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दागी नेताओं पर लगाम से सुधरेगी राजनीति

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 हमारे देश में जिस प्रकार से राजनीति में अपराध व्याप्त होता जा रहा है, उसके कारण सज्जन व्यक्तियों के लिए राजनीति में कोई जगह नहीं है। ऐसे में सवाल यह आता है कि जब राजनीति से सज्जनता समाप्त हो जाएगी, तब देश में कैसी राजनीति की जाएगी। इसका विश्लेषण किया जाए तो राजनीति का घातक स्वरुप का ही आभास होता है। देश में कई बार अपराधियों के राजनीति में प्रवेश प्रतिबंधित करने की मांग की गई, लेकिन जब राजनेता ही अपराध में लिप्त हों तो उनसे यह कैसे उम्मीद की जा सकती है कि वह राजनीति के शुद्धीकरण का समर्थन करेंगे। आज देश में कई राजनेता ऐसे हैं जिन पर कई प्रकार के आपराधिक आरोप लगे हैं, इतना ही नहीं कई नेताओं पर आरोप सिद्ध भी हो चुके हैं। इसके बाद भी वे सक्रिय राजनीति में भाग ले रहे हैं और चुनाव भी लड़ रहे हैं। बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव इसका प्रमाण हैं। उन पर आरोप ही सिद्ध नहीं हुआ, बल्कि उन्हें सजा भी मिल चुकी है। हालांकि सजा के बाद वे चुनाव नहीं लड़े, लेकिन चुनाव में प्रमुख भूमिका का निर्वाह किया।
राजनीति में बढ़ रहे अपराधीकरण को लेकर अब चुनाव आयोग भी सक्रिय होता दिखाई दे रहा है। वास्तव में वर्तमान राजनीतिक स्वरुप को देखते हुए यह आसानी से कहा जा सकता है कि देश में बढ़ रहे सभी प्रकार के अपराधों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रुप से समर्थन मिलता रहा है। इसी कारण से अपराधी प्रवृति के व्यक्ति भी आज राजनीति का आसरा लेते हुए दिखाई दे रहे हैं। इससे राजनीति का स्वरुप भी बिगड़ता जा रहा है। चुनाव आयोग ने सर्वोच्च न्यायालय में भाजपा नेता अश्विनी उपाध्याय द्वारा दायर की गई एक याचिका के सुनवाई के दौरान स्पष्ट रुप से कहा कि दागी नेताओं के चुनाव लड़ने पर पूरी तरह से रोक लगाई जाए। चुनाव आयोग की यह मंशा निश्चित रुप से वर्तमान राजनीति को सुधारने का एक अप्रत्याशित कदम है। वर्तमान में देखा जा रहा है कि देश के कई सांसद और विधायकों पर आपराधिक प्रकरण दर्ज हैं, इतना ही नहीं कई नेताओं को दोषी भी ठहराया जा चुका है, लेकिन इसके बाद भी वे चुनाव में तो भाग लेते ही हैं, खुलेआम चुनाव प्रचार भी करते हैं। ऐसे में स्वाभाविक तौर पर यह सवाल आता है कि आपराधिक छवि रखने वाले नेता किस प्रकार की राजनीति करते होंगे। यह भी स्वाभाविक है कि जो जैसा होता है, वह वैसे ही लोगों को पसंद करता है, इसलिए यह कहा जा सकता है कि आपराधिक छवि वाले राजनेता निसंदेह राजनीति में अपराध को ही बढ़ावा देने वाले ही सिद्ध होंगे। अगर देश में राजनीति को अपराध मुक्त करना है तो सबसे पहले यही जरुरी है कि राजनीति से अपराध के संबंधों को समाप्त किया जाए। चुनाव आयोग द्वारा सर्वोच्च न्यायालय से की गई मांग आज समय की आवश्यकता है। सर्वोच्च न्यायालय ने केन्द्र सरकार से यह भी कहा है कि राजनेताओं के प्रकरणों के निपटारे के लिए विशेष न्यायालयों के गठन की कार्यवाही की जानी चाहिए। ये विशेष अदालतें केवल नेताओं के प्रकरणों की सुनवाई करें और उनका जल्दी निपटारा करें। न्यायालय ने विशेष अदालतें गठित करने पर छह सप्ताह में सरकार को योजना पेश करने को कहा है। इसके साथ ही न्यायालय ने चुनाव लड़ते समय नामांकन में आपराधिक मुकदमों का ब्यौरा देने वाले 1581 विधायकों और सांसदों के मुकदमों का ब्योरा और स्थिति पूछी है। इसके अंतर्गत उन राजनेताओं से उनके प्रकरणों की वर्तमान स्थिति मांगी गई है। ऐसे सभी नेताओं पर चुनाव आयोग ने रोक लगाने की मांग की है। ऐसा होने पर अपराधी प्रवृति के राजनेता कभी चुनाव नहीं लड़ पाएंगे। उन्हें आजीवन चुनाव लड़ने से वंचित किया जाएगा। अभी तक नियम यह था कि सजा पूरी होने के बाद जेल से छूटने पर केवल छह साल के लिए चुनाव लड़ने पर ही प्रतिबंध रहता था। चुनाव आयोग की पूरी हो जाने पर ऐसे नेताओं पर आजीवन प्रतिबंध लग जाएगा।
दागी नेताओं को चुनाव लड़ने से रोकने के लिए और राजनीति को अपराध मुक्त करने के लिए यह बहुत आवश्यक है कि आपराधिक प्रवृति के नेताओं को चुनाव लड़ने से रोका जाए। इतना ही नहीं ऐसे नेताओं को चुनाव प्रचार करने से भी रोकना बहुत जरूरी है। चुनाव आयोग की तरह ही सर्वोच्च न्यायालय की टिप्पणी भी यही प्रमाणित कर रही है कि वह भी अपराध से राजनीति को मुक्त करने की मंशा रखता है। ऐसा ही भाव प्रदर्शित करने वाला बयान केन्द्र सरकार की ओर से दिया गया है। यानी सभी राजनीति को शुद्ध करना चाहते हैं, लेकिन वे कभी नहीं चाहेंगे जो राजनीति को माध्यम बनाकर अपराध को बढ़ावा देते हैं। सुनवाई के दौरान जब केन्द्र सरकार की ओर से पेश एडीशनल सालिसीटर जनरल एएनएस नदकरणी ने कहा कि सरकार राजनीति से अपराधीकरण दूर करने का समर्थन करती है। सरकार नेताओं के मामलों की सुनवाई और उनके जल्दी निपटारे के लिए विशेष अदालतों के गठन का विरोध नहीं करती। हालांकि जब कोर्ट ने विशेष अदालतों के गठन के लिए ढांचागत संसाधन और खर्च की बात पूछी तो नदकरणी का कहना था कि विशेष अदालतें गठित करना राज्य के कार्यक्षेत्र में आता है। इस दलील पर नंदकरणी को टोकते हुए पीठ ने कहा कि आप एक तरफ विशेष अदालतों के गठन और मामले के जल्दी निस्तारण का समर्थन कर रहे हैं और दूसरी तरफ विशेष अदालतें गठित करना राज्यों की जिम्मेदारी बता कर मामले से हाथ झाड़ रहे हैं। ऐसा नहीं हो सकता। पीठ ने सीधा सवाल किया कि केन्द्र सरकार केन्द्रीय योजना के तहत नेताओं के मुकदमों के शीघ्र निपटारे के लिए विशेष अदालतों का गठन क्यों नहीं करती। जैसे फास्ट ट्रैक कोर्ट गठित किये गए थे उसी तर्ज पर सिर्फ नेताओं के मुकदमे सुनने के लिए विशेष अदालतें गठित होनी चाहिए। केन्द्र के विशेष अदालतें गठित करने से सारी समस्या हल हो जाएगी। कोर्ट ने सरकार को निर्देश दिया कि वह विशेष अदालतें गठित करने के बारे में छह सप्ताह में कोर्ट के समक्ष योजना पेश करे। पीठ ने कहा कि योजना पेश होने के बाद विशेष अदालतों के गठन के लिए ढांचागत संसाधन जजों, लोक अभियोजकों व कोर्ट स्टाफ आदि की नियुक्ति जैसे मसलों पर अगर जरूरत पड़ी तो संबंधित राज्यों के प्रतिनिधियों से पूछा जाएगा। इस मामले में 13 दिसंबर को फिर सुनवाई होगी।


सुरेश हिंदुस्तानी 





मोदी सरकार ने देश की जनता को आर्थिक आतंकवाद व सांप्रदायिक नफरत की सौगात दी है: माले

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नोटबंदी, जीएसटी व आधार के खिलाफ पटना सहित राज्य के विभिन्न हिस्सों में प्रतिवाद.

  • पटना में कारगिल चैक पर माले कार्यकर्ताओं ने निकाला विरोध मार्च.
  • माले ने पूछा: नोटबंदी की लाइन में मारे गये लोगों की मौत का जश्न मना रही है क्या केंद्र सरकार?
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पटना 6 नवम्बर 20117, नोटबंदी के एक साल पूरे होने पर 6 वाम दलों के संयुक्त आह्वान पर आज बिहार के विभिन्न जिला मुख्यालयों पर माले कार्यकर्ताओं ने विरोध मार्च निकाला. राजधानी पटना में (भगत सिंह चैक) कारगिल चैक पर विरोध मार्च का आयोजन किया गया. जिसका नेतृत्व भाकपा-माले की राज्य कमिटी के सदस्य व पटना नगर के सचिव अभ्युदय, नवीन कुमार, वरिष्ठ माले नेता मुर्तजा अली, अशोक कुमार, बीके शर्मा और सत्येन्द्र कुमार ने किया. आरा, सिवान, जहानाबाद, अरवल, दरभंगा, नवादा, नालंदा, गोपालगंज, पूर्णिया आदि जगहों पर भी प्रतिवाद मार्च निकाले गये. पटना में विरोध मार्च को संबोधित करते हुए माले नेताओं ने कहा कि नोटबंदी के एक साल बाद भी देश के मजदूर-किसान, छात्र-नौजवान व छोटे दुकानदार तबाही व बर्बादी झेल रहे हैं. लेकिन मोदी सरकार नोटबंदी का जश्न मना रही है, कह रही है कि इससे कालाधन पर काबू पा लिया गया है. यह पूरी तरह झूठ है. हाल ही में पैराडाइज पेपर ने इस सच को फिर से उजागर किया है कि सत्ताधारी पार्टियों से लेकर कई लोगों ने टैक्स हैवन देशों में अपनी अकूत संपदा छुपाकर रखी है. इसमें भाजपा के भी कई नेता शामिल हैं. फिर मोदी सरकार कालाधन पर नियंत्रण की बात किस मुंह से कर रही है? तो क्या मोदी सरकार नोटबंदी के दौरान बैंको की लाइन में 150 से अधिक मारे गये लोगों की मौत का जश्न मना रही है? माले नेताओं ने कहा कि उस पूरे दौर में खेती चैपट हो गयी, एक साल बाद भी देश की अर्थव्यवस्था पटरी पर नहीं आई है. नोटबंदी के बाद खेती के चैपट हो जाने से देश में किसानों की आत्महत्या की दर बढ़ गयी. नोटबंदी और उसके बाद जीएसटी ने छोटे दुकानदारों को तबाह कर दिया है. बेरोजगारी की हालत चिंताजनक है और लाखों नौजवान सड़क पर हैं. मोदी सरकार ने नौजवानों को रोजगार देने का वादा किया था, लेकिन अब वह कह रही है कि देश के नौजवान रोजगार पैदा कर रहे हैं. रोजगार की तलाश में दर-दर की ठोकरें खा रहे नौजवानों के साथ यह बेहद क्रूर मजाक है. नोटबंदी जीएसीटी और आधार के जरिए देश की अर्थव्यस्था को डिजिटल बनाने के नाम पर गरीबों पर हमला किया जा रहा है. आधार के बिना राशन नहीं मिल रहा है. झारखंड में 10 साल की बच्ची मर गयी और कई जगहों से लोगों के मरने की खबरें आ रही हैं. बाढ़ पीड़ितों से आधार मांगा जा रहा है, मिड डे मील में अथवा पेंशन में भी आधार मांगा जा रहा है. उपलब्ध न होने पर सबकुछ रोक दिया जा रहा है. यह मोदी सरकार द्वारा देश की जनता पर आर्थिक आतंकवाद जैसा हमला नहीं तो और क्या है?,  एक तरफ भाजपा व मोदी सरकार जनता के अधिकारों व रोजी-रोटी पर हमला कर रही है, तो दूसरी ओर आर्थिक सवालों से ध्यान हटाने के लिए हिंदु-मुसलमान के नाम पर सांप्रदायिक नफरत का माहौल खड़ा कर रही है. इस नाम पर मजदूरों व किसानों को बांटने की साजिश चल रही है. ऐसी स्थिति में आर्थिक हमले व सांप्रदायिक नफरत के खिलाफ मजबूत एकता विकसित करते हुए हर मोर्चे पर लड़ने की जरूरत है.

कोविंद,मोदी ने मैरीकॉम को दी बधाई

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नयी दिल्ली 08 नवंबर, राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एशियाई मुक्केबाजी चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीतने पर महिला मुक्केबाज एम सी मैरीकॉम को बधाई दी है। पांच बार की विश्व चैंपियन, ओलम्पिक पदक विजेता मुक्केबाज और राज्यसभा सांसद मैरीकॉम ने अपना तूफानी प्रदर्शन जारी रखते हुए 48 किग्रा लाइट फ्लाइवेट वर्ग में कोरिया की किम हयांग मी को 5-0 से पीटकर बुधवार को पांचवीं बार एशियाई मुक्केबाजी चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक अपने नाम कर लिया। श्री कोविंद ने ट्वीट कर कहा,“ एशियाई मुक्केबाजी चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीतने पर मणिपुर और भारत की गौरव मैरीकॉम को बधाई। आपने अपने हर पंच से हमें गौरवान्वित कर दिया।” 48 किग्रा वर्ग में यह किसी भारतीय मुक्केबाज का पहला एशियाई स्वर्ण पदक है। मैरीकाॅम ने इससे पहले 2003, 2005, 2010 और 2012 में इस टूर्नामेंट में स्वर्ण पदक जीते थे। 2008 में उन्हें रजत पदक से संतोष करना पड़ा था। राज्यसभा सांसद मैरीकॉम पांच साल 51 किलोग्राम में भाग लेने के बाद 48 किलोग्राम वर्ग में लौटी थीं। श्री मोदी ने मैरीकॉम को बधाई देते हुए कहा,“ एशियाई मुक्केबाजी चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीतने पर मैरीकॉम को बधाई। भारत आपकी उपलब्धि पर बहुत गौरवान्वित है।”


आलेख : 52 सेकंड के राष्ट्रगान पर इतना बवाल।

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भारत को जब स्वतंत्रता प्राप्ति हुई उसी वक़्त से कई चीजों को राष्ट्र द्वारा चिन्हित कर दिया गया था। ऐसी ही एक चीज है जो राष्ट्र के सम्मान के प्रतीक के रुप मे पहचानी जाती है । वह है "जन गण मन"जिसे भारत के राष्ट्रगान का दर्जा प्राप्त है। रवीन्द्रनाथ टैगोर द्वारा लिखित यह राष्ट्रगान बंगाली भाषा मे लिखा गया है जिसका बाद में हिंदी अनुवाद हुआ और उसे भारत के राष्ट्रगान का दर्जा दिया गया। लेकिन आज यह 52 सेकंड का राष्ट्रगान चर्चा का विषय बना हुआ है। हालांकि राष्ट्रगान का चर्चा में बने रहना अच्छी बात है । लेकिन अगर वही राष्ट्रगान विवादों में रहे तो यह तो हज़म न होने वाली बात है।  इसको एक सन्दर्भ से समझने की कोशिश करे तो कुछ दिनों पहले एक फ़िल्म 'दंगल'  रिलीज हुई थी। उस फिल्म के एक सीन में  राष्ट्रगान फिल्माया गया था । तो वहां सिनेमाघर में जितने भी लोग फ़िल्म देख रहे थे वह उठ खड़े हो गए। फिर जब सुप्रीम कोर्ट का इस पर आदेश सुना तो वह यह था कि फिल्मों के बीच मे अगर राष्ट्रगान फिल्माया जाता है तो आपका राष्ट्रगान के लिए खड़े होना अनिवार्य नही है । लेकिन अगर फ़िल्म शुरू करने से पहले राष्ट्रगान सिनेमाघर में बजता है तो आपका खड़े होना अनिवार्य है।

अब कुछ लोगो ने इस मुद्दे को यहां खत्म ही नही होने दिया। कुछ लोगो का राष्ट्रगान को लेकर कहना था कि राष्ट्रगान के लिए लोगों को खड़े होने पर सरकार बाध्य नही कर सकती। 
तो एक तरीके से अगर लोगो के इस तर्क पर भी विचार करे तो एक बात जहन में उठती है कि राष्ट्रगान के लिए शायद वही व्यक्ति उठ न पाए जो निःशक्त है या जो असमर्थ है किसी कारणवश खड़े होने में। लेकिन निःसक्त लोगो के मन मे भी राष्ट्र के प्रति सम्मान की भावना अवश्य  रहती है। लेकिन वही ऐसे लोग अगर इस प्रकार का तर्क दे जो सभी प्रकार से सक्षम है राष्ट्रहित में योगदान करने के लिए, फिर भी उससे बचना चाहते है तो यह तो पूरी तरह से गलत है । ऐसे  व्यक्ति शारीरिक रूप से स्वस्थ है लेकिन मानसिक रूप से इतने अस्वस्थ हो चुके है कि यह 52 सेकंड के राष्ट्रगान को समय नही दे सकते। ऐसे लोग चाहे जितना भी समय अपने जीवन मे व्यर्थ गंवा दे। लेकिन 52 सेकंड  का  समय राष्ट्रहित में  नही दे सकते। 

तो ऐसे लोग से तो दिव्यांग लोग ही बेहतर है कम से कम उनके पास जो भी है उसे राष्ट्रहित में देने  का प्रयास तब भी करते है।
अभी हाल ही में अभिनेत्री विद्या बालन ने इस मुद्दे पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि लोगो पर राष्ट्रगान थोपा नही जा सकता, उन्हें बाध्य नही किया जा सकता। देश के लिए ऐसा बयान क्या उचित है। भले ही उनके लिए ये उचित हो पर अगर कोई फ़िल्म जो भारत मे रिलीज होने वाली हो जैसे उदाहरण के तौर पर पद्मावती फ़िल्म को ही ले ले । वह फ़िल्म इतिहास के पन्नो से जुड़ी थी  और इस कारण लोगो ने उसका बहिस्कार किया क्योंकि यह फ़िल्म लोगो के हित को ठेस पहुंचा रही थी। और इसलिए लोगो ने उसके लिए आक्रोशित कदम उठाते हुए उसका बहिस्कार करना शुरू कर दिया। जहां लोगो के मन मे एक फ़िल्म को लेकर इतना आक्रोश आ जाता है वही एक राष्ट्रगान को लेकर इस प्रकार के तर्क ।यह तो उचित साबित नही होते। लोगो का राष्ट्रगान के लिए खड़े होना यह साबित नही करता है कि सरकार उन पर थोप रही है। या सरकार उन्हें बाध्य कर रही है। यह सिर्फ इस बात की तरफ संकेत करता है कि लोगो के मन मे राष्ट्रगान किसी न किसी तरीके से जिंदा होता रहे। 

इस राष्ट्रगान में भारत का इतिहास सिमटा हुआ है मात्र 5 पदों का यह गान जब भी कोई व्यक्ति सम्मानपूर्वक सुनता है या गाता है तो यही 52 सेकंड का राष्ट्रगान कही न कही व्यक्ति के मानसिक स्तर पर प्रभाव डालता है। और कहीं न कहीं 1 प्रतिशत ही सही लोगो मे राष्ट्रीयता की भावना उतपन्न कर ही जाता है। तो ऐसे राष्ट्रगान का अनादर कोई कैसे कर सकता है। जो लोग यह कहते हुए फिरते है कि राष्ट्रगान को किसी पर थोप नही सकते । उन लोगो की सोच पर सबसे ज्यादा दुख का अनुभव होता है। लोगो को इस सोच से उभरना चाहिए । प्रिवेंशन ऑफ इंसल्ट्स टू नेशनल ऑनर एक्ट 1971 की धारा 3 के मुताबिक अगर कोई राष्ट्रगान में बाधा उतपन्न करता है या किसी को राष्ट्रगान गाने से रोकने की कोशिश करता है तो उसे ज्यादा से ज्यादा 3 साल कैद की सजा या जुर्माना या दोनों हो सकते है। हालांकि इसमें इस बात का जिक्र नही की किसी भी व्यक्ति को इसे गाने के लिए बाध्य किया जाए लेकिन भारतीयों से यह उम्मीद की जाती है कि वह राष्ट्रगान के समय सावधान की मुद्रा में खड़े रहे । और खड़े रहना या न रहना भी लोगो की स्वयं की इच्छा है लेकिन इतनी नैतिकता तो सभी के मन मे होनी चाहिए कि हम अपने राष्ट्रगान को सम्मान दे सके। 

राष्ट्रगान देशहित व देशप्रेम से परिपूर्ण वह कृति है वह संगीत रचना है जो उस देश के इतिहास की गाथा, वहां की सभ्यता, संस्कृति, तथा लोगो के संघर्षमय जीवन का बखान करता है। श्याम नारायण चौकसे एक ऐसे व्यक्ति जिनकी बात यहाँ करना बेहद जरूरी है चौकसे जो मूलतः मध्यप्रदेश के निवासी है और करीब 13 साल पहले मध्यप्रदेश हाइकोर्ट में इन्होंने एक याचिका दायर की थी। उनका कहना था कि सिनेमाघरों में राष्ट्रगान बजने के दौरान सभी व्यक्तियों का  खड़ा होना अनिवार्य किया जाए। और सुप्रीम कोर्ट ने भी अपना फैसला चौकसे जी के पक्ष  में सुनाया।  यह चौकसे जी का तत्काल कदम उठाने का परिणाम था।इसके पीछे उनकी कई सालों तक कि महनत थी वह भी राष्ट्रगान के लिए। अब लोगो को यह अवश्य सोचना चाहिए कि जब एक व्यक्ति अपनी जिंदगी के 13 साल उस राष्ट्रगान को दे सकता है तो फिर हम 52 सेकंड नही दे सकते। एक और व्यक्ति का उदाहरण ले ले जो कि एक लघु फिल्मकार है जिनका नाम है उल्हास पीआर। इनका राष्ट्रगान के प्रति इतना सम्मान था कि इन्होंने अमिताभ बच्चन को भी नही बक्शा। अमिताभ जी ने एक बार भारत पाकिस्तान के टी 20 विश्वकप के दौरान 52 सेकंड का राष्ट्रगान 1 मिनट 10 सेकंड में गाया था।जिसके चलते उल्हास जी ने बच्चन जी के खिलाफ शिकायत दर्ज कर दी थी। इन सभी घटनाओं का जिक्र यहां करना इसलिए भी जरूरी है कि भारत मे कुछ लोग जहां राष्ट्रगान के प्रति इतना सम्मान रखते है वही कुछ लोग इसके सम्मान में खड़ा होना भी नही चाहते। अपने अंदर की उस आवाज से पूछिए जो कहीं न कहीं देशहित के प्रति आपको जरूर बाध्य कर रही है । आप इस देशभक्ति की आवाज को सुने । तभी आप भारत से जुड़ी हर छोटी से छोटी चीज में भी देशभक्ति का भाव देख पाएंगे।


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ज्योति मिश्रा
Freelance journalist

Gwalior , dabra mp

दुमका (झारखंड) की 08 नवंबर की हलचल

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उपायुक्त देवघर ने विभिन्न विभागों की समीक्षा की 


Dumka map
समाहरणालय सभागार में दिन बुधवार को  उपायुक्त, देवघर राहुल कुमार सिन्हा की अध्यक्षता में शिक्षा विभाग, झारखण्ड शिक्षा परियोजना एवं साक्षरता, पी0एम0जी0 दिशा, छात्रवृति, साईकिल वितरण आदि की समीक्षा बैठक आहूत की गई। इस दौरान कल्याण विभाग की समीक्षा करते हुए उपायुक्त द्वारा जिले के विभिन्न विद्यालयों में छात्रों को डी0बी0टी0 के माध्यम से दी जाने वाली छात्रवृत्ति की जानकारी लेते हुए निदेश दिया गया कि जल्द से जल्द शत प्रतिशत छात्रों को डी0बी0टी0 के माध्यम से छात्रवृत्ति की राशि का भुगतान किया जाय। साथ हीं उन्होंने जिला शिक्षा अधीक्षक के माध्यम से सभी प्रखण्ड शिक्षा पदाधिकारी को निदेश दिया कि उनके द्वारा अपने-अपने प्रखण्ड अन्तर्गत सभी छात्र/छात्राओं का पोर्टल पर आॅनलाईन नामांकन करायें एवं सभी का डी0बी0टी0 करा लिया जाय। बैठक में उपायुक्त द्वारा जानकारी दी गई कि किसी भी छात्र का यदि किसी कारणवश विद्यालय व जिला में परिवर्तन होता है तो ऐसे छात्र/छात्राआंे को पुनः डी0बी0टी0 कराने हेतु आधार संख्या व खाता संख्या को सिडिंग कराने की आवष्यकता नहीं होगी। इसके अलावे साईकिल वितरण के संदर्भ में उपायुक्त द्वारा जिला शिक्षा अधीक्षक को निदेशित किया गया कि यदि ओ0बी0सी0 मद में राशि शेष रह गयी है तो सभी विद्यालयों के प्रधानाध्यापक से इसकी जानकारी ली जाय कि इस मद में कोई छात्र लाभ पाने से वंचित तो नहीं रह गया है और यदि ऐसा नहीं है तो राशि को सरेन्डर कर दिया जाय। साथ हीं उनके द्वारा जिले के सभी छात्रों के स्वास्थ्य संबंधी विषयों पर चर्चा करते हुए जिला शिक्षा अधीक्षक को निदेश दिया गया कि सिविल सर्जन से समन्वय स्थापित कर सभी छात्रों का स्वास्थ्य जाँच कराया जाय। इसके अलावे उपायुक्त द्वारा कस्तूरबा आवासीय विद्यालय संबंधी विषयों की समीक्षा करते हुए इन विद्यालयों की मुलभूत सुविधाओं के संबंध में जानकारी लेते हुए कहा गया कि इसमें आ रहे समस्याआंे का अविलम्ब समाधान किया जाय। साथ हीं उनके द्वारा जिला के अन्तर्गत सभी विद्यालयों में चल रहे एम0डी0एम0 की स्थिति की जानकारी लेते हुए निदेश दिया गया कि किसी भी स्थिति में विद्यालयों में एम0डी0एम0 बंद नहीं होना चाहिये। वहीं विद्यालय स्तर पर आवासीय प्रमाण पत्र एवं जाति प्रमाण पत्र बनाने के संदर्भ मंे उपायुक्त द्वारा जानकारी दी गई कि इस हेतु छात्र अपना आवेदन अपने प्रधानाध्यापक को सौंपेंगे। तत्पश्चात् प्रधानाध्यापकों द्वारा प्राप्त सारे आवेदनों को नजदीकी प्रज्ञा केन्द्र में जमा करा कर छात्र/छात्राओं का आवासीय व जाति प्रमाण पत्र बनवाया जायेगा। साथ हीं उपायुक्त द्वारा नेशनल अचिवमंेट सर्वे के तहत् आगामी 13 नवम्बर को होने वाले परीक्षा के संदर्भ में जानकारी ली गई कि इसके लिए  किन रणनीतियों के तहत् जिला में परीक्षा की तैयारी चल रही है एवं इसकी समीक्षा करते हुए उनके द्वारा बतलाया गया कि उपरोक्त परीक्षा में शामिल होने वाले वर्ग 3 एवं 5 के बच्चों को 45 प्रष्नों एवं वर्ग 8 के बच्चों को 60 प्रष्नों  के जवाब देने होंगे। साथ हीं इसके तहत् उन्होंने बैठक में उपस्थित सभी पदाधिकारियों को निदेश दिया कि वे बच्चों सेे इसकी अच्छे से तैयारी करायें; ताकि उनकी उपलब्धि से हमारे जिले का नाम रौशन हो सकें। इसके अतिरिक्त उपायुक्त द्वारा निदेशित किया गया कि अधिक से अधिक संख्या में स्वच्छता एप्प को डाउनलोड कराया जाय एवं यह सुनिश्चित किया जाय कि जिला के सभी विद्यालयों द्वारा स्वच्छता सर्वेक्षण में अपना रजिस्ट्रेशन कराया जाय एवं विद्यालय परिसर, कक्षा, खेल के मैदान, लाईब्रेरी आदि की समुचित साफ-सफाई का ध्यान रखते हुए समाज के लिए एक आदर्श प्रस्तुत की जाय।वहीं उपायुक्त द्वारा पी0एम0जी0 दिशा की समीक्षा करते हुए निदेश दिया गया कि जितने भी लोगों का इसके तहत् रजिस्ट्रेशन हुआ है, उसका शत प्रतिशत प्रशिक्षण एवं प्रमाण पत्र वितरण किया जाना सुनिश्चित किया जाय। साथ हीं अन्य जिलों से प्रतियोगिता की भावना रखते हुए इसमें तेजी लायी जाय। बैठक में जिला शिक्षा अधीक्षक, जिला कल्याण पदाधिकारी सहित सभी प्रखण्डों के शिक्षा पदाधिकारी आदि उपस्थित थें। 

संयुक्त विपक्षी दलों ने मनाया काला दिवस 


संयुक्त विपक्षी दल के झारखण्ड मुक्ति मोर्चा, राष्ट्रीय जनता दल, झारखण्ड विकास मोर्चा व अन्य पार्टियों के द्वारा आज नोटबन्दी के बरसी को काला दिवस के रूप में मनाया गया। झामुमो जिलाध्यक्ष सुभाष सिंह के नेतृत्व में सभी विपक्षी दलों के कार्यकर्ताओं ने काला विल्ला लगा कर रोषपूर्ण प्रदर्शन किया। सिदो कान्हू चौक से नरेंद्र मोदी का अर्थी जुलूस निकाल कर मेन रोड होते हुए जुलूस वीर कुंवर सिंह चौक पर सभा में तब्दील हो गयी। कार्यकर्ताओं ने अर्थी जला कर सरकार विरोधी नारे लगाए। मौके पर जेवीएम जिलाध्यक्ष धर्मेन्द्र सिंह बिट्टू, राजद के जिला उपाध्यक्ष प्रवीर कुमार वर्मा, दुमका प्रखंड अध्यक्ष जीतेश कुमार दास, सतीश वर्मा, जामा प्रखंड अध्यक्ष रामसुंदर पंडित, कोषाध्यक्ष सुबोध यादव, रामगढ़ प्रखंड अध्यक्ष राजेश रंजन यादव, मसलिया प्रखंड अध्यक्ष लक्ष्मी नारायण राउत, जिला सचिव पंकज यादव व ललित यादव,प्रमोद पंडित, नागेंद्र यादव, संजय यादव,हरि मंडल, मधु दास, वीरेंद्र यादव, उमेश पंडित,भीम पंडित, अनिल पंडित सहित झामुमो नगर अध्यक्ष रवि यादव, जिला सचिव शिवा बास्की सहित सैकड़ों कार्यकर्ता मौजूद थे। कांग्रेस पार्टी के द्वारा नोटबन्दी के एक वर्ष पूरे  होने पर ,नोटबन्दी के खिलाफ काला दिवस के रूप में कमिश्नर ऑफिस का घेराव तथा विरोध प्रदर्शन किया गया ।प्रदर्शन का यह कार्यक्रम दुमका जिला कांग्रेस कार्यालय से जिला अध्यक्ष श्यामल किशोर सिंह के नेतृत्व में   विशाल जनरैली निकाली गई जो शहर के विभिन्न चौक चौराहो से गुजरते हुए मेन रोड होते हुए आयुक्त कार्यालय पहुँच कर सभा के रूप में तब्दील हो गई।इस विरोध प्रदर्शन में कांग्रेस दल के सभी विधायकगण मौजूद थे। 

व्यंग्य : आस्था की दुकान

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भारत के गली-गली में आस्था की दुकान चल रही है। आस्था के नाम पर कोई न कोई किसी न किसी को ठग रहा है। आजकल टेलीविजन पर राधे मां के ढिंचैक डांस की चर्चा परवान पर है। गांव में चौपाल पर बैठे बुजुर्ग जिनके पांव कब्र में लेटे है, वे भी राधे मां के ढिंचैक डांस पर जमकर बहस कर रहे है। क्या नाचती है राधे मां ! उतनी तो मीराबाई भी पग घुंघरू बांघकर नहीं नाची थी, जितनी की राधे मां बिना घुंघरू के नाचती है। ग्लैमर का रूप धारण कर जब राधे मां नाचती है इंसान तो क्या भगवान का मन भी भ्रमित हो जाये। यकीकन ! राधे मां को डांस शो करने चाहिए। वैसे भी राधे मां डांस शो ही तो करती है। तथाकथित भक्तों के साथ राधे मां मंत्रमुग्ध होकर नाचती है और पाखंड व प्रपंच के नाम पर अपनी झोली भरती जाती है। जब जब राधे मां नाचती है, तब तब मीडिया के चैनलों में भूकंप आ जाता है। दिनभर चैनल के खबरिया बाबा राधे मां के डांस को अलग-अलग ऐंगल से दर्शकों के बीच दिखाते है। यह चैनल वाले भी राधे मां से कम नहीं है। एक चैनल तो अभी भी रोज हनीप्रीत पर कार्यक्रम कर रहा है। शायद ! उसके लिए हनीप्रीत हिन्दुस्तान से भी बढकर है। जिस हनीप्रीत की आधी फाइल बंद होने को आयी है, उस पर बेजा बहस करके मीडिया के चैनल क्या बताना चाहते है ? खैर ! इन हनीप्रीतों की वजह से ही तो इन चैनलों का कारोबार चलता है। हनीप्रीत और राधे मां के साथ ये भी हमें कोई कम नहीं बनाते है। वैसे भी भारत तो बाबाओं का देश है। यहां बाबियां भी भरपूर है। एक से बढकर एक गुणवत्ता मिलेंगी। भारत की सडक पर जितने गड्ढे नही है, उससे अधिक तो बाबा है। बाबागिरी का टैलेंट जितना भारत में है उतना तो कई पर भी देखने को नहीं मिलेंगा। बाबागिरी और नेातगिरी ने भारत को सोने की चिडिया से रोड पर लाने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। क्योंकि भारत में बेरोजगारी इतनी है कि इन दोनों धंधे से सस्ता और कम निवेश वाला धंधा ओर कोई है नहीं। न मालिक की डांट का डर और न नौकरी जाने का टेंशन। कई पर भी हाथ देख लिया और सौ रूपये सीधे जेब में डाल दिये। जब मन हुआ किसी बाबी के साथ भाग लिये। देश में भगाने का फोग चल रहा है। भागने में हर भारतीय मिल्खा सिंह है। भारत में एक सर्वे हुआ जिसमें यह पता चला कि बाबागिरी की लाइन में ग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएट लोग बैठे है। यानि की डिग्री के बाद भी बंदे ने बाबा बनने का ही ठाना। क्योंकि इस काम में मेहनत नहीं लगती और न ही बदन से पसीना आता है। भारत में हर पत्थर एक चमकीले पन्ने के बाद आलरेडी भगवान बन जाता है। यानि की हमारी आस्था इतनी है कि हम आस्था के नाम पर अक्ल के अंघे व लंगडे होने को भी तैयार है। वाह ! रे मेरे प्यारे भारत। 



- देवेंद्रराज सुथार
संपर्क  - गांधी चौक, आतमणावास, बागरा, 
जिला-जालोर, राजस्थान। पिन कोड - 343025

आम्रपाली एक्सप्रेस की बोगी में लगी आग

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कटिहार 08 नवम्बर, बिहार में पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे के कटिहार स्टेशन के निकट यार्ड में आज देर शाम आम्रपाली एक्सप्रेस ट्रेन की दो बोगियां जलकर नष्ट हो गयी। कटिहार के मंडल रेल प्रबंधक चन्द्र प्रकाश गुप्ता ने यहां बताया कि कटिहार से अमृतसर जाने वाली आम्रपाली एक्सप्रेस ट्रेन की गोशाला स्थित यार्ड में सफाई चल रही थी तभी अचानक एक डिब्बे में आग लग गयी और देखते-देखते इस ट्रेन की दो बोगियां जलकर पूरी तरह नष्ट हो गयी। उन्होंने बताया कि संभवत: शॉट-सर्किट से ट्रेन की डिब्बों में आग लगी है। हालांकि उन्होंने कहा कि पूरे मामले की जांच के आदेश दे दिये गये हैं। श्री गुप्ता ने बताया कि घटना की जानकारी मिलते ही अग्निशमन विभाग की चार गाड़ियां मौके पर पहुंची और करीब एक घंटे की मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया लिया गया। उन्होंने बताया कि यह ट्रेन आज रात अमृतसर के लिए रवाना होने वाली थी जिसमें छठ और दीपावली की भीड़ को देखते हुए दो अतिरिक्त कोच लगाये गये थे और आग इन्हीं कोचों में लगी है। मंडल रेल प्रबंधक ने बताया कि आग लगने से कोई भी व्यक्ति हताहत नहीं हुआ है। हालांकि उन्होंने बताया कि इस दुर्घटना में लाखों रुपये की क्षति होने का अनुमान है।

मधुबनी : आम आदमी पार्टी ने धोखा दिवस मनाया।

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मधुबनी, 08 नवंबर। नोटबन्दी के एक साल होने के उपलक्ष्य में आम आदमी पार्टी पूरे देश मे धोखा दिवस मना रही है। इसी क्रम में सूड़ी हाई स्कूल से एक मोटरसाइकिल जुलूस का आयोजन किया गया। मोटरसाइकिल जुलूस के नेतृत्वकर्ता लोकसभा प्रभारी अभयानंद झा, बेनीपट्टी विधानसभा प्रभारी ललित राज यादव, हरलाखी विधानसभा प्रभारी गणपति चौधरी, मधुबनी विधानसभा प्रभारी मोहम्मद जावेद, एहतेशाम अहमद, अशोक साह थे। मोटरसाइकिल जुलूस के माध्यम से आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ता नोटबन्दी के खिलाफ नारा लगाते हुए पूरे शहर का भ्रमण किया। जुलूस को संबोधित करते हुए अभयानंद झा ने कहा कि मोदी जी ने नोटबन्दी करते हुए घोषणा किया था कि कालाधन समाप्त हो जाएगा, आतंकवाद और नक्सलवाद पर लगाम लगेगा, देश प्रगति करेगा। लेकिन हुआ उल्टा, रियल स्टेट बर्बाद हो गया जिसके चलते लाखों मजदूर बेरोजगार हो गए। आतंकवादी हमला जारी है। बड़े बड़े अर्थशास्त्री ने इसे आत्मघाती फैसला बताया था जो सच साबित हो रहा है। नोटबन्दी के बाद जी एस टी लगा कर मोदी जी ने देश के खुदरा व्यापार को बर्बाद कर दिया।

भाजपा ने मनाया कालाधन मुक्ति दिवस

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भोपाल 08 नवंबर, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की मध्यप्रदेश इकाई ने नोटबंदी का एक वर्ष पूरा होने पर आज प्रदेश भर में ‘कालाधन मुक्त दिवस’ मनाया। प्रदेश भाजपा के सूत्रों से यहां प्राप्त जानकारी के अनुसार प्रदेश के 56 संगठनात्मक जिलों के 833 मंडलों में मशाल जुलूस, संगोष्ठियों का आयोजन हुआ। विभिन्न जिलों में हस्ताक्षर अभियान चलाकर नोटबंदी के फायदे से जनता को अवगत कराया गया। भोपाल के 19 मंडलों में मशाल जुलूस निकाला गया। अरेरा मंडल के 12 नंबर स्टॉप से निकले मशाल जुलूस का नेतृत्व जिला अध्यक्ष एवं विधायक सुरेन्द्रनाथ सिंह ने किया। इसमें पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता राहुल कोठारी सहित पार्टी कार्यकर्ता मौजूद थे। विधानसभा स्तर पर विधायक एवं जनप्रतिनिधियों ने भाग लिया। भोपाल जिला ग्रामीण के बैरसिया में विधायक विष्णु खत्री एवं जिला अध्यक्ष गोपाल मीणा के नेतृत्व में अंबेडकर पार्क से बस स्टेण्ड तक मशाल जुलूस निकाला गया। ग्वालियर, जबलपुर, सीहोर, गुना, विदिशा, रायसेन, मुरैना, झाबुआ, बड़वानी आदि में भी 'कालाधन मुक्त दिवस'पर विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए गए। कई स्थानों पर मशाल जुलूस, बाइक रैली, संगाष्ठी आदि का आयोजन किया गया।

उत्तर प्रदेश : निकाय चुनाव के लिए किसी कमर

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नगर निकाय चुनाव को लेकर जिले में प्रत्याशियों ने अपनी कमर कस ली है। चुनाव की तैयारियों में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहते। कसर छोड़े भी क्यों आखिर उनकी साख जो दांव पर लगी है?  जनता भी अपना बहुमूल्य वोट देने को एक बार फिर से तैयार हो रही है। लोकतंत्र के इस पावन पर्व को लेकर सबसे अहम बात जो देखी जाती है , वो है चुनाव मैदान मे उतरे हुए प्रत्याशी। प्रत्याशी कैसे भी हो लेकिन सबके पोस्टर पर कुछ ऐसे शब्द जरूर लिखे होते हैं। कर्मठ, ईमानदार, जुझारू, संघर्षशील, नेता नहीं सेवक चुने। ऐसे शब्दों को देख जनता भले न भ्रमित हो मैं जरूर हो जाता हूँ। आखिर मुझे भी वोट देना है। पोस्टर के हिसाब से सभी में एक जैसी खूबी है। अब आंकड़ा लगाना थोड़ा मुश्किल काम हो गया। प्रत्याशी भी आते हैं हाथ जोड़कर कहते हैं इस बार आपका भाई, आपका बेटा, चुनाव मैदान में है जरा ध्यान दीजिएगा। एक बार सेवा का अवसर जरूर दीजिए। अब यहां भी कन्फ्यूजन। अगर सारे प्रत्याशी भाई, और बेटा बनकर वोट मांग रहें हैं तो हम किसे अपना मतदान करें? चलिये किसी तरह से इस कन्फ्यूजन से उभरकर मतदान कर दिया। अब जिसकी किस्मत होगी वह प्रत्याशी विजयी घोषित हुआ। फिर क्या वही भाई, बेटा, सेवक, जो चुनाव के समय हाथ जोड़कर आपके सामने था, किसी काम के लिए आप उससे हाथ जोड़ते फिरोगे। फिर वह सारे चुनावी रिश्ते आप से भूल जाता है। कहने का बस इतना ही मतलब है किसी के बहकावे और दिखावे में न आएं। जब लोकतंत्र के इस पावन अवसर को मनाने का समय आ गया है तो सूझबूझ और समझदारी दिखाते हुए अपने मताधिकार का प्रयोग जरूर करें। 

शेयर बाजारों में गिरावट, सेंसेक्स 152 अंक नीचे

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मुंबई, 8 नवंबर, देश के शेयर बाजारों में बुधवार को गिरावट दर्ज की गई। प्रमुख सूचकांक सेंसेक्स 151.95 अंकों की गिरावट के साथ 33,218.81 पर और निफ्टी 47.00 अंकों की गिरावट के साथ 10,303.15 पर बंद हुआ। बंबई स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) का 30 शेयरों पर आधारित संवेदी सूचकांक सेंसेक्स सुबह 46.59 अंकों की बढ़त के साथ 33417.35 पर खुला और 151.95 अंकों या 0.46 फीसदी की गिरावट के साथ 33,218.81 पर बंद हुआ। दिनभर के कारोबार में सेंसेक्स ने 33,484.70 के ऊपरी और 33,157.68 के निचले स्तर को छुआ।सेंसेक्स के 30 में से 12 शेयरों में तेजी रही। एक्सिस बैंक (3.41 फीसदी), एशियन पेंट्स (2.51 फीसदी), सिप्ला (2.07 फीसदी), सन फार्मा (1.89 फीसदी) और कोल इंडिया (1.14 फीसदी) में सर्वाधिक तेजी रही। सेंसेक्स के गिरावट वाले शेयरों में प्रमुख रहे- भारती एयरटेल (3.73 फीसदी), टाटा मोटर्स (2.92 फीसदी), स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (2.35 फीसदी), ल्यूपिन (2.09 फीसदी) और आईसीआईसीआई बैंक (2.05 फीसदी)। बीएसई के मिडकैप और स्मॉलकैप सूचकांक में गिरावट रही। बीएसई का मिडकैप सूचकांक 126.85 अंकों की गिरावट के साथ 16,416.61 पर और स्मॉलकैप सूचकांक 170.38 अंकों की गिरावट के साथ 17,497.99 पर बंद हुआ। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का 50 शेयरों पर आधारित संवेदी सूचकांक निफ्टी 11.8 अंकों की बढ़त के साथ सुबह 10,361.95 पर खुला और 47.00 अंकों या 0.45 फीसदी की गिरावट के साथ 10,303.15 पर बंद हुआ। दिनभर के कारोबार में निफ्टी ने 10,384.25 के ऊपरी और 10,285.50 के निचले स्तर को छुआ। बीएसई के 19 में से 2 सेक्टरों में तेजी रही, जिसमें सूचना प्रौद्योगिकी (0.39 फीसदी) और प्रौद्योगिकी (0.09 फीसदी) शामिल रहे। बीएसई के गिरावट वाले सेक्टरों में प्रमुख रहे- धातु (1.55 फीसदी), ऊर्जा (1.50 फीसदी), दूरसंचार (1.49 फीसदी), तेल एवं गैस (1.30 फीसदी) और आधारभूत सामाग्री (1.16 फीसदी)। बीएसई में कारोबार का रुझान नकारात्मक रहा। कुल 949 शेयरों में तेजी और 1,805 में गिरावट रही, जबकि 120 शेयरों के भाव में कोई बदलाव नहीं हुआ।

प्रदूषण के कारण दिल्ली के स्कूल, कॉलेज बंद

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नई दिल्ली 8 नवंबर, दिल्ली के उपमुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने बुधवार को प्रदूषण के खतरनाक स्तर को देखते हुए राष्ट्रीय राजधानी के स्कूलों और कॉलेजों को रविवार तक बंद रखने की घोषणा की। सिसोदिया ने ट्वीट किया, "दिल्ली में हवा की गुणवत्ता का स्तर खराब हो गया है। इस स्थिति में, बच्चों के स्वास्थ्य के साथ कोई समझौता नहीं किया जा सकता।" यह निर्देश ऐसे समय दिया गया है, जब हवा की गुणवत्ता का स्तर दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र(एनसीआर) में 'खतरनाक'स्तर तक पहुंच गया है। क्षेत्र में 475 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर में पीएम 2.5 पार्टिकल का स्तर खतरनाक रूप से बढ़ गया है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार, 400 और 500 के बीच पीएम2.5 का खतरनाक स्तर 'स्वस्थ्य लोगों को नुकसान पहुंचाता है और रोगियों पर इसका काफी दुष्प्रभाव पड़ता है।'

मधुबनी : भाजपा ने मनाया काला धन दिवस, विरोधियों को दी नसीहत

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मधुबनी, 08 नवंबर। भारतीय जनता पार्टी की मधुबनी इकाई ने जिला अध्यक्ष घनश्याम ठाकुर की अध्यक्षता में मधुबनी रेलवे स्टेशन पर राज्यव्यापी कालाधन दिवस मनाया। स्टेशन परिसर में आहूत किये गए सभा की अध्यक्षता जिला अध्यक्ष ने की। सभा को संबोधित करते हुए प्रदेश महामंत्री सुशील कुमार चौधरी ने कहा कि मोदी सरकार द्वारा काला धन पर किये गए हमले से आतंकी गतिविधियों में कमी आई है वहीं ढाई लाख फर्जी कंपनी जो कालाधन को सफेद कर्म में लिय थी पर भारत सरकार की कार्रवाई कर पैतालीस हजार करोड़ का कालाधन उजागर किया है। झंझारपुर के सांसद वुरेबदर चौधरी ने कहा नोटबंदी ने काली कमाई करने वालों की कमर तोड़ दी है। जिला अध्यक्ष घनश्याम ठाकुर ने कहा कि नोटबंदी एवम जीएसटी के बाद भारत विकास तंत्र के रूप में आर्थिक आज़ादी की ओर बढ़ कर नए युग की शुरुआत की है। सभा को पूर्व विधायक रामदेव महतो, अरुण शंकर प्रसाद, हरिभूषण ठाकुर बचौल, पूर्व जिला अध्यक्ष भोगेन्द्र ठाकुर सहित अजय भगत, महेंद्र पासवान, नागेंद्र राउत, प्रो गंगाराम झा, प्रो सर्वनारायन मिश्र, राधा देवी, संजय राम, मनोजकुमार मुन्ना सहित कई पदाधिकारियों ने संबोधित किया।  

आतंकवादियों को वित्त पोषण में गिरावट : जेटली

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नई दिल्ली 8 नवंबर, नोटबंदी के एक साल बाद केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली ने बुधवार को कहा कि नकली नोटों के जरिए आतंकवादियों को किया जाने वाला वित्त पोषण जम्मू एवं कश्मीर तथा छत्तीतसगढ़ में कम हुआ है। उन्होंने डीडी न्यूज से कहा, "यह बिल्कुल स्पष्ट है कि आतंकवादियों के वित्त पोषण में आश्चर्यजनक रूप से गिरावट आई है। हमें जम्मू एवं कश्मीर तथा छत्तीसगढ़ की सुरक्षा एजेंसियों से यह जानकारी मिली है कि नकदी का प्रवाह कम हुआ है। जम्मू एवं कश्मीर में पत्थर फेंकने की घटनाओं में कमी आई है।" जेटली ने यह भी कहा कि आंतकवादियों के वित्त पोषण में नकदी तरलता का काम करता है। भारत सरकार ने एक साल आठ नवंबर को 500 रुपये और 1000 रुपये के नोट को प्रतिबंधित कर दिया था। जेटली ने कहा, "यह प्रचलित स्थिति (अर्थव्यवस्था में) को बदलने का एक प्रयास था। भारत मध्य आय वाली अर्थव्यवस्था से विकसित अर्थव्यवस्था में जाना चाहता है। लेकिन हमारी प्रणाली में ज्यादातर बड़े निवेश काले धन के माध्यम से ही किए जाते हैं। यहां तक कि व्यापार में भी लोग दो तरह के खाते बनाकर रखते हैं। लोग हमेशा कर चुराने की कोशिश में लगे रहते हैं।" मंत्री ने कहा कि जब कोई ईमानदार व्यक्ति कर चुकाता है तो वह कर चोरी करनेवाले के बदले भी कर चुकाता है। उन्होंने कहा, "यही कारण है कि आपको प्रणाली को बदलना होगा। अगर प्रणाली में ज्यादा नकदी होगी, तो इसे बदलना संभव नहीं होगा। अगर हम अधिक विकास चाहते हैं तो प्रणाली में कम नकदी रखनी होगी।"

मधुबनी : उद्योगपतियों के हाथों की कठपुतली मोदी सरकार - धनेश्वर महतो

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मधुबनी, 09 नवंबर। भारतीय मित्र पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष धनेश्वर महतो ने जीएसटी और कालाधन पर मोदी सरकार के खुद का पीठ थपथपाने पर हमला बोला और जैम कर मोदी सरकार की खिंचाई की। धनेश्वर महतो ने कहा कि भाजपा और समर्थित दल देश को केवल गुमराह कर रहे हैं, वस्तुतः जीएसटी से सरकार आम आदमी को दाने दाने को मोहताज कर उद्योगपतियों के मुनाफे के लिए थोपा है। आम आदमी 28 फीसदी जीएसटी भरे ओर उद्योगपति से 18 फीसदी। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार का बस चले तो वो हवा पर भी जीएसटी लागू कर दे। पेट्रोल डीजल को जीएसटी से सरकार बाहर रखती है क्योंकि यह सरकारी मुनाफा का मुख्य आधार है। पहले माताओं बहनों के साज साझा पर कोई टैक्स नही था मगर महिला विरोधी सरकार ने उन पर 28 फीसदी टैक्स थोप दिया। आम आदमी के दो पहिया वाहन पर 28 फीसदी और चार पहिया वाहन पर 12 फीसदी ओर 20 लाख से अधिक के वाहन पर 6 फीसदी टैक्स सरकार के आम आदमी विरोधी नीति को दर्शाता है जो सिर्फ उद्योगपतियों के लिए कार्य कर रही है। 392 का गैस सिलिंडर 800 के ऊपर कर रसोई के ओवर सरकार बोझ लाद देती है और उद्योगपतियों को टैक्स में हर सुविधा सहूलियत देती है ओर फिर ढिंढोरा पिटती है कि सरकार महगाई काम करेगी। उद्योगपतियों के हाथों की कठपुतली मोदी सरकार के जनविरोधी निर्णयों को लेकर महतो ने राज्यव्यापी विरोध का आवाहन किया।

जनकपुर : श्री कोटि पार्थिव महादेव पूजन महायज्ञ सकुशल संपन्न

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  • एक दिवसीय श्री कोटि पार्थिव महादेव पूजन महायज्ञ पृथ्वी लोक के इतिहास में पहलीवार मिथिला की पवित्र धरती जनकपुर में बुधवार को सकुशल संपन्न हुआ । इससे पहले कभी इस तरह का महायज्ञ दुनियां में नहीं किया गया है ।

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मधवापुर/जनकपुर, 09 नवंबर । पुराणों के अनुसार इससे पहले त्रेता युग के लंका नरेश महाप्रतापी पुरुष एवं शिव भक्त रावण के द्वारा देवलोक में देवताओं के बीच जारी आपसी वरीयता के संघर्ष को पाटने व शांति स्थापित करने के लिए एक दिवसीय श्री कोटि पर्तिव पूजन महायज्ञ का आयोजन किया गया था । इस महायज्ञ में भारत नेपाल अर्थात मिथिलांचल के लाखों पुरुष एवं महिला कांवरिया बम शामिल हुए । पुराणों के अनुसार सभी लिंग पूजन में मिट्टी से बने पार्थिव शिव लिंग पूजन का विशेष महत्व माना गया है । यही परिकल्पना लेकर मानस बोलबम जनकपुर और माघी कांवरिया मिथिला के बमों द्वारा संयुक्त रूप से त्रेता युग के मिथिला नरेश राजा जनक एवं जगत जननी मां सीता की जन्म स्थली पवित्र जनकपुर नगरी के विशाल बारह बीघा अर्थात रंगभूमि मैदान में इसका आयोजन किया गया । भारत नेपाल के गांव गांव से भारी संख्या में पहुंचे कांवरियों के जत्था द्वारा अपने हाथों से एक दिन में एक करोड़ 34 लाख 25 हजार शिव पार्थिव महादेव का निर्माण किया गया और उसी दिन पूजा कर उसके दशांश हवन किया गया । 

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आरती के पश्चात महायज्ञ का विसर्जन हुआ । लाखों की संख्या में देश विदेश से पहुंचे बम और बमभोली बम की भारी भीड़ से उतपन्न हुई  कुव्यवस्था के बावजूद यह महायज्ञ भक्तों के सहयोग से सकुशल देर रात में संपन्न हो गया । इसमें शामिल होने आए भक्तों को किसी तरह की कठिनाई नहीं हो इसके लिए पूजा समिति द्वारा भव्य पूजा पंडाल , हवन कुंड , पर्याप्त रोशनी , पीने के पानी ,आदि की व्यवस्था की गई थी । जबकि, धर्मावलंबियों के मनोरंजनार्थ नचारी ,भजन ,किर्तन, आदि धार्मिक सांस्कृतिक कार्यक्रम का भी आयोजन किया गया था ।वहीं ,धनुषा जिला प्रशासन द्वारा सुरक्षा एवं यातायात के कड़े प्रबंध किए गए थे । जबकि ,कई शैक्षणिक संस्थानों व स्वयंसेवी संगठनों द्वारा पीने के पानी व स्वास्थ्य केंद्र की तत्काल व्यवस्था मैदान में कई गयी थी । 11 सौ पंडितों के द्वारा आंवटित स्थल पर पार्थिव महादेव का पूजन किया गया । इसी तरह हवन ,जाप ,रुद्री पाठ,शिव पाठ ,गीता पाठ ,सप्सती पाठ आदि किया गया । इन सभी पाठों के लिए सौ सौ की संख्या में पंडितों की टोली बनायी गयी थी ।

नेपाल के पीएम शेरबहादुर देउवा भी महायज्ञ स्थल पर पहुंचकर दर्शन किया और पूरे पंडाल का भ्रमण कर मुआयना किया । उन्होंने इसके लिए आयोजक मंडल और मिथिला मधेस की धरती तथा यहां के लोगों का आभार माना ।

माननीयों का नॉन स्टॉप महाभारत ...!!

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फिल्मी दंगल के कोलाहल से काफी पहले बचपन में सचमुच के अनेक  दंगल देखे । क्या दिलचस्प नजारा होता था। नागपंचमी या जन्माष्टमी जैसे त्योहारों पर मैदान में गाजे - बाजे के बीच   झुंड में पहलवान घूम - घूम कर अपना जोड़ खोजते थे। किसी ने चुनौती दी तो हाथ मिला कर  हंसते - हंसते चुनौती स्वीकार किया। फिर मैदान में जानलेवा जोर - आजमाइश  देख कर बाल मन आतंकित हो उठता। सोचता... इतने हट्टे - कट्टे पहलवान हैं। अभी हाथ मिला रहे हैं , जब मैदान में उतरेंगे तो पता नहीं क्या होगा। सांस रोक कर चली प्रतीक्षा के बाद दोनों पहलवान मैदान में उतरे और खूब जोर - आजमाइश की। परिणाम आने के बाद दोनों हाथ मिला कर हंसते हुए अपने - अपने खेमे में चले गए। यह बड़ा रोचक लगता था कि जिससे लड़े - भिड़े उसी से हाथ मिला कर अपने - अपने रास्ते हो लिए। किशोरावस्था तक पहुंचते - पहुंचते असली दंगल से लोगों को मोहभंग होने लगा और सभी का झुकाव कुश्ती जैसे देशी खेल के बजाय क्रिकेट में ज्यादा होने लगा। अलबत्ता इसके स्थान पर चुनावी दंगल बड़ा दिलचस्प नजारा पेश करने लगा। गांव जाने पर पंचायत तो अपने शहर में नगरपालिका की सभासदी  का चुनाव मुझे सबसे ज्यादा रोचक लगता था। क्योंकि इसमें भाग्य आजमाने वाले अपने ही आस - पास के होते थे। बिल्कुल दंगल वाली शैली में । पहले एक उम्मीदवार ने दूसरे को चुनौती दी। हाथ में माइक थामा तो खूब लानत - मलानत की , लेकिन मुठभेड़ हो गई तो मुस्कुराते हुए गले मिले। ऐसे दृश्य मुझमें गहरे तक आश्चर्य और कौतूहल पैदा करते थे। क्योंकि मुझे लगता था जिसे भला - बुरा कहा उसे गले लगाना या जिसे गले लगाया वक्त आने पर उसे भला - बुरा कहना आसान काम नहीं। यह मजबूत कलेजे वाले ही कर सकते हैं। ऐसे दृश्य देख मुझे धारावाहिक महाभारत की याद ताजा हो उठती। क्योंकि उस महाभारत  में भी तो यही होता था। टीवी स्क्रीन पर हम सांस रोककर कौरव - पांडवों  के बीच भीषण युद्ध देख रहे हैं। फिर अचानक नजर आ रहा है कि युद्ध  रुक गया है। दोनों पक्ष कहीं आमने - सामने हुए तो आपस में प्राणाम भ्राता श्री , प्रणाम मामा श्री भी कह रहे हैं। यह देख कर मैं सोच में पड़ जाता था कि सचमुच कितना दिलचस्प है कि जिससे लड़ रहे हैं उसी के प्रति सौजन्यता भी दिखा रहे हैं। खैर महाभारत का महासीरियल तो समय के साथ समाप्त हो गया। लेकिन माननीयों का महाभारत नॉन स्टॉप गति से आस - पास चल ही रहा है। अभी दीपावली पर टेलीविजन पर नजरें गड़ाए रहने के दौरान एक बड़े राजनैतिक घराने की दीवाली पर नजर पड़ी। जिसमें चाचा - भतीजा समेत समूचा कुनबा हंसी - खुशी दीवाली मना रहा हैं। चेहरों की भावभंगिमा देख भला कौन कह सकता है कि इनके बीच एक दिन पहले तक उखाड़ - पछाड़़ चल रही थी। माननीयों का महाभारत ऐसा ही है। एक पार्टी में रह कर लगातार पार्टी विरोधी हरकतें कर रहे हैं। लेकिन पूछिए तो जवाब मिलेगा वे संगठन के अनुशासित सिपाही है और हमेशा रहेंगे। भैयाजी के तेवर से समर्थक उल्लासित हैं कि अब तो जनाब नई पार्टी की खिचड़ी पका कर रहेंगे जिसमें से कुछ दाने उनकी ओर भी गिरेंग। लेकिन तभी जनाब ने यह कहते हुए पलटी मार दी कि उनका नई पार्टी बनाने का कोई इरादा नहीं है। आखिरकार एक दिन श्रीमानजी पार्टी से निकाल दिए गए...। नई पार्टी या फिर किसी दूसरी में जाने का रास्ता साफ हो गया, लेकिन अॉन कैमरा बार - बार यही कह रहे हैं कि उनका नई पार्टी बनाने या किसी दूसरे दल में जाने का कोई इरादा नहीं है। हाईकमान का फैसला चाहे जो लेकिन वे पार्टी के अनुशासित सिपाही बने रहेंगे। सचमुच जो कहे वो करे नहीं और जो करे वो दिखे नहीं ... ऐसा करिश्मा कर पाने वाले कोई मामूली आदमी नहीं कही जा सकते। अस्सी के दशक का बहुचर्चित धारावाहिक महाभारत तो इतिहास बन गया, लेकिन हमारे माननीयों का महाभारत नॉन स्टाप गति से चलता ही रहेगा।


-तारकेश कुमार ओझा -

चुनाव गुजरात में और दावं पर 2019 है

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अनिश्चिताओं से भरे राजनीतिक खेल में हालत अचानक बदले हुए नजर आ रहे हैं. गुजरात में चुनावी बिगुल बज चूका है और इसी के साथ ही यहाँ की हवा बदली हुई नजर आ रही है. अमित शाह और मोदी का अश्वमेघ रथ अपने ही गढ़ में ठिठका हुआ नजर आ रहा है. गुजरात बीजेपी की शीर्ष जोड़ी का गढ़ हैं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यही के अपने “विकास मॉडल” को पेश करके दिल्ली की सत्ता तक पहुंचे थे. लेकिन अब विकास के इस “मॉडल” की हवा इस कदर उतरी हुयी नजर आ रही है. जनता अधीर होती है और सोशल मीडिया के इस दौर ने इस अधीरता को और बढ़ाया है.लोगों को मोदी सरकार से बड़ी उम्मीदें थीं लेकिन तमाम दावों और प्रचार प्रसार के बावजूद जमीन पर हालत बदतर ही हुये हैं. मोदी सरकार पूरे समय अभियान मोड में ही रही और उनका पूरा ध्यान चुनावी और हिन्दुतत्व विचारधारा के विस्तार पर ही रहा, इस दौरान 2014 में किये गये वायदों पर शायद ही ध्यान दिया गया हो. नतीजे के तौर पर आज तीन साल बीत जाने के बाद मोदी सरकार के पास दिखाने के लिए कुछ खास नहीं है और अब निराशा के बादल उमड़ने लगे हैं.

पिछले तीन सालों में पहली बार मोदी सरकार घिरती हुई नजर आ रही है. अच्छे दिनों के सपने अब जमीनी सच्चाईयों का मुकाबला नहीं कर पा रहे है. नरेंद्र मोदी का जादू अभी भी काफी हद तक बरकरार है लेकिन हवा नार्मल हो चुकी है. पहली बार प्रधानमंत्री बैकफुट पर और उनके सिपहसालार घिरे हुए नजर आ रहे हैं. पहले मोदी की आंधी के सामने विपक्ष टिक नहीं पा रहा था लेकिन अब हालत नाटकीय रूप से बदले हुए नजर आ रहे हैं. सत्ता गंवाने के बाद पहली बार कांग्रेस खुद को एक मजबूत विपक्ष के रूप में पेश करने की कोशिश करती हुई नजर आ रही है. परिस्थितियां भी कुछ ऐसी बनी हैं जिसने मोदी सरकार बैकफुट पर आने को मजबूर किया है. कुछ महीनों पहले तक हताश नजर आ रही कांग्रेस अब धीरे-धीरे एजेंडा सेट करने की स्थिति में आने लगी है. इधर नोटबंदी और जीएसटी जैसे कदमों ने निराशाओं को और बढ़ाने का काम किया है. पहली बार विपक्ष मोदी सरकार को रोजगार, मंदी और जीएसटी की विफलता जैसे वास्तविक मुद्दों पर घेरने की कोशिश करते हुए कामयाब नजर आ रहा है. राहुल गाँधी संकेत देने लगे हैं कि उनका सीखने का लम्बा दौर अब समाप्ति की ओर हैं. अमित शाह के बेटे पर लगे आरोप से पार्टी और सरकार दोनों को बैकफूट पर आना पड़ा है. सोशल मीडिया पर खेल एकतरफ नहीं बचा है. कोरी लफ्फाजी, जुमलेबाजी बढ़-चढ़ कर बोलने और हवाई सपने दिखाने की तरकीबें अब खुद पर ही भारी पड़ने लगी हैं. दरअसल अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर मोदी सरकार की विफलता और उस पर रोमांचकारी प्रयोगों ने विपक्ष को संभालने का मौका दे दिया है. भारत की चमकदार इकॉनामी आज पूरी तरह से लड़खड़ाई हुई दिखाई दे रही है. बेहद खराब तरीके से लागू किए गए नोटबंदी और जीएसटी ने इसकी कमर तोड़ दी है, इस दौरान विकास दर लगातार नीचे गया है, बेरोजगारी बढ़ रही है, बाजार सूने पड़े है और कारोबारी तबका हतप्रभ है, ऐसा महसूस होता है कि यह सरकार आर्थिक मोर्च पर स्थितियों को नियंत्रित करने में सक्षम ही नहीं है. दूसरी तरफ अमित शाह के बेटे जय शाह के अचानक विवादों में आ जाने के कारण मोदी सरकार के भ्रष्टाचार से लड़ने के दावों पर गंभीर सवाल खड़ा हुआ है. इधर गुजरात में खरीद फरोख्त के आरोपों ने भी इन दावों का हवा निकालने का काम किया है. मज़बूत और एकजुट विपक्ष की गैरहाजिरी मोदी सरकार के लिये वरदान साबित हुई है. प्रमुख विपक्षी पार्टी कांग्रेस एक के बाद एक झटके के सदमे और सुस्ती से बाहर ही नहीं निकल सकी. नीतीश कुमार के महागठबंधन का साथ छोड़ कर भाजपा के साथ मिलकर
सरकार बनाने के फैसले ने रही सही उम्मीदों पर पानी फेर दिया था. लेकिन इधर परिस्थितयों ने ही विपक्ष विशेषकर कांग्रेस को सर उठाने का मौका दे दिया है, कांग्रेस और उसके उपाध्यक्ष एक बार फिर से अपनी विश्वसनीयता हासिल करने के लिये जोड़-तोड़ कर रहे हैं. कुछ महीने पहले तक कांग्रेस भाजपा द्वारा उठाये गए विवादित मुद्दों के जाल में फंस कर रिस्पोंस करती हुयी ही नजर आ रही थी लेकिन अब वो एजेंडा तय
करते हुए मोदी सरकार की विफलताओं को सामने लाने की कोशिश कर रही है, कांग्रेस ने अपने संवाद और सोशल मीडिया के मोर्चे पर भी काम किया है जिसका असर देखा जा सकता है. इस दौरान दो घटनायें कांग्रेस के लिये टर्निंग पॉइन्ट साबित हुई हैं, पहला पंजाब विधानसभा चुनाव में “आप” के गुब्बारे का फूटना और दूसरा नीतीश कुमार का भगवा खेमे में चले जाना. पंजाब में आप की विफलता से राष्ट्रीय स्तर पर उसके कांग्रेस के विकल्प के रूप में उभरने की सम्भावना क्षीण हुयी है, जबकि नीतीश कुमार को 2019 में नरेंद्र मोदी के खिलाफ विपक्ष का चेहरा माना जा रहा था लेकिन उनके पाला बदल लेने से अब 2019 में चाहे अनचाहे राहुल गाँधी के नेतृत्व में कांग्रेस पार्टी और विपक्ष को नरेंद्र मोदी का सामना करना है.
यह कहना तो बहुत जल्दबाजी होगा कि बाजी पलट चुकी है, लेकिन सतह पर बेचैनी जरूर हैं, हवा का रुख कुछ बदला सा लग रहा है. सत्ता के शीर्ष पर बैठी तिकड़ी के चेहरे पर हताशा की बूंदें दिखाई पड़ने लगी हैं. मोदी तिलस्म की चमक फीकी पड़ी है, लहर थम चुकी है. अगर टूटती उम्मीदों,चिंताओं और निराशाओं को सही तरीके से दूर नहीं किया गया तो आने वाले समय में इसका राजनीतिक नुकसान उठाना पड़ सकता है. आज की तारीख में कोई सियासी नजूमी भी यह पेशगोई करने का खतरा मोल नहीं ले सकता कि 2019 में ऊंट किस करवट बैठेगा. जिंदगी की तरह सियासत में भी हालत बदलते देर नहीं लगती. 2013 से पहले कोई नहीं कह सकता था कि नरेंद्र मोदी भाजपा के केंद्र में आ जायेंगें. राहुल गाँधी के बारे में भी यह जरूरी नहीं की वे हर बार असफल ही हों और कभी –कभी दूसरी की नाकामियां भी तो आपको कामयाब बना सकती हैं. बहरहाल इस साल के बाकी बचे महीनों में दो राज्यों में चुनाव होने हैं और उसके बाद 2018 में चार राज्यों में चुनाव होंगें, ऐसे में अगर अपनी फितरत के हिसाब से मोदी सरकार का बाकी समय भी चुनाव लड़ने में ही बीत गया तो फिर 2014 और उसके बाद लगातार किये गये वायदों का क्या होगा ?

-जावेद अनीस-election-in-gujrat-2019-on-stake



हेल्थी अफोर्डेबल सोल्युशन नेशनली फॉर आम आदमी गांवों में कर रहे हैं स्वस्थ भारत का निर्माण : डॉ. सुमित दुबे

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“बात निकलेगी तो दूर तक जाएगी, मेहनत एक दिन जरूर रंग लाएगी” इसी सोच को आगे लेकर चल रहे हैं मौलाना आज़ाद इंस्टिट्यूट ऑफ डेंटल साइंसेज के पूर्व कंसलटेंट डॉ. सुमित दुबे। जिन्होंने हंसना यानि हेल्थी अफोर्डेबल सोल्युशन नेशनली फॉर आम आदमी, योजना के तहत बहुत ही कम खर्च में देश के ग्रामीण क्षेत्रों में जगह-जगह डेंटल चिकित्सा कैंप लगाने और डेंटल क्लिनिक खोलने का जिम्मा उठाया है। इस योजना के तहत जम्मू-कश्मीर, उत्तराखंड और दिल्ली में डेंटल चिकित्सा कैंप लगाने शुरू किए जा चुके हैं और बिहार, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश, हरियाणा जैसे राज्यों के ग्रामीण क्षेत्रों में यह डेंटल चिकित्सा कैंप लगायें जायेंगे और जल्द से जल्द चिकित्सालय की सुविधा भी मुहैया कराई जाएगी। इन्होने ग्रामीण क्षेत्रों में डेंटल चिकित्सा कैंप लगाकर न केवल लोगों का समय बचाया है बल्कि कम पैसों में इलाज़ देकर उनका पैसा भी बचाया है। 4 वर्षों से चल रहे इस मुहिम में 135 गांव, 80 से ज्यादा विद्यालय, 130 से ज्यादा सार्वजनिक बैठक, और 2 लाख से ज्यादा मरीज देखे जा चुके हैं। इस योजना के आलावा डॉ. सुमित दुबे एंटी टोबैको अभियान, एंटी कैंसर अवेयरनेस अभियान, और नेशनल ओरल हाइजीन कैंपेन इंडिया जैसे कई अभियान चला रहे हैं। जैसा कि हम जानते है गांव हमेशा से ही पिछड़े रहे हैं चाहे शिक्षा काक्षेत्र हो या चिकित्सा का, ऐसे में इस सार्थक प्रयास की सख्त ज़रूरत है। डॉ. सुमित दुबे की माने तो गांवों में ओरल कैंसर, दांतों में सड़न की समस्या बढ़ती जा रही है, इसलिए पूर्व जांच के लिए हर गांव में कम से कम एक चिकित्सालय का होना जरूरी है। उनका कहना है कि अपनी प्रैक्टिस के दौरान बहुत से ऐसे ग्रामीण मरीजों का ईलाज किया है, जिन्हें ओरल कैंसर या डेंटल प्रोब्लम्‍स थी। हंसना एक अभियान भर नहीं है बल्कि एक ऐसी अनूठी पहल है जिससे समाज के कल्याण के साथ-साथ इंसानियत के लिए भी एक खास संदेश

छोड़ती है। और इसी के साथ-साथ हम सरकारी स्वास्थ्य योजनाओं के बारे में भी गांव वासियों को जागरूक करते हैं। गावों में स्वास्थ के प्रति जागरूकता आज भी कम है। ऐसे में अगर लोग
जागरूक हो जाएं और इस पहल के तहत काम करे तो हर वर्ग को स्वास्थ लाभ मिलेगा। तभी एक स्‍वस्‍थ भारत के साथ-साथ विकसित भारत बन पाएगा।

मेदांता अस्पताल के डॉक्टर कर रहे हैं स्वास्थ्य जांच!

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हितकर हिमालय के स्वास्थ्य कैम्प में जुटे सैकड़ों ग्रामीण, क्षेत्रीय व 

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पौड़ी 9 नवम्बर 2017 , उत्तरकाशी जिले में मनारी-भाली क्षेत्र में आये सन 1991 के भूकम्प की पीड़ा ने न सिर्फ उस दौर में पहाड़ को झकझोरा बल्कि उस त्रासदी ने दिल्ली व उसके आस-पास रह रहे प्रवासी प्रबुद्ध उत्तराखंडी जनमानस को भी हिलाकर रख दिया था। ऐसे में इन प्रवासियों ने यथासम्भव सहायता के लिए हेल्पेज गढ़वाल नामक एक संगठन बनाया और उस सहायता राशि के माध्यम से उत्तरकाशी भूकम्प प्रभावित को यथासम्भव सहायता प्रदत्त की । बस फिर क्या था तब से शुरू हुए इस संगठन ने आखिर "हितकर हिमालय"संस्था नाम से एक सामाजिक संगठन शुरू कर दिया जो पहाड़ में पहाड़ के हिसाब से विभिन्न क्षेत्रों में कार्य करती आ रही है। इस बारे में जानकारी देते हुए संस्था के आमंत्रित सदस्य मेजर जनरल (से.नि.) एस वी थपलियाल ने कहा कि संस्था विगत बर्षों में उत्तराखण्ड के कई ऐसे निर्धन छात्र- छात्राओं को छात्रवृत्ति दे रही है जो होनहार हैं, यही नहीं हितकर हिमालय द्वारा विगत सरकार में उत्तराखण्ड के 13 जनपदों की 26 शिक्षिकाओं को राष्ट्रीय बाल भवन दिल्ली में 10 दिवसीय कार्यशाला में कंप्यूटर प्रशिक्षण भी दिया गया है। हितकर हिमालय के अध्यक्ष सुधीर रंजन बहुगुणा ने जानकारी देते हुए कहा कि इन स्वास्थ्य कैम्पों को संस्था विक्टोरिया क्रॉस स्व. दरबान सिंह नेगी को समर्पित करती है जिन्होंने युद्ध में अभूतपूर्व पराक्रम से अंग्रेज शासकों से अपने क्षेत्र कर्णप्रयाग में इनाम स्वरूप विद्यालय खोलने की गुजारिश की थी आज वही विद्यालय अपना शताब्दी बर्ष मनाने के करीब ही।उन्होंने बताया कि संस्था के जितने भी स्वास्थ्य शिक्षा व अन्य विधाओं से जुड़े कार्य हैं वे स्वैच्छिक आर्थिक सहायता से संचालित होते आये हैं। उन्होंने कहा कि इस बार वे इंटर कालेज जखेटी व इंटर कालेज परसुंडाखाल में स्वास्थ्य कैम्प चला रहे हैं जिनमें सैकड़ों ग्रामीणों को स्वास्थ्य लाभ दिया जा रहा है जिसमें देश के सुप्रसिद्ध मेदांता अस्पताल के डॉक्टर्स की टीम के साथ पौड़ी व कोटद्वार के शासकीय डॉक्टर्स अपनी सेवाएं दे रहे हैं जिनमें डॉ. एस के तनेजा, डॉ. सर्वेन कुमार सिंह रावत, डॉ. राकेश सकलानी, डॉ. सुनील प्रकाश, डॉ. स्निग्धा जोशी इत्यादि शामिल हैं।

मेदांता अस्पताल दिल्ली से स्वास्थ्य शिविर देख रहे डॉ. एस. के. तनेजा ने बताया कि मेदांता से 26 सदस्यीय टीम आई है जो मधुमेह, हृदयरोग, फेफड़े की बीमारी, हड्डी एवम जोड़ों का दर्द, रक्तचाप, स्नायु तंत्र सम्बन्धी बीमारी, कैंसर, स्त्री रोग, शिशु उपचार,दन्त चिकित्सा, नेत्र रोग इत्यादि की जांच कर यथासम्भव दवाइयां दे रहे हैं। कैम्प के सैकड़ों ग्रामीणों को स्वास्थ्य लाभ दिया गया है। डॉ. स्निग्धा जोशी बताती हैं कि ज्यादात्तर ग्रामीण महिलाएं मूत्र व यूट्रस सम्बन्धी रोगों से पीड़ित हैं। क्षेत्रीय महिलाओं में हिमोग्लोबिन की कमी व हड्डियों के दर्द की बातें सामने आई हैं जिससे यह प्रतीत होता है कि महिलाएं अपनी दिनचर्या को सही तरीके से नहीं जी रही हैं। हितकर हिमालय की ओर आयोजित इस कैम्प में संस्था के अध्यक्ष सुधीर रंजन बहुगुणा,  महासचिव  श्रीमती रेखा थपलियाल, कोषाध्यक्ष श्रीमती उर्मिला रावत, डॉ माधुरी सुबोध, श्रीमती काला, मेजर जनरल अवकाश प्राप्त  शेरू थपलियाल, एडमिरल अवकाशप्राप्त राकेश काला, वरिष्ठ पत्रकार मनोज इष्टवाल, वरिष्ठ पत्रकार योगेश भट्ट , प्रधानाचार्य इंटर  कालेज परसुंडाखाल विमल नेगी प्रभारी प्रधानाचार्य इंटर कालेज जखेटी महिपाल रावत व दोनों विद्यालयों के अधयापकों व जनप्रतिनिधियों इत्यादि ने शिरकत की।
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