Quantcast
Channel: Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)
Viewing all articles
Browse latest Browse all 78528

राजीव के हत्यारों की याचिका पर फैसला सुरक्षित

$
0
0

rajiv gandhi
पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के तीन हत्यारों की मौत की सजा को आजीवन कारावास में बदलने की मांग करने वाली याचिका पर सर्वोच्च न्यायालय ने मंगलवार को फैसला सुरक्षित रख लिया। केंद्र ने इस याचिका का विरोध किया है। दया याचिका को असामान्य रूप से लगभग 11 वर्ष लंबित होने के आधार पर दोषियों ने यह याचिका दायर की थी। इस याचिका पर जवाब देते हुए सरकार ने वी. श्रीहरन उर्फ मुरुगन, पेरारिवलन और संथन की याचिका को खारिज करने का आग्रह किया। सरकार ने कहा कि राष्ट्रपति के पास 11 वर्षो तक दया याचिका के लंबित रहने के दौरान दोषियों को न किसी तरह की पीड़ा दी गई और न ही उनके साथ कोई अमानवीय आचरण किया गया।

महान्यायवादी जी. ई. वाहनवती ने प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति पी. सतशिवम, न्यायमूर्ति रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति शिव कीर्ति सिंह की पीठ को बताया कि याचिका को 21 जनवरी के सर्वोच्च न्यायालय के फैसले का संरक्षण नहीं मिलना चाहिए, जिसमें कहा गया है कि अनुचित, असामान्य और अस्पष्ट विलंब मौत की सजा को आजीवन कारावास में बदलने का एक आधार हो सकता है।

वाहनवती ने कहा कि इन 11 वर्षो के दौरान तीनों हत्यारों ने जेल में संगीत समारोह, कला प्रदर्शनी और अन्य मनोरंजक गतिविधियों का आयोजन करके जीवन का पूरा आनंद उठाया है। इस पर न्यायमूर्ति सतशिवम ने कहा, "इसका मतलब है कि वे कट्टर अपराधी नहीं हैं।"वाहनवती ने कहा कि 26 अप्रैल, 2000 को राष्ट्रपति को दी गई याचिका में भी इन लोगों ने राजीव गांधी की हत्या पर जरा भी पश्चाताप नहीं प्रकट किया है।

तीनों सजा प्राप्त कैदियों की ओर से उपस्थित वरिष्ठ वकील युग चौधरी ने कहा कि विलंब खुद एक अत्याचार है। मुझे अत्याचार को साबित करने की जरूरत नहीं है। इस पर वाहनवती ने न्यायालय से कहा, "जी हां, विलंब तो हुआ है, लेकिन ऐसा नहीं है कि इसका कारण न बताया गया हो या बिना किसी कारण के ही विलंब हुआ हो।"वाहनवती ने न्यायालय से मामले के "सभी तथ्यों पर संपूर्णता में विचार करने"का अनुरोध भी किया।

Viewing all articles
Browse latest Browse all 78528

Trending Articles



<script src="https://jsc.adskeeper.com/r/s/rssing.com.1596347.js" async> </script>