साल 2010 में जम्मू-कश्मीर के माछिल में फर्जी मुठभेड़ के मामले में सेना ने अपने दो अधिकारियों समेत सात लोगों को दोषी ठहराया है। सभी दोषियों को उम्रकैद और उनकी सभी सेवाओं से मुक्त कर दिया गया है। सैन्य अदालत की ओर से इन लोगों पर यह फैसला दिया गया है।
गौरतलब है कि 2010 में सेना ने नियंत्रण रेखा के पास माछिल सेक्टर में तीन घुसपैठियों को मारने का दावा किया था। सेना ने बाद में कहा कि वे पाकिस्तानी आतंकवादी थे, लेकिन बाद में उनकी पहचान बारामूला जिले के नदीहाल इलाके के रहने वाले मोहम्मद शाफी, शहजाद अहमद और रियाज अहमद के रूप में की गई। उन्हें कथित तौर पर सीमा इलाके में ले जाकर गोली मारी गई।
पीड़ितों के रिश्तेदारों की शिकायतों के बाद पुलिस ने प्रादेशिक सेना के एक जवान और दो अन्य को गिरफ्तार किया, लेकिन घटना की वजह से पूरी कश्मीर घाटी में अशांति फैल गई और बड़े पैमाने पर प्रदर्शन होने लगे, जिनमें 123 लोग मारे गए। उत्तरी कमान के एक आधिकारिक प्रवक्ता ने कहा कि सेना ने 2010 के माछिल फर्जी मुठभेड़ मामले में शामिल सैन्य इकाईयों के आरोपी सैन्यकर्मियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही शुरू करने का आदेश दिया।