आंध्र प्रदेश विधानसभा ने ध्वनि मत से पृथक तेलंगाना राज्य के गठन के लिए आंध्र प्रदेश पुनर्गठन विधेयक 2013 को खारिज कर दिया है। तेलंगाना क्षेत्र के विधायकों के विरोध के बीच अध्यक्ष एन.मनोहर ने मुख्यमंत्री एन.किरन कुमार रेड्डी द्वारा विधेयक को खारिज करने वाले पेश किए गए प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया और सदन को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया।
मुख्यमंत्री ने अपने प्रस्ताव में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से विधेयक को संसद में न भेजे जाने का अनुरोध किया है। इसमें कहा गया है कि राज्य का विभाजन बिना किसी सहमति और वजह से किया जा रहा है और इसमें भाषागत और सांस्कृति समरुपता आर्थिक और प्रशासनिक व्यावहारिकता की अनदेखी की गई है।
अध्यक्ष ने कहा कि वह 86 विधायकों की राय के साथ राष्ट्रपति को यह विधेयक वापस करेंगे। सदन में सिर्फ इन विधायकों ने चर्चा में हिस्सा लिया और अपना लिखित भाषण भी पेश किया। मनोहर ने कहा कि सदस्यों ने इसमें 9,702 संसोधन बताए हैं जिसे आधिकारिक रिकार्ड में शामिल किया गया है। सदन की कार्यवाही सुबह से दो बार स्थगित करने के बाद यह नाटकीय घोषणा हुई।
राष्ट्रपति ने 12 दिसंबर को यह विधेयक विधानसभा में भेज कर संविधान के अनुच्छेद तीन के तहत इस पर राय बनाने की मांग की थी और 16 दिसंबर को सदन में पेश हुए विधेयक पर सीमांध्र विधायकों के विरोध की वजह से चर्चा नहीं हो पाई।