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गुजरात में चुनिंदा सीटों पर किस्मत आजमा सकती है आम आदमी पार्टी

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नयी दिल्ली, 11 जून, गुजरात में चुनाव लड़ने या नहीं लड़ने की संभावना के सवाल पर बंटी हुई आम आदमी पार्टी के नेता बीच का रास्ता अपना सकते हैं और उन सीटों पर अपने उम्मीदवार उतार सकते हैं जहां उनके जीतने की संभावना ठीकठाक है। प्रदेश में पार्टी के नेताओं का एक वर्ग चुनाव लड़ने के खिलाफ है, वहीं कुछ को लगता है कि उसे सभी सीटों पर किस्मत आजमानी चाहिए। एक तीसरा वर्ग है जिसकी राय है कि उसे कुछ चुनिंदा सीटों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए और इन पर जीत हासिल करने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक देनी चाहिए। राज्य में सभी विधानसभा क्षेत्रों में पार्टी कार्यकर्ताओं से जानकारी एकत्रित कर क्षेत्रवार रिपोर्ट आप के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल को सौंपी गयी है। पार्टी की गुजरात इकाई के प्रभारी गोपाल राय ने राज्य के नेताओं के साथ दो दिन तक बैठक की जहां मौजूदा राजनीतिक हालात, कांग्रेस की संभावनाओं, मुख्य विपक्ष और किसानों से जुड़े मुद्दों समेत कई पहलुओं पर विस्तार से विचार-विमर्श किया गया। हाल ही में राज्य में पाटीदार और दलित आंदोलन और इसका राज्य के चुनावों पर संभावित प्रभावों पर भी विस्तार से चर्चा हुई। पिछले सप्ताह पार्टी की राष्ट्रीय कार्यसमिति ने किसानों के मुद्दे पर गुजरात और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में अपने प्रदर्शन को तेज करने का फैसला किया था। गुजरात में इस साल विधानसभा चुनाव होने हैं। मध्य प्रदेश में 2018 के अंत तक चुनाव होंगे। आप नेता ने कहा, ‘‘गुजरात पर अभी तक कोई फैसला नहीं हुआ है। इस समय चुनाव लड़ने, नहीं लड़ने से लेकर कुछ सीटों पर लड़ने तक, तरह तरह की राय हैं।’’


RSS से जुड़े किसान संगठन ने कहा, केंद्र की नीतियों की वजह से किसान संकट में

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नयी दिल्ली, 11 जून, सरकार से विभिन्न मांगों को लेकर देश के विभिन्न हिस्सों में किसानों के आंदोलन के बीच राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े एक किसान संगठन ने इस संकट के लिए केंद्र की नीतियों को जिम्मेदार ठहराया है और उन्हें अविवेकपूर्ण बताया। भारतीय किसान संघ के राष्ट्रीय सचिव मोहिनी मोहन मिश्रा ने कहा कि किसान केंद्र सरकार की प्राथमिकता में नहीं हैं। उन्होंने मांग की कि उन्हें फसलों और कृषि उत्पादों के अधिक मूल्य मिलने चाहिए। मिश्रा ने  कहा, ‘‘केंद्र सरकार उपभोक्ताओं और खाद्य पदाथोर्ं की बढ़ती कीमतों के बारे में किसान से ज्यादा चिंतित है। वे सरकार की प्राथमिकता में नहीं हैं।’’ उन्होंने कहा कि किसान कृषि सामग्री को अधिकतम खुदरा मूल्य पर खरीद रहे हैं तो उन्हें न्यूनतम बिक्री मूल्य क्यों मिलना चाहिए। मिश्रा ने कहा कि सरकार को कम से कम यह सुनिश्चित करना चाहिए कि बिक्री मूल्य उत्पादन की लागत से 20-30 प्रतिशत अधिक हो। उन्होंने दालों का उदाहरण देते हुए कहा कि केंद्र सरकार ने पहले इसकी खेती को प्रोत्साहित किया और फिर सस्ती दालों का आयात किया। उन्होंने कहा, ‘‘परिणाम यह है कि आज किसानों को उनके उत्पादों के उचित मूल्य नहीं मिल रहे हैं।’’ मिश्रा ने कहा कि सरकार ने गेहूं पर आयात कर कम कर दिया जबकि इस साल बंपर फसल हुई थी। हालांकि मध्य प्रदेश में चल रहे किसान आंदोलन पर मिश्रा ने कहा कि राज्य में मौजूदा संकट ‘कुछ उपद्रवी’ तत्वों द्वारा रचा गया है। लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि किसान निराश हैं क्योंकि राज्य सरकार उनकी फसल खरीदने के लिए आवश्यक बंदोबस्त नहीं कर सकी। उन्होंने कहा कि बीकेएस 15 जून से सभी संभाग मुख्यालयों पर राज्य सरकार की ‘‘किसान विरोधी नीतियों’’ के खिलाफ बेमियादी धरना शुरू करेगा।

फ्रेंच ओपन : ‘लाल बादशाह’ नडाल का ‘परफेक्ट 10’

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पेरिस, 11 जून, लाल बजरी के बेताज बादशाह स्पेन के राफेल नडाल ने विध्वंसक प्रदर्शन करते हुए स्विटजरलैंड के स्टेनिसलास वावरिंका को रविवार को एकतरफा अंदाज में 6-2, 6-3, 6-1 से पराजित कर फ्रेंच ओपन में 10वीं बार खिताब जीतकर नया इतिहास रच दिया। नडाल किसी ग्रैंड स्लेम खिताब को 10वीं बार जीतने वाले दुनिया के पहले खिलाड़ी बन गए हैं। नडाल के करियर का यह 15 वां ग्रैंड स्लेम खिताब है और वह सर्वाधिक ग्रैंड स्लेम खिताब जीतने की आॅलटाइम सूची में अमेरिका के पीट सम्प्रास को पीछे छोड़कर दूसरे नंबर पर आ गए हैं। नडाल से आगे अब सिर्फ स्विटजरलैंड के रोजर फेडरर हैं जिनके नाम 18 ग्रैंड स्लेम खिताब हैं। चौथी वरीयता प्राप्त नडाल ने इस सत्र में अपना शानदार प्रदर्शन फ्रेंच ओपन में भी जारी रखा और तीसरी सीड स्विस खिलाड़ी को कोई मौका नहीं दिया और दो घंटे पांच मिनट में फाइनल निपटा दिया। नडाल अपना 10वां फ्रेंच ओपन खिताब जीतने के बाद सोमवार को जारी विश्व रैंकिंग में दूसरे नंबर पर पहुंच जाएंगे।

अनोखा तरीका : सहरी और इफ्तार का वक़्त बताने का

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मधुबनी (किशोर कुमार ) 28 मई से रमजान का महीना शुरू हो गया है. इसके साथ ही मुस्‍लिम समुदाय के लोगों के रोजे भी शुरू हो गए हैं. ये रोजे 26 जून तक चलेंगे. जिसके बाद ईद होगी. रमजान की शुरूआत चांद दिखने बाद मस्‍जिदों से लोगों को पता चलती है और रोजों के सहरी और इफ्तार का समय भी. ऐसे में हर मस्‍जिद का अपना तरीका है खबर देने का. वैसे सामान्‍य तौर पर रोजेदारों को आजान की आवाज बता देती है कि रोजा शुरू करने और खत्‍म करने का समय हो गया है. इसके लिए कहीं कहीं डंका भी बजाय जाता है. इस सबके बीच भोपाल में रायसेन स्थित मस्जिद अपने अलग अंदाज में ये खबर लोगों को देती है. यहां चांद का दीदार करने के बाद शहर के काजी मस्जिद की पारंपरिक तोप से बारूदी गोले दागकर लोगों को चांद दिखने की सूचना देते हैं. तोपों की आवाज सुनकर लोग समझ जाते हैं कि अगले दिन से रोजा रखना है. इसके बाद पूरे रमजान में भी मस्जिद से गोले दागे जाते हैं, ताकि उनकी आवाज सुनकर लोग सहरी और इफ्तार का वक्त जान जाएं. हर रमजान में दागे जाने वाले इन गोलों पर आने वाला खर्च मस्जिद कमेटी वहन करती है. रमजान में इसे चलाने के लिए स्थानीय डीएम से खासतौर से इजाजत ली जाती है. सुनने में आया है कि रायसेन के किले में रखी पुरानी तोप से ही सारे गोले दागे जाते हैं. तोप से आग के सहारे गोले दागे जाते हैं. इस दौरान तोप का मुंह आसमान की तरफ रखा जाता है ताकि किसी को नुकसान न होने पाए.

सामाजिक न्याय और भ्रष्टाचार साथ नहीं होते : रविशंकर

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social-justice-corruption-ravi-shankarगोपालगंज 11 जून, केंद्रीय विधि एवं न्याय और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने बिहार में सत्तारूढ़ महागठबंधन सरकार के सामाजिक न्याय के दावों और गठबंधन के बड़े घटक राष्ट्रीय जनता दल (राजद) अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव पर भ्रष्टाचार के लग रहे आरोपों पर आज कहा कि सामाजिक न्याय और भ्रष्टाचार साथ-साथ नहीं होते। श्री प्रसाद ने यहां आयोजित संवाददाता सम्मेलन में कहा कि बिहार में इन दिनों भ्रष्टाचार की एक-एक परत खुल रही है लेकिन सुशासन बाबू (मुख्यमंत्री नीतीश कुमार) क्या कर रहे हैं यह आमलोगों को पता नहीं चल पा रहा है। उन्होंने श्री यादव को उनके 70वें जन्मदिन की बधाई देते हुये कहा कि सामाजिक न्याय और भ्रष्टाचार साथ-साथ नहीं होता, इस पर उन्हें विचार करना होगा। केंद्रीय मंत्री ने केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के तीन वर्ष के कार्यकाल की उपलब्धियों का विवरण देते हुये कहा कि सरकार के तीन वर्ष के कार्यकाल के दौरान उसके दामन पर कोई दाग नही लगा पाया है क्याेंकि अब बिचैलियों का प्रवेश बंद हो चुका है। उन्होंने कहा कि उज्ज्वला योजना के तहत दो करोड गैस के चूल्हे गरीबों के बीच वितरित किये जा चुके हैं। झोपड़ियों में रहने वाली महिलाओ को अब हाथ में कालिख नही लगानी पड रही है। इनमें 6,80,000 महादलित परिवार को गैस चूल्हे एवं कनेक्शन दिये गये हैं।

नीतीश में हिम्मत है ताे विधानसभा भंग कर चुनाव करायें : केशव

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पटना 11 जून, उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री एवं भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता केशव प्रसाद मौर्य ने बिहार में सत्तारूढ़ महागठबंधन सरकार को अपवित्र और असफल गठबंधन करार देते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को आज चुनौती दी कि यदि उन्हें (श्री कुमार) प्रदेश में किये गये अपने बेहतर कार्य पर भरोसा है तो विधानसभा को भंग कर चुनाव करायें। श्री मौर्य ने यहां केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार के तीन वर्ष का कार्यकाल पूरा होने के अवसर पर पार्टी की ओर से आयोजित ‘सबका साथ, सबका विकास’ कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि बिहार में सत्तारूढ़ महागठबंधन की सरकार अबतक असफल साबित हो चुकी है जिसे उखाड़ फेकने के लिये प्रदेश के लोग तैयार बैठे हैं। मुख्यमंत्री श्री कुमार को यदि अपने किये गये बेहतर कार्य पर इतना ही भरोसा है तो उन्हें वर्ष 2020 की प्रतीक्षा नहीं कर तत्काल विधानसभा को भंग कर चुनाव मैदान में आना चाहिए। उप मुख्यमंत्री ने सत्तारूढ़ महागठबंधन को अपवित्र और असफल गठबंधन बताते हुए कहा कि जिस तरह से उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में भाजपा को जीत मिली ठीक उसी तरह से बिहार में भी यदि चुनाव हुआ तो उनकी पार्टी आपार बहुमत से जीत दर्ज करेगी । केन्द्र प्रायोजित योजनाओं के लिये मिल रही राशि को नीतीश सरकार खर्च नहीं कर पा रही है। उन्होंने कहा कि ठीक इसी तरह की स्थिति उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी(सपा) के कार्यकाल में बनी हुयी थी।



श्री मौर्य ने कहा कि केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार सबका साथ, सबका विकास के मूल मंत्र पर काम कर रही है और सभी लोगों को साथ लेकर चलने में विश्वास रखती है । किसानों और नौजवानों की बेहतरी के लिये पैसे दिये जा रहे हैं जिसका बिहार सरकार उपयोग नहीं कर पा रही है। उन्होंने कहा कि नीतीश सरकार की तरह ही उत्तर प्रदेश की तत्कालीन अखिलेश सरकार की भी कार्यशैली थी । उप मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री देश के सभी राज्यों का समान रूप से विकास करना चाहते हैं। गरीबों की खुशहाली चाहते हैं जो मुख्यमंत्री श्री कुमार तथा उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को बर्दाश्त नहीं है। उन्होंने कहा कि इसी का नतीजा है कि उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव का परिणाम क्या हुआ यह किसी से छुपा हुआ नहीं है। श्री मौर्य ने कहा कि उत्तर प्रदेश में वर्ष 2014 में हुए लोकसभा के चुनाव में पार्टी को एतिहासिक सफलता मिली थी। लोकसभा चुनाव के समय लोगों की नजरें उत्तर प्रदेश और बिहार पर टिकी थीं लेकिन उत्तर प्रदेश में पार्टी को 73 सीटों पर जहां विजय मिली वहीं बिहार में भी आपार सफलता मिली । उत्तर प्रदेश की तत्कालीन सपा सरकार ने भाजपा को चुनाव में दरकिनार करने के लिये हर तरह का हथकंडा अपनाया था और इसके बावजूद जनता की इच्छा के आगे एक नहीं चल सकी । उन्होंने दावा किया कि वर्ष 2019 में होने वाले लोकसभा के चुनाव में पार्टी उत्तर प्रदेश में सभी 80 तथा बिहार में भी 40 सीटों पर जीत दर्ज करेगी।

भारत ‘दबंग’ जीत के साथ सेमीफाइनल में

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लंदन, 11 जून, गत चैंपियन भारत ने गेंदबाजों के दमदार प्रदर्शन और गब्बर के नाम से मशहूर शिखर धवन (78) तथा कप्तान विराट कोहली (नाबाद 76) के दबंग अर्धशतकों से विश्व की नंबर एक टीम दक्षिण अफ्रीका को रविवार को आठ विकेट से पीटकर शान के साथ आईसीसी चैंपियंस ट्राफी के सेमीफाइनल में कदम रख दिया। भारत ने करो या मरो के इस ग्रुप बी मुकाबले में दक्षिण अफ्रीका को पूरी तरह धूल चटा दी। विश्व की नंबर दाे टीम भारत ने शानदार गेंदबाजी और तीन बेहतरीन रन आउट से दक्षिण अफ्रीका को 44.3 ओवर में 191 रन पर निपटा दिया। टीम इंडिया के लिए लक्ष्य ज्यादा मुश्किल नहीं था और शिखर तथा विराट के अर्धशतकों ने इसे और भी आसान बना दिया। भारत ने 38 ओवर में दो विकेट पर 193 रन बनाकर आसान जीत अपने नाम की और सेमीफाइनल में पहुंच गया। भारत इस तरह सेमीफाइनल में पहुंचने वाली तीसरी टीम बन गया। ग्रुप ए से मेजबान इंग्लैंड और बंगलादेश पहले ही सेमीफाइनल में पहुंच गए हैं। चौथी सेमीफाइनलिस्ट का फैसला सोमवार को पाकिस्तान और श्रीलंका के बीच ग्रुप बी के आखिरी मैच से होगा। भारत का ग्रुप बी में शीर्ष पर रहना लगभग तय है और उसका सेमीफाइनल में बंगलादेश के साथ मुकाबला हो सकता है।

महाराष्ट्र सरकार किसानों का कर्ज माफ करेगी

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मुंबई 11 जून, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस ने छोटे किसानों का आंशिक कर्ज माफ किये जाने के लिये आज सहमति जतायी। राज्य सरकार ने रिण माफी योजना के क्रियान्वयन के लिये एक समिति का भी गठन किया है। राज्य के पांच एकड़ से कम भूमि वाले 1.07 करोड़ किसान रिण माफी के लाभ के पात्र होंगे। हालांकि किसान पूरी तरह से रिण मुक्त किये जाने की मांग कर रहे हैं। रिण माफी की इस योजना से राज्य के बजट पर 30 हजार करोड़ का वित्तीय भार पड़ेगा। हाल ही में उत्तर प्रदेश की भारतीय जनता पार्टी सरकार ने किसानों के 36 हजार करोड़ रूपये रिण माफ की घोषणा की थी।


मुख्यमंत्री शिवराज का उपवास समाप्त

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भोपाल, 11 जून, मध्यप्रदेश में किसान आंदोलन के दौरान फैली हिंसा के बाद शांति बहाली की अपील को लेकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का कल से यहां जारी अनिश्चिकातीन उपवास आज समाप्त हो गया। भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता कैलाश जोशी और कई बुजुर्ग किसानों ने मुख्यमंत्री को उपवास के मंच पर नारियल पानी पिलाकर उनका उपवास तुड़वाया। उपवास समाप्त होने के पहले मुख्यमंत्री श्री चौहान ने प्रदेश की जनता से अपील की कि जनता प्रदेश में अराजकता फैलाने वाले तत्वों को अलग-थलग करे और प्रदेश को एक बार फिर शांति का टापू बनाने में मदद करे। उन्होंने कहा कि हिंसा के दौरान निर्दोषों पर कोई कार्रवाई नहीं होगी, लेकिन 'शैतानियत'और 'हैवानियत'फैलाने वालों को बख्शा नहीं जाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि मंदसौर जिले में हिंसा में मरने वाले लोगों के परिजन ने भी उनसे मुलाकात करते हुए उनसे उपवास तोड़ने की अपील की। उन्होंने वहां मौजूद जनता से पूछा कि प्रदेश में दो दिन से हिंसा की कहीं से कोई खबर नहीं आई है, क्या उन्हें उपवास तोड़ देना चाहिए, जिस पर सभी ने एकसुर में हां में जवाब दिया। वहीं किसानों की समस्याओं के समाधान के प्रति प्रतिबद्धता जताते हुए उन्होंने प्रदेश में दूध खरीदी के लिए अमूल फार्मूला लागू करने, कृषि उत्पाद लागत एवं विपणन आयोग बनाने, एक हजार करोड़ रुपए का मूल्य स्थिरीकरण कोष स्थापित करने और स्वामीनाथन आयोग की अनुशंसाओं के आधार पर स्टेट लैंड यूज एडवाइजरी सर्विस बनाने की भी घोषणा की।

66 वस्तुओं की जीएसटी दर में कमी

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नयी दिल्ली 11 जून, वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) परिषद ने विभिन्न वस्तुओं के तय जीएसटी दरों का हो रहे विरोध के मद्देनजर 66 वस्तुओं की दर में कमी कर दी है जिससे अब ये उत्पाद सस्ते हो जायेंगे। वित्त मंत्री अरुण जेटली की अध्यक्षता में आज यहां हुयी परिषद की 16वीं बैठक में ये निर्णय लिये गये। पिछली दो बैठकों में वस्तुओं एवं सेवाओं के लिए जीएसटी दरें तय की गयी थी। इसके बाद उद्योग एवं कारोबारी संगठनों ने कुछ वस्तुओं की जीएसटी दर का विरोध करते हुये ज्ञापन सौंपे थे। बैठक के बाद श्री जेटली ने संवाददाताआें से कहा कि 133 वस्तुओं की जीएसटी दर को लेकर ज्ञापन मिले थे। जीएसटी परिषद ने 66 वस्तुओं की जीएसटी दर में कमी कर दी है। सेनेटरी नैपकिन पर जीएसटी दर में कोई बदलाव नहीं किया गया है। अब एक सौ रुपये तक के सिनेमा टिकट पर 18 फीसदी कर लगेगा जबकि पहले सभी सिनेमा टिकट पर 28 फीसदी कर निर्धारित किया गया था। अब 100 रुपये से अधिक के टिकट पर ही 28 फीसदी कर लगेगा। उन्होंने कहा कि इसी तरह से काजू, इंसुलिन और अगरबत्ती पर पहले 12 फीसदी जीएसटी दर तय की गयी थी जिसे अब कम कर पांच फीसदी कर दिया गया है। कंप्यूटर प्रिंटर, डेंटल वैक्स, स्कूल बैग, प्लास्टिक तारपोलिन, प्लास्टिक बीड्स ,कंक्रीट पाइप और ट्रैक्टर के कलपुर्जे की जीएसटी दर को 28 से कम कर 18 प्रतिशत कर दिया गया है। उन्होंने बताया कि कॉपियां, बर्तन और डिब्बा बंद फल, सब्जियां, अचार, टॉपिंग्स, इंस्टेंट फूड और सॉस पर जीएसटी को 18 से कम कर 12 प्रतिशत कर दिया गया है। कलरिंग बुक पर जीएसटी को 12 से घटाकर शून्य कर दिया गया है। श्री जेटली ने कहा कि अब 75 लाख रुपये तक के कारोबारी, विनिर्माता और रेंस्त्रां वाले कंपोजिशन स्कीम का लाभ उठा सकेंगे जबकि पहले यह सीमा 50 लाख रुपये थी। उन्होंने कहा कि जिन वस्तुओं पर जीएसटी दर कम की गयी है उससे वे उत्पाद सस्ते हो जायेंगे लेकिन इससे सरकारी राजस्व पर असर पड़ेगा। उन्होंने बताया कि जीएसटी परिषद की अब अगली बैठक 18 जून को दिल्ली में आयोजित की जायेगी जिसमें लॉटरी और ई-वे बिल पर जीएसटी दर को लेकर चर्चा की जायेगी। उल्लेखनीय है कि सरकार एक जुलाई से जीएसटी को लागू करने की तैयारियां कर रही है और इसी के मद्देनजर सभी वस्तुआें और सेवाओं के लिए जीएसटी दरें तय की जा रही हैं।

जेटली और जावड़ेकर ने टीचर्स वर्कशॉप का शुभारंभ किया

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नयी दिल्ली 11 जून, वित्त मंत्री अरुण जेटली और मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने आज यहां भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान में अर्थशास्त्र के शिक्षकों के लिए सात दिवसीय टीचर्स वर्कशॉप का शुभारंभ किया। मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमनियन के प्रस्ताव पर मानव संसाधन की पहल पर यह वर्कशॉप का आयोजन किया गया है। यह वर्कशॉप भारतीय आर्थिक विकास और आर्थिक सर्वेक्षण विषय पर आयोजित किया गया है जहां देश भर से आये अर्थशास्त्र के शिक्षकाें को श्री सुब्रमनियन प्रतिदिन संबोधित करेंगे। उन्हें छात्रों की तरह अर्थव्यवस्था में हो रहे बदलाव के बारे में बताया जायेगा। इस दौरान श्री जेटली ने कहा कि श्री सुबमनियन इसके लिए अपने अकादमी वाली भूमिका में वापस आ गये हैं और इसके लिए उन्होंने पाठ्यक्रम की रूपरेखा तैयार की है। इससे शिक्षकों और छात्रों को बहुत मदद मिलेगी।

विशेष : समय बदला,सरकारें बदली, नहीं बदली तो ‘छोटू’ की किस्मत

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नई दिल्ली  11 जून, शहरों और महानगरों में फर्राटा भरती जिंदगी के बीच मटमैले लिबास में दुबले पतले ‘छोटू’ से आपकी मुलाकात कई मर्तबा चाय के ढाबे, सडक किनारे चलती फिरती बूट पालिश की दुकानों और लाल बत्ती पर बडी बडी कारों के शीशे चमकाते हुयी होगी। आजादी के बाद देश ने कई क्षेत्रों में सफलता के नये मुकाम हासिल किये। गांव देहातों की तस्वीर बदली तो शहरों मे गगनचुंबी इमारतों और माल वगैरह की बाढ सी आ गयी। इन सबके बीच बाल श्रमिकों की दशकों पुरानी समस्या पर केन्द्र आैर राज्य सरकारें कडे कानून के बावजूद अंकुश लगाने में विफल रही हैं। अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन के अनुसार देश में बाल श्रमिकों की तादाद दो करोड से अधिक है जो दुनिया भर के बाल श्रमिकों की तादाद का लगभग आठ फीसदी है। इन बाल श्रमिकों में से 19 प्रतिशत के लगभग घरेलू नौकर हैं, ग्रामीण और असंगठित क्षेत्रों में तथा कृषि क्षेत्र से लगभग 80 फीसदी बाल मजदूर जुड़े हुए हैं। बाल मजदूरी पर लगाम कसने के लिये बनाये गये कानून का अक्षरश: पालन कराने में केन्द्र और राज्य सरकारें नकारा साबित हुयी है। इसका प्रत्यक्ष उदाहरण है कि 14 साल से कम उम्र के बच्चे किसी भी शहर के हर गली चौराहे और औद्योगिक क्षेत्र में खुलेआम काम करते दिखायी पडते हैं मगर श्रम विभाग ने अपनी आंखों में काला चश्मा पहना हुआ है। पिछले साल जुलाई में बाल श्रम पर नये कानून को राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने मंजूरी दी। नये कानून के मुताबिक किसी भी काम के लिए 14 साल से कम उम्र के बच्चे को नियुक्त करने वाले व्यक्ति को दो साल तक की कैद की सजा तथा उस पर 50,000 रुपये का अधिकतम जुर्माना लगेगा। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ,कानपुर,बरेली,इलाहाबाद,मेरठ और वाराणसी समेत लगभग हर बडे शहर में रेलवे स्टेशन,बस अड्डे,बाजार और कारखानों में काम कर रहे बाल श्रमिक इस दिशा में नये कानून की सरेआम धज्जियां उडाते दिखायी देते हैं। 


लखनऊ के चारबाग रेलवे स्टेशन के बाहर चाय के कप धोते नौ साल के छोटू ने कहा कि उसका असली नाम छुट्टन है मगर यहां उसे लोगबाग छोटू कहकर पुकारते हैं। पिछले डेढ साल से काम कर रहे बालक ने कहा कि वह गाजीपुर के एक गांव का रहने वाला है। माता पिता यहां मजदूरी करते है जबकि उसे गांव के ही लल्लन के हवाले कर दिया है। चाय की दुकान करने वाला लल्लन उसे काम के एवज में दो समय खाना देता है और महीने का 700 रूपये उसके माता पिता को देता है। पढाई लिखायी के बारे में बिल्कुल अनभिज्ञ छुट्टन ने कहा कि पढने के बारे में उसके कभी नही सोचा और न/न ही उसके माता पिता ने उसे इसके लिये प्रेरित किया। अमीनाबाद में बूट पालिश की दुकान चलाने वाला 12 वर्षीय किशोर आमिर और 13 साल के रहमान ने कहा कि उनका परिवार चौक इलाके में रहता है। किशाेरों ने कहा कि करीब पांच साल से वे बूट पालिश का धंधा कर रहे है और अब हर रोज वे औसत 80 से 120 रूपये कमा लेते हैं। राहगीर और दुकानदार उन्हे छोटू के नाम से पुकारते हैं अौर उन्हे इससे कोई एतराज भी नही है। हिन्दी फिल्मों के शौकीन किशोरों ने कहा कि टीवी पर पुरानी पिक्चरों में उन्होंने अमिताभ बच्चन समेत कई कलाकारों को बूट पालिश करते देखा है। मेहनत करके रूपये कमाने में कोई बुराई नही है। लखनऊ विश्वविद्यालय में समाजशास्त्र के प्रवक्ता एस सी बनर्जी ने इस बाबत कहा कि बाल-श्रम, मानवाधिकार का खुला उल्लंघन है। यह बच्चों के मानसिक, शारीरिक, आत्मिक, बौद्धिक एवं सामाजिक हितों को प्रभावित करता है। बच्चे आज के परिवेश में घरेलू नौकर का कार्य कर रहे हैं। वे होटलों, कारखानों, सेवा-केन्द्रों, दुकानों आदि में कार्य कर रहे हैं, जिससे उनका बचपन पूर्णतया प्रभावित हो रहा है।

श्री बनर्जी ने कहा कि स्कूलों में बच्चो को अब्दुल कलाम,सचिन तेंदुलकर,विवेकानंद और राजा राममोहन राय जैसे चरित्रों को पढाया जाता है जिससे वे प्रेरणा लेकर देश और समाज के लिये कुछ कर सके वहीं दूसरी ओर बाल मजदूरी के चलते बच्चों का भविष्य अंधकारमय होता जा रहा है। ग़रीब बच्चे सबसे अधिक शोषण का शिकार हो रहे हैं। छोटे-छोटे ग़रीब बच्चे स्कूल छोड़कर बाल-श्रम के लिये मजबूर हैं। विधि विशेषज्ञ और उच्च न्यायालय में वकालत करने वाले एस प्रसाद ने कहा कि भारत के संविधान, 1950 का अनुच्छेद 24 स्पष्ट करता है कि 14 वर्ष से कम उम्र के किसी भी बच्चे को ऐसे कार्य या कारखाने इत्यादि में न रखा जाये जो खतरनाक हो।
कारखाना अधिनियम, बाल अधिनियम, बाल श्रम निरोधक अधिनियम आदि भी बच्चों के अधिकार को सुरक्षा देते हैं मगर इसके विपरीत आज की स्थिति बिलकुल भिन्न है। श्री प्रसाद ने कहा कि पिछले साल राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने बाल श्रम पर नये कानून को मंजूरी दी थी। किसी भी काम के लिए 14 साल से कम उम्र के बच्चे को नियुक्त करने वाले व्यक्ति को दो साल तक की कैद की सजा तथा उस पर 50,000 रुपये का अधिकतम जुर्माना लगेगा। हालांकि, स्कूल से बाद के समय में अपने परिवार की मदद करने वाले बच्चे को इस कानून के दायरे में नहीं रखा गया है।

नया कानून 14 से 18 साल की उम्र के किशोर को खानों और अन्य ज्वलनशील पदार्थ या विस्फोटकों जैसे जोखिम वाले कार्यों में रोजगार पर पाबंदी लगाता है। नया कानून फिल्मों, विज्ञापनों या टीवी उद्योग में बच्चों के काम पर लागू नहीं होता। इस सिलसिले में एक विधेयक को लोकसभा ने 26 जुलाई को पारित किया था जबकि राज्यसभा ने उसे 19 जुलाई को पारित किया। संशोधित अधिनियम के जरिए इसका उल्लंघन करने वालों के लिए सजा को बढ़ाया गया है। बच्चों को रोजगार देने वालों को अब छह महीने से दो साल की जेल की सजा होगी या 20,000 से लेकर 50,000 रुपये तक का जुर्माना, या दोनों लग सकेगा। पहले तीन महीने से एक साल तक की सजा और 10,000 से 20,000 रुपये तक का जुर्माना या दोनों का प्रावधान था। दूसरी बार अपराध में संलिप्त पाए जाने पर नियोक्ता को एक साल से लेकर तीन साल तक की कैद की सजा का प्रावधान किया गया है। कानून के मुताबिक किसी भी बच्चे को किसी भी रोजगार या व्यवसाय में नहीं लगाया जाएगा। हालांकि स्कूल के समय के बाद या अवकाश के दौरान उसे अपने परिवार की मदद करने की छूट दी गई है। 

दूरदराज के लोगों की कानूनी मदद के लिए ‘टेली ला ’ सेवा की शुरूआत

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नयी दिल्ली 11 जून, केंद्र सरकार ने दूर -दराज के गांवों के लोगों को वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये कानूनी सहायता मुहैया कराने के लिए ‘टेली ला ’ सेवा की शुरूआत की है । ‘टेली-लॉ’ सेवा का शुभारंभ करते हुए इलेक्ट्रोनिक्स आईटी विधि और न्याय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि यह सेवा शुरू करके सरकार ने समाज के गरीब लोगों की पहुंच न्याय प्रणाली तक सुनिश्चित करने का अपना वादा निभाया है। विधि एवं न्याय मंत्रालय तथा इलेक्ट्रोनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय मिल कर यह कार्यक्रम संचालित करेंगे। शुरुआत में यह कार्यक्रम प्रायोगिक तौर पर उत्तर प्रदेश आैर बिहार के 500 सामान्य सेवा केंद्रों (सीएससी) में चलाया जाएगा । इसके बाद इसे चरणबद्ध तरीके से पूरे देश में लागू किया जाएगा । इसके लिए डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के अंतर्गत इलेक्ट्रोनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा देशभर में पंचायत स्तर पर चलाये जा रहे (सीएससी) का इस्तेमाल किया जाएगा। सहायता प्रायोगिक परियोजना उत्तर प्रदेश और बिहार में 1000 (सीएससी) के जरिए संचालित की जाएगी। इस कार्यक्रम के जरिए 1000 महिला अर्द्ध-विधिक स्वयंसेवकों की क्षमता निर्माण में मदद मिलेगी टेली-लॉ सेवाओं के कारगर संचालन के लिए 1000 सामान्य सेवा केंद्रों में वीएलईज़ को प्रशिक्षण दिया गया। कार्यक्रम के तहत ‘टेली-लॉ’ नाम का एक पोर्टल शुरू किया जाएगा जो समूचे सीएससी नेटवर्क पर उपलब्ध होगा। यह पोर्टल प्रौद्योगिकी सक्षम प्लेटफार्मों की सहायता से नागरिकों को कानून सेवा प्रदाताओं के साथ जोड़ेगा। इसके अलावा लॉ स्कूल क्लिनिकों, जिला विधि सेवा प्राधिकारियों, स्वयंसेवी सेवा प्रदाताओं और कानूनी सहायता एवं अधिकारिता के क्षेत्र में काम कर रहे गैर-सरकारी संगठनों को भी सीएससीज़ के साथ जोड़ा जाएगा। राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (नाल्सा) राज्यों की राजधानियों से वकीलों का एक पैनल उपलब्ध कराएगा, जो आवेदकों को वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए कानूनी सलाह और परामर्श देंगे ।

कभी गरीबों का निवाला रहा बाटी चोखा, अब बना शाही भोजन

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देवरिया, 11 जून, कभी उत्तर प्रदेश के पूर्वी इलाके और पड़ोसी राज्य बिहार के गरीबों का निवाला रहा बाटी-चोखा अब बदलते जमाने में शाही लोगों का पसन्दीदा भोजन बनता जा रहा है। पुराने जानकार बताते हैं कि कभी प्रदेश के देवरिया, गोरखपुर, बलिया, मऊ, गाजीपुर, बस्ती, कुशीनगर समेत बिहार के सीवान, छपरा, गोपालगंज, पश्चिम चम्पारण आदि जिलों में बाटी चोखा गरीब तबके का मुख्य भोजन हुआ करता था। बस स्टैण्ड के पास बाटी की दुकान लगाने वाले 58 वर्षीय भगत राम ने बताया कि बदलते परिवेश में गरीबों का यह भोजन बड़े-बड़े लोगों का शाही भोजन बन गया है। अब तो साधारण बाटी- चोखा शादी ब्याह की पार्टियों के साथ बड़े लोगों का शौकिया भोजन बनता जा रहा है। बदलते परिवेश में बाटी चोखा का स्वरूप भी बदलने लगा है। लोग इसे अब शाही विधि-विधान से बनवाने लगे हैं। उन्होंने बताया कि यह गरीबों का मुख्य भोजन इसलिये भी कहा जाता था कि इसे गरीब लोग कहीं भी कण्डा की आग तैयार कर उस पर बाटी चोखा तैयार कर अपनी क्षुधा को शान्त कर लेते थे। पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय चन्द्रशेखर बाटी-चोखा के बहुत ही शौकीन थे। अब बाटी के साथ कई प्रकार के मिक्स चोखे के साथ देशी घी का प्रयोग भी शाही बाटी चोखे में होने लगा है। भगत राम का कहना है गरीबों के इस भोजन को पूर्वी उत्तर प्रदेश से ले जाकर स्व. चन्द्रशेखर ने देश की राजधानी दिल्ली तक बड़े-बड़े लोगों को इसका स्वाद चखाया था। लोग बताते है कि स्व. चन्द्रशेखर अपने यहां महीने, दो महीने पर राजधानी में बड़े- बड़े लोगों को बाटी चोखा की दावत देते रहते थे। बाटी-चोखा के शौकीन बताते हैं कि यह भोजन जहां स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से हितकर माना जाता है वहीं यह सुपाच्य भी है। इसको बनाने के लिये गोबर के कण्डे को जलाकर आटे की लोई को गोल-गोल बनाकर आग की हल्की आंच पर सेंका जाता है और उसी आग मे आलू भूनकर चोखा तैयार करते हैं। इस सादे भोजन में न तो मसाले का प्रयोग होता है और न ही अधिक तेल आदि का। बाटी चोखे को पहले गरीब कम लागत में तैयार कर अपना निवाला बनाते थे। गरीब लोग आलू का चोखा नमक और मिर्च डालकर बनाते थे। अब तो बाटी चोखा शादी विवाह के भोजन में विशेष डिश बनता जा रहा है। देवरिया शहर में बाटी चोखा की करीब 25 से अधिक दुकानें खुली हैं, जहां लोग शौकिया तौर पर भोजन करते दिखाई पड़ते हैं। बाटी चोखा के दुकानदार रामलाल ने बताया कि हमारे दुकान पर गरीब से लेकर बड़े- बडेलोग बाटी चोखा खाने आते हैं। उसने बताया कि दिन में ऐसे लोग आते है जो कम पैसे में अपनी भूख शांत करते हैं, लेकिन रात के समय गरीब लोगों के साथ बडे-बडे शौकिया लोग भी आते हैं जो अपने दोस्तों के साथ आकर भोजन करते हैं।

मराठी फिल्म में काम करना चाहती है ऐश्वर्या

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मुंबई, 11 जून, बॉलीवुड की जानी मानी अभिनेत्री ऐश्वर्या राय बच्चन मराठी फिल्म में काम करना चाहती है। ऐश्वर्या ने विक्रम फडनीस की पहली मराठी फिल्म ‘हृदयांतर’ के संगीत शुरुआत के मौके पर यह बात कही है। मराठी फिल्म में काम करने की इच्छा संबंधी एक सवाल पूछे जाने पर ऐश्वर्या ने कहा, “मैं यह फिल्म करना पसंद करुंगी। आपका धन्यवाद कि आपने लोगों और मीडिया के सामने यह सवाल पूछा। ” ऐश्वर्या का कहना है कि वह एक कलाकार हैं और उनके लिए यह मायने नहीं रखता कि फिल्म कहां और किसी भाषा में बन रही है। दो वर्ष पूर्व फिल्म ‘जज्बा’ से फिल्मों में वापसी करने वाली ऐश्वर्या ने कहा कि उन्होंने अपना रास्ता खुद बनाया और फिल्मों को चुनते समय कभी परेशान नहीं हुई।


ओवल मैदान में माल्या की हुई हूटिंग

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लंदन, 11 जून, भारत के भगोड़े बिजनेसमैन विजय माल्या रविवार को जब यहां ओवल मैदान में भारत और दक्षिण अफ्रीका का चैंपियंस ट्राफी मैच देखने पहुंच रहे थे तो स्टेडियम के बाहर उन्हें हूटिंग का सामना करना पड़ा। माल्या जब स्टेडियम के बाहर थे तो उन्हें हूटिंग का सामना करना पड़ा। माल्या इससे पहले बर्मिंघम में भारत पाकिस्तान के मैच को भी देखने पहुंचे थे। माल्या भारतीय बैंकों के नौ हजार करोड़ रुपए के कर्जदार हैं। वह 15 महीने पहले भारत छोड़कर ब्रिटेन चले गए थे। माल्या हाल में एक चैरिटी कार्यक्रम में जब पहुंचे थे तो उस कार्यक्रम में मौजूद कप्तान विराट कोहली और भारतीय खिलाड़ियों ने उनसे दूरी बनाकर रखी थी। भारतीय खिलाड़ी किसी भी तरह के विवाद से बचने के लिए सभी कार्यक्रम से जल्द लौट गए थे।

किसान आंदोलन के समर्थन में आई अखिल भारतीय जाट आरक्षण संघर्ष समिति

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हिसार 11 जून, अखिल भारतीय जाट आरक्षण संघर्ष समिति भी मध्य प्रदेश तथा महाराष्ट्र के किसान आंदोलन के समर्थन में आ गई है। किसानों के समर्थन में समिति 13 जून को पूरे प्रदेश में जिला स्तर पर उपायुक्त को ज्ञापन सौंप कर सरकार से किसानों की समस्याओं के समाधान की मांग करेगी। यह जानकारी समिति के प्रदेश प्रवक्ता रामभगत मलिक ने आज यहां दी । उन्होंने बताया कि संघर्ष समिति की कोर कमेटी की दिल्ली के नांगलोई स्थित जाट धर्मशाला में हुई बैठक हुई जिसमें सरकार से हुई बातचीत को लेकर कार्रवाई की समीक्षा की गई। इसके अलावा बैठक में समाज के विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की गई। उन्होंने बताया कि बैठक में मध्य प्रदेश तथा महाराष्ट्र के किसान आंदोलन तथा मध्य प्रदेश के मंदसौर में किसानों पर की गई फायरिंग को लेकर भी चर्चा की गई। बैठक में समिति ने किसानों के आंदोलन का समर्थन करने का निर्णय लिया। समिति ने किसानों के समर्थन में 13 जून को पूरे प्रदेश में जिला स्तर पर बैठक कर उपायुक्त के माध्यम से सरकार को ज्ञापन सौंपने का निर्णय लिया है। ज्ञापन में सरकार से किसानों की मांगों तथा समस्याओं का समाधान करने की मांग की जाएगी। उन्होंने बताया कि हिसार जिला की बैठक 13 जून को जाट धर्मशाला में होगी और बैठक के बाद उपायुक्त को ज्ञापन सौंपा जाएगा।

पाकिस्तान में ईशनिंदा के मामले में दोषी को मौत की सजा

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लाहौर, 11 जून, पाकिस्तान की एक अदालत ने सोशल मीडिया फेसबुक पर कथित रुप से ईश निंदा किये जाने के मामले में दोषी व्यक्ति को मौत की सजा दी है। एक सरकारी वकील शफीक कुरैशी ने आज यह जानकारी दी। यह पहला माैका है जब सोशल मीडिया पर ईश निंदा के मामले में किसी को मौत की सजा दी गयी है। सरकारी वकील ने बताया कि रजा को पैगम्बर मोहम्मद एवं उनकी पत्नी तथा सहयोगियों के खिलाफ कथित रुप से अपमानजनक टिप्पणी किये जाने के मामले में बहावलपुर की आतंकवाद-निरोधक अदालत ने यह सजा दी है।

ब्रिटेन में फिर हो सकते हैं आम चुनाव : कॉर्बिन

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लंदन,11 जून, ब्रिटेन के मुख्य विपक्षी लेबर पार्टी के नेता जेरमी काॅर्बिन ने आज कहा कि गुरुवार को हुये आम चुनाव के परिणाम आने के बाद किसी भी दल को स्पष्ट बहुमत नहीं मिल पाने की स्थिति में इस वर्ष के अंत अथवा 2018 की शुरुआत में फिर से आम चुनाव हो सकते हैं। श्री कॉर्बिन ने बीबीसी से बातचीत में कहा कि इसकी प्रबल संभावना है कि इस वर्ष के आखिर या 2018 की शुरुआत में फिर से चुनाव हो सकते हैं और यह अच्छी स्थिति होगी क्योंकि हम वर्ष भर अनिश्चितता भरे माहौल में नहीं रह सकते। हमारे पास कार्यक्रम है,हमारे पास समर्थन है और हम जल्द चुनाव हाेने की स्थिति में भी चुनाव अभियान के लिए तैयार हैं। दूसरी तरफ ब्रिटेन की प्रधानमंत्री थेरेसा में उत्तरी आयरलैंड की डेमोक्रेटिक यूनियनिस्ट पार्टी के साथ सरकार बनाने को लेकर एक समझौते की तह तक पहुंचने का प्रयास कर रही हैं। उल्लेखनीय है कि गुरुवार को ब्रिटिश संसद की 650 सीटों के लिए चुनाव हुए थे जिसमें स्पष्ट बहुमत के लिए किसी भी पार्टी को 326 सीटों की ज़रूरत थी। चुनाव में कंजरवेटिव पार्टी को 318 जबकि विपक्षी लेबर पार्टी को 261 सीटें मिली थी और दोनों ही दल पूर्ण बहुमत के लिए जरूरी 326 सीटों के जादुई आंकड़ों को हासिल नहीं कर सके थे।

चीन की 70 प्रतिशत कंपनियां प्रदूषण मानक में फेल

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बीजिंग 11 जून, प्रदूषण की गहरी मार झेल रहे चीन में 70 प्रतिशत से अधिक कंपनियां प्रदूषण के निर्धारित मानकों पर अमल नहीं करती हैं। सर्वेक्षण का यह नतीजा प्रदूषण को नियंत्रित करने की दिशा में सरकार के कदम को भारी झटका है। सरकारी समाचार एजेंसी शिन्हुआ ने आज यहां कहा कि प्रदूषण से सर्वाधिक प्रभावित बीजिंग, तियानजिन एवं हुबेई और उनसे लगे 28 शहरों में दो माह तक किये गये सर्वेक्षण में यह गंभीर चिंताजनक तथ्य सामने आया है। सर्वेक्षण के दौरान 13 हजार 785 कंपनियाें का गहन अध्ययन किया गया। इस दौरान 70.6 प्रतिशत कंपनियाें को मानकों का उल्लंघन करते हुए पाया गया। एजेंसी के अनुसार सर्वेक्षण के दौरान इन कंपनियों से हानिकारक धुआं एवं खतरनाक रासायनों कर रिसाव तय मानकों से बहुत अधिक पाया गया। इन कंपनियों के पास प्रदूषण मापने की उचित मशीन भी नहीं पायी गयी। चीन ने प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए कई महत्वकांक्षी परियोजनाएं चला रखी है जिनमें भारी औद्योगिक इकाइयों को बीजिंग और अन्य सर्वाधिक प्रदूषित शहरों से अलग करना शामिल है।

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