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बिहार : एक पाया सरसराकर नीचे चला गया दूसरा पाया पर भारी दबाव डालने के बाद धंस गया

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  • तीसरा पाया खुद से जमीन के नीचे नहीं जाने पर पानी डालकर मिट्टी की कटाई जोर से पाया धंसने से परेशान लोगों ने काम रूकवा दिया

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पटना। दीद्या चैहट्टा के पास पाया संख्या में 34,35 और 36 में समस्या उत्पण हो गयी है। पूर्व मध्य रेल के अधिकारियों के द्वारा लाख सफाई दी जाए। परन्तु सच्चाई यह है कि पाया संख्या 34 सरसराकर जमीन के नीचे चली गयी। इसके बगल में पाया संख्या 35 पर दबाव डालने पर जमीन के नीचे जाने को तैयार ही नहीं हुआ। फिर पाया संख्या 36 में विध्न पड़ गया। उसे जमीन के नीचे धंसाने के बाद भी धंस ही नहीं रहा है।स्थानीय लोगों ने पाया धंसने से परेशान होकर काम ही रूकवा दिया है। 

विजया दशमी के पूर्व में ही जमीन के नीचे सरसराकर पाया चला गयाः पाया संख्या 34 जमीन के नीेचे चला गया। ऐसा होने से आसपास की जमीन धंस गयी। एक बड़ा गड्ढा उत्पन्न हो गया। एक घर तो टंग गया है। अबतक गड्ढा में गिरने को उतारू है। यहां के लोग खतरे के बीच में रहने को बाध्य हैं। इस बाबत राम लगन चैधरी कहते हैं कि जमीन साढ़े 12 धूर ली गयी है। और मुआवजा डेढ़ डिसमिल जमीन की दी गयी है।इस बीच में पाये की बुनियाद तैयार कर ली गयी है। वृहस्पतिवार को ढलाई करना है। इस वेलसिंक्रिग कर देने के बाद पाये निर्माण किया जा जाएगा। 

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वेलसिंक्रिग प्रक्रिया बंद होने पर भारी वजन का दबाव दिया गयाःपाया संख्या 35 में वेलसिंक्रिग प्रक्रिया जारी थी। 24 मीटर के बाद पाये को धंसाने में काफी परेशानी होती है। इससे उभरने का प्रयास होने लगा। जमीन के नीचे नहीं जाने से हलकान होने के बाद जहां पर कार्य रूक गया। वहां पर भारी वजन का दबाव दिया गया। इसके बाद भी नहीं जाने पर वेल के अंदर की मिट्टी की कटाई की जाने लगी। इसका परिणाम यह निकला कि 10 नवम्बर को भरभराकर वेल नीचे चला गया। इसके कारण आसपास रहने वाले लोगों की जमीन वेल के अंदर चली गयी। रंजीत सिंह के मकान में दरार पड़ गया है। मजे की बात है कि पूर्व मध्य रेल के अधिकारियों के द्वारा कहा जा रहा है कि आधा कट्टा जमीन का अर्जन किया गया है। वहीं भू अर्जन विभाग के द्वारा कहा जा रहा है कि रंजीत सिंह की जमीन का अधिग्रहण ही नहीं किया गया है। केन्द्र सरकार के रेलवे विभाग और बिहार सरकार के भू अर्जन विभाग के बीच में रंजीत  सिंह पेंडुलम की तरह डोल रहे हैं। इनको किसी तरह का मुआवजा प्राप्त नहीं हुआ है। बुटाई चैधरी और पत्नी सुशीला देवी, धर्मशीला देवी और रामझरी देवी की 6 डिसमिल जमीन वेल के अंदर चली गयी है। 8 माह से पटना समाहरणालय के परिसर में स्थित भू अर्जन विभाग में दौड़ा-दौड़ी कर रहे हैं। मुआवजा नहीं मिला। मुआवजा हासिल करने के एवज में बड़ा बाबु, छोटा बाबु आदि की जेब में 20 हजार रू. से अधिक डाल चुके हैं। हलकान होने वाले लोगों को बताया जाता है कि विभागीय फंड में राशि ही नहीं है जिससे आपलोगों को दी जा सके। 

अब तो पाया संख्या 36 में भी परेशानी आ गयीः खुद से पाया संख्या 36 भी जमीन के नीचे नहीं जाने को तैयार है। वेल के अंदर की जमीन काटकर धंसाने का प्रयास हो रहा है। लाख प्रयास करने के बाद सफलता नहीं मिल रही है। एक ही राह है कि वेल के अंदर अधिक पानी डालकर जमीन की कटाई की जाए। जो पाया संख्या 35 में की गयी। अब देखना है कि कहीं रेलवे के द्वारा 40 मीटर चैड़ी जमीन का अधिग्रहण करने से अधिक जमीन वेल के अंदर समा न जाए। पूर्व मध्य रेल के अधिकारियों को चाहिए कि जिन लोगों की जमीन अधिग्रहण की गयी है। उनको जमीन की कीमत अदायगी कर दें। अभी भी लोगों को 20 फीसदी राशि प्राप्त नहीं हुई है। 

इस बीच दीद्यावासियों के बीच में पाया धंसने की घटना कौतूहल का विषय बन गया। काफी संख्या में लोग आकर धंसे पाये को देख रहे हैं। कुर्जी के धनंजय कुमार यादव, विकास कुमार आदि दौड़े-दौड़े चले आए। फिलवक्त गंगा नदी में गिर गए ठेकेदार की लाश बरामद नहीं की जा सकी है। 



आलोक कुमार
बिहार 

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