तेजाब हमले का सामना कर चुकीं सोनाली मुखर्जी को वर्षो की जंग के बाद आखिरकार सरकारी नौकरी मिल गई। मुखर्जी एक रात अपनी घर की छत पर सोई हुई थीं और उसी दौरान उनपर तेजाब हमला किया गया और इसके साथ ही उनकी पूरी जिंदगी की दिशा हमेशा के लिए बदल गई। उस वक्त वह महज 18 वर्ष की थीं। एक अधिकारी ने बुधवार को बताया कि सोनाली मुखर्जी को झारखंड के बोकारो शहर में एक सरकारी स्कूल में नौकरी दी गई है। उन्हें मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने मंगलवार को बोकारो में नियुक्ति पत्र सौंपा।
सोरेन ने कहा, "हम सोनाली का सम्मान करते हैं, क्योंकि वह अत्याचार के खिलाफ आवाज उठाने वाली चंद महिलाओं में से एक हैं। भारत में हर कोई उन्हें उनके साहस के लिए जानता है।"मुखर्जी पर 22 अप्रैल, 2003 को तेजाब हमला हुआ था। जिस समय उन पर हमला हुआ वह धनबाद स्थित अपने घर की छत पर सोई हुई थीं। तेजाब से उनका चेहरा, गर्दन और छाती का दााहिना हिस्सा और शरीर का निचला भाग बुरी तरह झुलस गया था।
इस घटना में शामिल तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया और उनमें से दो को दोषी भी करार दिया गया। लेकिन झारखंड उच्च न्यायालय ने बाद में उन्हें जमानत पर रिहा कर दिया। मुखर्जी और उनके पिता ने इलाज और कानूनी लड़ाई जारी रखने के लिए अपनी पूरी जमीन और परिवार के सारे जेवरात बेच दिए। उन्होंने आरोपियों की जमानत रद्द कराने के लिए लड़ाई लड़ी। उन्हें आरोपी पक्ष की धमकियों का भी सामना करना पड़ा।
तीनों व्यक्ति, जिसमें से एक 40 वर्ष के ऊपर था और एक 18 वर्ष का था, रोजाना मुखर्जी का पीछा करते थे। उस पर अश्लील टिप्पणियां करते और उसे परेशान करते। जब उसने विरोध किया तो उस पर तेजाब से हमला किया गया। नियुक्ति पत्र मिलने के बाद पीड़िता ने कहा, "मैं देश के उन सभी लोगों का शुक्रिया करूंगी जिन्होंने मेरे लिए लड़ाई लड़ी और मुझे सहयोग दिया।"