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छत्तीसगढ़ नसबंदी : मृतकों की संख्या 15 तक, बैगा महिलाओं की भी कर दी नसबंदी

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छत्तीसगढ़ के नसबंदी शिविरों में ऑपरेशन के बाद महिलाओं की मौत के मामले बढ़ते ही जा रहे हैं। अब तक मृतकों की संख्या 15 तक पहुंच गई है। बिलासपुर के पेंडारी में नसबंदी में लापरवाही के चलते सर्जरी कराने वाली 83 में से 14 महिलाओं की अब तक मौत हो चुकी है, जबकि पांच की हालत अभी भी गंभीर बताई जा रही है। नई खबर यह है कि बिलासपुर के ही गौरेला में लगाए गए एक शिविर में जिन महिलाओं की नसबंदी की गई थीं, उनमें से एक की मौत हो चुकी है और बीमार होने के बाद 15 महिलाएं बिलासपुर के अलग-अलग अस्पताल में भर्ती कराई गई हैं।

गैरोला के नसबंदी शिविर में संरक्षित बैगा जनाजति के दो महिलाओं की भी नसबंद कर दी गई, जिनकी नसबंदी कलेक्टर की अनुमति के बगैर नहीं की जाती है। मरने वाली महिला चैती बाई भी बैगा जनजाति की हैं। बैगा जनजाति को सरकार ने विलुप्त हो रहीं जनजातियों की श्रेणी में रखा है और इनकी नसबंदी करने पर रोक है। इस बीच, बुधवार की रात पेंडारी नसबंदी मामले के मुख्य अभियुक्त डॉक्टर आरके गुप्ता को गिरफ्तार कर लिया गया।

इस बीच, छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने बिलासपुर में नसबंदी के दौरान की गई लापरवाही का संज्ञान लेते हुए राज्य सरकार से 10 दिनों में विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने नसबंदी शिविर में लापरवाही के कारण हुई महिलाओं की मौत की मीडिया रिपोर्ट पर संज्ञान लिया है। आयोग ने राज्य सरकार को जारी नोटिस में मौत का कारण और पीड़ितों को राहत पहुंचाने के लिए उठाए गए कदमों की जानकारी मांगी है।

गौरेला में 10 नवंबर को नसबंदी का शिविर लगाया गया था। इस शिविर में 26 महिलाओं के ऑपरेशन किए गए थे। यह ऑपरेशन जिला अस्पताल से आए डॉ. केके साव ने किए थे। यहां धनौली गांव की दो बैगा महिलाओं मंगली बाई (22 साल) और चैती बाई (34 साल) का ऑपरेशन कर दिया गया। बताया जा रहा है कि इन बैगा महिलाओं को बहला-फुसलाकर लाया गया था। मंगलवार को बीमार होने के बाद चैती बाई को गौरेला से बिलासपुर रेफर कर दिया गया था, लेकिन यहां पहुंचते-पहुंचते उसकी तबियत और ज्यादा बिगड़ती गई। शाम तक डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।

नसबंदी के कहर से बिलासपुर के अलग-अलग अस्पतालों में अब भी 92 महिलाएं भर्ती हैं। राज्य सरकार ने अलग-अलग अस्पतालों में भर्ती महिलाओं की गंभीर हालत को देखते हुए एयर ऐंबुलेंस का भी इंतजाम किया है। इसके अलावा वेंटिलेटर समेत दूसरी जरूरी सुविधाओं में भी इजाफा किया गया है। अपोलो अस्पताल को बेड की संख्या बढ़ाने के लिए कहा गया है। डॉक्टरों का कहना है कि कुछ महिलाओं में मल्टिपल आर्गेन फेल्यर यानी शरीर के कई अंगों के निष्क्रिय होने के मामले भी देखे जा रहे हैं।

राज्य के स्वास्थ्य मंत्री अमर अग्रवाल का कहना है कि शुरुआती जांच में इस हादसे के लिए खराब दवाइयों को जिम्मेदार माना जा रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि सर्जिकल इंफेक्शन से इतनी जल्दी मौत नहीं हो सकती। राज्य सरकार ने उन छह दवाइयों को प्रतिबंधित कर दिया है, जिनका इस्तेमाल इन शिविरों में किए जाने की बात सामने आई है।

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