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विशेष आलेख : गुजरात के आदिवासी समाज के यक्ष प्रश्न

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गुजरात भारत का ऐसा एक महत्वपूर्ण एवं विकसित प्रदेश है, जहां पर आदिवासी जाति की बहुलता है। कुछ समय बाद यहां विधानसंभा के चुनाव होने हैं, ये चुनाव न केवल भारतीय जनता पार्टी बल्कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के लिये एक चुनौती है। हाल ही सम्पन्न विधानसभा चुनाव एवं दिल्ली के एमसीडी चुनावों में मोदी का परचम फहरा, उनका एकतरफा वर्चस्व कायम है। लेकिन गुजरात के चुनाव इतने आसान प्रतीत नहीं हो रहे हैं। इसके अनेक कारण हो सकते हंै, लेकिन इन चुनावों में वहां के आदिवासी समाज की महत्वपूर्ण भूमिका होगी, इससे इंकार नहीं किया जा सकता। क्योंकि भाजपा लगभग तीन दशक से सत्ता में है उस प्रांत में आदिवासी समुदाय की उपेक्षा के कारण उन्हें राजनीतिक जमीन बचाना मुश्किल होता दिख रहा है। यह न केवल प्रांत के मुख्यमंत्री श्री विजय रूपाणी व भाजपा अध्यक्ष श्री जीतू वाघानी के लिए चुनौती है बल्कि केन्द्र की भाजपा सरकार भी इसके लिए चिंतित है। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए प्रधानमंत्री ने प्रति माह गुजरात की यात्रा का जो संकल्प व्यक्त किया है उससे जटिल होती समस्या को हल करने में सहायता मिल सकती है। समस्या जब बहुत चिंतनीय बन जाती हैं तो उसे बड़ी गंभीरता से मोड़ देना होता है। पर यदि उस मोड़ पर पुराने अनुभवी लोगों के जीये गये सत्यों की मुहर नहीं होगी तो सच्चे सिक्के भी झुठला दिये जाते हैं। 



वैसे वर्षों से शोषित एवं पीड़ित रहे इस समाज के लिए परिस्थितियां आज अधिक कष्टप्रद और समस्यायें बहुत अधिक हैं। ये समस्यायें प्राकृतिक तो होती ही है साथ ही यह मानवजनित भी होती है। विडम्बनापूर्ण तो यह है कि समस्याएं राजनीतिक और धार्मिक होकर अपनी क्रूरता के पदचिन्ह स्थापित करती है। विभिन्न आदिवासी क्षेत्रों की समस्या थोड़ी बहुत अलग हो सकती है किन्तु बहुत हद तक यह एक समान ही होती है। गुजरात के आदिवासी समाज की एक बड़ी समस्या है अशिक्षा। वे आज भी पढ़ाई-लिखाई से वंचित है। आज हम इक्कीसवीं सदी में पहुंच गए हैं और चारों ओर पढ़ने-पढ़ाने का जोर है, शोर है।  तब भी उसकी स्थिति में सुधार न होना घोर चिंता का विषय है। देश की प्रगति के लिये शिक्षा एक मौलिक भूमिका का निर्वाह करती है और यह किसी भी देश या समाज के लिये रीढ़ की हड्डी है और देश के प्रत्येक नागरिक का जन्मजात मौलिक अधिकार भी है। फिर आदिवासी समाज अपने इस मौलिक अधिकार से क्यों वंचित रहा? शिक्षा बिना यहां का आदिवासी समाज आज भी अंधेरे में हैं। आदिवासी क्षेत्रों में शिक्षा की जिस तरह की उन्नत स्थिति होनी चाहिए, वह नहीं हैं। उनके लिए परियोजनाएं हैं, लेकिन उनका लाभ बिचैलिए खा रहे हैं। आदिवासियों ने आजादी से पहले और बाद में भी देश की अपरिमित सेवा की है। इसके बदले उन्हें मिलता है विस्थापन, शोषण, बेदखली और उपेक्षा। समस्या का समाधान इस तरह से किया जा रहा है कि वे अपने अस्तित्व ही नहीं बचा पा रहे हैं।

सरकारें अभी तक आदिवासियों को दबाने, हटाने और नष्ट करने का काम ही करती रही हैं। जरूरत है कि आदिवासी को उपयोगी माना जाए। सोचने की बात है कि वे पुराणों से भी पुराने हैं। सामाजिक और मानवीय मूल्य और पर्यावरण की चेतना से संपन्न ऐसे समुदाय हैं वे, जो समूची मानवता को मनुष्यता का पाठ पढ़ाने की क्षमता रखते हैं। सच यह है कि वे हंै, तो जंगल है, पहाड़ और नदियां है। हकीकत यह है कि उन्हें नष्ट करने से आज जंगल और पहाड़ बर्बाद हो रहे हैं। ऐसा इसलिए हुआ कि हमारी नीतियों में खोट है और दूरदृष्टि का अभाव है। आदिवासी के उत्थान और उन्नयन में गणि राजेन्द्र विजयजी ने अपनी पूरी जिंदगी लगा दी है। इस वैश्वीकरण के युग में तो उन्हें और उनकी आदिवासी कल्याण की योजनाओं को लगातार नजरअंदाज किया जा रहा है। आखिर क्या वजह है कि किसान और आदिवासी लगातार हाशिए पर चले जा रहे हैं। किसान आत्महत्या कर रहे हैं और आदिवासी विस्थापित हो रहे हैं। इस विकास को केवल खास आदमियों से प्रेम है। हमारी सरकारें चहुंमुखी विकास के लिए बड़ी-बड़ी परियोजनाएं ला रही हैं, मगर उन्हें यह ध्यान नहीं है कि इससे आदिवासियों का जो विनाश हुआ है, उसकी भरपाई कैसे होगी? सरकारों को विकास के लिए बड़े-बड़े बांध चाहिए। टिहरी, नर्मदा, गढ़वाल, हरसूद और मणिबेली में रहने वाले गांववासी और आदिवासी के विस्थापन से उन्हें किसी तरह का लेना-देना नहीं रहा। आदिवासियों को एक ही झटके में अपनी मूल जमीन से बेदखल कर देना कितना पीड़ादायी है? इसका अनुमान तब तक नहीं लगाया जा सकता जब तक आदिवासी की मूलभावना नहीं समझी जाएगी।



यह विडम्बनापूर्ण ही है कि जो प्रकृति के रक्षक हैं, उन्हें तबाह किया जा रहा है। जो प्रकृति को वास्तव में नष्ट कर रहे हैं उन्हें सभ्य बताया जा रहा है। जो कथितरूप से बड़े सोच वाले हैं, उनकी असलियत खुल चुकी है। असल बात यह है कि आदिवासी हैं तो प्रकृति है, जंगल है, जमीन है, जल है, पहाड़ है। जंगल के रक्षक वही है, वही हो सकते हैं। आदिवासियों की जिजीविषा ही है कि तमाम विपरीत परिस्थितियों के बावजूद वे अपने अस्तित्व बचाए हुए है। छोटा और कमजोर समझकर जिन्हें नकार दिया गया है, वे संविधान द्वारा संरक्षित हैं, फिर भी सुरक्षित नहीं है। यह सत्ताधारियों की गलती ही कही जाएगी कि आदिवासी समाज समस्याओं से उबर नहीं पा रहा है। आदिवासी, जो कम से कम में गुजारा कर रहा है, उससे उसका पहाड़, जंगल और जमीन छीनने की जरूरत नहीं होनी चाहिए थी। आदिवासी सबसे अधिक पर्यावरण प्रेमी हैं। यह सिद्ध हो चुका है। वे स्वभावतः संतोषी, संयमी और दूसरों का कम से कम नुकसान करने वाले लोग हैं। राजनीतिक पार्टियों के नारों एवं संवैधानिक स्थितियों के बावजूद आदिवासीे तिल-तिल मरने को मजबूर हैं। उनकी गरीबी और अशिक्षा जाने का नाम नहीं ले रही है। आरक्षण के बावजूद शिक्षा के प्रकाश से सबसे अधिक दूर यही वर्ग ठहरता है। जब कभी विकास की बात आती है तो आदिवासी से उसका घर, जमीन और जंगल बेखौफ छीन लिया जाता है। दूसरों के हित के लिए बनने वाले बांध में अगर कोई डूबता है तो वह आदिवासी और इस देश का गरीब मूक किसान ही है। हजारों वर्षों से जंगलों और पहाड़ी इलाकों में रहने वाले आदिवासियों को हमेशा से दबाया और कुचला जाता रहा है जिससे उनकी जिन्दगी अभावग्रस्त ही रही है। इनका खुले मैदान के निवासियों और तथाकथित सभ्य कहे जाने वाले लोगों से न के बराबर ही संपर्क रहा है। केंद्र सरकार आदिवासियों के नाम पर हर साल हजारों करोड़ रुपए का प्रावधान बजट में करती है। इसके बाद भी 7 दशक में उनकी आर्थिक स्थिति, जीवन स्तर में कोई बदलाव नहीं आया है। स्वास्थ्य सुविधाएं, पीने का साफ पानी आदि मूलभूत सुविधाओं के लिए वे आज भी तरस रहे हैं। समस्या अलग-अलग क्षेत्रों में रह रहे आदिवासियों की भिन्न-भिन्न हो सकती है। वैसे सामान्यतः ऐसा होता नहीं है क्योंकि आदिवासी समाज की अपनी एक पहचान है जिसमें उनके रहन-सहन, आचार-विचार, कला-संस्कृति, बोली आदि एक जैसे ही होते हैं। 

आदिवासी समाज की कई समस्यायें हैं जो उनके अस्तित्व और उनकी पहचान के लिए खतरनाक है। आज बड़े ही सूक्ष्म तरीके से इनकी पहचान मिटाने की राजनीतिक साजिश चल रही है। दशकीय जनगणना में छोटानागपुर में आदिवासी लोहरा को लोहार लिखकर, बड़ाइक को बढ़ई लिखकर गैर आदिवासी बना दिया गया है। यह जानकर आश्चर्य होगा कि आज भी विमुक्त, भटकी बंजारा जातियों की जनगणना नहीं की जाती है। तर्क यह दिया जाता है कि वे सदैव एक स्थान पर नहीं रहते। इतना ही नहीं हजारों आदिवासी महानगरों या अन्य जगहों पर रोजगार के लिए बरसों से आते-जाते हैं पर उनका आंकड़ा भी जनगणना में शामिल नहीं किया जाता है, न ही उनके राशन कार्ड बनते हैं और न ही वे कहीं के वोटर होते हैं। अर्थात इन्हें भारतीय नागरिकता से भी वंचित रखा जाता है। आदिवासियों की जमीन तो छीनी ही गई उनके जंगल के अधिकार भी छिन गए। अब गैर आदिवासी लोगों के बसने के कारण उनकी भाषा भी छिन रही है क्योंकि उनकी भाषा समझने वाला अब कोई नहीं है। जिन लोगों की भाषा छिन जाती है उनकी संस्कृति भी नहीं बच पाती। उनके नृत्य को अन्य लोगों द्वारा अजीब नजरों से देखे जाते हैं इसलिए वे भी सीमित होते जा रहे हैं। जहां उनका ‘सरना’ नहीं है वहां उन पर नए-नए भगवान थोपे जा रहे हैं। उनकी संस्कृति या तो हड़पी जा रही है या मिटाई जा रही है। हर धर्म अपना-अपना भगवान उन्हें थमाने को आतुर है। हिन्दू विरोधी उन्हें हिन्दू नहीं मानते तो हिंदुत्ववादी लोग उन्हें मूलधारा यानी हिंदुत्व की विकृतियों और संकीर्णताओं से जोड़ने पर तुले हैं और उनको रोजी-रोटी के मुद्दे से ध्यान हटा कर अलगाव की ओर धकेला जा रहा है। एक समाज और संस्कृति को बचाने के लिए जरूरत सिर्फ सार्थक प्रयत्न की है। गुजरात के आगामी विधानसभा चुनाव आदिवासी समाज के लिए एक ऐसा संदेश हो जो उनके जीवन मूल्यों को सुरक्षा दे और नये निर्माण का दायित्व ओढ़े। 



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(ललित गर्ग)
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विदिशा (मध्यप्रदेश) की खबर 21 मई

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संभागायुक्त द्वारा आवेदनों की समीक्षा, गोशवारा में स्पष्ट जानकारी अंकित करें

vidisha news
भोपाल संभागायुक्त श्री अजातशत्रु श्रीवास्तव ने आज विदिशा के ग्राम सुनपुरा में ग्रामोदय से भारत उदय अभियान के तहत प्राप्त आवेदनों पर अब तक संबंधित विभागों के अधिकारियों द्वारा की गई कार्यवाहियों की समीक्षा की। ग्राम पंचायत के भवन में आयोजित इस बैठक में कलेक्टर श्री अनिल सुचारी, सीईओ जिला पंचायत श्री दीपक आर्य के अलावा समस्त एसडीएम, जनपद सीईओ और विभिन्न विभागों के अधिकारी मौजूद थे। संभागायुक्त श्री श्रीवास्तव ने अधिकारियों से कहा कि ग्रामोदय से भारत उदय अभियान के तहत प्राप्त हुए आवेदन और उन पर की गई कार्यवाही की समुचित जानकारी टिप्स पर होना चाहिए। प्राप्त आवेदन संबंधित विभागों के पास पहुंचे की जबावदेंही जनपदों के सीईओ की है। आवेदन पर हुई कार्यवाही अथवा लंबित होने की स्थिति इत्यादि का स्पष्ट ब्यौरा आॅन लाइन पंजी में दर्ज कराया जाए इसी प्रकार उपरोक्त समुचित जानकारी जनपद, संबंधित ग्राम पंचायत में भी संधारित की जाए। आगामी 31 मई को होने वाली विशेष ग्रामसभाओं में अभियान के तहत प्राप्त आवेदनों पर क्या कार्यवाही की गई है कि जानकारी से संबंधित आवेदक को अवगत कराया जाना है। संभागायुक्त श्री श्रीवास्तव ने कहा कि प्रत्येक ग्राम पंचायत में रोजगार सहायक, पंचायत सचिव और पटवारी स्थानीय स्तर पर आवेदनों का परीक्षण कर आवेदककर्ताओं से सम्पर्क कर उनके आवेदन पर होने वाली कार्यवाही से अवगत कराएंगे। खण्ड स्तरीय बैठकों में प्राप्त आवेदन और उनके निराकरण के संबंध में समुचित जानकारी भी विभागों से प्राप्त कर प्रस्तुत करेंगे। संभागायुक्त श्री श्रीवास्तव ने बताया कि पहले के और इस अभियान में काफी अंतर है।  इस अभियान में अब समुचित जानकारी आॅन लाइन फीड करानी है जिसकी क्रास माॅनिटरिंग राज्य शासन स्तर पर की जा रही है। उन्होंने समस्त अधिकारी, कर्मचारियों को ताकिद करते हुए कहा कि अभियान के तहत प्राप्त आवेदनों के निराकरण के प्रति गंभीर हो जाएं अन्यथा दण्डित करने की कार्यवाही की जाएगी। ग्राम स्तरीय अमले के साथ-साथ वरिष्ठ अधिकारियों की नैतिक जबावदंेही है कि ग्रामोदय से भारत उदय अभियान के अंतर्गत प्राप्त विभागीय आवेदनों की समुचित जानकारी आॅन लाइन प्रदर्शित हो। संभागायुक्त श्री श्रीवास्तव ने सबसे पहले ग्राम सुनपुरा में ग्रामोदय से भारत उदय अभियान के तहत प्राप्त आवेदनों की बिन्दुवार समीक्षा की और आवेदन पर संबंधित विभाग के अधिकारी द्वारा अब तक क्या कार्यवाही की गई है कि वस्तुस्थिति से अवगत हुए। इसी प्रकार उन्होंने विदिशा जनपद के अंतर्गत प्राप्त आवेदनों के संबंध में पूछताछ की। संभागायुक्त श्री श्रीवास्तव ने बताया कि ग्रामोदय से भारत उदय अभियान के तहत प्राप्त आवेदनों पर हुई कार्यवाही की क्रास माॅनिटरिंग के लिए राज्य सरकार द्वारा दल गठित किए गए है जो किसी भी ग्राम, पंचायत में पहंुचकर वहां रखे अभिलेखागार दस्तावेंजो के आधार पर आवेदनों की कार्यवाही का परीक्षण कर शासन को रिपोर्ट देंगे। संभागायुक्त श्री श्रीवास्तव ने उद्यानिकी विभाग के अधीक्षक श्री एसडी सेन के द्वारा दिए गए हाजिर जबाबो पर संतुष्टि व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि सभी अधिकारियों को इसी प्रकार अंगुलियों की टिप्स पर जानकारी होना चाहिए। यह नही कि इधर-उधर के पेज पलटने के बावजूद बताने में असमर्थ है। संभागायुक्त ने कलेक्टर श्री सुचारी से कहा कि श्री सेन को 15 अगस्त पर पुरस्कृत करें। 


उत्कृष्ट कार्यो से अधिकारी जाने जाएं-कलेक्टर

vidisha news
कलेक्टर श्री अनिल सुचारी ने आज राजस्व कार्यो के साथ-साथ अन्य अभियानों की समीक्षा की। उन्होंने अधिकारियों से कहा कि वे क्षेत्रों में अपने उत्कृष्ट कार्यो से जाने जाएं। समस्त एसडीएम राजस्व कार्याे तक ही सीमित ना रहे वरन् अनुविभाग क्षेत्र के समस्त खण्ड स्तरीय अमले के कार्यो पर सतत नजर रखें। खासकर हितग्राहीमूलक योजनाओं में सुपात्र वंचित ना रहें पर पैनी निगाह रखे। कलेक्टर श्री सुचारी ने इन्द्रधनुष अभियान की भी समीक्षा की। उन्होंने कहा कि विदिशा जिला चैथे चरण में शामिल ना हो के पुख्ता प्रबंध सुनिश्चित किए जाएं। अब तक विभिन्न टीकाकरण की प्रदेश स्तर पर रेकिंग के संबंध में बताया गया कि जिले में 86 प्रतिशत टीकाकरण कार्य बूथ लेवल पर किया गया है शेष चिन्हित बच्चों को उनके घरों में जाकर टीकाकरण का कार्य स्वास्थ्य और महिला बाल विकास विभाग का अमला संयुक्त रूप से कर रहा है। जिले में 90 प्रतिशत टीकाकरण कार्य हो जाने पर विदिशा जिला इन्द्रधनुष के चैथे चरण में शामिल नही होगा। कलेक्टर श्री सुचारी ने लटेरी, कुरवाई के क्षेत्र में किए गए विशेष प्रयासों पर साधुवाद व्यक्त करते हुए कहा कि इस प्रकार की गति बनाए रखें। एक भी बच्चा टीकाकरण से वंचित ना रहे यह हमारा नैतिक दायित्व है। इस दौरान डब्ल्यूएचओ के प्रतिनिधि श्री एमएस रजावत ने क्रास मानिटरिंग के दौरान जिन क्षेत्रों में टीकाकरण नही हो पाया है कि जानकारी दी। कलेक्टर श्री सुचारी ने इन क्षेत्रों पर विशेष नजर रखने और बच्चों के अभिभावकों को समझा बुझाकर टीकाकरण का कार्य शत प्रतिशत किया जाए। कलेक्टर द्वारा आधार पंजीयन की अद्यतन प्रगति का भी जायजा लिया गया। इस कार्य में जिन आंगनबाडी के अमले द्वारा आधार कार्ड बनाने में रूचि नही ली जा रही है उन सबके खिलाफ कार्यवाही करने के निर्देश उनके द्वारा दिए गए है। इससे पहले उन्होंने ग्रामोदय से भारत उदय अभियान के तहत प्राप्त आवेदनों पर हुई कार्यवाही की समीक्षा की। उन्होंने कहा कि प्रत्येक तहसीलदार को पर्याप्त संख्या में बीपीएल सूची में नाम जोड़ने के आवेदन पत्र उपलब्ध कराए जाएं। इसी प्रकार प्रधानमंत्री आवास योजना, प्रधानमंत्री उज्जवला योजना और शौचालय निर्माण के लिए वर्ष 2011 की सामाजिक आर्थिक जनगणना के आधार पर पात्र छूटे ना का विशेष ध्यान रखा जाए। वही पूर्व उल्लेखित योजनाओ के लाभ हेतु प्राप्त आवेदनों का परीक्षण कर पूरक सूची में नाम जोड़ने की कार्यवाही समय सीमा में की जाए। कलेक्टर श्री सुचारी के द्वारा नामांतरण, बंटवारा, राजस्व वसूली, अतिक्रमण हटाने, जाति प्रमाण पत्र जारी करने के अलावा न्यायालयीन प्रकरण, मुख्यमंत्री हेल्पलाइन के अलावा अन्य कार्यालयों से प्राप्त होेने वाले आवेदनों पर संबंधित अनुविभागीय अधिकारी द्वारा क्या कार्यवाही की गई है कि बिन्दुवार जानकारी प्राप्त की गई। 


पुरस्कृत
कलेक्टर श्री सुचारी ने बैंको की आरआरसी और अन्य राजस्व वसूली के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने पर विदिशा तहसीलदार श्री संतोष बिटौलिया, गुलाबगंज तहसीलदार श्रीमती सरोज अग्निवंशी और विदिशा के नायब तहसीलदार श्री बीएल पुरविया को राशि के चेक प्रदाय कर सम्मानित किया। कलेक्टेªट के सभाकक्ष में हुई इस बैठक में अपर कलेक्टर श्री एचपी वर्मा समेत समस्त एसडीएम, तहसीलदार, नायब तहसीलदार, जनपदों के सीईओ के अलावा विभिन्न विभागों के अधिकारीगण मौजूद थे। 

टास्क फोर्स समिति की बैठक आज

कलेक्टर श्री अनिल सुचारी की अध्यक्षता में स्वास्थ्य विभाग की गठित टाॅस्क फोर्स समिति की बैठक सोमवार 22 मई को कलेक्टेªट सभाकक्ष में टीएल बैठक के उपरांत आयोजित की गई है।  जिला मलेरिया अधिकारी ने बताया कि आगामी जून माह को मच्छरजनित रोग नियंत्रण बीमारी की रोकथाम के रूप में मनाया जाता है मासांत तक चलने वाले कार्यक्रमों को उक्त बैठक में अंतिम रूप दिया जाएगा।

बिहार : कामरेड बद्री नारायण लाल नहीं रहे।

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पटना, 21 मई। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की बिहार राज्य परिषद के पूर्व सचिव कामरेड बद्री नारायण लाल का आज 3 बजे अपराह्न वेल्लोर अस्पताल में निधन हो गया। वे काफी दिनों से गंभीर रूप से बीमार चल रहे थे, पहले उन्हें पेसमेकर लगाया गया था जिसके बाद वह प्रायः सामान्य जीवन जी रहे थे, परंतु पिछले महीने लगातार बुखार रहने और अनेक प्रकार की व्याधियों से ग्रसित होने के उपरांत उन्हें पुनः वेल्लोर अस्पताल में भत्र्ती कराया गया जहाँ मर्ज ने अंततः उनके प्राण ले लिए । कामरेड बद्री नारायण लाल ने अपना राजनीतिक जीवन युवावस्था में ही हाई स्कूल षिक्षक की नौकरी छोड़कर शुरू किया और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के पूरावक्ती कार्यकत्र्ता के रूप में बिहार के हजारीबाग जिले में ट्रेड यूनियन का दायित्व संभाला और पार्टी के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई तथा वर्षों तक भाकपा के जिला मंत्री का कार्यभार भी संभाला। वह पार्टी की अविभाजित बिहार राज्य परिषद, राज्य कार्यकारिणी, राज्य सचिवमंडल, राष्ट्रीय परिषद और राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य के रूप में उल्लेखनीय भूमिका अनवरत निभाते रहे और बिहार विधान परिषद में दो टर्म तक भाकपा का प्रतिनिधित्व किया। फिर वह 18 सितम्बर, 2004 में पार्टी की बिहार राज्य परिषद के सचिव निर्वाचित हुए और 7 जून, 2012 तक इस हैसियत से पार्टी का नेतृत्व किया। उन्हीं के कार्यकाल में भाकपा का 21 वाँ राष्ट्रीय महाधिवेषन, 2012 मार्च में पटना में संपन्न हुआ जिसमें पार्टी के नये कार्यक्रम का मसविदा पेष हुआ जो 2015 के पुडुचेरी महाधिवेषन में स्वीकृत हुआ और आज पार्टी के क्रियाकलापों व नीतियों की मार्गदर्षिका है। संप्रति वह पार्टी की राज्य कार्यकारिणी के सदस्य थे। 

अविभाजित बिहार के शेखपुरा जिले के एक प्रतिष्ठित वैष्य परिवार में जन्मे कामरेड बद्री नारायण लाल ने बिहार के विभाजन के उपरांत बिहार को ही अपना कार्यक्षेत्र बनाया जबकि उनका परिवार झारंखड के रामगढ़ में, जहां उनके प्रारंभिक राजनीतिक जीवन ने आकार ग्रहण किया, ही बस गया। 79 वर्ष की आयु में दिवंगत हुए कामरेड लाल अपने पीछे अपनी पत्नी, दो पुत्र और दो पुत्री छोड़ गये है। उनके असामायिक निधन पर भाकपा की बिहार राज्य परिषद के सचिवमंडल ने भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उनके परिजनों के साथ-साथ बिहार-झारखंड के मर्माहत पार्टी सदस्यों को गहरी संवेदना प्रेषित की है और उनके निधन को पार्टी, मजदूर वर्ग, मेहनकष अवाम और समस्त दमित, उत्पीड़ित मानवता के लिए अपूरणीय क्षति बताया है।    

भाकपा के पूर्व राज्य सचिव और वरिष्ठ कम्युनष्टि नेता बद्री नारायण लाल के निधन पर भाकपा-माले ने जताया शोक.

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पटना 21 मई, भाकपा-माले के राज्य सचिव कुणाल ने भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के पूर्व राज्य सचिव व वरिष्ठ कम्युनिस्ट नेता बद्री नारायण लाल के निधन पर पार्टी परिवार की ओर से गहरा शोक व्यक्त किया है. उन्होंने भाकपा नेता के परिजनों के प्रति भी शोक व्यक्त करते हुए कहा है कि दुख की घड़ी में हम सब साथ हैं. माले राज्य सचिव ने कहा कि काॅ. बद्री बाबू बिहार के वरिष्ठतम कम्युनिस्ट नेताओं में थे और काफी अनुभवसंपन्न थे. वे ऐसे मौके पर हमसे बिछड़ गये, जब देश में फासीवाद की ताकतें लगातार अपना सर उठा रही हैं और देश में लोकतंत्र व गंगा-जमुनी तहजीब को खत्म कर फासीवादी थोपने का प्रयास कर रही है. भाजपा के सांप्रदायिक उन्माद के उभार के इस दौर में हमें बद्री बाबू जैसे तपे-तपाये और जनता के आंदोलनों से निकले नेता की बेहत जरूरत थी. उनकी मृत्यु से वामपंथी आंदोलन को गहरा नुकसान हुआ है. उन्होंने कहा कि भाजपा के सांप्रदायिक उन्माद को वामपंथी ताकतों की एकजुटता ही मुकम्मल जबाव दे सकती है. यही बद्री बाबू को सच्ची श्रद्धांजलि होगी.

बिहार : पटना विश्वविद्यालय में प्रदर्शन की चेतावनी।

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  • पटना विश्वविद्यालय में स्नातक एवं स्नातकोत्तर फार्म भरने में हुई शुल्क वृद्धि वापस ले, 23 मई को प्रदर्शन की चेतावनी। 

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पटना वि॰वि॰ः-पटना विश्वविद्यालय मंे स्नातक एवं स्नातकोत्तर फार्म भरने में हुई शुल्क वृद्धि पर आॅल इण्डिया स्टूडेन्ट्स फेडरेशन   ने रोष जताया है तथा शुल्क वृद्धि वापस लेने की मांग की है। गौरतलब है कि पहले स्नातक में 150/- एवं स्नातकोत्तर में 200/- था, जिसे आॅनलाइन के नाम पर अभी स्नातक में 950/- एवं 1280/- लिया जा रहा है। ए॰आई॰एस॰एफ॰ ने आॅनलाइन के नाम पर छात्रों के होने वाली परेशानियों को दूर करने की मांग की है। वहीं पटना विश्वविद्यालय केन्द्रीय पुस्तकालय यथाशीघ्र खोलने एवं 24 घंटे खोले जाने की मांग की है। ए॰आई॰एस॰एफ॰ के पटना विश्वविद्यालय अध्यक्ष राकेश प्रसाद एवं पटना विश्वविद्यालय सचिव संदीप कुमार ने संयुक्त तौर पर बयान जारी कर कहा है कि कुलपति ठोस कार्रवाई करे अन्यथा संगठन चरणबद्ध आंदोलन करेगा। ए॰आई॰एस॰एफ॰ 23 मई को पटना विश्वविद्यालय पर शुल्क वृद्धि एवं केन्द्रीय पुस्तकालय को लेकर प्रदर्शन करेगा।

मधुबनी : विधान पार्षद ने की पंचायत प्रतिनिधियों के साथ बैठक

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मधुबनी/अंधराठाढी ( मोo आलम अंसारी ), स्थानीय कोशी निरिक्षण भवन परिसर में शनिवार को पंचयात प्रतिनिधियों की एक बैठक हुई। विधान पार्षद सह पूर्व मंत्री रामलखन राम रमन के निर्देश पर इस बैठक का आयोजन किया गया था। सरकारी चापाकलों का स्थलीय सत्यापन इस बैठक का मुख्य मुद्दा था। श्री रमन ने बताया कि पंचायत प्रतिनिधियों को स्थल चयन के लिए कहा गया था। सरकारी निर्देश के मुताविक सरकारी जमीन पर ही इन चापाकलों को गाड़ना है। कुछ प्रतिनिधियों ने जो सूचि भेजी थी उनमें त्रुटियां है। सूचि को आज की बैठक में सुधारी गयी है। बैठक में चल रही सरकारी योजनाओं की भी समीक्षा की गयी और उनके कार्यान्वयन में भरपूर सहयोग करने के लिए पंचायत प्रतिनिधियों से आग्रह किया गया। बैठक में बिहार सरकार की उपलब्धियों को आम जनता तक पहुंचाने के संबंध में भी विचार विमर्श हुआ। बैठक में विधान पार्षद श्री रमन ने पंचायत प्रतिनिधियों से उनकी समस्याओं की भी जानकारी ली। पंचायत प्रतिनिधियों ने जनकल्याणकारी योजनाओं के कार्यान्वयन में हो रही दिक्कतों से उन्हें अबगत कराया। उन्होंने पंचायत प्रतिनिधियों को आश्वस्त किया कि सरकार पंचायती प्रतिनिधियों की मुश्किलों और दिक्कतों के प्रति गंभीर है। बैठक में जिप सदस्य शुभंकर झा, प्रमुख शुभेश्वर यादव, उपप्रमुख मोतिउर्रह्मान, शंकर यादव, तिलेश्वर यादव, सज्जन ठाकुर, मुजीब अंसारी, साबिर राइन, अजमेरी खातून सहित दर्जनों पंचायत प्रतिनिधि मौजूद थे।

गदर का जीते अब जीनियस : अनिल शर्मा

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अनिल शर्मा  ने यूं तो सफल निर्देशक के रूप में मात्र 21 साल की उम्र  में अपनी पहली फ़िल्म "श्रद्धांजलि"से भारतीय सिनेमा में  अपनी सफलता का  बिगुल बजा दिया था ।उसके बाद वीडियो तकनीक के चलन में भी "हुकूमत'बना कर दर्शक दीर्घा  में बिग सिनेमा का बिग फिल्मकार का जो तमगा हांसिल  किया, उसकी चमक और  अपनी इमेज को बदस्तूर  बनाये रखा....गदर एक प्रेम कथा  ने तो वर्ल्ड  सिनेमा में  उनका कद इतना ऊंचा कर दिया कि हर कोई उनसे बड़ी उम्मीद और बेहतर सिनेमा की  अपेक्षा करने लगा। अनिल शर्मा ने दर्शकों से सीधा जोड़ने वाली और असाधारण संवेदनशील फ़िल्म 'अपने 'बनाई।धर्मेंद्र, सनी देओल और बॉबी अभिनीत 'अपने'के बाद  वह सिनेमाई जगत  का सफल मुहावरा बन गए । उनकी यह फ़िल्म आज भी प्रेक्षकों  का अपना  अहम हिस्सा  बनी हुई है। गदर जैसे तेवर के साथ अनिल शर्मा  एक विराम के बाद अपने होनहार पुत्र और गदर के जीते बनाम उत्कर्ष शर्मा  को मुख्य भूमिका(नायक)में लेकर एक्शन रोमांटिक लव स्टोरी बेस्ड हाईटेक फ़िल्म "जीनियस"बना रहे हैं ।22मई को 2017 में होटल होराइजन के फोर्थ फ्लोर पर  लगे भव्य सेट्स पर भव्य मुहूर्त के साथ  वह "जीनियस"की  शानदार शुरुआत कर रहे है।"जीनियस'उनके कैरियर का बहुत महत्वपूर्ण पड़ाव है,एक बार फिर उनके  निर्देशन शिल्प की परीक्षा है और उनके एक्टर पुत्र उत्कर्ष का बतौर हीरो पहला कदम... अनिल शर्मा की इस  फ़िल्म की क्या क्या विशेषताएं होंगी,कलेवर क्या होगा नायक के रूप में  उत्कर्ष का   मैनरिज्म कैसा होगा ,इस फ़िल्म  को लेकर  बतौर निर्दशक उनकी सिनेमेटिक एप्रोच क्या होगी ।आज के आधुनिक सिनेमा से इसका कितना इन्वोल्वमेन्ट होगा  इन्ही सवालों को लेकर  अनिल शर्मा से  औपचारिक  बातचीत हुई।


*सुना है कि आपका भी ड्रीम एक एक्टर बनने का रहा है और अब आपका बेटा हीरो के तौर पर स्क्रीन पर आ रहा है ।क्या उसके शख्शियत में आप अपने आपको देखते हैं?
-"हां यह सच है कि जब मैंने अपने कैरियर की  शुरुआत की तो उस वक़्त मैं एक्टर बनने की सोचा करता था,सूरत शक्ल भी सही थी,मग़र बहुत जल्दी एहसास हो गया कि होरो के रूप की जगह मेरी आइडेंटी निर्देशक तौर पर थोड़ी बहुत बन पाएगी।बस एक्टर बनने का रुझान रचनात्मकता की और मोड़ दिया।हां यह ज़रूर है कि उत्कर्ष मेंअपने अंतर्मन में अपने एक्टर को देखता हूँ और उसे अपने टिप्स भी देता हूँ ।"

*गदर आपकी ज़िन्दगी का टर्निग पॉइंट रहा ।इस फ़िल्म को वर्ल्ड सिनेमा की कैटेगरी की 10 फिल्मों में आकलन किया जाता है।अब आपने उसी तेवर और जोशो खरोश के साथ "जीनियस "बनाने का बीड़ा उठा लिया है ।इस बारे में आप क्या कहना चाहेंगे?
-"वाकई गदर एक प्रेमकथा मेरी लाइफ और कैरियर का टर्निंग पॉइंट रहा है।आज भी लोग इसे याद करते हैऔर मुझसे यह उम्मीद करते हैं कि मैं उनके लिए वैसी फ़िल्म बनाऊं।गदर जैसी फ़िल्म बनाना एक इतिहास को रचना जैसा है। फिर भी मैं बड़ी शिद्दत और भरपूर हौंसले के साथ"जीनियस"बना रहा हूँ । यह फ़िल्म किस सौपान पर जाएगी अभी यह कहना मुश्किल है...मगर जिन मौक़ादस्तूर में इसकी शुरुआत हो रही है और जो तत्व इसके साथ जुड़ रहे  हैं उनसे एक अच्छी उम्मीद तो बंधती है।'

*सनी और आप में एक गज़ब की कैमिस्ट्री रही है,आप दोनों ने बीसियों बार एक दूसरे का पर्याय सिद्घ भी किया है।गदर, हीरो,अपने इसका उदाहरण है। क्या वैसी ही कैमिस्ट्री आपके पुत्र उत्कर्ष के बीच है क्योंकि बिना ट्यूनिंग के बिना उम्दा प्रोडक्ट नहीं बन पाते हैं?
-"मैंने उत्कर्ष को ग्रो होते हुए देखा है।जब मैंने पहली बार गदर में स्क्रीन टेस्ट लिया था उस समय ही उसमें एक्टिंग पुटेंशल देख लिया था ।उसके बाद जब उसने अमिताभ बच्चन सरीखे कलाकार के साथ जिस आत्म विश्वास के साथ काम किया उसने उसके प्रति उसके बढ़िया एक्टर होने की संभावनाओं को और पुख्ता किया ।हम पिता-पुत्र होने के साथ अच्छे फ्रेंड्स हैं उसके प्रति मैं बहुत कॉन्फिडेंट हूं ।हममें कितनी कैमिस्ट्री यह आप सबको बहुत जल्दी नज़र आ जायेगी।"

* "जीनियस "में आपने एक अर्से के बाद लेखन किया है इसकी कोई खास वजह?
- "मैं तो बुनियादी तौर पर लेखक हूं।14 साल की उम्र में कई कहानियां लिख ली थी,भागवत से जुड़े कई प्रसंग तो मुझे कंठस्थ याद हो गए थे।अपनी पहली फ़िल्म"श्रद्धांजलि"से लेकर "हुकूमत"तक मैं लेखक  रहा हूँ बाद की फिल्मों में व्यस्तता के कारण फुल टाइम राइटिंग को नहीं दे पाया।हां हर फिल्मकी कहानी में इन्वोल्वमेंट अवश्य बना रहा। जहां तक 'जीनियस"की बात है,यह बहुत मॉर्डन हाईटेक रिसर्च वाला सब्जेक्ट वाली फिल्म है इस में हमने पूरे तीन साल का वक़्त दिया छोटी से छोटी कहानी से सम्बद्ध तथ्यों की बड़ी बारीकी से स्टडी की।पिछले 19महीनों में कंप्टलीट स्क्रिप्ट तैयार हो पाई हैं।मेरे साथ सुनील सिरवैया और अमजद अली जैसे होनहार लेखक जुड़े हैं उनका बहुत कंट्रीब्यूशन है। यह राइटिंग के लिहाज से हम सबके लिए चुनौती है।"


*आपके खाते में हुकूमत,एलाने जंग,मां, फरिश्ते,हीरो,अपने और गदर जैसी भव्य फिल्में दर्ज हैं।क्या जीनियस भी लेविस फ़िल्महै?
-सब्जेक्ट और ट्रीटमेंट  की दृष्टि से जीनियस हाईटेक फ़िल्महै, तो भव्यता तो होगी।इस फ़िल्म के पहले शूटिंग स्पेल में ही बहुत बड़ी लागत से  तीन बड़े सेट्स लगाए हैं।सेट्स का अंदाज़ा आपको इस बात से ही हो जाएगा।मेरे सेट्स के प्रोडक्शन डिज़ाइनर हैं बिजोनदास गुप्ता हैं,जिन्होंने कई बड़ी फिल्मों कै सेट्स लगाए हैं।'

*जीनियस की कहानी क्या है  उसे किस जॉनर की फ़िल्म कहा जा सकता है?
-जीनियस की कहानी के बारे में बात करने का यह सही वक्त नहीं है। हां इतना कह पाऊंगा कि जीनियस का सार है दिल की लड़ाई दिमाग से ...कई जीवन के मरहलों से गुज़ती हुई यह एक्शन लव स्टोरी जॉनर की फ़िल्म है ।"

*उत्कर्ष अब गदर के जीते से जीनियस बनने जा रहे हैं उनके रोलमॉडल और विशेषताओं के बारे में बताइये?
-उत्कर्ष ने यूएस में एक्टिंग,डायरेक्शन,प्रोडक्शन में 4साल की ट्रेनिंग ली ।कुछेक शार्ट फिल्में भी ट्रेनिंग के दौरान बनाई।उसे मेकर के रूप में सराहना भी मिली। यूं तो उत्कर्ष ने सनी देओल,अमिताभ सहित कई कलाकारों के साथ काम किया है।मगर वह अपना रोल मॉडल एक्टिंग एम्पायर दिलीपकुमार साहब को मानते  हैं ।"

* गदर का गीत-संगीत उसकी सफलता का परचम बना। जीनियस के म्यूजिक को लेकर आपकी क्या तैयारी है?
-,मैं आपको विश्वास दिलाता हूं कि जीनियस का म्युजिक मीठा और जुबाँ पे चढ़ने वाला होगा।अभी तो  मैं गदर के जीते को जीनियस बनाने में लगा हूँ ।

​बालीवुड में धूम मचाने राखी अरोडा

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rakhi-aroraअभिनेत्री राखी अरोड़ा मानती है कि ‘बालीवुड में काम पाना एक चुनौती है,लेकिन आप में टैलेंट है,तो अपनी किस्मत खुद ही बदल सकते है’ यह बात उन्होंने निर्माता प्रेम प्रकाश गौरव व निर्देशक इन्द्र कुमार शार्ट फिल्म ‘बेवसी’ के दौरान हुई मुलाकात में कहीं। राखी ने बताया कि ‘यह एक लव स्टोरी बेसड फिल्म है। इसके अलावा निर्माता निर्देशक जाकिर सिसोदिया व सहनिर्माता मिर्जा असलम की फिल्म‘सिटी जाॅब’ में भी लीड रोल में नजर आऐगी। उनकी पहली फिल्म ‘फीमेल एक्सप्रेस’ यूपी में रीलिज हुई। फिल्म को अच्छा रिस्पांस भी मिला और अब मुमंई और दिल्ली में रीलिज की तैयारी में है। राखी अरोडा ‘फीमेल एक्सप्रेस’ के अलावा फिल्म-’लव लव प्यार’ और विमल जी भी एक फिल्म में लीड रोल कर रही हैं। राखी कहती है कि ‘ विमल जी फिल्म में मेरा एक अलग तरह का ट्रिपल किरदार हैं। फिल्म की कास्ंिटग जारी हैं। फिल्म ‘फीमेल एक्सप्रेस’में अपनी बेहतरीन ऑन-स्क्रीन केमिस्ट्री से सबको अपना फैन बनाने वाली अभिनेत्री राखी अरोड़ा निर्देशक रामगोपाल कि फिल्म ‘लवली गर्ल’ के अलावा राखी, शिव शक्ति प्रोडेक्शन की एक पंजाबी म्युजिकल अलबम में भी व्यस्त है। जिसके निर्माता रविन्द्र सिंह है व आर्य म्युजिक कंपनी की शार्ट फिल्म के अलावा निर्माता चंदू की फिल्म ‘लव लव प्यार प्यार’ कर रही है। फिल्म ‘लवली गर्ल’ में राखी का रोल एक घमंडी लडकी का है। वह कहती है, कि ‘फिल्म में मेरा किरदार लीक से हटकर एक ऐसी लडकी का है,जिसे लगता है,पैसे से सब कुछ खरीदा जा सकता है,लेकिन जल्द ही उसे अपनी गलती का अहसास हो जाता है।’ 


राखी कहती है कि‘ बालीवुड में लंबे सघर्षं के बाद ही उनको पहचान मिली है। फिल्म-’लव लव प्यार प्यार’ भी कर रही हैं। इसकी शूंिटंग जल्द ही में शुरू हाने वाली हैं। इस मुकाम तक पहंुचने के लिए राखी को लंबा सफर करना पडा। उन्होंने करियर की शुरूआत रंगमंच से की। कुछ विज्ञापनों में माॅडलिंग भी की। बालविवाह पर निर्मित एक  फिल्म मैं उनके काम की सराहना भी हुई,लेकिन एक अलग पहचान मिली वीनस म्युजिक के अलबम विडियों ‘जवानी मेरी बिजली’ और ‘लहरियां’ से । इसके बाद में बालीवुड में दस्तक दी। अभिनेता शाहरूख के साथ अभिनय करने की काम चाह रखने वाली राखी अरोड़ा कहती है कि‘शाहरूख सदाबहार स्टार अभिनेता हैं और रहेगें,मेरी दिली इच्छा है उनके साथ काम करने की। इसके साथ ही बालकार कार्तिकेय(कर्म फलदाता शनि फेम ) के अभिनय से भी राखी प्रभावित रही है। 

प्रणब, अंसारी, साेनिया ने दी राजीव को श्रद्धांजलि

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नयी दिल्ली 21 मई, राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी, उप राष्ट्रपति हामिद अंसारी तथा कांग्रेस अध्यक्ष साेनिया गांधी ने आज यहां पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की समाधि वीर भूमि जाकर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। श्री मुखर्जी, श्री अंसारी और श्रीमती गांधी के अलावा पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह तथा कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी सहित कई अन्य प्रमुख लोगों ने पूर्व प्रधानमंत्री की 26वीं पुण्य तिथि पर उनकी समाधि पर पुष्प अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि दी। इस दौरान श्रीमति गांधी ने संसद तथा विधानसभाओं में महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण देने की महिला कांग्रेस के हस्ताक्षार अभियान को समर्थन देते हुये उस पर हस्ताक्षर कर इसकी शुरुआत की। महिला कांग्रेस ने महिलाओं को आरक्षण देने के लिये आज वीर भूमि से राष्ट्रीय अभियान की शुरुआत की।

माउंट एवरेस्ट पर चढ़ाई के दौरान अमेरिकी नागरिक की मौत, भारतीय लापता

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काठमांडू, 21 मई, विश्व की सबसे ऊंची चोटी मांउट एवरेस्ट पर चढ़ाई के दौरान आज एक अमेरिकी नागरिक की मौत हो गयी और एक भारतीय नागरिक लापता है। इस चोटी पर फतह की कोशिश में हाल की यह तीसरी मौत है जिससे पर्वतरोहियों की सुरक्षा को लेकर चिंता बढ़ गयी है। कल लापता हुए भारतीय नागरिक रवि कुमार (26)की तलाश की जा रही है। एवरेस्ट परिवास ट्रेकिंग कंपनी के मुरारी शर्मा ने कहा कि अमेरिकी नागरिक रोनाल्ड इयरवूड की एवरेस्ट पर चढ़ाई के दौरान 27 हजार पांच सौ फुट की ऊंचाई पर हुयी। इस क्षेत्र में ऑक्सीजन बहुत होती है और इस क्षेत्र को “डेथ जोन” एरिया के नाम जाना जाता है। श्री शर्मा ने कहा, “अमेरिकी नागरिक की मौत की खबर की पुष्टि हो चुकी है लेकिन यह पता नहीं चल पाया है कि वह चोटी से उतर रहा था अथवा चढ़ रहा था।” उन्होंने कहा कि रवि भी कल डेथ जोन से लापता हो गया। वह एवरेस्ट की चढ़ाई के बाद लौट रहा था। रवि की तलाश में तीन शेरपाओं की एक टीम को भेजा गया है। श्री शर्मा ने कहा कि रोनाल्ड अमेरिकी पर्वतरोही डैन मजुर की 16 सदस्यी टीम का सदस्य था।

कपिल ने योगेंद्र-प्रशांत से मांगी माफी, कहा सुननी चाहिए थी आपकी बात

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नयी दिल्ली, 21 मई, दिल्ली सरकार से बर्खास्त मंत्री कपिल मिश्रा ने काफी पहले पार्टी से निकाल दिए गए दो बड़े नेताओं प्रशांत भूषण और योगेन्द्र यादव से आज सार्वजनिक रूप से माफी मांगते हुए कहा कि इन लोगों ने पार्टी में पनप रही तानाशाही के खिलाफ जो आवाज उठाई थी, उस पर गौर नहीं करके उन्होंने बहुत बड़ी गलती की। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उनके चार-पांच खास करीबी नेताओं पर आज फिर तीखा हमला करते हुए कपिल मिश्रा ने यहां संवाददाताओं से कहा कि पार्टी को इन लोगों ने हाईजैक कर रखा है। उन्हाेंने इस मौके पर प्रशांत भूषण और योगेन्द्र यादव से माफी मांगते हुए कहा “मैं शर्मिंदा हूूं ,आपलोगों की बात पर समय रहते ध्यान नहीं दिया ,यह बड़ी गलती हो गई। केजरीवाल जी के इशारे पर मैंने आप लोगों के खिलाफ अमर्यादित भाषा का इस्तेमाल किया था।” उन्होंने इसके साथ ही पार्टी के दो नेता संजय सिंह और आशुतोष के रूस दौरे का खुलासा किया और पार्टी में पनप रहे भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्यकर्ताओं से आवाज उठाने का अाह्वान किया। कपिल मिश्रा ने आरोप लगाया कि आशुतोष और संजय सिंह के रूस दौरे को शीतल सिंह नामक एक व्यक्ति द्वारा प्रायोजित किया गया था। उन्होंने इस शख्स को श्री केजरीवाल द्वारा संरक्षण दिए जाने की बात की और कहा कि श्री केजरीवाल को यह बताना चाहिए कि वह इस व्यक्ति काे जानते है या नहीं। उन्हें यह मालूम है कि नहीं कि यह व्यक्ति हाई सिक्योरिटी रजिस्ट्रेशन प्लेट का कारोबार करता है। कपिल मिश्रा ने कहा कि दिल्ली में हाई सिक्योरिटी रजिस्ट्रेशन प्लेट का करीब 400 करोड़ का घोटाला हुआ है। इस घोटाले में शामिल कंपनियों के शीतल से संबंध रहे हैं। आम आदमी पार्टी की दिल्ली में बनी पहली सरकार के शासनकाल में ही इस घोटाले का पर्दाफाश हुआ तो फिर क्या वजह रही कि दूसरी बार आप की सरकार बनने पर भी शीतल की कंपनी को दिए ठेके रद्द नहीं किए गये। यह शीतल ही है जो आप के नेताओं को विदेश की सैर करा रहा है। उन्होंने यह आरोप भी लगाया कि घोटाले में शामिल कंपनियों से जुड़े कई लोग हवाला कारोबार में भी संलिप्त हैं

बिहार : करेंसी संकट से एक बार फिर मचा हाहाकार

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मुंगेर/पटना 21 मई, नोटबंदी के बाद नकदी की कमी से त्राहिमाम की स्थिति झेल चुके लोगों में एक बार फिर करेंसी संकट होने से हाहाकार मच गया है। बिहार में मुंगेर, लखीसराय, शेखपुरा, गया, औरंगाबाद, सहरसा, दरभंगा, मधुबनी, सहरसा, सुपौल, पूर्णिया सहित लगभग सभी जिलों के मुख्यालय सहित ग्रामीण क्षेत्रों के राष्ट्रीयकृत बैंक, एटीएम और डाक घर रिजर्व बैंक की ओर से करेंसी की पर्याप्त आपूर्ति नहीं होने से इनदिनों गंभीर करेंसी संकट से जूझ रहे हैं। बैंक या एटीएम में करेंसी संकट के कारण जहां लोगों शादी-विवाह की तारीखें बदलने को मजबूर हैं वहीं सरकारी विकास योजनाओं के काम भी प्रभावित हो रहे हैं। सार्वजनिक क्षेत्र के इंडियन बैंक की वरिष्ठ प्रबंधक ने बताया कि राजधानी पटना में करेंसी की कमी तो नहीं है लेकिन अन्य जिलों के स्थित उनके बैंक की शाखाओं में करेंसी की पर्याप्त आपूर्ति नहीं हो पा रही है। अभी भी ग्राहकों को छोटे मूल्य जैसे 100, 50 और 10 रुपये के नोटों में भुगतान करना पड़ रहा है। उन्होंने बताया कि कभी-कभी तो स्थिति ऐसी हो जाती है कि उपभोक्ताओं को सिक्के भी देने पड़ते हैं। वहीं, एक सर्वेक्षण के अनुसार, मुंगेर जिले की 124 बैंक शाखाएं और 94 एटीएम गंभीर करेंसी संकट का सामना कर रहे है। न बैंकों में रूपये मिल रहें हैं और न ही एटीएम में। सार्वजनिक क्षेत्र के देश के सबसे बड़े बैंक स्टेट बैंक की मुंगेर स्थित प्रधान शाखा के मुख्य महाप्रबंधक बी. के. मिश्रा ने बताया, “रिजर्व बैंक की ओर से स्टेट बैंक के करेंसी चेस्ट को मांग के अनुरूप नोटों की आपूर्ति नहीं होने से करेंसी संकट कायम है। हम जिले के प्रधान डाकघर को भी मांग के अनुरूप करेंसी की आपूर्ति नहीं कर पा रहे हैं।

तीन तलाक पर कानून बनायेगी केंद्र सरकार : नायडू

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बेंगलुरू, 21 मई, केंद्रीय शहरी विकास मंत्री वेंकैया नायडू ने आज कहा कि तीन तलाक पर केंद्र सरकार मुस्लिम समुदाय को विश्वास में लेकर कानून बनायेगी। श्री नायडू ने तीन तलाक पर जारी बहस तथा अदालती सुनवाई पर कहा कि सरकार स्पष्ट कर चुकी है कि इस प्रथा का अंत होना चाहिये। उन्होंने कहा“ इस मुद्दे पर केंद्र सरकार संबंधित समुदाय की सकारात्मक राय तथा आपसी विचार-विमर्श के बाद कानून लायेगी।” श्री नायडू ने मशहूर उद्योगपति एवं समाज सेवी एम एस रमैया की प्रतिमा का लोकार्पण करते हुये कहा कि जिस तरह से हिंदुओं ने अपनी सामाजिक बुराइयों का अंत किया था, उसी तरह से मुस्लिम समाज महिलाओं के हित में तीन तलाक का अंत कर सकता है। उन्होंने कहा, “हमने दहेज प्रथा, सती प्रथा, बाल विवाह को समाप्त किया है।उसी तरह से महिलाओं के खिलाफ बनाये गये तीन तलाक की प्रथा का भी अंत होना चाहिये।” उन्होंने कहा कि मुस्लिम महिलायें अदालत में गयी हैं और उच्चतम न्यायालय में इस पर सुनवाई हो रही है। उन्होंने कहा, “यह धर्म से नहीं, बल्कि लिंग आधारित भेदभाव और न्याय से जुड़ा मुद्दा है, इसलिए मुस्लिम समाज को इस पर प्रतिक्रिया देनी चाहिये।”

सहारनपुर हिंसा के विरोध में जंतर मंतर पर दलितों का विरोध प्रदर्शन

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नयी दिल्ली,21 मई, सहारनपुर की हिंसा में दलितों को निशाना बनाए जाने के विरोध में आज यहा जंतर मंतर पर दलित संगठन भीम सेना के हजारों कार्यकर्ताओं ने विरोध प्रदर्शन किया और इन्साफ की मांग करते हुए उत्तर प्रदेश की योगी सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। इस प्रदर्शन में दलित समुदाय के देशभर से आए पांच हजार से ज्यादा लोग शामिल हुए। कई अन्य संगठन भी भीम सेना के समर्थन में प्रदर्शन में शामिल हुए। सुबह से ही हजारों की तादात में देशभर से लोग जंतर मंतर पर जुटने लगे थे। सहारनपुर हिंसा के बाद भीम आर्मी के अध्यक्ष चंद्रशेखर आजाद पर पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर दिया था। प्रदर्शनकारियों ने आजाद पर से मुकदमा हटाने और दलितों को न्याय दिलाने की मांग करते हुए जमकर नारेबाजी की। चंद्रशेखर आजाद ने इस अवसर पर मीडियाकर्मियों से बातचीत में कहा कि सहारनपुर में दलितों पर अत्याचार किया गया उनके घर जलाए गए। लूटपाट की गई लेकिन पुलिस मूक दर्शक बन कर देखती रही। उन्होंने आरोप लगाया कि पुलिस और प्रशासन दोनों मिले हुए हैं। यह पूछे जाने पर कि सहारनपुर हिंसा के मामले में भीम सेना के कार्यकर्ताओं और खुद उनके खिलाफ मामला दर्ज किया गया है तो चंद्रशेखर ने कहा कि सारा मामला झूठा है। समुदाय विशेष के लोगों को बचाने के लिए यह सब किया गया है। उन्होंने कहा कि यदि भीम सेना दोषी है तो उसके खिलाफ पुलिस सबूत लाकर दिखाए। भीम सेना के एक कार्यकर्ता ने कहा ‘योगी और मोदी सरकार दोंनों में से किसी को भी दलितों की सुध नहीं है। ऐसे ये लोग दलितों के उत्थान पर भाषण देते घूमते हैं लेंकिन इनका असली चेहरा अब सामने आ रहा है। लेकिन हम लोग भी चुप बैठने वाले नहीं है। अपने हक की लड़ाई पूरी ताकत से लड़ेंगे।’ भीम आर्मी ने जंतर-मंतर पर प्रदर्शन में शामिल होने का आह्वान सोशल मीडिया के जरिए किया था। प्रदर्शन स्थल तक कैसे पहुंचना है इसकी जानकारी तक सोशल मीडिया पर उपलब्ध कराई गई थी। इसके साथ ही चंद्रशेखर ने एक विडियो मैसेज जारी कर सभी वकीलों और बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर की विचारधारा में विश्वास रखने वालों को इस रैली में शामिल होने का न्योता दिया था। प्रदर्शनकारियों की बड़ी सख्या को देखते हुए जंतर मंतर और आसपास के इलाकों में सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किए गए थे।

एनआईए ने की नईम और फारूक से पूछताछ

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श्रीनगर, 21 मई, राष्ट्रीय जांच एंजेसी (एनआईए) ने कश्मीर घाटी में विध्वंसक गतिविधियों को अंजाम देने के लिए पाकिस्तान से अलगाववादियों को कथित रूप से धनराशि मिलने के मामले के मामले में नेशनल फ्रंट के प्रमुख नईम अहमद खान और अन्य अलगाववादी नेता फारूक अहमद डार से पूछताछ की है। एनआईए ने हालांकि हुर्रियत कांफ्रेंस के कट्टरपंथी धड़े के अध्यक्ष सैयद अली शाह गिलानी और अन्य नेता गाजी जावेद बाबा को अभी तक न तो कोई नोटिस जारी किया आैर न ही तलब किया है। नईम ने यूनीवार्ता को बताया कि उन्हें शुक्रवार को समन जारी करके एनआईए के समक्ष पेश होेने को कहा गया था लेकिन वह वहां नहीं गये। इसके बाद एनआईए ने कल उन्हें फोन करके पेश होने को कहा लेकिन उन्होंने फिर से मना कर दिया जिसके बाद जांच एंजेसी के सदस्य उनके कार्यालय आकर उनसे पूछताछ पर सहमत हुए। उन्होंने कहा “ एनआई की चार सदस्यीय टीम ने मेरे जवाहर नगर स्थित कार्यालय में मुझसे पूछताछ की। एक टेलीविजन चैनल के स्टिंग ऑपरेशन में कथित तौर पर यह स्वीकार करने के बाद कि अलगाववादियों को पथराव करने तथा सुरक्षा बलों पर हमले एवं संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने के लिए पाकिस्तान से धनराशि प्राप्त हो रही है, नईम को हुर्रियत से निलंबित कर दिया गया है। नईम खान ने हालांकि एक संवाददाता सम्मेलन में इस स्टिंग ऑपरेशन को फर्जी और बनावटी करार दिया है।


त्रिपुरा को फंड उपलब्ध नहीं करा रहा केंद्र : साहा

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अगरतला, 21 मई, त्रिपुरा के वित्त मंत्री भानुलाल साहा ने केंद्र की भारतीय जनता पार्टी नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सरकार पर त्रिपुरा को फंड उपलब्ध नहीं कराने का आरोप लगाते हुए कहा है कि नरेंद्र मोदी सरकार राज्य की कई कल्याणकारी योजनाओं और विकास परियोजनाओं को नुकसान पहुंचाने की जिम्मेदार है और वह राज्य को राजस्व घाटे की ओर ले जा रही है। श्री साहा ने यूनीवार्ता के साथ साक्षात्कार में कहा “14वें वित्त आयोग की सिफारिशों की आड़ में केंद्र सरकार और नवगठित नीति आयोग ने पूर्वोत्तर के सभी राज्यों से विशेष राज्य का दर्जा छीन लिया है जिसके विरोध में इन राज्यों में व्यापक रोष है। केंद्र सरकार ने आश्वासन दिया था कि फंडिंग का 90:10 पैटर्न बहाल कर दिया जाएगा लेकिन कुछ नहीं हुआ।” उन्होंने कहा कि दूर दराज के एक सीमावर्ती राज्य की मदद करने की बजाय केंद्र सरकार और भाजपा नेतृत्व ने एक तरफ तो फंड का आवंटन कम कर दिया है और दूसरी तरफ भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने मई के पहले सप्ताह में त्रिपुरा आकर झूठे आरोप लगाये कि राज्य सरकार केंद्र द्वारा आवंटित राशि का उपयोग नहीं कर रही है। फंडिंग पैटर्न बदलने से त्रिपुरा को नुकसान होने का आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार के असहयोगात्मक रवैये के कारण राज्य में शासन चलाना मुश्किल हो गया है। उनका आरोप है कि केंद्र सरकार 14वें वित्त आयोग की रिपोर्ट का इस्तेमाल करके त्रिपुरा और पूर्वोत्तर के अन्य राज्यों के लिए अव्यावहारिक फंड आवंटन फार्मूला लायी है। श्री साहा ने कहा “14वें वित्त आयोग के आवंटन फार्मूले के तहत राज्य को केंद्र से 64215 करोड़ रुपये की जरूरत है लेकिन केंद्र सरकार के अव्यावहारिक फैसले के आधार पर केवल 31309 करोड़ रुपये का आवंटन करने का निर्णय लिया है। यह मांग का महज 58 फीसदी है। क्या यह उचित है?” वित्त मंत्री ने कहा कि मुख्यमंत्री माणिक सरकार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को निजी पत्र लिखकर आर्थिक संकट से उबारने में हस्तक्षेप करने की गुहार लगायी थी। उन्होंने कहा “हमने प्रधानमंत्री से 18000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त विशेष अनुदान मांगा था। हमें वेतन आयोग के द्वितीय एवं तृतीय श्रेणी वेतनमान वाले अधिकारियों के बकाये चुकाने तथा अन्य कल्याणकारी योजनाओं को पूरा करने के लिए इस रकम की जरूरत थी लेकिन केंद्र सरकार राज्य की मदद की इच्छुक नहीं है।” उल्लेखनीय है कि श्री साहा 19 मई को श्रीनगर में हुई जीएसटी परिषद की बैठक में भी शामिल नहीं हुए। केंद्र सरकार हालांकि अपना पक्ष रखते हुए कई बार कह चुकी है कि कार्य प्रणाली और सहायता के तरीकों में परिवर्तन के कारण पूर्वोत्तर के राज्यों के फंडिंग पैटर्न में बदलाव आया है। यहां तक कि वित्त मंत्री अरुण जेटली संसद में कह चुके हैं कि 14वें वित्त आयोग के तहत पर्वतीय राज्यों और पूर्वोत्तर के राज्यों को एक विशेष दर्जे के तहत रखा गया है जिनके साथ विशेष तौर का बर्ताव किया जाएगा। श्री जेटली ने यह दावा भी किया कि इन राज्यों को पहले के 32 प्रतिशत की तुलना में अधिक राशि आवंटित की गयी है हालांकि श्री साहा ने इस दलील को कोरी बयानबाजी करार दिया है।

जीएसटी मोदी सरकार के लिए सबसे बड़ी उपलब्धि: एसोचैम

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नयी दिल्ली 21 मई, मोदी सरकार का तीन वर्ष का कार्यकाल पूरा हो गया है और इस दौरान आर्थिक मोर्च में सरकार की सबसे बड़ी उपलब्धि वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) रही है क्याेंकि यह अब एक जुलाई से लागू होने की स्थिति में है। उद्योग संगठन एसोचैम ने कहा है कि जीएसटी के साथ ही वित्तीय समावेशन और रेलवे जैसे क्षेत्र में सरकारी निवेश , बिजली वितरण क्षेत्र में सुधार भी इस सरकार की उपलब्धियों में शामिल है। उसने कहा कि आर्थिक क्षेत्र में सुधार के लिए सरकार ने कई सकारात्मक कदम उठाये हैं। उसने कहा है कि खुदरा और थोक महंगाई भी नियंत्रण में होना सकारात्मक संकेत हैं। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कमोडिटी की कीमतों में तेज गिरावट और पिछले वर्ष मानसून के लगभग सामान्य रहने से भी महंगाई को नियंत्रित करने में मदद मिली है। संगठन ने कहा कि महंगाई रिजर्व बैंक के चार फीसदी के स्तर के आसपास बनी हुयी है। केन्द्रीय बैंक ब्याज दरों में भी कमी लाने में सक्षम क्योंकि निजी क्षेत्र द्वारा रिण उठाव अभी भी एक चुनौती है। उसने कहा कि दालें, प्याज और आवश्यक वस्तुओं की कीमतें बहुत बढ़ गयी थी लेकिन पिछले एक डेढ वर्ष में इनकी कीमतों में उल्लेखनीय कमी आयी है। एसोचैम ने कहा कि अगले कुछ सप्ताह में जीएसटी लागू होने की स्थिति में है और देश में सरल कारोबारी माहौल बनाने तथा कर सुधार की दिशा में यह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सबसे बड़ी उपलब्धि है। इसके साथ ही आधार से जुड़े बैंक खातोें में सरकारी लाभों के सीधे हस्तातंरण किये जाने से सब्सिडी रिसाव को रोकने में मदद मिली है और यह भी मोदी सरकार के लिए एक उपलब्धि है। कच्चे तेल की कीमतों में कमी आने के साथ ही पेट्रोल और डीजल की सब्सिडी को समाप्त किये जाने और रसोई गैस की कीमतों को बाजार आधारित बनाने से तेल विपणन कंपनियों के बैलेंस सीट में बहुत सुधार हुआ है।

कुपवाड़ा मुठभेड़: चार आतंकवादी ढेर, तीन जवान शहीद

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श्रीनगर, 21 मई, जम्मू-कश्मीर में सीमावर्ती कुपवाड़ा जिले के नौगाम सेक्टर में नियंत्रण रेखा के पास सुरक्षाबलों और आतंकवादियों के बीच मुठभेड़ में आज चार आतंकवादी मारे गए अौर सेना के तीन जवान शहीद हो गए। रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता कर्नल राजेश कालिया ने यहां यूनीवार्ता को बताया कि कल नौगाम सेक्टर में नियंत्रण रेखा के पास गश्त लगा रहे जवानों ने पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर से भारतीय सीमा में घुसपैठ करने का प्रयास कर रहे आतंकवादियों को देखकर उन्हें आत्मसमर्पण करने के लिए कहा। सुरक्षाबलों की चेतावनी को दरकिनार करते हुए आधुनिक हथियारों से लैस आतंकवादियों ने इन पर गोलीबारी शुरू कर दी। सुरक्षाबलों ने आतंकवादियों की गोलीबारी का माकूल जवाब दिया और इस दौरान बचे हुए दो आतंकवादियों को मार गिराया। इस मुठभेड़ में सेना का एक जवान भी शहीद हुआ है। सुरक्षाबलों और आतंकवादियों के बीच यह मुठभेड़ कल से जारी थी। कर्नल कालिया ने बताया कि सुरक्षाबलों ने घटनास्थल से हथियार और युद्ध जैसी सामग्री भी बरामद की है।

उर्जित पटेल 8 जून को स्थायी समिति के सक्षम उपस्थित होंगें

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नयी दिल्ली 21 मई, रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल नोटबंदी के बारे में जानकारी देने के लिए अब आठ जून को वित्त मामलों की संसद की स्थायी समिति के सक्षम हाजिर होंगें। श्री पटेल दूसरी बार इस समिति के समक्ष पेश होंगें। उन्हें पहले 25 मई को समिति के समक्ष उपस्थित होना था लेकिन छह और सात जून को मौद्रिक नीति समिति की होने वाली बैठक की तैयारियों में व्यस्त होने के कारण इसे बढ़ाकर आठ जून कर दिया गया है। समिति ने 500 और एक हजार रुपये के नोट बंद किये जाने के बारे में 18 जनवरी को श्री पटेल से जानकारी मांगी थी। श्री पटेल ने मौद्रिक नीति समीक्षा 6-7 जून को होने के कारण इस पेशी को टालने और तिथि बढ़ाने का आग्रह किया था जिसे समिति ने स्वीकार कर लिया है। ऐसा समक्षा जा रहा है कि श्री पटेल समिति को लेसकैश और डिजिटल अर्थव्यवस्था के बारे में जानकारी देने वाले हैं।

प्रियंका को अपनी रोलिंग स्टोन मानती है मधु चोपड़ा

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कांस, 21 मई, बॉलीवुड अभिनेत्री प्रियंका चोपड़ा की मां मधु चोपड़ा का कहना है कि उनकी बेटी उनकी ‘रोलिंग स्टोन’ है । प्रियंका और उनकी मां अपनी तीन भारतीय क्षेत्रीय फिल्म परियोजनाओं को लेकर अंतरराष्ट्रीय खरीदारों के साथ बातचीत के सिलसिले में 70वें कांस फिल्म समारोह में मौजूद हैं। मधु चोपड़ा ने कांस समारोह के मौके पर कहा , वह मेरी रोलिंग स्टोन है। उसने क्षेत्रीय सिनेमा के निर्माण और उन्हें प्रभावशाली ढंग से पेश करने को लेकर एक रणनीति तैयार की है। प्रियंका को भारत के क्षेत्रीय सिनेमा में उसकी गहरी रुचि है। मधु चोपड़ा ने कहा, उसकी भारत के क्षेत्रीय सिनेमा में गहरी रुचि है। गौरतलब है कि प्रियंका का प्रोडक्शन बैनर पर्पल पेबल पिक्सर्च कांस में तीन फिल्मों को प्रमोट कर रहा है। इनमें हिंदी-कोंकणी फिल्म ‘लिटल जो’, बंगाली, मराठी और अंग्रेजी भाषा में बनने वाली फिल्म ‘नलिनी’ और सिक्किम की फिल्म ‘लिटल विजिटर्स’ शामिल हैं।

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