भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने मंगलवार को कहा कि कारोबारी साल 2014-15 में विकास दर 5.5 फीसदी रह सकती है। बैंक ने मार्च में खत्म होने वाले कारोबार वर्ष में हालांकि विकास दर के पांच फीसदी से नीचे रहने का अनुमान दिया। मौजूदा कारोबारी वर्ष की मौद्रिक नीति की तीसरी तिमाही की समीक्षा जारी करने के बाद बैंक के गवर्नर जी. रघुराम राजन ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि 2014-15 में विकास दर पांच से छह फीसदी के बीच रह सकती है। अधिक संभावना इसके करीब 5.5 फीसदी रहने की है।
आरबीआई ने मुख्य नीतिगत दरों में 0.25 फीसदी की वृद्धि कर दी। इससे विकास दर और प्रभावित हो सकती है, जो पहले ही दशक के निचले स्तर पर है। देश की विकास दर मौजूदा कारोबारी साल की पहली छमाही में 4.6 फीसदी दर्ज की गई है, जो एक दशक से अधिक अवधि का निचला स्तर है। गवर्नर ने नीति समीक्षा में कहा, "यदि नीतिगत कदमों से महंगाई के मोर्चे पर वांक्षित परिणाम निकलते हैं, तो विकास दर 2013-14 में पांच फीसदी से कुछ नीचे से शुरू होकर बढ़ती हुई 2014-15 में 5-6 फीसदी रह सकती है। कुछ जोखिमों के साथ यह करीब 5.5 फीसदी रह सकती है।"उन्होंने कहा कि दरों को बढ़ाने के बैंक के फैसले को विकास विरोधी नजर से नहीं देखा जाना चाहिए।
उन्होंने कहा, "हमें महंगाई कम करने की जरूरत है। मध्य अवधि में विकास जारी रखने के लिए सबसे अच्छा तरीका यही है कि महंगाई को कम किया जाए।"राजन ने कहा कि आरबीआई को भी विकास को लेकर चिंता है और वह धीमे-धीमे सुधार करते हुए विकास को बढ़ावा दे रहा है। निकट भविष्य के बारे में उन्होंने कहा, "आर्थिक सुस्ती के कारण चिंता बढ़ती जा रही है। 2013-14 की तीसरी तिमाही में विकास की गति घटने का अनुमान है। इस दौरान औद्योगिक और खास तौर से विनिर्माण क्षेत्र में गिरावट दर्ज की जा सकती है।"