आंध्र प्रदेश विधानसभा में लगातार तीसरे दिन बुधवार को भी तेलंगाना विधेयक को लेकर गतिरोध बना रहा। विभाजन विरोधी सीमांध्र (रायलसीमा और तटीय आंध्र) क्षेत्र से आने वाले मुख्यमंत्री और मंत्रियों ने राज्य के विभाजन का विरोध करते हुए विधानसभा अध्यक्ष को लिखित वक्तव्य सौंपा है। सदन की कार्यवाही शुरू होने के फौरन बाद तेलंगाना के विधायकों के विरोध जारी रखने पर इसे एक घंटे के लिए स्थगित कर दिया गया। तेलंगाना के विधायक पीठासीन अधिकारी से, मुख्यमंत्री और धर्मादाय मंत्री द्वारा दी गई उस नोटिस को खारिज करने की मांग कर रहे थे, जिसमें विधेयक को नामंजूर करने का प्रस्ताव पेश करने की अनुमति मांगी गई है।
राष्ट्रपति को विधानसभा की राय के साथ इस विधेयक को वापस भेजने की अवधि गुरुवार को समाप्त हो रही है, लेकिन हंगामे के कारण तीसरे दिन भी किसी तरह की कार्यवाही नहीं हो सकी। तेलंगाना के विधायक अध्यक्ष की आसंदी के आसपास खड़े हो गए और उनसे मुख्यमंत्री किरण कुमार रेड्डी द्वारा दी गई नोटिस को खारिज करने की मांग की। विधायकों ने चर्चा में हिस्सा लेकर राय प्रकट करने की अपील अनसुनी कर दी जिसके बाद अध्यक्ष ने सदस्यों से विधेयक पर लिखित वक्तव्य देने की मांग की। शोरशराबे के बीच सदन को एक घंटे के लिए स्थगित कर दिया गया।
कार्यवाही दोबारा शुरू होने पर भी हंगामा जारी रहा, जिससे उपाध्यक्ष मल्लु भट्टी विक्रमार्का को कार्यवाही एक घंटे के लिए स्थगित करनी पड़ी। यही दृश्य विधान परिषद में भी नजर आया, जहां कार्यवाही बिना चर्चा स्थगित कर दी गई। इधर, सीमांध्र के मंत्रियों ने पीठासीन अधिकारी से नोटिस को स्वीकारने की मांग की और मंत्री टी.जी.वेंकटेश ने विधेयक पर तत्काल मतदान की मांग की। राष्ट्रपति को यह विधेयक भेजने की अंतिम तारीख 30 जनवरी है और सीमांध्र के मंत्रियों ने राष्ट्रपति से इसके लिए तीन सप्ताह का और समय मांगा है।