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विशेष आलेख : शिक्षा से जुड़े सवालों का अनुत्तरित होना

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दुनिया के परिदृश्य में भारत में जिस रफ्तार से प्रगति हो रही है, चाहे वह आर्थिक हो, सांस्कृतिक हो, वैज्ञानिक हो, कृषि की हो, तकनीक की हो, उस अनुपात में देश में शिक्षा की अपेक्षित प्रगति आजादी के 70 वर्ष बाद भी हासिल न होना शोचनीय है। नरेंद्र मोदी भारत के प्रधानमंत्री बने तब से एक नये युग के आरंभ की बात कही जा रही है। न जाने कितनी आशाएं, उम्मीदें और विकास की कल्पनाएं संजोयी गयी हंै और उन पर न केवल देशवासियों की बल्कि समूचे विश्व की निगाहें टिकी हुई है। लेकिन शिक्षा की धीमी गति एवं शिक्षा के प्रति सरकार की ढुलमुल नीति विडम्बनापूर्ण स्थिति को दर्शाती है। शिक्षा की उपेक्षा करके कहीं हम विकास का सही अर्थ ही न खो दे। ऐसा न हो जाये कि बस्तियां बसती रहे और आदमी उजड़ता चला जाये।


इनदिनों बोर्ड परीक्षाओं के परिणाम चर्चा में हैं। सीबीएसई के हाईस्कूल और इंटरमीडिएट, दोनों के परिणाम आ गए हैं और कुछ राज्यों के नतीजे भी निकले हैं। कुछ राज्य बोर्डों के नतीजे विवाद का विषय भी बन गए हैं, तो कहीं शिक्षा का मखौल भी उड़ते हुए देखा गया। टीवी पर बिहार में फेल हो गये इस वर्ष के छात्रों को पास करने के लिये खुलेआम हो रही सौदेबाजी की लाइव प्रस्तुति ने तो शर्मिन्दा ही कर दिया। बिहार में ही पिछले साल 12वीं की बोर्ड परीक्षा में टॉपर घोटाला काफी चर्चित रहा। जिसमें इंटर परीक्षा में कला और विज्ञान संकाय में टॉपर रहे रूबी राय और सौरभ कुमार के नकल से टाॅपर बनने के खुलासे के कारण बिहार को परीक्षा में नकल को लेकर राष्ट्रव्यापी फजीहत झेलनी पड़ी। वैसे भी बिहार में बार-बार शिक्षा की धज्जियां की उड़ते हुए देखी गयी है, वहां शिक्षा को मजाक बना रखा है, इन गंभीर एवं विडम्बनापूर्ण स्थितियों पर केन्द्र एवं राज्य सरकार का मौन अधिक आश्चर्यकारी है।  

पिछले दो दशकों से जितनी उठापटक शिक्षा के क्षेत्र में होती आई है, उतनी शायद किसी और क्षेत्र में नहीं हुई। माध्यमिक स्तर पर तो क्या पढ़ाया जाए, कैसे पढ़ाया जाए, परीक्षाएं कैसे ली जाए, यही तय नहीं हो पा रहा है। पाठ्यक्रम में बदलाव भी चर्चा का विषय बनता रहा है। केंद्र में जो भी सरकार आती है, वह इस पर अपने तरीके से प्रयोग करने लगती है। यूपीए सरकार ने 2010 में दसवीं का बोर्ड हटा दिया। यह कहकर कि कच्ची उम्र में बच्चों पर बहुत ज्यादा दबाव रहता है। लेकिन एक साल बाद उसी सरकार ने बोर्ड को स्वैच्छिक बनाकर वापस ला दिया। यानी कोई चाहे तो बोर्ड में बैठे, न चाहे न बैठे। इसलिये सात दशक बीत जाने के बाद भी हम तय नहीं कर पाये कि हमारी शिक्षा प्रणाली कैसी हो? शिक्षा का समूचा ढ़ाचा किस तरह संचालित हो? छात्रों को क्या पढ़ाया जाये? इन अनिर्णायक, अपरिपक्व, एवं आधी-अधूरी मानसिकता से संचालित हो रहे शिक्षातंत्र को लेकर हम विश्व में अव्वल होने का ख्वाब देख रहे हैं, जबकि भारत शिक्षा पर अपने सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का महज 3.83 फीसदी हिस्सा खर्च करता है और इतनी-सी रकम विकसित देशों की बराबरी करने के लिए पर्याप्त नहीं है। यदि हमने अपनी शिक्षा व्यवस्था में प्रभावशाली बदलाव नहीं किए तो विकसित देशों की बराबरी करने में छह पीढ़ियां खप जायेगी तो भी हम उनकी बराबरी नहीं कर पायेंगे। क्योंकि अमेरिका शिक्षा पर अपनी जीडीपी का 5.22 फीसदी, जर्मनी 4.95 फीसदी और ब्रिटेन 5.72 फीसदी खर्च करता है। 

शिक्षा के राजनीतिकरण का ही परिणाम है कि हमने उसे लुढ़कना लौटा बना दिया है। सभी राजनीतिक दल राजनीनिक स्वार्थों की रोटियां सेंकने के लिये शिक्षा रूपी तवे का इस्तेमाल करते रहे हैं। उनके द्वारा कभी यह पढ़ाना अनिवार्य किया जाता है तो कभी वह। कभी बोर्ड परीक्षा को अनिवार्य बना दिया जाता है कभी उसे हटा दिया जाता है। हाल ही में सीबीएसई ने 2018 से दसवीं की बोर्ड परीक्षा को फिर से अनिवार्य करने का निर्णय लिया है। इसके पीछे सरकार का तर्क है कि इससे गुणवत्ता वापस आएगी। गुणवत्ता कैसे आती है और यह असल में है क्या, यह हर सरकार अपने-अपने तरीके से तय करती है। मौजूदा केंद्र सरकार की चिंता है कि इतिहास सही ढंग से नहीं पढ़ाया जा रहा। इसीलिये इतिहास का पाठ्यक्रम पूरा ही बदल देने की कौशिश चल रही है। लेकिन क्या इससे शिक्षा की दशा सुधर जाएगी? 


सीबीएसई ने छात्रों का बोझ बढ़ाने वाला एक और नया प्रस्ताव दिया है। सीबीएसई का नया फैसला अगर लागू हो गया तो 10वीं कक्षा तक के छात्र-छात्राओं के लिए तीन भाषाओं का अध्ययन करना अनिवार्य हो जायेगा। अभी तक यह नियम आठवीं तक ही लागू है। छात्रों को हिंदी, अंग्रेजी के साथ अपनी क्षेत्रीय भाषा या विदेशी भाषा को चुनना होगा। सीबीएसई ने यह सिफारिश मानव संसाधन विकास मंत्रालय को भेजी है। लेकिन प्रश्न है कि क्या सरकार किसी भी नयी व्यवस्था या नीति को लागू करने की तैयारी में है? क्या स्कूलों में विज्ञान और गणित पढ़ाने के लिए अच्छे शिक्षक हैं? क्या सभी स्कूलों में ठीक-ठाक प्रयोगशालाएं हैं? वह सब छोड़िए, क्या सभी स्कूलों में बच्चे और शिक्षक पहुंच रहे हैं? कुछ राज्य सरकारों को छोड़ दें तो ज्यादातर के पास शिक्षित बेरोजगारी दूर करने के नाम पर लोगों को मास्टर या दरोगा बनाने का रास्ता ही बचा है। यानी रोजगार देने के नाम पर शिक्षक बनाए जा रहे हैं, योग्यता की परवाह किसे है? भाषाओं की चिन्ता तो बाद की है।

स्कूलों में शिक्षकों की कमी और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा एक बड़ी चुनौती है। शिक्षकों की प्राथमिक जिम्मेवारी है बच्चों को पढ़ाना लेकिन, स्कूलों के प्रबंधन और कई तरह के गैर-शैक्षणिक कार्यों में भी शिक्षकों को लगाना एक परिपाटी बन गयी है। यह समस्या सरकारी स्कूलों में सरकारी कामकाज तक सीमित है बल्कि निजी और अर्द्ध-सरकारी विद्यालयों में बड़े पैमाने पर दूसरे रूपों में भी विद्यमान हैं। निजी स्कूलों शिक्षकों को पढ़ाने के अलावा बच्चों को घर तक छोड़ने जाना, नामांकन के लिए अभिभावकों से मिलना और उनके सवालों के उत्तर देने के कार्य करने होते हैं जबकि सरकारी स्कूलों में आज भी जनगणना, चुनाव, पोलियो ड्राप पिलाने, पोशाक एवं छात्रवृति वितरण जैसे कार्यों में लगाया जा रहा है। अनेक बड़े सरकारी आयोजन इन्हीं शिक्षकों की तैनाती पर सफल होते हैं। सीबीएसई ने इस साल भी निर्देश जारी कर संबद्ध विद्यालयों को कहा है कि वे शिक्षकों पर ऐसे कार्यों का बोझ नहीं डालें, जो शिक्षा से जुड़े हुए नहीं हैं, लेकिन सरकार की कथनी और करनी में अन्तर यहीं देखा जा सकता है। स्कूलों का इंफ्रास्ट्रक्चर प्रायः नदारद है, और जहां है भी वहां कम से कम राज्य बोर्डों से पढ़ाई करने की कोई वजह बच्चों के पास नहीं बची है। सरकार पूरे देश में एक कर प्रणाली के लिए जैसी गंभीरता जीएसटी को लेकर दिखा रही है, वही गंभीरता उसे देश में एक शिक्षा प्रणाली लागू करने को लेकर भी दिखानी चाहिए।

दुनिया भर में छात्र कैसे सीखते हैं और कैसे पढ़ते हंै, यह एक बड़ा विषय है। शिक्षक ब्लैकबोर्ड पर चॉक से लिखते हैं, लेकिन इसके बावजूद कक्षाओं में स्थान के साथ अंतर दिखता है। कुछ जगह नन्हे छात्र बाहर कामचलाउ बेंचों पर बैठते हैं, तो कहीं जमीन पर पद्मासन की मुद्रा में और कुछ ऐसे स्थान हैं जहां लैपटॉप के सामने बच्चे पढ़ते हैं। बड़ा फासला है सुविधाओं एवं साधनों को लेकर। दुनिया के शीर्ष 100 उच्च शैक्षणिक संस्थाओं में भारत के शीर्ष कालेजों एवं विश्वविद्यालयों का स्थान नहीं होने का मुद्दा कई सालों से चिंता के विषयों में शामिल रहा है। लेकिन इससे भी बड़ा मुद्दा है भारत की प्राथमिक एवं माध्यमिक शिक्षा का एक सार्थक दिशा में अग्रसर न होना। जब तब यह सुदृढ़ एवं विकसित नहीं होगा, उच्च शैक्षणिक संस्थाओं का भी समुचित विकास नहीं हो सकेगा।

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(ललित गर्ग)
ई-253, सरस्वती कुंज अपार्टमेंट
25, आई0पी0 एक्सटेंशन, पटपड़गंज, दिल्ली-92
फोन: 22727486

आलेख : अंततः अमीन बाबा को मौत ने मात दे ही दी!

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जी हां, हर रोज मौत को मात देने वाले अमीन बाबा को मौत ने मात दे ही ही दी। अमीन बाबा अब नहीं रहे। वह भदोही के पचभइया मुहल्ले के रहने वाले थे। ट्रेन के सामने खड़े होकर मौत की चुनौती देना उनका शगल बन गया था  




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बेशक, दुनियाभर में खूब ऐसे मामले सामने आते हैं, जिनमें मौत के करीब जाकर भी लोग जिंदा बच जाते हैं। लेकिन भदोही के अमीन खां उर्फ अमीन बाबा ऐसे शख्स थे, जो हर रोज मौत को चुनौती देते थे और उनके अदम्य साहस के आगे मौत हार मानकर लौट जाया करती थी। लेकिन 7 जून 2017 को हर रोज हार जाने वाली मौत ने इस बार छल से उन्हें मात दे ही दी। जी हां, सत्तर वर्षीय अमीन बाबा भदोही के पचभइया मुहल्ले में रहते थे। पिछले तीन दशक से भी अधिक समय से वह भदोही के गजिया रेलवे क्रासिंग के पास से गुजर रही हर उस ट्रेन के सामने खड़े हो जाते थे, जिसकी गति 50 से 100 किमी प्रति घंटा होती थी। लेकिन उन्हें मौत तो दूर खरोच तक नहीं लगती थी। ऐसा वह एक - दो नहीं, बल्कि दर्जनों बार करते थे, पर उनके चेहरे पर घबडाहट तो दूर सिकन तक नहीं होती थी। अब इसे चमत्कार कहें या सनकी या कुछ और, लेकिन यह सच है कि वह हर रोज मौत को चुनौती देते रहे। 


हालांकि यह कारनामा ‘गुलाम‘ पिक्चर में सीने स्टार शाहरुख खां ने भी की है, लेकिन वह फिल्मी स्टंट से ज्यादा कुछ नहीं था पर अमीन बाबा यह हरकत वास्तविकता में रोज करते थे। हर रोज सुबह वह घर से निकलकर गजिया रेलवे क्रासिंग पहुंच जाते थे। भदोही स्टेशन की तरफ से जो भी ट्रेन आती थी, उसकी गति चाहे 50 हो 100 किमी प्रति घंटा, वह सधे अंदाज में उसके सामने खड़े हो जाते थे। जब उनके व ट्रेन के बीच फासला महज चार-छह इंच ही होता था तब अमीन बाबा अपनी भुजाओं की 180 डिग्री का फेरा लगाते हुए पैरों को इस कदर चंद सेकेंड में आगे बढ़ाते कि ट्रेन गुजर जाती और मात्र दो फीट की दूरी पर खड़े होकर मुस्कराते थे। उनकी इस हरकत पर एक दिन मेरी नजर पड़ी और मैं तो क्या वहां खड़ा हर शख्स के मुंह से बस एक ही बात निकली, बाबा तो गए! यह संयोग ही था कि इस वाकये के तीन पहले ही मेरी देश के नंबर वन टीवी न्यूज चैनल ‘आजतक‘ में नियुक्ति हुई थी। मैने एसाइनमेंट के परमीशन बगैर अमीन बाबा के इस हरकत को अपने वीडियों कैमरे में कैद कर लिया। इस वीडियों को लेकर मैं लखनउ आजतक के ब्यूरोचीफ अनूप श्रीवास्तव को दिखाया। इस वीडियों को देखकर वह एकबारगी चैक गए, कहा, वाह कमाल का है बाबा। धडाधड़ वीडियों की आडिटिंग हुई और 25 जुलाई 2008 को सायंकाल ठीक पौने 6 बजे टीवी स्क्रीन पर बाबा के कारनामा वाला वीडियों दौड़ने लगी। पूरे नौ मिनट के इस खबर में पांच मिनट तक मैने फोनो देता रहा। ‘मरोगे क्या बाबा‘ - ‘सनकी बाबा‘ के हेडलाइन स ेचल रही इस खबर को आज तक के स्टूडियों में मौजूद नवजोत मुझसे प्रश्न पर प्रश्न पूछे जा रही थी, बाबा के कारनामों के लगायत। 

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अमीन बाबा ने मुझे बताया कि जब वह 15 साल के थे, तो एक दिन रात साढ़े आठ बजे ‘एशा‘ की नमाज पढ़ने मस्जिद में गया। सभी लोग नमाज बाद घर लौट गए, लेकिन मैं मस्जिद में ही कुछ सोचता रहा और नींद आ गयी। जब रात में आंख खुली तो मुझे लौ स्वरुप रुहानी जिस्म दिखाई दी। कुछ देर के लिए मैं बेहोश हो गया, लेकिन होश आने पर मुझे एक अजीब-ओ-गरीब शक्ति महसूस होने लगी। एक दिन में गजिया रेलवे क्रासिंग स्थित मजार पर अपने कुछ साथियों के साथ बैठा रहा और न जाने कब क्रासिंग पर पहुंचकर ट्रेन के सामने कारनामा करने लग या। उनके इस हरकत को देख लोग चैंक गए थे, लोगों की चिंखे निकल गयी। इसकी जानकारी जब मेरे घर वालों को हुई तो मेरी बीबी व बच्चे डांटने लगे, क्रासिंग जाने पर पाबंदी लगा दी। बावजूद इसके मैं वहां पहुंच जाता था और यह सब करने के बाद ही मुझे सुकून मिलता था। एक बार तो मेरे इस हरकत पर एक ट्रेन ड्राइवर ने डंडा मार दिया था, मेरा सिर फट गया था, लेकिन यह स बवह करते रहे। इससे आजिज आकर घर वालों ने मुझे मुंबई भेज दिया। ना जाने कैसे मैं फिर कुछ ही दिन बाद मुंबई से लौटकर फिर से ट्रेन के सामने खड़ा होने लग गया। जब लोगों को यकीन हो गया कि बाबा का कुछ नहीं होगा तो फिर कोई मना भी नहीं करता था। यह अलग बात है कि उनके इस स्टंट को करने के चक्कर में भदोही के जलालपुर मुहल्ले के एक युवक की मौत हो गयी थी। 


फिरहाल, ‘मरोगे क्या बाबा‘ जिस वक्त आज तक के टीवी स्क्रीन पर खबर चल रही थी, उस वक्त मेरे मोबाइल पर दिल्ली, मुंबई, कोलकाता समेत देशभर से सैकड़ों फोन आएं और लोगों ने इस खबर को शूट करने के लिए बहुत बहुत बधाई दी। टीवी न्यूज चैनल पर यह मेरी पहली खबर होने के चलते मैं भी बेहद खुश था। इस खबर को मैने दैनिक समाचार पत्र ‘हिन्दुस्तान‘ में भी भेजी और बाइलाइन के साथ सभी संस्करणों में प्रमुखता से छपी। इस खबर से मुझे काफी ख्याति मिली। आज सुबह मुझे जब अमीन बाबा के इंतकाल की खबर मिली तो जोर का झटका धीरे से लगा, लेकिन होनी को कौन टाल सकता है। बताया गया  िकवह एक सप्ताह से बीमार थे। उनका इलाज चल रहा था, अचानक दिल का दौरा पड़ा और इस दुनिया से रुख्शत हो गए। जब दिल का दौरा पड़ने की खबर सुनी तो मुझे विश्वास ही नहीं हुआ कि इतना मजबूत, अदम्य साहसी व्यक्ति को भी दिल का दौरा पड़ सकता है। क्योंकि उनकी उम्र 70 वर्ष थी, लेकिन शरीर का वजन मात्र चालीस किलोग्राम ही था। यह आश्चर्य नही ंतो और क्या है। यह कुदरत का करिश्मा ही था कि जिस 100 किमी की गति से चलने वाली ट्रेन के सामने 40 किग्रा वजन वाला व्यक्ति खड़ा होता था उसे हवा का बेग भी नहीं डिगा पाता था, उसका दिल इतना कमजोर हो कि दौरा पड़ जाए।  





(सुरेश गांधी)

विशेष : जिन्दा किसानों के लिये बजट नहीं, लेकिन मृत किसानों को करोड़ रुपये!

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भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री ने 'जय जवान—जय किसान!'का ओजस्वी नारा दिया था और किसान तथा जवान एकजुट होकर शास्त्री जी के साथ खड़े हो गये थे। इसी नारे को अपना समर्थन देते हुए भाजपा के प्रधानमंत्री अटलबिहारी वाजपेयी ने इसके पीछे जय विज्ञान जोड़ दिया था। लेकिन उन्होंने, उनकी सरकार ने या उनकी पार्टी की किसी भी सरकार ने किसानों के लिये किया कुछ नहीं। हां उनकी भाजपा की केन्द्र और राज्य सरकार के शासन में मध्य प्रदेश में गैर सरकारी आंकड़ों के मुताबिक एक दर्जन किसानों की फौज के मार्फत हत्या अवश्य करवाई जा चुकी है। क्या यही जय जवान और जय किसान है। जिस भारत सरकार की फौज किसानों की हत्या कर रही है, उस सरकार को सरकार में बने रहने का कोई हक नहीं है। फौज के हाथों मारे जा रहे किसान का अपराध क्या है?-किसान सिर्फ अपनी कृषि उपज का वाजिब मूल्य चाहते हैं। लेकिन सरकार उचित मूल्य किसी भी कीमत पर देना नहीं चाहती है। इसके विपरीत क्रूर पूंजीवाद की समर्थक भाजपा की भारत सरकार कृषि आय को भी आयकर के दायरे में लाने पर गम्भीरतापूर्वक चिन्तनशील है। 


कृषि और किसानों की हालत में सुधार के लिये सरकार के पास बजट नहीं है, जबकि सरकारी कर्मचारियों, अधिकारियों को हर दस साल बाद वेतन आयोग की अनुशंसाओं के अनुसार वेतन में बढोतरी की जाती रहती है। उन्हें साल में दो बार महंगाई भत्ता दिया जाता है। सांसद और विधायक जब चाहें तब खुद के वेतन, भत्ते और सुख-सुविधाओं में बढोतरी कर लेते हैं। घाटे में चल रही निजी कम्पनियों, उद्योग घरानों और कॉर्पोरेट घरानों के कर्ज को माफ करने के लिये सरकार के पास पर्याप्त बजट है। सरकारी तंत्र को जरूरत के अनुसार हर प्रकार की सुख-सुविधा प्रदान करने में सरकारी बजट में कोई कमी नजर नहीं आती है। सरकार की साम्प्रदायिक नीति के प्रचारक बाबाओं की सुरक्षा के नाम पर करोड़ों रुपया खर्च करने के सरकार के पास धन है। सरकारी शोषक नीतियों का कुप्रचार करने के लिये और मीडिया को अपना पिठ्ठू बनाये रखने के लिये विज्ञान के नाम पर मीडिया को रिश्वत देने के लिये ​सरकार के पास हजारों करोड़ का बजट है। मगर दु:खद और शर्मनाक तथ्य कि कृषि संरक्षण और किसानों के आंसू पौंछने के लिये सरकार के पास धन नहीं है।

भारत के अन्नदाता किसान की बहुत छोटी सी और सौ फीसदी न्यायसंगत मांग है, (जिसे समस्या बताया जाता है) किसान को उसकी फसल का वाजिब मूल्य मिलना चाहिये। यह मांग मानना सरकार के लिये आसान नहीं है। या यह कहा जाये कि किसान को फसल का वाजिब मूल्य देना सरकार की चिन्ता ही नहीं है। इसका कारण बताया जाता है, बजट का अभाव और आम गरीब लोगों को सस्ता अनाज उपलब्ध करवाने की सरकारी नीति। जबकि गरीबों को सस्ती दर पर सरकार अनाज उपलब्ध करवा रही है। इसके ठीक विपरीत किसान द्वारा उपयोग की जाने वाली कृषि तकनीक, बीज और कीटनाशकों की बेतहाशा तथा मनमानी मूल्य वृद्धि करने वाली कम्पनियों को बढावा देना और उनको अनियन्त्रित छोड़ना सरकार के लिये बहुत आसान काम है। साफ शब्दों में कहा जाये तो किसान का शोषण होते तथा करते रहना ही सरकार का अघोषित ऐजेंडा है। इस शोषण के खिलाफ उठने वाली असंगठित किसानों की आवाज को दबाने के लिये फौज के मार्फत किसानों की हत्या करवाई जा रही हैं और मृतकों को चुप कराने के लिये प्रति मृतक एक करोड़ मुआबजा घोषित किया जा रहा है। जिससे मृत परिवारों को चुप करवाया जा सके!


जिन्दा किसानों के लिये बजट नहीं, लेकिन मुआबजे के लिये बजट है! यह अपने आप में हास्यास्पद और शर्मनाक स्थिति है! इससे भी अधिक शर्मनाक उन ढोंगी तथा नकाबपोश राजनेताओं की चुप्पी है, जो अपनी काली ​कमाई के जरिये रैलियां और सभाओं का आयोजन करके किसान का बेटा मुख्यमंत्री बनाओं के नाम पर किसानों को गुमराह करने में तो सबसे आगे रहते हैं, लेकिन किसानों की सरकारी तंत्र द्वारा की जा रही निर्मम हत्याओं के समय किसी बिल में दुबके बैठे हुए हैं। सबसे पहले किसानों को ऐसे राजनेताओं को नंगा करना बहुत जरूरी है। बल्कि पहली जरूरत है। ऐसे राजनेता ही किसानों के असली दुश्मन हैं!





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डॉ. पुरुषोत्तम मीणा 'निरंकुश'-राष्ट्रीय प्रमुख
हक रक्षक दल (HRD) सामाजिक संगठन (रजि.)
M & WA No. 9875066111/08.06.2017

बिहार : भाकपा-माले की राज्य कमिटी की एक दिवसीय बैठक 12 जून को पटना में.

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  • माले महासचिव काॅ. दीपंकर सहित भाग लेंगे वरिष्ठ नेता.

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पटना 8 जून, भाकपा-माले की बिहार राज्य कमिटी की एकदिवसीय बैठक आगामी 12 जून को पटना के पंचायत भवन में होगी. बैठक में पार्टी महासचिव काॅ. दीपंकर भट्टाचार्य सहित अन्य नेता भाग लेंगे. बैठक में भाग लेने वाले अन्य नेताओं में पार्टी के बिहार राज्य सचिव काॅ. कुणाल, पोलित ब्यूरो के सदस्य अमर व धीरेन्द्र झा, केंद्रीय कमिटी के सदस्य राजाराम सिंह, रामेश्वर प्रसाद, केडी यादव, महबूब आलम, मीना तिवारी, शशि यादव, सरोज चैबे, जवाहर सिंह, अरूण सिंह, महानंद, रामाधार सिंह, निरंजन कुमार, नईमुद्दीन अंसारी, इंद्रजीत चैरसिया, वैद्यनाथ यादव, आर एन ठाकुर, संतोष सहर आदि नेता भाग लेंगे. बैठक में चंपारण सत्याग्रह शताब्दी वर्ष पर चल रहे भूमि अधिकार आंदोलन की आगामी योजना सहित अन्य योजनाओं पर बातचीत होगी.

बिहार राज्य किसान सभा ने पिपल्यामंडी गोली कांड की भर्त्सना की

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पटना 08 जून। मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र के किसान विगत एक सप्ताह से अपनी वाजिब ज्वलंत मांगों को लेकर शांतिपूर्ण संघर्ष चला रहे है। किसान विरोधी भाजपा सरकार ने किसानों से वात्र्ता करने के बजाय किसानों को सबक सिखाने के लिए तथा किसान आंदोलन को निर्ममतापूर्वक कुचलने के लिए 5 जून, 2017 को मध्य प्रदेश में बहसी पुलिस को बेलगाम कर बगैर चेतावनी के अंधाधुंध गोली चलवा कर पाँच निर्दोष किसानों की हत्या कर दी। बिहार राज्य किसान सभा पिपल्यामंडी गोली कांड की भत्र्सना करते हुए रोष प्रकट करता है। बिहार राज्य किसान सभा भाजपा सरकार की इस नादीरशाही की निन्दा करते हुए, इस गोली कांड में शहीद किसानों के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित करती है। 

     
बिहार राज्य किसान सभा के महासचिव अशोक प्रसाद सिंह ने कहा कि शहीद किसानों का खून बेकार नहीं जायेगा। उन्होंने मध्य प्रदेश सरकार से इस्तीफे की मांग की। महासचिव ने भारत सरकार से मांग की कि किसानों के सभी मांगों को अविलम्ब पूरा किया जाय। मोदी सरकार अपना चुनावी वादा पूरा करे और स्वामीनाथन कमीशन की अनुशंसाओं को लागू करें। उन्होंने मध्य प्रदेश एवं महाराष्ट्र के आंदोलनरत किसानों की लड़ाई का समर्थन करने एवं एकजुटता प्रदर्षित करने शहीद किसानों की श्रद्धांजलित एवं किसानों की मांग हेतु अपनी सभी इकाइयों के द्वारा गोली कांड की नींदा करने, प्रतिरोध दिवस मनाने तथा खूनी मुख्यमंत्री एवं प्रधानमंत्री का पुतला दहन करने का आह्वान किया। 
उन्होंने कहा देश में भाजपा शासित राज्य महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश एवं राजस्थान में सबसे ज्यादा आत्म हत्या हो रही है। मोदी जी ने लोकसभा चुनाव से पूर्व देश भर में धूम-धूम कर 460 आम सभाओं में देश के किसानों से वादा किया था कि हमारी सरकार बनेगी तो स्वामीनाथन कमीशन की अनुशंसाओं को लागू करेंगे। परंतु सत्ता में आते ही सर्वोच्च न्यायालय को लिख कर दे दिया कि स्वामीनाथन कमीशन की अनुशंसा लागू नहीं होगी। इसीलिए निराश होकर मोदी जी के शासन में देश में किसानों द्वारा आत्महत्या की घटनाओं में बेतहासा वृद्धि हुई है। साथ ही जगह-जगह किसानों का गुस्सा संघर्ष के रूप में फूट रहा है। बिहार राज्य किसान सभा ने जबरदस्त किसान आन्दोलन खड़ा करने के लिए भी किसानों का आह्वान किया ताकि मोदी सरकार अपने वादों को पूरा करने के लिए विवश हो। 

सीहोर (मध्यप्रदेश) की खबर 08 जून

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सोलर पंप पंजीयन हेतु पुनः आवेदन आमंत्रित

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म.प्र.ऊर्जा विकास निगम लिमिटेड द्वारा मुख्यमंत्री सोलर पंप योजना प्रारंभ की गई है। इस योजना के द्वितीय चरण में पुनः इच्छुक कृषकों से आवेदन आमंत्रित किए गए है। इच्छुक किसान भाई मुख्यमंत्री सोलर पंप योजना के पोर्टल www-mpcmsolarpump-com पर आॅनलाइन आवेदन के अलावा निर्धारित आवेदन फार्म पर वांछित जानकारी की पूर्ति कर आवश्यक दस्तावेज तथा 5 हजार रूपए के आवेदन शुल्क के साथ जिला अक्षय ऊर्जा अधिकारी (डीआरईओ) कार्यालय में जमा कर सकते है। मुख्यमंत्री सोलर पंप योजना के तहत कृषक बंधु एक एच.पी.से दस एच.पी.तक का सोलर पंप योजना के प्रावधान अनुसार अनुदान पर प्राप्त कर सकते है। योजना की विस्तृत जानकारी, आवेदन प्रक्रिया तथा अन्य आवश्यक जानकारियां निर्धारित बेवसाइट पर जाकर प्राप्त की जा सकती है। 


महाविद्यालयों में ऑनलाइन प्रवेश शुरू

मध्यप्रदेश शासन के अधीनस्थ महाविद्यालयों में संचालित स्नातक एवं स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिये इच्छुक आवेदक वेबपोर्टल मचतंअमेी.दपब.पद  के माध्यम से ऑनलाइन पंजीयन कर सत्र 2017-18 में प्रवेश प्रक्रिया में शामिल हो सकते हैं। आवेदक विभिन्न पाठ्यक्रम के लिये विश्वविद्यालयों के लिये निर्धारित न्यूनतम अर्हताएँ एवं विस्तृत प्रवेश प्रक्रिया का अवलोकन कर ऑनलाइन पंजीयन शुल्क 100 रुपये का भुगतान कर पंजीयन करवा सकते हैं। आवेदक को पंजीयन के बाद नजदीकी शासकीय महाविद्यालय में दर्ज जानकारी एवं दस्तावेजों का ऑनलाइन सत्यापन अनिवार्यतः करवाना होगा। सत्यापन करवाने वाले आवेदक ही प्रवेश आवंटन के लिये पात्र होंगे। आवेदकों की सुविधा के लिये ऑनलाइन प्रवेश प्रक्रिया के विस्तृत दिशा-निर्देश एवं अन्य वांछित जानकारी जैसे प्रवेश के लिये पात्रता, महाविद्यालय में संचालित पाठ्यक्रम, सीट संख्या एवं शुल्क इत्यादि मचतंअमेी-दपब-पद एवं ीपहीमतमकनबंजपवद-उच-हवअ-पद पर उपलब्ध है। आवेदक प्रवेश के लिये आवश्यक दस्तावेज जैसे 10़़2 अंक-सूची, टी.सी., जाति प्रमाण-पत्र, मूल निवास, अन्य कोई आवश्यक प्रमाण-पत्र, पासपोर्ट साइज फोटोग्राफ इत्यादि तैयार रखें। आवेदक अपना ऑनलाइन पंजीयन इंटरनेट के माध्यम से स्वयं इंटरनेट कैफे अथवा महाविद्यालयों में स्थापित सहायता केन्द्रों के माध्यम से करवा सकते हैं।

विदिशा (मध्यप्रदेश) की खबर 08 जून

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बीज बचाओं-कृषि बचाओं यात्रा कार्यक्रम आज ग्राम इमलिया लश्करपुर में

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मध्यप्रदेश राज्य जैविकविविधता बोर्ड द्वारा दो मई से 27 जून तक की अवधि में बीज बचाओं-कृषि बचाओं यात्रा का आयोजन जारी है। जिसके तहत जिलों में चैपाल कार्यक्रमों का आयोजन कर स्थानीय कृषकों, व्यक्तियों से चर्चा परिचर्चा कर बोर्ड द्वारा निर्धारित प्रपत्रों में पारंपरिक कृषि, उद्यानिकी, जडी-बूटी व अन्य किस्मों के बीज एवं नस्लों की जानकारी एकत्रित करना है। मध्यप्रदेश राज्य जैविकविविधता बोर्ड के सदस्य सचिव श्री आर श्रीनिवास मूर्ति के द्वारा जारी पत्र का हवाला देते हुए बोर्ड के समन्वयक श्री दीपक यादव ने बताया कि बीज बचाओं-कृषि बचाओं यात्रा विदिशा जिले में नौ जून को विदिशा विकासखण्ड के ग्राम इमलिया लश्करपुर में सांय चार बजे से चैपाल कार्यक्रम का आयोजन किया गया है। जिसमें कोर टीम के साथ समन्वय एवं सहयोग करना है। चैपाल में कृषकों के साथ-साथ कृषि विभाग का अमला भी मौजूद रहेगा।

बीज विक्रय की दरें निर्धारित

खरीफ फसल वर्ष 2017 के बीज विक्रय की दरे कृषि उत्पादन आयुक्त की अध्यक्षता में सम्पन्न हुई बैठक में तय की गई है कि जानकारी देते हुए किसान कल्याण तथा कृषि विकास विभाग के उप संचालक श्री पीके चैकसे ने बताया कि कृषकों को प्राप्त होने वाले बीज पर दिए जाने वाला अनुदान अलग से देय होगा जो बीज खरीदने वाले किसानों के बैंक खातों में सीधा जमा कराया जाएगा। बीज निगम की प्रस्तावित दरे तदानुसार सोयाबीन 15 वर्ष तक की अवधि का प्रति क्विंटल 5100 रूपए तथा 15 वर्ष से अधिक की अवधि का बीज 4500 रूपए प्रति क्ंिवटल पर प्राप्त होगा। धान सुगंधित का बीज 4200 रूपए प्रति क्ंिवटल, धान मोटी का बीज 3060 रूपए प्रति क्ंिवटल, धान पतली का बीज 3300 रूपए प्रति क्ंिवटल, मूंग का बीज 8800 रूपए प्रति क्ंिवटल, उड़द 9400 प्रति क्ंिवटल, मक्का 3250 प्रति क्ंिवटल, मूंगफली छिलकायुक्त 7500 रूपए प्रति क्विंटल, तिल 10500 रूपए प्रति क्विंटल, रामतिल 8600 रूपए प्रति क्विंटल, ज्वार 3600 रूपए प्रति क्विंटल, कांेदों एवं कुटकी क्रमशः 4250 रूपए प्रति क्विंटल, अरहर का बीज 7900 रूपए प्रति क्विंटल के मान से विक्रय हेतु उपलब्ध होगी।

मधुबनी : नवयुवकों ने सफाई अभियान का जिम्मा उठाया

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मधुबनी , दिनेश सिंह - राजनगर प्रखंड अन्तर्गत सीमरी पंचायत के नवयुवकों ने आज सफाई अभियान के तहत सड़क पर अतीक्रमन के सफाई का जिम्मा उठाया । जिसमें दो दर्जन से अधिक नवयुवकों ने सड़क किनारे लगी गंदगी के अम्बार को साफ किया । बता दूँ कि कूछ ग्रामीणों के द्वारा सड़क पर मवेशियों को बाँधने एवं सड़क पर ही गोबर इत्यादि जमा कर सड़क का अतिक्रमण करने से सड़क पर गंदगी का अम्बार लग गया था एवं सड़क की चौड़ाई संकीर्ण हो गई थी । इस कारण हमेशा ग्रामीणों मे बकझक होता रहता था । बकझक कभी कभी मारपीट मे भी तब्दील हो जाता था । अतिक्रमण हटाने के क्रम मे नवयुवकों को अतिक्रमणकर्ताओ से नोकझोंक का सामना भी करना पड़ा । परंतु इन नवयुवकों के सफाई के प्रति जुनून ने सीमरी गोठ के मुख्य सड़क पर लगे अतिक्रमण को  हटाने मे अंततः सफलता पाई । वहीँ नवयुवकों के संचालक श्रिचंद्र गरेरी ने बताया की ये सफाई किसी पार्टी विशेष के प्रचार के लिये नहीँ है । हम नवयुवक गाँव को साफ सफाई करके स्वक्ष ग्राम का निर्माण करना चाहते है , जिसमें ग्रामीणों का भरपूर सहयोग हमे मिल रहा है । 


बिहार : खानपुर में स्कूली छात्रों को स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करेंगे आशुतोष

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  • 20 हजार किमी की स्वस्थ भारत यात्रा पूरी कर आये हैं मिथिलांचल प्रवास पर

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खानपुर, स्वस्थ भारत यात्रा के अंतर्गत 29 राज्यों का दौरा कर मिथिलांचल प्रवास पर आये स्वस्थ भारत अभियान के संयोजक पिछले 3 दिनों से खानपुर में हैं। 'स्वस्थ बालिका स्वस्थ समाज, का सन्देश लेकर 20 हजार किमी की यात्रा कर चुके श्री आशुतोष खानपुर में स्कूली छात्रों के बीच आज स्वास्थ्य चर्चा करेंगे। पूरे देश में डेढ़ लाख से जयादा बालिकाओं से प्रत्यक्ष रूप से संवाद कर चुके श्री आशुतोष ने बताया कि वे पिछले 12 दिनों से मिथिलांचल में हैं। मधुबनी, दरभंगा में स्वास्थ्य चर्चा करने के बाद पिछले तीन दिनों से खानपुर में हैं। उन्होंने बताया कि स्वस्थ भारत अभियान के अंतर्गत डॉ एन के आनन्द की अगुवाई में स्थानीय दयानंद पब्लिक स्कूल में निःशुल्क जाँच शिविर का आयोजन किया जायेगा। गौरतलब है की स्वस्थ भारत अभियान के अंतर्गत कण्ट्रोल मेडिसिन मैक्सिमम रिटेल प्राइस, जेनरिक लाइए पैसा बचाइए, तुलसी लगाइये रोग भगाइए, नो योर मेडिसिन और स्वस्थ बालिका स्वस्थ समाज कैम्पेन चलाकर स्वास्थ्य कार्यकर्ता आशुतोष कुमार सिंह ने पूरे देश में स्वास्थ्य के प्रति लोगों को सोचने पर मजबूर किया है।

मंदसौर में हालात में सुधार पर तनाव कायम

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मंदसौर :मध्य प्रदेश:, आठ जून, मध्य प्रदेश के मंदसौर जिले के हिंसा प्रभावित क्षेत्रों में आज दंगा-निरोधक अर्धसैनिक बल लाए गए, लेकिन जिले के उपद्रव-ग्रस्त क्षेत्रों में हालात सुधर रहे हैं । किसान फसल के बेहतर मूल्य सहित विभिन्न मांगों को लेकर करीब एक हफ्ते से यहां प्रदर्शन कर रहे हैं । जिले में रैपिड एक्शन फोर्स :आरएएफ: तैनात किए जाने के साथ ही राज्य सरकार ने मंदसौर जिले के कलक्टर स्वतंत्र सिंह और पुलिस अधीक्षक ओ.पी. त्रिपाठी का तबादला कर दिया । हिंसा बढ़ने के बाद कल लागू किए गए कफ्र्यू में आज शाम चार बजे से दो घंटे की ढील दी गई है । अधिकारियों ने कहा कि हालात में सुधार दिख रहे हैं । बहरहाल, पुलिस ने कहा कि कुछ इलाकों में अब भी तनाव कायम है । मंदसौर से करीब 70 किलोमीटर दूर नया गांव में कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी, पार्टी के कई वरिष्ठ नेता और जदयू के वरिष्ठ नेता शरद यादव को पुलिस ने उस वक्त हिरासत में ले लिया जब वे राजस्थान सीमा से मंदसौर में दाखिल होने की कोशिश कर रहे थे । जब पुलिस राहुल की अगुवाई में पहुंचे विपक्षी नेताओं को रोकने की कोशिश कर रही थी, उस वक्त वहां किसी रैली जैसा माहौल बन गया था । जब पुलिस ने राहुल को पीछे धकेलने की कोशिश की तो वह दौड़कर बगल के खेत में चले गए और वहां उन्हें हिरासत में ले लिया गया । एक सीमेंट कंपनी के अतिथि गृह में राहुल को करीब चार घंटे तक रखे जाने के बाद उन्हें रिहा किया गया । मंदसौर में किसान एक जून से ही प्रदर्शन कर रहे हैं । वे कर्ज माफी और फसल की बेहतर कीमतों की मांग कर रहे हैं । मंगलवार को प्रदर्शन हिंसक हो जाने पर पुलिस की फायरिंग में पांच किसान मारे गए थे। मध्य प्रदेश सरकार ने नीमच के पुलिस अधीक्षक रहे मनोज कुमार सिंह को मंदसौर का नया पुलिस अधीक्षक नियुक्त किया है । शिवपुरी के कलक्टर ओ.पी. श्रीवास्तव को मंदसौर जिले का प्रभार सौंपा गया । श्रीवास्तव ने कहा कि उन्हें काफी चुनौतीपूर्ण हालात का सामना करना पड़ रहा है ।

द्विपक्षीय संबंधों के विस्तार के लिये मोदी और कजाख राष्ट्रपति ने की चर्चा

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अस्ताना, आठ जून, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज कजाख राष्ट्रपति नूरसुल्तान नजरबायेव से यहां मुलाकात की और द्विपक्षीय संबंधों को विस्तार देने के तरीकों पर चर्चा की। दो दिवसीय यात्रा पर यहां पहुंचने के फौरन बाद उन्होंने नजरबायेव से मुलाकात की। यात्रा के दौरान वह शंघाई सहयोग संगठन :एससीओ: शिखर सम्मेलन में भी हिस्सा लेंगे जहां भारत और पाकिस्तान को इसकी पूर्ण सदस्यता दी जायेगी। प्रधानमंत्री कार्यालय ने ट्वीट किया, ‘‘कजाखिस्तान गणतंत्र के राष्ट्रपति श्रीमान नूरसुल्तान नजरबायेव ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की और द्विपक्षीय संबंधों के विस्तार के तरीकों पर चर्चा की।’’ अपनी यात्रा से पहले प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘‘मैं एससीओ के साथ भारत के संबंध को और गहरा करने के लिये आगे देख रहा हूं जिससे हमें आर्थिक, संपर्क और आतंकवाद विरोधी सहयोग के साथ ही दूसरी चीजों में भी मदद मिलेगी।’’ प्रधानमंत्री कल एससीओ शिखर सम्मेलन को संबोधित करेंगे और उनके चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग से मुलाकात करने की भी संभावना है। हाल के दिनों में दोनों देशों के बीच कई मुद्दों को लेकर मतभेद सामने आये हैं। भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव को कम करने के लिये प्रधानमंत्री मोदी की पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के साथ संभावित मुलाकात को लेकर भी अटकलें लगायी जा रही हैं।

मजबूत हो रही है अर्थव्यवस्था: रिजर्व बैंक सर्वेक्षण

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नयी दिल्ली, आठ जून, भारतीय रिजर्व बैंक के एक सर्वेक्षण के अनुसार अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष में धीरे धीरे सुधरेगी। रिजर्व बैंक का यह सर्वेक्षण पूर्व अनुमान लगाने वाली 28 इकाइयों की राय पर आधारित है। केंद्रीय बैंक की वेबसाइट पर उपलब्ध सर्वेक्षण के अनुसार 2017-18 में वास्तविक जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) व वास्तविक जीवीए (सकल मूल्य वर्धन) की वृद्धि ्रकमश: 7.4 प्रतिशत व 7.2 प्रतिशत रहेगी। आगामी वित्त वर्ष में इसमें क्रमश: 0.40 व 0.50 प्रतिशत सुधार की उम्मीद है। उल्लेखनीय है कि रिजर्व बैंक सितंबर 2007 से ही सर्वे आफ प्रोफेशनल फोरकास्टर्स (एसपीएफ) कर रहा है। अनुमान व्यक्त करने वालों का मानना है कि खुदरा मुद्रास्फीति 2017-18 की चौथी तिमाही तक धीरे धीरे बढ़कर पांच प्रतिशत तक पहुंच जाएगी।

बोपन्ना ने फ्रेंच ओपन में जीता पहला ग्रैंडस्लैम खिताब

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पेरिस, आठ जून, रोहन बोपन्ना ने आज यहां कनाडा की अपनी जोड़ीदार गैब्रियला डाब्रोवस्की के साथ मिलकर फ्रेंच ओपन मिश्रित युगल ट्राफी जीतकर अपना पहला ग्रैंडस्लैम खिताब हासिल किया। वह ग्रैंडस्लैम खिताब जीतने वाले चौथे भारतीय बन गये हैं। बोपन्ना और डाब्रोवस्की की सातवीं वरीयता प्राप्त जोड़ी ने फाइनल में शानदार वापसी की। उन्होंने दो मैच प्वाइंट बचाकर जर्मनी की अन्ना लेना गोरेनफील्ड और कोलंबिया के राबर्ट फराह को 2-6, 6-2, 12-10 से हराया। बोपन्ना ने जीत के बाद कहा, ‘‘हम दूसरे सेट में थोड़ा सहज होकर खेले और हमने अपना नैसर्गिक खेल खेलना शुरू किया। मुझे लगता है कि हमने एक टीम के तौर पर बहुत कुछ करने का प्रयास किया। ’’ उन्होंने कहा, ‘‘यह फाइनल था और इसलिए हमने अपनी तरफ से रिटर्न या फिर सर्विस पर जरूरत से ज्यादा जोर दिया। पहले सेट के बाद हमने जो सर्वश्रेष्ठ कर सकते थे उस पर ध्यान दिया। हमने एक दूसरे का हौसला बढ़ाया। इससे अंतर पैदा हुआ। एक बार सहज होने के बाद हमने बेहतर टेनिस खेली। ’’ भारत और कनाडा की जोड़ी पहले सेट में एक समय दो अंक से पीछे थी लेकिन गोरेनफील्ड और फराह ने मौका गंवा दिया। बोपन्ना और डाब्रोवस्की ने इसका पूरा फायदा उठाया और फिर दो मैच प्वाइंट हासिल किये तथा जर्मनी की खिलाड़ी के डबल फाल्ट खिताब अपने नाम किया। यह केवल दूसरा अवसर है जबकि बोपन्ना अपने करियर में ग्रैंडस्लैम के फाइनल में पहुंचे थे। उन्होंने 2010 में पाकिस्तान के ऐसाम उल हक कुरैशी के साथ मिलकर यूएस ओपन के फाइनल में जगह बनायी थी जहां उन्हें ब्रायन बंधुओं बाब और माइक से हार का सामना करना पड़ा था। बोपन्ना से पहले केवल लिएंडर पेस, महेश भूपति और सानिया मिर्जा ही भारत के लिये ग्रैंडस्लैम खिताब जीत पाये हैं। 

राहुल को किसानों के परिवारों से मिलने की इजाजत मिली

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नया गांव :मध्य प्रदेश:, आठ जून, मध्य प्रदेश में दाखिल होते समय पुलिस द्वारा हिरासत में लिये गये कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी को प्रशासन ने मंदसौर में किसानों के आंदोलन के दौरान मारे गये किसानों के परिवारों से मिलने की अनुमति दे दी है। कांग्रेस के कई नेताओं और कार्यकर्ताओं को भी एक गेस्टहाउस में हिरासत में रखा गया है। गेस्टहाउस के बाहर कांग्रेस की पूर्व सांसद मीनाक्षी नटराजन ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘लंबे संघर्ष के बाद प्रशासन ने अंतत: राहुल गांधी को पुलिस गोलीबारी में मारे गये लोगों के परिवारों से मिलने पर सहमति जता दी।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हम राजस्थान-मध्य प्रदेश की सीमा के पास उनसे मिलने का प्रयास करेंगे।’’ एक सीमेंट कंपनी के गेस्टहाउस के बाहर बड़ी संख्या में लोग जमा हो गये थे जहां कांग्रेस नेताओं को रखा गया है।

उत्तरी कश्मीर में सात आंतकवादी मारे गये

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श्रीनगर, 08 जून, उत्तरी कश्मीर में पिछले 24 घंटों के दौरान नियंत्रण रेखा के पास माछिल सेक्टर में सुरक्षा बलों ने पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर के तीन स्थानों से सीमा पार से घुसपैठ की घटनाओं को विफल कर दिया तथा इस दौरान मुठभेड़ में सात आतंकवादी मारे गये तथा सेना को एक जवान शहीद हो गया और दो जवान घायल हो गये। आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ में एक जवान शहीद हो गया तथा दो अन्य घायल हो गये हैं। आखिर समाचार मिलने तक नियंत्रण रेखा के पास घुसपैठ करने वाले तीनों स्थानों पर तलाशी अभियान जारी है। हालांकि रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता से इस मामले में कोई प्रतिक्रिया उपलब्ध नहीं हो पायी है। सूत्रों ने बताया नियंत्रण रेखा की निगरानी कर रहे सुरक्षा बलों ने आज तड़के नौगाम सेक्टर से आतंकवादियों के सीमा के अंदर घुसने की कोशिश करने पर सुरक्षा बलों ने उन्हें आत्मसमर्पण करने के लिए कहा लेकिन आतंकवादियों ने अंधाधुंध गोलीबारी शुरू कर दी। सुरक्षा बलों की जवाबी कार्रवाई में दो आतंकवादी मारे गये। सेना का एक जवान शहीद हो गया। आतंकवादियों के खिलाफ अभियान जारी है। इसी प्रकार उरी सेक्टर में तड़के पांच से छह आतंकवादियों का समूह सीमा रेखा के अंदर घुसने की कोशिश करते देखा गया। सुरक्षा बलों की चुनौती के बाद आतंकवादियों ने गोलीबारी शुरू कर दी। सुरक्षा बलों और आंतकवादियों के बीच अभी भी मुठभेड़ जारी है। सूत्रों ने कहा कि इस मुठभेड़ में दो जवान घायल हो गये हैं। इलाके में तलाशी अभियान चलाया गया है तथा घायलों को श्रीनगर बेस अस्पताल भेज दिया गया है। गौरतलब है कि सुरक्षा बलों ने मंगलवार देर रात कुपवाड़ा जिले में माछिल सेक्टर के पास पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर(पीओके) की ओर से सीमा पार से घुसपैठ की कोशिश कर रहे आतंकवादियों को आत्मसमर्पण करने के लिये कहा। इसी दौरान आतंकवादियों ने स्वचालित हथियारों से गोलीबारी शुरू कर दी। सुरक्षाबलों ने भी जवाबी कार्रवाई में गोलियां चलाई, जिससे एक आतंकवादी मारा गया था। अन्य आतंकवादी अंधेरे का फायदा उठाकर भागने में सफल रहे। घटना के बाद अतिरिक्त सुरक्षा बलों को माछिल सेक्टर भेजा गया और वहां सरदारी नाद के जंगलों में संयुक्त तलाशी अभियान चलाया गया। इस अभियान के दौरान मुठभेड़ में दो अन्य आतंकवादी मारे गये। उन्होंने बताया कल देर शाम एक और आतंकवादी का शव मिला है। उन्होंने बताया कि अंतिम समाचार मिलने तक सरदारी नाद के जंगलों में तलाशी अभियान जारी है।


जनरल रावत के बाद एडमिरल लांबा बोले , सशस्त्र सेना हर स्थिति से निपटने को तैयार

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नयी दिल्ली 08 जून, सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत के सेना के हर मोर्चें पर तैयार रहने के बयान का समर्थन करते हुए नौसेना प्रमुख एडमिरल सुनील लांबा ने भी कहा है कि सशस्त्र सेनाएं किसी भी आकस्मिक स्थिति से निपटने के लिये पूरी तरह तैयार है। जनरल रावत ने आज ही कहा था कि सेना देश की सुरक्षा को किसी भी बाहरी और भीतरी खतरे से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार है। उन्होंने कहा कि भारतीय सेना कई मोर्चों पर एक साथ लड़ने में सक्षम है। एडमिरल लांबा ने उनका समर्थन करते हुए आज यहां एक कार्यक्रम में पत्रकारों से कहा कि सशस्त्र सेनाएं किसी भी आकस्मिक स्थिति से निपटने के लिए हर तरह से तैयार है। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि पाकिस्तानी सेना भारतीय सेना की जवाबी फायरिंग में मारे जाने वाले अपने जवानों की संख्या को छिपा रही है लेकिन साथ ही उन्होंने कहा कि यह उसका आंतरिक मामला है। जनरल रावत की तुलना ब्रिटेन के कुख्यात जनरल डायर से किये जाने को गलत बताते हुए उन्होंने कहा कि इस तरह की तुलना करना निराशाजनक है। चीन द्वारा पाकिस्तान में सैन्य ठिकाना बनाये जाने की अमेरिकी रक्षा विभाग की रिपोर्ट पर उन्होंने कहा ,“ यह एक आकलन है, जो रिपोर्ट में आया है। इस बारे में हमारा भी अपना आकलन है और भविष्य में क्या होता है, इस पर भारत की नजर है। ” उन्होंने कहा कि चीन विदेशों में अपने सैन्य बेस बना रहा है और पहला बेस अफ्रीकी देश जिबूती में बनाया जा रहा है । पाकिस्तान में चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा भी बनाया जा रहा है । पाकिस्तान ग्वादर बंदरगाह बनाने में भी चीन की सहायता ले रहा है और यह देखने की बात होगी कि इसे सैन्य बेस में बदला जाता है या नहीं। दक्षिण चीन सागर में पड़ोसी देशों के साथ संयुक्त सैन्य अभ्यास के कदम को सही ठहराते हुए उन्होंने कहा कि यह सिलसिला जारी रहेगा। उन्होंने कहा ,“ हम दक्षिण चीन सागर में मित्र देशों के साथ संयुक्त सैन्य अभ्यास जारी रखेंगे। ” उल्लेखनीय है कि भारत और सिंगापुर की नौसेनाओं के दक्षिण चीन सागर में हाल ही के सिम्बैक्स संयुक्त अभ्यास पर चीन ने आपत्ति जताई थी।

शाजापुर में उपद्रवियों ने एक ट्रक और बाइकों में आग लगायी, एसडीएम के साथ मारपीट

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शाजापुर, 08 जून, मध्यप्रदेश के शाजापुर जिला मुख्यालय पर आज उपद्रवियों ने एक ट्रक और तीन-चार बाइक में आग लगा दी, उपद्रव कर रहे लोगों ने अनुविभागीय दंडाधिकारी (एसडीएम) और कुछ मीडियाकर्मियों के साथ जमकर मारपीट भी की, इन घटनाओं के बाद प्रशासन ने वहां निषेधाज्ञा लागू कर दी। कलेक्टर अलका श्रीवास्तव ने बताया कि आज सरकारी खरीद केंद्रों पर किसानों से प्याज खरीदी का कार्य शुरू हुआ था। इसका कुछ लोग विरोध करने लगे। उनकी मांग पर प्याज खरीदी का कार्य भी प्रशासन टालने तैयार हो गया। इसके बावजूद कुछ लोगों ने यहां से गुजरने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग पर कुछ वाहनों और पुलिस बल को लक्ष्य करके पथराव शुरू कर दिया। सूत्रों के अनुसार एक समाज के लोग आज दोपाड़ा से रैली निकालकर कलेक्टोरेट पहुंचे और ज्ञापन दिया। उसके बाद रैली हाईवे स्थित मंडी पहुंच गई। वहां उन्होंने प्याज खरीदी कार्य का विरोध किया। उनका कहना था कि 10 जून तक आंदोलन है, तब तक खरीदी नहीं होनी चाहिए। इस दौरान हाईवे पर एक ट्रक पहुंच गया, तो वहां मौजूद उपद्रवियों ने उसमें भरा प्याज निकालकर फेंक दिया और उसमें आग लगा दी। हाईवे पर जाम भी लगा दिया। पुलिस ने स्थिति को नियंत्रित करने की कोशिश की, तो उपद्रवियों ने उन पर पथराव कर दिया। इस दौरान वहां मौजूद एसडीएम राजेश यादव को उपद्रवियों ने घेर लिया और उनके साथ जमकर मारपीट की। इस दौरान मीडिया के भी कुछ लोगों के साथ मारपीट की गई। उपद्रवियों ने चुन-चुनकर मीडिया और पुलिस की तीन-चार बाइक भी जला दीं। सूत्रों के अनुसार स्थिति को नियंत्रित करने के लिए पुलिस को आंसू गैस के गोले दागने पड़े और हवाई फायर भी करना पड़ा। उपद्रव की सूचना शहर के लोगों को मिलने पर कई लोग वहां पहुंचे और उन्होंने पुलिस वालों के साथ मिलकर उपद्रवियों को खदेड़ा। सूत्रों ने बताया कि घायल एसडीएम और दो मीडियाकर्मियों को अस्पताल में भर्ती कर इलाज किया जा रहा है।

बातचीत के लिये सरकार हमेशा तैयार है : शिवराज

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भोपाल, 08 जून, पिछले कई दिन से किसान आंदाेलन के दौरान मध्यप्रदेश में हो रही हिंसा के बीच प्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह चौहान ने किसानों से शांति बनाये रखने की अपील करते हुए कहा है कि समस्याओं के समाधान और बातचीत के लिये वे हमेशा तैयार हैं। आधिकारिक जानकारी के मुताबिक मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार किसानों की सरकार है, जनता की सरकार है। वे हमेशा जनता और किसानों के लिये काम करते रहेंगे। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि किसानों के हित में राज्य सरकार द्वारा अनेक महत्वपूर्ण फैसले लिये गये हैं। प्याज 8 रूपये किलो खरीदा जा रहा है। समर्थन मूल्य पर मूंग, उड़द और तुअर की खरीदी 10 जून से प्रारंभ की जा रही है। उन्होंने कहा कि समस्याओं के समाधान और बातचीत के लिये वे हमेशा तैयार हैं। चर्चा करके ही समस्याओं का समाधान हो सकता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि कुछ अराजक तत्व प्रदेश को हिंसा की आग में झोंकना चाहते हैं, उनसे हम सख्ती से निपटेंगे। मुख्यमंत्री ने किसानों से आग्रह किया है कि अराजक तत्वों के मंसूबे कामयाब नहीं होने दें, शांति बहाली में सहयोग दें। उन्होंने किसानों से अपील की कि मिलजुल कर प्रदेश को विकास के पथ पर आगे बढ़ायें।

राहुल के मध्यप्रदेश दौरे से बढ़ी राजनीतिक सरगर्मी, हिंसाग्रस्त जिलों में शांति

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भोपाल, 08 जून, पिछले कई दिन से किसान आंदोलन के चलते हिंसा की चपेट में आए मध्यप्रदेश में आज कांग्रेस के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राहुल गांधी के दौरे ने राजनीतिक सरगर्मी बढ़ा दी। हालांकि हिंसाग्रस्त सभी जिलों में स्थिति धीरे-धीरे नियंत्रण में आ रही है। मंदसौर जिले में गोलीबारी में छह किसानों की मौत के बाद लगे कर्फ्यू में आज शाम दो घंटे की ढील भी दी गई। शाजापुर में उपद्रवियों ने कुछ वाहनों में आग लगाई और अनुविभागीय दंडाधिकारी (एसडीएम) के साथ मारपीट की। प्रदेश में पहले की तुलना में हालात काफी हद तक काबू में है, बावजूद इसके पुलिस प्रशासन बेहद ऐहतियात बरत रहा है। मंदसौर जिले में गोलीबारी में मृत किसानों के परिजन से मिलने आए श्री गांधी को आज नीमच जिले में गिरफ्तार कर लिया गया। श्री गांधी ने गिरफ्तारी से पहले मीडिया से चर्चा में आरोप लगाया कि नरेंद्र मोदी सरकार अमीरों के लिए काम करने वाली और किसान विरोधी है। बडे उद्योगपतियों के डेढ लाख करोड़ के ऋण माफ कर दिए गए और किसानों के लिए सरकार ने कोई कदम नहीं उठाया। उन्होंने कहा कि उन्हें मध्यप्रदेश में भी किसानों से मिलने से रोका जा रहा है, इसी तरह का व्यवहार उत्तरप्रदेश में भी किया गया था। गिरफ्तारी के बाद श्री गांधी ने किसानों के परिजन की अनुमति नहीं मिलने तक जमानत से इनकार किया। बाद में प्रशासन द्वारा किसानों के परिजन से मिलाने के आश्वासन के बाद उन्होंने मुचलका भरा। इसके बाद उन्हें कड़ी सुरक्षा के बीच कार से मध्यप्रदेश-राजस्थान सीमा पर स्थित एक गांव में किसानों के परिजन से मिलाने ले जाया गया। श्री गांधी के साथ कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव दिग्विजय सिंह, पूर्व केंद्रीय मंत्री कमलनाथ, राजस्थान के प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सचिन पायलट, मध्यप्रदेश विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह और जनता दल यूनाइटेड प्रमुख शरद यादव वहां गए। वहीं मंदसौर जिले में दो दिन से लगाया गया कर्फ्यू अब भी जारी है। आज उसमें शाम चार से छह बजे तक दो घंटे की छूट दी गई। इसमें लोगों ने बाजार से आवश्यक सामग्री खरीदी। स्थिति सुधरने पर प्रशासन ने कल छूट की अवधि बढ़ाने के संकेत दिए हैं। शाजापुर जिला मुख्यालय पर आज मंडी में प्याज खरीदी का विरोध कर रहे उपद्रवियों ने एक ट्रक और तीन-चार बाइक में आग लगा दी। उपद्रव कर रहे लोगों ने एसडीएम राजेश यादव और कुछ मीडियाकर्मियों के साथ जमकर मारपीट भी की। उन्हें अस्पताल में भर्ती करना पड़ा। पुलिस को स्थिति संभालने के लिए आंसू गैस और हवाई फायरिंग का सहारा लेना पड़ा। इन घटनाओं के बाद प्रशासन ने वहां निषेधाज्ञा लागू कर दी। कल राजमार्ग पर हिंसा की कई घटनाओं के सामने आने के बाद देवास जिले में भी आज सुबह से शांति कायम है। कल यहां उपद्रवियों ने यात्री बसों को निशाना बनाने के साथ कई अन्य वाहनों को भी चपेट में ले लिया था। सीहोर में भोपाल-इंदौर राजमार्ग पर अमलाहा टोल प्लाजा पर नजदीकी गांवों के ग्रामीणों ने एकत्रित होकर प्रदर्शन करते हुए पथराव कर दिया। पुलिस बल ने फौरन सख्ती दिखाते हुए प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए अश्रु गैस के गोले छोड़े, जिसके बाद उपद्रवी शांत हो गए। पुलिस अधीक्षक मनीष कपूरिया ने बताया कि प्रदर्शनकारियों के पथराव में एक पुलिसकर्मी घायल है, जिसका उपचार किया जा रहा है। वहीं प्रदेश के गुना में भी आज रेल रोकने की कोशिश कर रहे 90 कांग्रेस कार्यकर्ताओं को पुलिस ने हिरासत में ले लिया। राजधानी भोपाल में भी श्री गांधी की गिरफ्तारी का विरोध कर रहे कांग्रेस के कुछ कार्यकर्ताओं को पुलिस ने हिरासत में ले लिया।

दार्जिलिंग में जीजेएम-पुलिस के बीच झड़प, 50 पुलिस कर्मी घायल

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नयी दिल्ली/ दार्जिलिंग 08 जून, पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग में आज गोरखा जनमुक्ति मोर्चा(जीजेएम) समर्थकों आैर पुलिस के बीच झड़प ने हिंसक रूप ले लिया और पथराव से उत्तरी बंगाल के पुलिस उपमहानिरीक्षक राजेश यादव सहित कम से कम 50 पुलिस कर्मी घायल हो गये, इस बीच सेना के सूत्रों ने दिल्ली में बताया कि राज्य सरकार ने स्थिति से निपटने के लिए सेना भेजने का अनुरोध किया था, जिसके बाद वहां सेना की दो टुकड़ियां भेजी गयी है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की राजधानी कोलकाता से बाहर दार्जिलिंग में पहली कैबिनेट बैठक के दौरान हुई इस झडप में तीन पुलिस अधिकारियों एवं एक महिला कांस्टेबल समेत 50 से अधिक पुलिसकर्मी घायल हुये हैं। हिंसक प्रदर्शनकारियों ने 15 से अधिक वाहनों को क्षतिग्रस्त कर दिया वहीं एक यातायात चौकी में आग लगा दी। एक उच्चाधिकारी के मुताबिक अभी स्थिति नियंत्रण में है। दूसरी तरफ बिमल गुरुंग की अगुवाई वाले जीजेएम ने कल 12 घंटे का दार्जिलिंग बंद का आह्वान किया है। पार्टी के सहायक सचिव विनय तमांग ने भानु भवन में जीजेएम की बैठक के बाद बताया कि अगली कार्रवाई के बारे में में कल घोषणा की जायेगी। सुश्री बनर्जी ने कहा है कि वह स्थिति के सामान्य होने तक दार्जिलिंग में रहेगी। उन्होंने दाजिर्लिंग में फंसे सभी पर्यटकों को वहां से निकालने के लिये प्रशासन को निर्देश भी दिया है। उल्लेखनीय है कि सैकड़ों जीजेएम कार्यकर्ताओं ने पुलिस बैरिकेड तोड़कर बैठक स्थल राजभवन की ओर बढ़ने का प्रयास किया। पुलिस ने उन्हें राेकने की कोशिश की तो उन्होंने पुलिस पर पथराव किया और कांच की बोतलें फेंकी। प्रदर्शनकारी दोपहर बाद साढ़े 12 बजे से धरने पर बैठे थे। प्रदर्शनकारियों को काबू में करने के लिए पुलिस को लाठी चार्ज करना पड़ा। इसके बाद भी जब प्रदर्शनकारी नहीं माने तो उन्हें तितर-बितर करने के लिए पुलिस को आंसू गैस के गोले दागने पड़े।

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