ रहे हैं। यह संभव है कि सचिन ने 2004 में पाकिस्तान के मुल्तान में जो कुछ हुआ, उसका बदला लिया हो। दरअसल, उस समय द्रविड़ टीम इंडिया के कप्तान थे और उन्होंने तब पारी की घोषणा कर दी थी, जब सचिन 194 रन पर खेल रहे थे। जाहिर तौर पर सचिन दोहरा शतक बनाने चाह रहे थे, लेकिन ऐसा न हो सका। उस वक्त सचिन की नाराजगी जगजाहिर हुई थी। जानकारों की माने तो चैपल विवाद में द्रविड़ का नाम लेकर सचिन ने यह जताने की कोशिश की है कि वे ही बेहतर कप्तान थे और इसी कारण चैपल की पसंद भी थे। हालांकि द्रविड़ पर भी आरोप लगे कि उन्होंने अपने रिकॉर्ड का बचाव किया। क्योंकि राहुल द्रविड़ उस टेस्ट मैच तक करियर के चार दोहरा शतक बना चुके थे और सचिन तीन ही बना सके थे। 


दीपक कुमार 
लेखक अमर उजाला से जुड़े हैं

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