सर्वोच्च न्यायालय ने समलैंगिकता पर 12 दिसंबर, 2013 को दिए गए इसके फैसले के खिलाफ केंद्र सरकार और गैर सरकारी संगठन- नाज फाउंडेशन द्वारा दायर समीक्षा याचिका को मंगलवार को खारिज कर दिया। न्यायालय ने अपने फैसले में समलैंगिकता को अपराध माना था। सर्वोच्च न्यायालय की न्यायमूर्ति एच.एल.दत्तू और न्यायमूर्ति एस.जे.मुखोपाध्याय की पीठ ने समीक्षा याचिका पर सुनवाई के दौरान इसे खारिज कर दिया।
न्यायमूर्ति जी.एस.सिंघवी और न्यायमूर्ति मुखोपाध्याय की पीठ ने दिल्ली उच्च न्यायालय के उस फैसले को पलट दिया था जिसमें उसने समलैंगिकता के मुद्दे को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 377 से बाहर कर दिया था। इसके तहत समान लिंग वाले दो व्यस्कों के बीच सहमति से बनने वाले यौन संबंध को अपराध माना गया है।