Quantcast
Channel: Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)
Viewing all 74342 articles
Browse latest View live

पेटीएम पेमेंट्स बैंक हुआ शुरू, जल्द लगेगा पेटीएम का एटीएम

$
0
0
pettymay-payments-bank-hua-beg-will-soon-be-patiala-s-atm
नयी दिल्ली 28 नवंबर, पेटीएम ने मोबाइल वॉलेट से बैंक तक का सफर पूरा करते हुये आज पेटीएम पेमेंट्स बैंक की शुरूआत कर दी। पेटीएम ने इस डिजिटल भुगतान एवं लेनदेन कारोबारा पर अगले दो वर्षाें में पांच हजार करोड़ रुपये का निवेश करने और शीध्र ही एटीएम लगाने की घोषणा भी की है। केन्द्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आज यहां पेटीएम पेमेंट्स बैंक का औपचारिक शुभारंभ किया और कहा कि यह देश के वित्तीय सेवाओं के क्षेत्र के इतिहास में एक बड़ा मील का पत्थर है। उन्होंने कहा कि भुगतान के मोड में हो रहे बदलाव के बावजूद कुछ सांसद अपने संसदीय क्षेत्र में बैंक की शाखा शुरू करने की मांग करते हैं जबकि अब जमाना डिजिटल पेमेंट का आ गया है और इससे अर्थव्यवस्था को औपचारिक बनाने में मदद मिल रही है। उन्होंने कहा कि अब कोई भी व्यक्ति यह शिकायत नहीं कर सकता है कि उसके पास बैंकिंग सेवायें उपलब्ध नहीं है। इस मौके पर पेटीएम के संस्थापक एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी विजय शेखर शर्मा ने कहा कि पेटीएम पेमेंट्स बैंक के एक लाख टच प्वाइंट बनाये गये हैं और रिजर्व बैंक से इनकी संख्या बढ़ाकर 10 लाख करने की अनुमति मांगी गयी है। उन्होंने कहा कि पेटीएम में सिर्फ मोबाइल भुगतान एवं बैंकिंग गतिविधियों पर अगले दो वर्षाें में पांच हजार करोड़ रुपये का निवेश किया जायेगा जिसमें से चालू वित्त वर्ष में 1700 करोड़ रुपये का निवेश किया जा चुका है। उन्होंने कहा कि शीघ्र पेटीएम का एटीएम लगाने की भी योजना है। उन्होंने कहा कि पेटीएम पेमेंट्स बैंक में मात्र दो मिनट में खाता खुल जाता है और इसी दौरान डिजिटल एटीएम कार्ड भी जारी कर दिया जाता है जिसका उपयोग ऑनलाइन लेनदेन के लिए किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि कारोबारियों के साथ ही आम लोगों से भी पेटीएम पेमेंट्स बैंक से लेनदेन करने पर कोई शुल्क नहीं लगेगा और शून्य बैलेंस पर खाता खुल रहा है। उन्होंने कहा कि जमा पर चार प्रतिशत ब्याज दिया जायेगा लेकिन किसी भी समय निकासी योग्य सावधि जमा पर यह सात प्रतिशत है।

मोदी ने हैदराबाद मेट्रो रेल सेवा का उद्घाटन किया

$
0
0
modi-hyderabad-metro-rail-service-inauguration
हैदराबाद 28 नवंबर, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज बहु प्रतिक्षित हैदराबाद मेट्रो का उद्घाटन कर राजधानी के लोगों को नई सौगात दी। श्री मोदी ने यहां मियापुर रेल स्टेशन पर एक रंगारंग कार्यक्रम में इस मेट्रो का लोकार्पण कर नागरिकों के मेट्रों के सपने काे हकीकत में बदल दिया। इस मौके पर उन्होंने मेट्रो रेल का एक ब्रोशर भी जारी किया। इससे पहले मियापुर स्टेशन आने पर उनकी अगवानी तेलंगाना और आंध्रप्रदेश के राज्यपाल ईएसएल नरसिम्हन, मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव, मंत्रिमंडल के अन्य सदस्यों और मेट्रो रेल के वरिष्ठ अधिकारियों ने की। उद्घाटन कार्यक्रम के बाद श्री मोदी राज्यपाल और मुख्यमंत्री के साथ मेट्रो से मियापुर रेलवे स्टेशन से बेगमपेट रेलवे स्टेशन गए और वापसी की यात्रा भी की। श्री मोदी ने नए मियापुर रेलवे स्टेशन का भी उद्घाटन किया और मेट्रो रेल सेवाओं के बारे में एक वीडियाे प्रेजेंटेशन भी देखा। गौरतलब है कि मेट्रो सेक्टर में हैदराबाद मेट्रो विश्व की सबसे बड़ी सार्वजनिक-निजी भागीदारी वाली परियोजना है और तीन गलियारों में यह कुल 72 किलोमीटर की दूरी को तय करेगी। कल से आम जनता के लिए शुरू किए जाने वाली मेट्रो का दायरा 30 किलोमीटर का है जो देश में सबसे बड़ा है।

विशेष : “न्यूटन” भारतीय सिनेमा का काला हास्य

$
0
0
newton-the-comedy
भारतीय सिनेमा के लिये “न्यूटन” एक नये मिजाज की फ़िल्म है बिलकुल ताजी, साबूत और एक ही साथ गंभीर और मजेदार. इसमें सादगी और भव्यता का विलक्ष्ण संयोग है. न्यूटन का विषयवस्तु भारी-भरकम है लेकिन इसका ट्रीटमेंट बहुत ही सीधा और सरल है बिलकुल मक्खन की तरह. सिनेमा का यह मक्खन आपको बिलकुल इसी दुनिया का सैर कराता है जिसमें हमारी जिंदगी की सारी खुरदरी हकीकतें दिखाई पड़ती हैं लेकिन इसी के साथ ही यह सिनेमा के बुनियादी नियम मनोरंजन को भी नहीं भूलती है. यह एक क्लास विषय पर मास फिल्म है. नक्‍सल प्रभावित इलाके में चुनाव जैसे भारी भरकम विषय वाली किसी सिताराविहीन फिल्म से आप मनोरंजन की उम्मीद नहीं करते हैं. ऐसा भी नहीं है कि इस विषय पर पहले भी फिल्में ना बनी हों लेकिन ‘न्‍यूटन’ का मनोरंजक होना इसे अलग और ख़ास बना देता है. यह अपने समय से उलटी धारा की फिल्म है. आदर्शहीनता के इस दौर में इसका नायक घनघोर आदर्शवादी है और ऐसा करते हुए वो अजूबा दिखाई पड़ता है यही इस फिल्म का काला हास्य है.

 ‘न्‍यूटन’ एक राजनीतक फिल्म है जिसे बहुत ही सशक्त तरीके से सिनेमा की भाषा में गढ़ा गया है. यह सिनेमा के ताकत का एहसास कराती है. इस फिल्म की कई परतें है लेकिन अगर आप एक जागरूक नागरिक नहीं हैं तो इन्हें पकड़ने में चूक कर सकते हैं. ‘न्‍यूटन’ एक ऐसे विषय पर आधारित है जिसपर बात करने से आम तौर पर लोग कतराते हैं. ये हमें देश के एक ऐसे दुर्गम इलाके की यात्रा पर ले जाती है जिसको लेकर हम सिर्फ कहानियां और फ़साने ही सुन पाते हैं. प्राकृतिक संसाधनों से भरपूर इस इलाके में आदिवासी रहते हैं जो नक्सलियों और व्यवस्था के बीच जी रहे हैं. दंड्यकारंण्य के जंगल दुनिया से कटे हुए है और यहाँ सिर्फ नक्सलवाद और उदासीन सिस्‍टम की प्रेतछाया की दिखाई पड़ती है.

फिल्म का हर किरदार एक प्रतीक है जिसका सीधा जुड़ाव हकीकत की दुनिया से है. ये कहानी नूतन उर्फ न्‍यूटन कुमार (राजकुमार राव) की है जो एक सरकारी कलर्क है. वो पागलपन की हद तक ईमानदार और आदर्शवादी है. उनकी ड्यूटी छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित जंगली इलाके में चुनाव के लिये लगायी जाती है. यह एक ऐसा इलाका है जहाँ नक्सलियों ने चुनाव का बहिष्कार कर रखा है. जाहिर है किसी के लिए भी यहाँ चुनाव कराना जोखिम और चुनौती भरा काम है. न्‍यूटन अपने साथियों लोकनाथ(रघुवीर यादव) और स्थानीय शिक्षिका माल्को (अंजली पाटिल) उस इलाके में जाता है. सिक्योरिटी हेड आत्मा सिंह (पंकज त्रिपाठी) और उसके साथी इस काम में उन्हें सुरक्षा देते हैं लेकिन आत्मा सिंह और न्‍यूटन के बीच टकराव की स्थिति बन जाती है, जहाँ आत्मा सिंह मतदान के इस काम को बिलकुल टालने और खानापूर्ति वाले अंदाज में करना चाहता है वहीँ न्‍यूटन का नजरिया बिलकुल उल्टा है, वो काम के प्रति आस्था और बेहतरी की उम्मीद से लबरेज है और किसी भी तरीके से निष्पक्ष मतदान प्रक्रिया को अंजाम देना चाहता है और इसके लिये वो हर तरह के खतरे और रिस्क को उठाने को तैयार है.

राजकुमार राव, पंकज त्रिपाठी, अंजलि पाटिल, रघुबीर यादव जैसे अव्वल दर्जे के कलाकारों से सजी यह फिल्म आपको किसी स्टार की कमी महसूस नहीं होने देती है. राजकुमार राव के पास अब कुछ भी साबित करने को नहीं बचा है इसके बावजूद भी वो हर बार अपने अभिनय से हमें चौंकाते हैं, वे अपने किरदारों में इस कदर समां जाते हैं कि कोई फर्क नहीं बचता है. यहाँ भी उन्होंने ठीक यही काम किया है.रघुवीर यादव पुराने और मंजे हुए कलाकार हैं जो की इस फिल्म में साफ़ नजर आता है. पंकज त्रिपाठी के लिए यह साल गोल्डन साल साबित हो रहा है, उनके अभिनय की सहजता आकर्षित करती है. इन सबके बीच अंजलि पाटिल स्मिता पाटिल की याद दिला जाती हैं.   

एक भारी भरकम विषय को बेहद हलके फुलके अंदाज में पेश करना एक अद्भुत कला है. यह विलक्षण संतुलन की मांग करता है. निर्देशक अमित मसुरकर ने यह काम कर दिखाया है. अपने इस दूसरी फिल्म से ही उन्होंने बता दिया है कि वे यहाँ किसी बने बनाये लीक पर चलने नहीं आये हैं बल्कि नये रास्ते खोजने आये हैं जिसपर दूसरे निर्देशकों को चलना है. वे उम्मीदें जागते है जिसपर आने वाले समय में उन्हें खरा उतरना है. प्रोपगंडा भरे इस दौर में बिना किसी एजेंडे के सामने आना दुर्लभ है. दरअसल इस तरह के विषयों पर बनने वाली ज्यादातर फिल्में अपना एक पक्ष चुन लेती है और फिर सही या गलत का फैसला सुनाने लगती हैं.लेकिन ‘न्‍यूटन’ में इसकी जरूरत ही नहीं महसूस की गयी हैं. इसमें बिना किसी एक पक्ष को चुने हुए कहानी को बयान किया गया है और तथ्यों को सामने रखने की कोशिश की गयी है. सिनेमा की बारीकी देखिए कि न्यूटन  किसी भी तरह से ना आपको भड़काती है और ना ही उकसाती है और ना ही कोई  सवाल उठाती हुई ही दिखाई पड़ती है लेकिन बतौर दर्शकों आप इन सवालों को महसूस करने लगते हैं और कई पक्षों में अपना भी एक पक्ष चुनने लगते हैं. फिल्म का हर दृश्य बोलता है जो कि कमाल है. न्यूटन एक परिपक्व सिनेमा है जो कहानी को नये ढंग से बयान करती है, उम्मीद की जानी चाहिए कि भारतीय सिनेमा का यह काला हास्य दुर्लभ बन कर नहीं रह जायेगा.






liveaaryaavart dot com

जावेद अनीस 
Contact-9424401459
javed4media@gmail.com

विशेष आलेख : आधार को लेकर ममता के तेवर

$
0
0
mamta-banerjee-and-adhar
एक बार फिर आधार की अनिवार्यता का प्रश्न चर्चा में हैं। यह इसलिये चर्चा में है कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इसे चुनौती देने का दुस्साहस किया है। इसके लिये उन्होंने सरकारी योजनाओं को आधार से जोड़ने के खिलाफ सुप्रीम कोई में याचिका दाखिल कर दी। यह तो अच्छा हुआ कि उन्हें और उनकी सरकार  को सुप्रीम कोर्ट में मुंह की खानी पड़ी। सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को फटकार भी लगाई है, यह फटकार एक तरह से मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को लगाई गई फटकार है, क्योंकि एक तो उक्त याचिका उनकी ही पहल पर शीर्ष अदालत पहुंची और दूसरे वह खुद इस तरह के बयान देने में भी संकोच नहीं कर रही थीं कि भले ही सरकार उनका मोबाइल फोन बंद कर दे, लेकिन वह उसे आधार से नहीं जोड़ेंगी। हालांकि उक्त याचिका मोबाइल फोन को आधार से जोड़ने के मसले पर नहीं, बल्कि सरकारी योजनाओं के लाभार्थियों को आधार से जोड़ने को लेकर थी। इस याचिका का तो कोई औचित्य ही नहीं बनता था, क्योंकि सरकारी योजनाओं को आधार से जोड़ने का फैसला संसद की ओर से बनाए गए कानून के तहत लिया गया था। इसलिये संसद में बनाये गये कानून को वह चुनौती नहीं दे सकती, क्योंकि वे एक संवैधानिक पद पर है। यहां प्रश्न पश्चिम बंगाल सरकार का है तो सुप्रीम कोर्ट का भी है। प्रश्न आधार की अनिवार्य का भी है। यहां प्रश्न ममता बनर्जी की संकीर्ण राजनीति और विरोध की राजनीति का भी है। ये सभी स्थितियां लोकतंत्र की दृष्टि से दुर्भाग्यपूर्ण एवं चिन्तनीय है। 

सुप्रीम कोर्ट का ममता सरकार से यह पूछा जाना उचित है कि आखिर कोई राज्य सरकार संसद की ओर से बनाए गए कानून को कैसे चुनौती दे सकती है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट से कौन पूछे कि जब किसी राज्य सरकार को संसद की ओर से बनाए गए कानून के खिलाफ अदालत का दरवाजा खटखटाने का अधिकार ही नहीं तब फिर सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार की याचिका स्वीकार ही क्यों की? क्या यह अच्छा नहीं होता कि इस इस अनुचित याचिका पर समय, शक्ति एवं साधनों को जाया करने से बचा जाता? जब सुप्रीम कोर्ट इस तरह की याचिकाओं को स्वीकार करने से मना करती रही है तो संघीय व्यवस्था और साथ ही संसद के जनादेश को चुनौती देने वाली इस याचिका को महत्व कैसे दिया गया? क्यों स्वीकार किया गया? और बाद में संबंधित पक्ष को फटकार भी लगायी। कितना अच्छा होता, इस सब स्थितियों से बचा जाता। ममता बनर्जी भारतीय राजनीति में एक ऐसा चमकता चेहरा है जो जनसंघर्ष के माध्यम से अपनी स्वतंत्र पहचान बनायी है। वे भारत की राजनीति को नये तेवर देने वाले जननायकों में गिनी जाती हैं। साथ ही ममता अक्सर संकीर्ण राजनीति का चैला पहनकर विध्वंक की राजनीति भी करती रही है, केंद्र सरकार के फैसलों का विरोध उनकी आदत बन गयी है। स्वार्थ की राजनीति एवं अहंकार से एक बात उभरकर सामने आई है कि हम बंट कितने जल्दी जाते है जबकि जुड़ने में वर्षों लग जाते हैं। आधार को मोबाइल फोन से जोड़ने अथवा उसके कारण कथित तौर पर निजता का हनन होने पर संविधान पीठ का फैसला जो भी हो, ममता की व्यक्तिगत राय भी भिन्न हो सकती है, मगर इसका मतलब यह नहीं हो सकता कि वह मुख्यमंत्री की हैसियत से भारत की उस संगठित संघीय प्रणाली को चुनौती दे सकती हैं जिसकी स्थापना संविधान के माध्यम से हमारे दूरदर्शी स्वतन्त्रता सेनानियों और चुने हुए जनप्रतिनिधियों ने बहुमत से की है। वह चाहती तो व्यक्तिगत स्तर पर इस बारे में संवैधानिक दायरे में इसकी अनिवार्यता पर सवाल उठा सकती थी, मगर यह किसी भी तौर पर स्वीकार्य नहीं हो सकता कि वह संसद द्वारा बनाये गए कानून को ही अपने राज्य में लागू करने से मना कर दें या कानून की धज्जियां उडा दे। यदि केन्द्र सरकार का यह फैसला है कि सभी सामाजिक सहायता के कार्यक्रमों को आधार नम्बर से जोड़ा जाए तो उसका तब तक पालन करना राज्य सरकार का दायित्व है जब तक कि आधार कानून पर ही कोई सवालिया निशान न लग जाए।

आधार को लेकर ममता बनर्जी के तेवर युक्तिसंगत नहीं है, बल्कि उनके रवैये से यह संदेह होना स्वाभाविक है कि कहीं वह अवैध बांग्लादेशी नागरिकों के हित की चिंता में तो आधार का विरोध नहीं कर रही हैैं? जो भी हो, यह किसी से छिपा नहीं कि वह पश्चिम बंगाल में अवैध रूप से आ बसे लोगों के लिए कुछ ज्यादा ही परेशान रहती हैैं। दुर्भाग्य से आधार कार्ड के मामले में ममता बनर्जी सरीखे अडंगा लगाने वाले रवैये का परिचय अन्य विपक्षी नेता भी दे रहे हैैं। हैरानी इस पर है कि इनमें आधार की जनक कांग्रेस के भी नेता हैैं। वे एक ओर आधार को शुरू करने का श्रेय लेते हैैं और दूसरी ओर उसके इस्तेमाल को बढ़ाने का तरह-तरह के बहानों के जरिये विरोध भी करते हैैं। काॅफी हाउस के प्रबुद्ध लोगों से लेकर गांव की चाय की दुकान तक आपको राजनीति का पूरा पोस्टमार्टम करते लोग मिलेंगे। जिनमें आधार कार्ड की अनिवार्यता हो या नोटबंदी, जीएसटी हो या मोदीजी के कठोर निर्णय- गांवों में तो सिनेमा से ज्यादा ऐसी राजनीतिक चर्चाएं होती हैं। पर दूसरी पंक्ति में भी परिपक्वता नहीं है। पूरे दृश्य से यह आभास होता है कि सब धक्का लगा रहे हैं। और धक्का चाहे अंधा लगाए चाहे आंख वाला, कोई तो गिरेगा ही। नुकसान तो होगा ही। लेकिन यहां आंख वाले भी अंधे बनकर धक्का लगा रहे हैं, तब नुकसान विनाश का रूप ले रहा है। केन्द्र की कमजोरी हो या उनके निर्णय प्रांतों में विपक्ष की सरकारें आंखें दिखा रही हैं और देश की कमजोरी का फायदा पड़ोसी उठा रहे हैं। जिनके खुद के पांव जमीन पर नहीं वे युद्ध की धमकी दे रहे हैं। और देश क्लीव होकर सोया पड़ा है। राष्ट्र के कर्णधारों! परस्पर लड़ना छोड़ो। अगर तेवर ही दिखाने हैं तो देश के दुश्मनों को दिखाओ, देश के संविधान को नहीं।

भारत की महानता उसकी विविधता में है। साम्प्रदायिकता एवं दलगत राजनीति का खेल, उसकी विविधता में एकता की पीठ में छुरा भोंकता है। जब हम नये भारत को निर्मित करने जा रहे हैं, विश्व के बहुत बड़े आर्थिक बाजार में बड़े भागीदार बनने जा रहे हैं, विश्व की एक शक्ति बनने की भूमिका तैयार करने जा रहे हैं, तब हमारे उच्चस्तरीय नेतृत्व को जाति, धर्म व स्वार्थी राजनीति से बाहर निकलना चाहिए। यह सच्चाई है कि आधार को लेकर अभी स्थितियां स्पष्ट नहीं हैं। लेकिन यह भी एक सच्चाई है कि वित्तीय अनुशासन और राजस्व जिम्मेदारी को देखते हुए सरकार का निर्णय अनुचित नहीं कहा जा सकता। व्यक्तिगत स्वतन्त्रता के नजरिये से इसे लोकतान्त्रिक व्यवस्था में जबर्दस्ती थोपने की श्रेणी में जरूर रखा जा सकता है। प्रत्येक व्यक्ति की नितान्त निजी जानकारी सरकार को अपने कब्जे में रखने का अधिकार क्या संवैधानिक नजरिये पर खरा है? 125 करोड़ से अधिक आबादी वाले देश में सभी व्यावहारिकताओं को देखते हुए ही किसी भी कानून की अनिवार्यता लागू करनी होगी। झारखंड की एक बालिका की भूख से मृत्यु  का कारण आधार बना है। ऐसे अनेक त्रासदियां एवं ज्यादतियां देश को झेलनी पड़ सकती है। क्योंकि भारत एक अनपढ़ देश है। तकनीक एवं अज्ञानता के अभाव में आधार की अनिवार्यता कितनी उचित होगी, इसका उत्तर केवल सर्वोच्च न्यायालय ही दे सकता है और यही वजह है कि इस बारे में जो भी व्यक्तिगत याचिकाएं न्यायालय में दायर की गई हैं उन्हें संविधान पीठ के सुपुर्द कर दिया गया है लेकिन ममता बनर्जी एक राज्य की मुख्यमन्त्री होने के नाते जिस प्रकार इस जिद पर अड़ी हुई हैं कि वह अपने मोबाइल फोन को आधार कार्ड से नहीं जोड़ेंगी, किसी भी दृष्टि से उचित करार नहीं दिया जा सकता है। यह एक तरह की हठधर्मिता है, अहंकार है, जनादेश का प्रतिकार है। जिसे लोकतांत्रिक मूल्यों वाले राष्ट्र के लिये उपयुक्त नहीं माना जा सकता।                                                                    


liveaaryaavart dot com

(ललित गर्ग)
60, मौसम विहार, तीसरा माला, 
डीएवी स्कूल के पास, दिल्ली-110051
फोनः 22727486, 9811051133

मध्यप्रदेश : इस बार की राह इतनी आसान नहीं होगी शिवराज के लिये

$
0
0
shivraj-and-2018-election
भारतीय जनता पार्टी पहली बार 5 मार्च 1990 में भोजपुर विधायक सुन्दर लाल पटवा ने मध्यप्रदेश का कमान 15 मई 1992 त्क संभाली लेकिन 16 दिसम्बर से 6 दिसम्बर तक राष्ट्रपति शासन के अधीन रहा. 8 दिसम्बर 2003 से 23 अगस्त 2004 तक मलहारा के विधायक उमा भारती की नेतृत्व में सरकार चली. 23 अगस्त 2004 से 29 नवम्बर 2005 गोविंदपुरा विधायक बाबुलाल गौर ने मध्यप्रदेश का दिशा निर्देशन किया. विदिशा के विधायक श्री शिव राज सिंह चौहान के नेतृत्व में 3 दिसम्बर 2008 को मध्यप्रदेश का दिशा निर्देशन शुरु हुआ जो 2018 तक चलेगी.

आसाननहीं शिव राज की राह 
2018 में मध्यप्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनावों का समय जैसे जैसे नजदीक आता जा रहा है वैसे वैसे प्रदेश में राजनैतिक हलचल भी तेज होती जा रही है। वैसे तो प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी बीते 14 सालों से सत्ता में है लेकिन शिवराज शासन की अगर बात की जाए तो विगत 12 वर्षों से प्रदेश की बागडोर उनके हाथों में है। इन बारह सालों में शिवराज सिंह सरकार के नाम कई उपलब्धियाँ रहीं तो कुछ दाग भी उसके दामन पर लगे। अगर उपलब्धियों की बात की जाए तो उनकी सबसे बड़ी सफलता मप्र के माथे से बीमारू राज्य का तमगा हटाना रहा। बिजली उत्पादन के क्षेत्र में आज मप्र सरप्लस स्टेट में शामिल है,यहाँ 15500 मेगावाट बिजली की उपलब्धता है  जबकि मांग सामान्यतः 6000 मेगावाट और रबी सीजन में अधिकतम 10000 मेगावाट रहती है। अटल ज्योति योजना के अन्तर्गत 24 घंटे बिजली देना एक महत्वपूर्ण कदम रहा।हालांकि बिजली आपूर्ति के इन्फ्रास्टकचर का विकास हुआ है लेकिन देश के बाकी राज्यों के मुकाबले यह सबसे अधिक बिजली टैरिफ वाले राज्यों में शामिल है।

पर्यटन क्षेत्र ‘हिन्दुस्तान का दिल देखो’
सड़कों की अगर बात की जाए तो गाँवों तक पहुँच आसान हो गई है।
पर्यटन के क्षेत्र में ‘हिन्दुस्तान का दिल देखो’ ऐड कैम्पेन से मप्र ने देश में उत्कृष्ट स्थान हासिल किया, इसके लिए 2008 में यूएस द्वारा मप्र को पर्यटन के क्षेत्र में सर्वश्रेष्ठ राज्य घोषित किया गया और वर्ष 2015 में छह राष्ट्रीय पुरस्कार भी जीते।

कृषि क्षेत्र
लगातार चार बार कृषि कर्मण अवार्ड जीतने वाला देश का पहला राज्य बना,108 एम्बुलेंस,जननी योजना,लाडली लक्ष्मी योजना,मुख्यमंत्री तीर्थ दर्शन योजना,शिवराज सरकार की वो उलब्धियाँ हैं जिन पर वो बेशक अपनी पीठ थपथपा सकती है.
निवेश क्षेत्र
यह सत्य है कि विभिन्न क्षेत्रो में आशातीत निवेश न हुआ है लेकिन यह भी नही है कि निवेश हुआ ही नही है –निवेश क्षेत्र–आईटी, औटॉमोबाईल, रक्षा,इनर्जी, फार्मा स्यूटिकल, टैक्सटाईल,पर्यटन. सिंगलविंडो के माध्यम से तीब्रगति से एक महिना के अंदर सरकारी प्रक्रिया पूरी कि जा रही है, औद्योगिक लैंड बैंक कि व्यवस्था भी सिर्फ मध्यप्रदेश में ही है .

 मोर्चों पर चूक
कई मोर्चों पर उनसे चूक भी हुई वरना 2015 में भाजपा का गढ़ कहे जाने वाले रतलाम और झाबुआ लोकसभा सीट उप चुनाव के लिए बतौर सीएम रहते हुए दर्जन भर सभाएँ,15 मंत्रियों,16 सांसदों,60 विधायकों के साथ चुनाव प्रचार एवं 1500 करोड़ की घोषणाओं के बावजूद शिवराज की झोली में हार क्यों आई? देवास में जीत का अन्तर भी चेहरे पर खुशी लाने वाला नहीं माथे पर बल लाने वाला रहा। हालात की अगर समीक्षा की जाए तो भले ही सरकार अपनी उपलब्धियों को आज अखबारों में बड़े- बड़े विज्ञापनों से राज्य में तरक्की का श्रेय ले रही हो लेकिन धरातल पर शिवराज सरकार की लोकप्रियता में निश्चित ही कमी आई है।

आत्मघाती मुद्दे -व्यापम और किसान आंदोलन और ह्त्यायें 
व्यापम घोटाला भ्रष्टाचार की सारे हदें पार गया क्योंकि सैंकडों छात्रों और गवाहों की मौत का कलंक दामन से मिट नही सकता है , इतना ही नहीं किसान आंदोलन में किसानों पर गोली चलाना एक बहुत ही गलत कदम रहा। दरअसल यह सरकार के अति-आत्मविश्वास एवं प्रशासन तंत्र द्वारा गलत फीडबैक का नतीजा रहा। स्वयं को किसान का बेटा कहने वाले शिवराज के 13 वर्षों के शासन में, खुद मध्यप्रदेश सरकार द्वारा विधानसभा में जारी आंकड़ों के अनुसार 15129 किसान आत्महत्या कर चुके हैं। एक तरफ सरकार दावा कर रही है कि राज्य में चार सालों में कृषि विकास दर 20% बढ़ी है तो दूसरी तरफ उसके पास इस प्रश्न का कोई जवाब नहीं है कि प्रदेश का किसान असंतुष्ट क्यों है ? 

कभी प्याज तो कभी टमाटर सड़क पर फेंकने के लिए मजबूर क्यों है?
कैग की एक रिपोर्ट के अनुसार कृषि की खेती के सामान खरीदी में प्रदेश में 261 करोड़ की धांधली हुई है। स्वास्थ्य सेवाओं की बात की जाए तो उनमें भी गिरावट आई है। शिशु- मृत्यु दर और कुपोषण के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। शिक्षा के क्षेत्र में ढेर सारे इंजीनियरिंग कॉलेज खोले जाने के बावजूद उनमें से न तो अच्छे इंजीनियर निकल रहे हैं न ही इन कालेजों से निकलने वाले युवाओं को नौकरी मिल पा रही है जिसके कारण बेरोजगारी की समस्या बढ़ती जा रही है। प्रदेश में अवैध खनन ने भी सरकार की साख ही नहीं राज्य के राजस्व पर भी गहरा वार किया है। अगर सरकार की नाकामयाबियों के कारणों को टटोला जाए तो बात प्रदेश की नौकरशाही पर आकर रुक जाती है। संघ की बैठक में भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय तक ने नौकरशाही के हावी होने का मुद्दा उठाया था। प्रदेश की बेलगाम और भ्रष्टाचार में डूबी ब्यूरोक्रेसी के कारण प्रदेश में न तो गुड गवर्नेस हो पा रही है न ही सरकार द्वारा घोषित योजनाओं का क्रियान्वयन हो पा रहा है।

आंतरिक कलह भी चौहान के रास्ते में कांटे
तो देखना दिलचस्प होगा कि जिस भाजपा सरकार को प्रदेश की जनता ने लगातार तीन बार सिर आँखों पर बैठाया वो शिवराज की प्रशासन और नौकरशाहों पर उनकी ढीली होती पकड़ के कारण विपक्ष का रास्ता दिखाएगी या फिर काँग्रेस की आपसी फूट एवं किसी और बेहतर विकल्प के आभाव में एक मौका और देगी।



liveaaryaavart dot com

--डॉ नीलम महेंद्र--

आलेख : “आर्थिक भूकम्प क्षणिक इसके परिणाम सुखद”

$
0
0
भारतीय राजीनीति की अजीब विडंबना है. आज के नेता मैकियावेली के अनुआइ और आत्ममुग्ध है,उन्हें चमचागिरी प्राणों से प्यारा है.और खुद को पीड़ित बताते नही थकते. हम उस मुकाम तक पहुच जाने के बाद भी हम सत्ता का सुख नही छोड़ना चाहते ?भारतीय चिंतन की चार आश्रमों में वानप्रस्थ के प्रति हमारी सोच नकारात्मक ही है.हम अपने जीवन के आखिरी पड़ाव तक किसी ना किसी रूप से सत्ता से चिपके रहना चाहते? यदि सरकारी नौकरशाह है तो सेवानिवृति के बाद सरकार के किसी ना किसी मालदार ओहदे पर आसीन होने के लिए हर हथकंडे अपनाते है. वही यदि राजनितिक क्षेत्र में है तो पद्पिपाषा में कैसे अंधे और दिग्भ्रमित हो जाते है यह समाज से छिपा नही है.

हम अपने उतराधिकार के रूप में हम अपने खून से जुड़े रिश्तेदारों से आगे बढ़कर सोचने की क्षमता मानो खो दिए है.भारतीय चिंतन को जिस पश्चिमी चाशनी में लपेट पिछले ७० सालों से हमारे सामने परोसा गया उस चाशनी में घुला ज़हर हमे भाई भातिजाबाद, भ्रस्टाचार,वंशवाद, जातिवाद, समप्रदायवाद और स्वार्थी बनाकर रख दिया है.हमें वेतन तो सातवी वेतन आयोग की सिफारिश के अनुसार मिले किन्तु टेक्स नहीं देना पड़े और टमाटर १० रूपये किलो ही मिले ? ऐसी मानसिकता से हम पीड़ित है. इस सरकार के दो फैसले एक नोटबंदी और दूसरा जीएसटी साहसिक फैसले है.इससे अर्थव्यवस्था पर तात्कालीन प्रभाव पड़ना ही था और आर्थिक क्षेत्र में यह भूकम्प से कम नहीं है..राष्ट्र हित पहले है पार्टी हित बाद इस सोच को कठोरता से लागू करनेवाली वर्तमान मोदी सरकार ने सत्ता की चिंता की होती तो पिछले सरकारों की तरह यह भी शुतुरमुर्गी चाल चल इतना बड़ा जोखिम नही लेती.जब नोटबंदी हुई तो भारत के भ्रष्ट तंत्रों ने बैंको को साथ मिलाकर देश के साथ जो विश्वासघात किया वह अक्षम्य है.

फिर भी जो लोग नोटबंदी को कालेधन को सफेद करने वाला देश का सबसे बड़ा घोटाला बता रहे है.उनके कथनी पर हंसी आती है. पुरे देश अभी यह रिपोर्ट पढ़ा ही होगा जो इस संदर्भव में सामने आई.देश के १३ बैंको ने नोटबंदी के बाद विभिन्न बैंको खातो से गलत लेनदेन की बात स्वीकार की है है.०२ लाख ०९ हजार ३२ संदिग्ध कम्पनिओं में से ५८०० कम्पनियाँ के बैंक ट्रांजेक्शन की जानकारी जो सामने आई वह वेहद गंभीर और राष्ट्रद्रोही कुकृत्य है. १३१४० खातों की जो जानकारी दी गयी है उनमे तो एक कम्पनी के नाम पर ही २१३४ खाते पकडे गए.एक  दुसरे के नाम पर ९०० खाता तो किसी अन्य कंपनी के नाम ३०० खाते खोले गए थे.सोचिये ०९ नबम्बर २०१६ के बाद से उन कंपनियो को रद्द किये जाने की तारीख तक इन कंपनियो ने अपने बैंक खातो में से कुल मिलाकर ४५७३.८७ करोड़ रूपये जमा करवाए और ४५५२ करोड़ निकाल लिए गए.एक बैंक में तो ४२९ कम्पनियो के खातों में ०८ नबम्बर २०१६ तक एक पैसा भी नही था लेकिन इस तिथि के बाद में इन खातों के जरिये ११ करोड़ रूपये से ज्यादा जमा हुए और उसकी निकासी भी हो गयी.

नोटबंदी के बाद फर्जी लेनदेन करने वाली कंपनियो पर शिकंजा कसा है.अब ऐसे फर्जी कम्पनी देश में आर्थिक आतंकवादी ही था. वही जीएसटी लागू होने से ४८ घंटा पहले लगभग एक लाख से अधिक शेल कंपनियो पर ताला लग गया था. हमारे आदत में ना रसीद लेना ना सही कर देना शुमार रहा है. जीएसटी के बाद हमें कुछ आदतों को बदलना पड रहा, जो हमने पिछले ७० सालों में नही की थी,ऐसे में एक सजग नागरिक होने के नाते राष्ट्रहित के लिए कुछ परेशानी को सरलता से स्वीकार कर सहयोग करे तो निश्चित रूप से भारत की आर्थिक ढांचा मजबूत होगी . जब ये फर्जी कम्पनियाँ बंद हुई तो इनके साथ समाज भी प्रभावित हुआ. देश की अर्थवयवस्था खासकर निर्माण उधोय्ग बुरी तरह प्रभावित हुई है.ऐसे में इन फर्जी कम्पनियो के ज़मात देश में ऐसी कठोर और राष्ट्र प्रथम को स्वीकार करने वाली सरकार के विरुद्ध तो कमर कसेगा ही. साल २०१३-१४ में अपने चुनाव प्रचार के दौरान वर्तमान प्रधानमन्त्री ने कहा था की उनकी पार्टी सत्ता में आई तो एक करोड़ नौकरिओं के अवसर पैदा करेगी. किन्तु आर्थिक क्षेत्र के दो साहसिक और देशहित का कदम नोटबंदी तथा जीएसटी ने इस दिशा में कुछ समयों के लिए सुस्ती ही नही छटनी भी ला दिया है .वर्तमान सरकार के आंकड़े बताते है की बेरोजगारी की दर २०१३-१४ में ४.९ प्रतिशत से बढ़कर ५ फीसदी हो गई है.पिछले ३ साल में जीडीपी की दर ५.७ प्रतिशत पर टिकी है.जीडीपी के इस स्थिरता से हमें निराशा होने की  जरुरत नही है.हमें धीरज से काम लेना ही होगा.

स्टेट बैंक के इको फ्लेश के सर्वेक्षण का हवाला देते हुए कहा गया की अगस्त २०१६ में बेरोजगारी की दर ९.५ प्रतिशत थी जो फ़रवरी २०१७ में घटकर ४.८ प्रतिशत  हो गई है.नैसकोम के अध्यक्ष आर.चंद्रशेखर के अनुसार केवल वर्ष २०१६-१७ में इनके क्षेत्र ने अकेले १.७ लाख नइ नौकरियां दी. आरबीआई ने २०१७-१८ के ग्रास वैल्यू एडेड ग्रोथ में कहा है की पहले यह ७.३ फीसदी विकास का अनुमान था.अब इसे ६.७ फीसदी कर लिया है.उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित महंगाई दर २००७-१३ के बीच ९.५ फीसदी का औसत रहा है.यह सत्य है की धातु,पूंजीगत माल,खुदरा बाज़ार,उर्जा, निर्माण, और उपभोक्ता सामान बनाने वाली १२० से अधिक कम्पनियो के रोजगार में सुस्ती आई है. अप्रेल-जुन २०१७ के दौरान भारत के सकल घरेलू उत्पाद यानी जीपीडी में ५.७ फीसदी की वृद्धि हुई है. भारत में रोजगार का पारम्परिक स्रोत कृषि ही है.उनकी स्थिति आज खराब हुई ऐसा नहीं है पूर्ववर्ती सरकारों के सोच खासकर कांग्रेसी शाशन ने जिस नेहरूवियन आर्थिक ढांचा को आजाद भारत में लागू किया था उसमे कृषि को उपेक्षित रखा जिसका खामियाजा देश भुगत रहा है.

आज बैंको से लिए कर्ज की जाल में फंसकर कुछ दुर्भाग्यपूर्ण घटनाए किसानो के बिच हो रही है किन्तु  भारत में एक बड़ी चिंता सरकारी स्वामित्व वाले बैंक २१ में से १७ सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के पास(३१ मार्च २०१७) तक १० फीसदी से अधिक बैड लोन है. बैड लोन का मतलब है की दिए गये १०० रूपये का कर्ज में से १० रूपये भी वापस नही हो रहा और जिसमे देनदारी ९० दिनों से अधिक बकाया है. इसमें देश की बड़ी बड़ी कम्पनिया और उद्योगपति भी संलिप्त है.भारत में रोजगार की समस्या को केबल बिखरी हुई श्रम शक्ति के रूप में देखा जाता है.संगठित क्षेत्र में रोजगार की गति धीमी है.देश की दीर्घावधि विकास यात्रा को हम दो तिन तिमाही के आंकड़ो से तौल यदि निष्कर्ष पर पहुचते है तो यह अर्थतंत्र के साथ नाइंसाफी ही होगी. केंद्र सरकार ने १४वे वित्त आयोग द्वारा राज्यों को धन आवंटन बढाने और सातवे वेतन आयोग की सिफारिश मानने के बाद भी राजकोषीय घाटे को कम करने में सफल रहा यह अत्यंत सुखद संकेत है.जिस तरह का स्यापा एक विशेष ज़मात देश में कर रही वह सत्य से परे है.देश का वर्तमान नेतृत्व देश को आर्थिक समृधि का भी एक विशेष मजबूत ढांचा देश को देगी जिसके छाये में भारत समृद्ध होगा इसमें कोई संशय हमें नहीं रखना चाहिए 



liveaaryaavart dot com

संजय कुमार आजाद
निवारणपुर ,रांची-834002
फोन-9431162589  
ईमेल- azad4sk@gmail.com

बिहार : शहादत की 42 वीं बरसी: काॅ. जौहर, निर्मल व रतन को दी गयी श्रद्धांजलि

$
0
0
cpi-ml-logo
भाकपा-माले के दूसरे राष्ट्रीय महासचिव काॅ. जौहर और काॅ. निर्मल व काॅ. रतन की शहादत की 42 वीं बरसी पर आज उन्हें श्रद्धांजलि दी गयी. 1975 में आज ही के दिन भाकपा-माले के दूसरे राष्ट्रीय महासचिव काॅ. सुब्रत दत्त (काॅॅ. जौहर), काॅॅ. डॉ.निर्मल महतो और काॅ. राजेंद्र यादव (काॅ. रतन) भोजपुर में शहीद हुुए थे।  राज्य कार्यालय में आयोजित श्रद्धांजलि सभा में समकालीन लोकयुद्ध के संपादक तथा नक्सलबाड़ी के दौर के माले नेता काॅ. बृजबिहारी पांडेय ने कहा कि काॅ. जौहर की हत्या उस वक्त हुई थी, जब देश में इमरजेंसी थी. उस कठिनतम दौर में काॅ. जौहर ने हर प्रकार के हमलों को झेलते हुए चारू मजूमदार की लाइन को मजबूती से जिंदा रखा और उसी का नतीजा है कि आज देश के विभिन्न भागों में भाकपा-माले का आंदोलन तेजी से फैला. आज एक बार फिर से देश में आपातकाल की स्थिति है. ऐसे वक्त में काॅ. जौहर द्वारा बताया गया रास्ता हमारे लिए बेहद महत्पवपूर्ण है. श्रद्धांजलि सभा में उनके अलावा भाकपा-माले के पोलित ब्यूरो सदस्य काॅ. अमर, काॅ. राजाराम, काॅ. उमेश सिंह, काॅ. संतलाल, काॅ. विभा गुप्ता, काॅ. विश्वमोहन कुमार आदि उपस्थित थे. दरभंगा में इस मौके पर पार्टी जिला कार्यालय में डाॅ. निर्मल की मूर्ति की स्थापना की गयी. मसौढ़ी में भी शहीदों को श्रद्धांजलि दी गयी.

विदिशा (मध्यप्रदेश) की खबर 29 नवम्बर

$
0
0
नाक,कान,गला  एंव कैंसर रोग निदान षिविर 3 दिसंबर को

vidisha map
सेवाभारती भवन श्रीकृध्ण कालोनी दुर्गानगर में 3 दिसबंर रविवार को सुबह11बजे से पूर्व पंजीकृत नाक,कान,गला,रोग से पीड.ीत मरीजों की जांच एंव चिकित्सा परामर्ष राकलैंड अस्पताल दिल्ली की डाॅ.मीना अग्रवाल डीएनवी द्वृारा की जायेगी एंव कैंसर रोग से पीड.ीत मरीजों की जांच एंव चिकित्सा परामर्ष जवाहरलाल नेहरू कैंसर अस्पताल रिसर्च सेंटर भोपाल के डाॅ महेन्द्र पाल सिंग दृारा की जायेगी। इस षिविर का लाभ लेने के लिये अपना पंजीयन डाॅ जी के माहेष्वरी  किरी मौहल्ला में सिटी कोतवाली के पास करा सकते हैं। विदिषा से बाहर के मरीज अपना पंजीयन मोबाइ्रल नं.9425483315 पर करा सकते।

श्री अग्निवंशी की जिला मुख्यालय पर पदस्थापना

कलेक्टर श्री अनिल सुचारी ने डिप्टी कलेक्टरों के मध्य पूर्व जारी कार्य विभाजन आदेश में आंशिक संशोधन आदेश जारी किए है। जिसके अनुसार नटेरन एसडीएम श्री मकसूद अहमद को नटेरन के साथ-साथ अनुविभागीय अधिकारी उपखण्ड मजिस्टेªट शमशाबाद का अतिरिक्त प्रभार भी सौंपा है। तत्कालीन एसडीएम श्री रमाधार सिंह अग्निवंशी की पदस्थापना जिला मुख्यालय की गई है। संयुक्त कलेक्टर श्री आरडीएस अग्निवंशी को जिला मुख्यालय पर जो दायित्व सौंपे गए है उनमें उप जिला निर्वाचन अधिकारी सामान्य/स्थानीय निर्वाचन अधिकारी के अलावा जिन शाखाओं के प्रभारी अधिकारी होंगे उनमें जिला नाजिर शाखा, भू-अभिलेख, रीडर टू कलेक्टर, आरएम शाखा, आकस्मिक व्यय, अतिरिक्त वरिष्ठ लिपिक शाखा एवं सैनिक कल्याण, राहत शाखा, वरिष्ठ लिपिक शाखा एवं मुख्यमंत्री स्वेच्छानुदान, शिकायत, सतर्कता शाखा, आवक जावक शाखा, महिल कर्मचारी कल्याण, एसडब्ल्यूबीएन शाखा, सहायक अधीक्ष सामान्य, राजस्व, स्टेशनरी क्रय एवं उपलब्धता तथा सामान्य राजस्व अभिलेखागार शामिल है। डिप्टी कलेक्टर श्री रविशंकर राय को जिला विभागीय जांच अधिकारी के अलावा स्थापना शाखा, सिविल सूट, जिला नजूल अधिकारी और सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत लोक सूचना अधिकारी नियुक्त किया गया है। 

लिंक अधिकारी
संयुक्त कलेक्टर श्री आरडीएस अग्निवंशी के लिंक अधिकारी श्री रविशंकर राय होंगे। इसी प्रकार डिप्टी कलेक्टर श्री रविशंकर राय के लिंक अधिकारी श्री आरडीएस अग्निवंशी होगे।

सुगम्य भारत अभियान योजना का क्रियान्वयन

दिव्यांगो के लिए सरकारी दफ्तरों में सुगम्य बनाया जाना है इसके लिए क्रियान्वित सुगम्य भारत अभियान योजना का संचालन जिले में भी किया जा रहा है। कलेक्टर श्री अनिल सुचारी ने समस्त विभागों के अधिकारियों को पत्र प्रेषित कर शासकीय कार्यालयों में सुगमता की दृष्टि से यदि कोई निर्माण कार्य की आवश्यकता है तो उसका प्राक्कलन लोक निर्माण विभाग के द्वारा या परियोजना क्रियान्वयन इकाई के माध्यम से तैयार कराकर अविलम्ब सामाजिक न्याय विभाग के उप संचालक कार्यालय को तत्काल उपलब्ध कराएं। समुचित जानकारी से विगत टीएल बैठक में भी अधिकारियों को अवगत कराया जा चुका है अतः ऐसे कार्यालय जहां आवश्यकता नही होने पर निरंक जानकारी अविलम्ब उपलब्ध कराएं।

लोक कल्याण शिविरों के आयोजन की तिथियां जारी

जिला स्तरीय लोक कल्याण शिविरों के आयोजन की तिथियां कलेक्टर श्री अनिल सुचारी के द्वारा जारी की गई है। तदानुसार दिसम्बर से मार्च 2018 तक की अवधि में जिले के सभी जनपद पंचायत के नियत ग्रामों में जिला स्तरीय लोक कल्याण शिविरों का आयोजन प्रातः 11 बजे से किया जाएगा। उक्त शिविरों में हितग्राहीमूलक योजनाओं से लाभांवित होने वाले हितग्राहियों को लाभांवित किया जाएगा। वही विभिन्न विभागों के द्वारा योजनाओं एवं कार्यक्रमों पर आधारित प्रदर्शनी लगाई जाएगी। इसके अलावा पशु चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग द्वारा उपचार केम्पों का आयोजन किया जाएगा। शिविर में प्राप्त होने वाले आवेदनों का निराकरण संबंधित विभागों के अधिकारियों के द्वारा मौके पर किया जाएगा। जिला स्तरीय लोक कल्याण शिविरों के आयोजन की जारी तिथियां इस प्रकार से है। दिसम्बर माह की आठ तारीख शुक्रवार को ग्यारसपुर जनपद पंचायत के ग्राम हैदरगढ़ में, बुधवार 13 को कुरवाई के ग्राम पठारी में, बुधवार 20 को लटेरी के कालादेव में, गुरूवार 28 दिसम्बर को सिरोंज के ग्राम बामोरीशाला में जिला स्तरीय शिविर का आयोजन किया गया है।जनवरी 2018 में जिन जनपदों की ग्राम पंचायतों में उक्त शिविरों का आयोजन किया जाएगा उनमें पांच जनवरी शुक्रवार को नटेरन के ग्राम दीघौनी (नया गोला), गुरूवार 11 को बासौदा के मसूदपुर, बुधवार 31 जनवरी को विदिशा के धमनोदा में तथा फरवरी माह की नौ तारीख को ग्यारसपुर के ग्राम गूलरखडी में, शनिवार 17 को कुरवाई के ग्राम लायरा में, शनिवार 24 फरवरी को लटेरी के ग्राम उनारसीकलां में तथा मार्च माह की दो तारीख को सिरोंज के ग्राम मुगलसराय में, सोमवार 12 मार्च को नटेरन के ग्राम सेऊ में, शनिवार 24 को विदिशा के ग्राम मूडरामुहाना में तथा 26 मार्च को बासौदा के ग्राम उदयपुर में उक्त शिविर का आयोजन किया गया है।

भार मुक्त

कलेक्टर श्री अनिल सुचारी ने अपर कलेक्टर श्रीमती वंदना शर्मा का स्थानांतरण हो जाने पर श्रीमती शर्मा को नवीन पदस्थापना स्थल पर उपस्थित होेने हेतु कार्यमुक्त के आदेश जारी कर दिए हैै। ज्ञातव्य हो कि श्रीमती वंदना शर्मा का शासन द्वारा स्थानांतरण विदिशा से जिला पंचायत सीईओ शाजापुर के पद पर हुआ है। 

मधुबनी : बेनीपट्टी में विकास योजनाओं के प्रगति को लेकर समीक्षा बैठक

$
0
0
madhubani-dm-meeting-in-benipatti
मधुबनी, 29 नवंबर, जिला पदाधिकारी, मधुबनी की अध्यक्षता में बुधवार को बेनीपट्टी प्रखंड के धकजरी पंचायत स्थित श्री जगदीश उच्च विद्यालय में विभिन्न विकास योजनाओं के प्रगति को लेकर समीक्षा बैठक का आयोजन किया  गया। बैठक में स्थानीय लोगों द्वारा विद्यालयों में मध्याह्न भोजन योजना में व्याप्त अनियमितता से जिला पदाधिकारी को अवगत कराया गया। जिला पदाधिकारी द्वारा प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी एवं डीपीओ, सर्व शिक्षा, मधुबनी से मामले की जानकारी ली गयी। उन्होंने नाराजगी व्यक्त करते हुए डीपीओ को धकजरी पंचायत एवं अन्य पंचायतों में स्थित विद्यालयों की जांच करने का निदेश दिया। जिला पदाधिकारी ने विद्यालयों में शिक्षा समिति का गठन नियमानुकुल करने का निदेश दिया। उन्होने बैठक से अनुपस्थित रहने को लेकर जिला शिक्षा पदाधिकारी,मधुबनी से स्पष्टीकरण मांगने का निदेश दिया। स्थानीय लोगों द्वारा आंगनबाड़ी केन्द्रों पर व्याप्त अनियमितता के मामले को उठाये जाने को लेकर जिला पदाधिकारी द्वारा डीपीओ(आईसीडीएस) को आंगनबाड़ी केन्द्रों की जांच करने का निदेश दिया। उन्होने जिला आपूर्ति पदाधिकारी को जनवितरण प्रणाली की दुकानों की जांच करने का निदेश दिया। स्थानीय लोगों द्वारा पंचायत में अवैध शराब की हो रही बिक्री से जिला पदाधिकारी को अवगत कराया। जिला पदाधिकारी द्वारा उत्पाद विभाग एवं थानाध्यक्ष, अरेर से शराबबंदी को शत-प्रतिशत सफल बनाने एवं कार्रवाई करने का निदेश दिया। जिला पदाधिकारी द्वारा सामाजिक सुरक्षा पदाधिकारीको पंचायतों में पेंशन शिविर लगाकर लंबित मामलों के निष्पादन का निदेश दिया। उन्होने कार्यपालक अभियंता, पीएचईडी, मधुबनी को धकजरी में वर्षाे से बंद पड़े पानी टंकी का सत्यापन कर प्रतिवेदन देने का निदेश दिया। जिला पदाधिकारी ने प्रखंड विकास पदाधिकारी, बेनीपट्टी को दो दिनों के अंदर वैसे पंचायतों में स्थल चिन्हित कर प्रतिवेदन भेजने का निदेश दिया, जिसमें पंचायत भवन नहीं है। जिला पदाधिकारी द्वारा धकजरी पंचायत में बनने वाले अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र के बारे में विस्तृत प्रतिवेदन देने का निदेष सिविल सर्जन, मधुबनी को दिया। उन्होनें धकजरी पंचायत के जनप्रतिनिधियों से आम लोगों से ओ0डी0एफ0 कार्यों में सहयोग करने की अपील किए। जिला पदाधिकारी द्वारा अनुमंडल कार्यालय, बेनीपट्टी स्थित आर0टी0पी0एस0 काउंटर का निरीक्षण किया गया। उन्होनें काउंटर को सुदृढ़ करने के लिए आवष्यक सामानों की खरीद करने का निदेष दिया।  इस अवसर पर अपर समाहर्ता मधुबनी, अनुमंडल पदाधिकारी सदर मधुबनी, अनुमंडल पदाधिकारी बेनीपट्टी, एएसपी मधुबनी, जिला परिवहन पदाधिकारी, डीपीओ(आईसीडीएस), अनुमंडल लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी बेनीपट्टी, अनुमंडल लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी झंझारपुर, सिविल सर्जन मधुबनी, मुखिया धकजरी एवं सभी विभागों के जिला स्तरीय एवं अनमंडल स्तरीय पदाधिकारीगण उपस्थित थे।

मधुबनी : जयनगर में शहर को स्वच्छ बनाने हेतु बैठक

$
0
0
जयनगर/मधुबनी, शहर को स्वच्छ बनाने हेतु कार्ययोजना तैयार करने और उसपर कार्यान्वयन हेतु अवर निर्वाची पदाधिकारी के नेतृत्व में वार्ड सदस्यों, बुद्धिजीवियों, समाजसेवियों की बैठक। बैठक में अवर निर्वाची पदाधिकारी कुमुद रंजन, प्रखंड विकास पदाधिकारी सुधीर कुमार, प्रखंड प्रमुख सचिन सिंह, नगर पंचायत अध्यक्ष कैलाश पासवान, नगर पंचायत उपाध्यक्ष दुर्गा देवी, वार्ड पार्षद मोहन राय, इंदर साह समेत अन्य सभी वार्ड सदस्य, प्राइवेट स्कूलों के प्रतिनिधि जिसमें माउंट कार्मेल से प्रवीण कुमार, डॉन बॉस्को के पी. थिनकरण, स्कॉटिश इंटरनेशनल के निदेशक, मिथिलांचल चैम्बर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष शिवशंकर ठाकुर, जयनगर चैम्बर ऑफ कॉमर्स के पवन यादव समेत अन्य समाजसेवी(उसे समजशोषक भी कह सकते हैं) उपस्थित थे।

मधुबनी : जर्जर बस दुर्घटनाग्रस्त, दर्जनों हुए घायल

$
0
0
bus-accident-madhubani
राजनगर/मधुबनी, मधुबनी से राजनगर की और जाने वाली स्थानीय परिवहन की बस राजनगर थाना क्षेत्र के परिहारपुर में अचानक से टायर फटने के कारण पलट गई, दुर्घटना में दर्जनों लोग घायल हो गए जीने आनन् फानन में उपचार के लिए स्थानीय अस्पतालों में भर्त्ती कराया गया और कुछ को DMCH भी रेफर किया गया है. स्थानीय लोगों का कहना है कि घटना के एक घंटा गुजर जाने के बावजूद स्थानीय थाना नहीं पहुंचा! ग्रामीणों ने बताया की हमलोग ने निजी साधन से घायल यात्रियों को अस्पताल पहुंचाया है ! बताते चलें की बसों की जर्जर हालत और यात्रियों के ओवर लोडिंग ने जिले के हर रूट पर यात्रियों के जान को जोखिम में डाला जाता है, उपयोगिता के नाम पर परिवहन विभाग का उदासीन रवैया, बस मालिकों की सांठ गाँठ और सरकारी मिलीभगत से निजी बस चालकों के द्वारा सभी रूट पर नियमों की धज्जियां कानून के रखवाले की जानकारी में उड़ाई जा रही है. 

(इनपुट मधुबनी मीडिया)

प्याज की कीमत कम करना हमारे हाथ में नहीं : राम विलास

$
0
0
onion-price-not-my-control-paswan
नई दिल्ली, 29 नवंबर, प्याज की कीमतों में लगातार हो रही वृद्धि पर लगाम लगाने में असहाय केंद्र सरकार का कहना है कि उत्पादन में कमी के कारण प्याज की कीमतें अनियंत्रित हो गई हैं।   केंद्रीय खाद्य एवं उपभोक्ता मामलों के मंत्री रामविलास पासवान ने बुधवार को कहा कि प्याज का रकबा वर्ष 2016-17 के 2.65 लाख हेक्टेयर के मुकाबले इस साल 2017-18 में घटकर 1.90 लाख हेक्टेयर रह गया है। पत्रकारों से बातचीत में पासवान ने कहा, "हमने कई कदम उठाए हैं। महाराष्ट्र के नासिक और राजस्थान के अलवर में सरकारी एजेंसियों ने प्याज की खरीदी की है। साथ ही, प्याज का आयात भी किया गया है, लेकिन कीमतें कम करना हमारे हाथ में नहीं है।"उन्होंने उम्मीद जताई कि खरीफ प्याज की फसल की आवक शुरू होने पर इसकी कीमतों में कमी आ सकती है। पासवान ने प्याज और टमाटर की कीमतों में इजाफा को लेकर बुधवार को कृषि मंत्रालय और खाद्य मंत्रालय के अधिकारियों के अलावा दिल्ली सरकार के प्रतिनिधियों के साथ बैठक की। पिछले दिनों 31 अक्टूबर को पासवाल ने प्याज और टमाटर के खुदरा भाव में बढ़ोतरी के लिए जमाखोरों को जिम्मेदार ठहराया था। उन्होंने कहा था कि नई फसल की आवक शुरू होने पर स्थिति सामान्य हो पाएगी।

अब मैदान पर नजर नहीं आएगी तेंदुलकर की 10 नंबर की जर्सी

$
0
0
10-number-jersy-will-not-be-on-ground-for-sachin-respect
नयी दिल्ली, 29 नवंबर, सचिन तेंदुलकर की 10 नंबर की जर्सी निकट भविष्य में शायद किसी भारतीय खिलाड़ी को पहने हुए नहीं देखा जा सके क्योंकि बीसीसीआई ने दावा किया है कि इस महान खिलाड़ी के प्रति सम्मान दिखाते हुए क्रिकेटर इसे पहनने के इच्छुक नहीं है जबकि बीसीसीआई को इसे रिटायर करने की कोई औपचारिक योजना नहीं है। तेंदुलकर ने 2013 में संन्यास लिया था और तब से सिर्फ एक भारतीय खिलाड़ी शारदुल ठाकुर को श्रीलंका दौरे पर एकदिवसीय पदार्पण के दौरान इस नंबर की जर्सी पहने देखा गया। बीसीसीआई के एक अधिकारी ने बताया, ‘‘यह व्यक्तिगत पसंद है। अगर कोई खिलाड़ी कोई निश्चित नंबर नहीं पहनना चाहता तो उसे कोई बाध्य नहीं कर सकता। आईसीसी आपसे कह सकता है कि टीम किसी जर्सी को आधिकारिक तौर पर रिटायर नहीं कर सकती लेकिन वह आपको कभी यह नहीं कहेंगे कि आप इस नंबर को क्यों नहीं पहन रहे।’’ उन्होंने कहा, ‘‘बीसीसीआई ने कोई फैसला नहीं किया है (10 नंबर की जर्सी को रिटायर करने के बारे में)। यह खिलाड़ियों के बीच काफी अनौपचारिक चीज है। साथ ही आप नहीं चाहते कि युवा खिलाड़ियों को निशाना बनाया जाए जैसा कि शारदुल ठाकुर के साथ हुआ।’’ अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में किसी खिलाड़ी के सम्मान में जर्सी नंबर को रिटायर करने का कोई उदाहरण नहीं है। तेंदुलकर की आईपीएल टीम मुंबई इंडियन्स ने हालांकि उनके सम्मान में 10 नंबर की जर्सी को रिटायर कर दिया है।

दुनिया आतंकवाद और कट्टरता के बड़े खतरों का सामना कर रही है : राजनाथ सिंह

$
0
0
world-facing-terrorisam-rajnath
मॉस्को, 29 नवंबर, गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि दुनिया आतंकवाद और कट्टरता के रूप में दो बड़े खतरों का सामना कर रही है और भारत इस खतरे को खत्म करने के लिए कोशिश कर रहा है। सिंह ने कल यहां भारतीय समुदाय को संबोधित करते हुए कहा कि रूस की उनकी तीन दिवसीय यात्रा से सुरक्षा, आतंकवाद रोधी, कट्टरता रोधी, मादक पदार्थ तस्करी रोधी, नकली मुद्रा, सूचना साझा करने और इन क्षेत्रों में विशेषज्ञों के प्रशिक्षण पर दोनों देशों के बीच सहयोग मजबूत करने के ठोस परिणाम निकले हैं। उन्होंने कहा कि दुनिया आतंकवाद और कट्टरता के रूप में दो बड़े खतरों का सामना कर रही है। गृहमंत्री ने भारतीय समुदाय को उकसावे की विभिन्न कार्रवाइयों का जवाब देने में भारतीय सशस्त्र बलों के दृढ़ निश्चय के साथ-साथ घुसपैठ कर चुके आतंकवादियों का खात्मा करने और आतंकवाद को नियंत्रित करने में भारत सरकार के प्रयासों के बारे में सूचित किया। अपनी यात्रा पर संतोष जताते हुए उन्होंने भारत और रूस के बीच संबंधों के लंबे इतिहास और नींव का जिक्र किया तथा रूस को ‘‘भारत के सबसे विश्वसनीय मित्रों में से एक’’ बताया। उन्होंने रूस में प्रत्येक भारतीय द्वारा किए जा रहे काम की सराहना की तथा उन्हें भारत का ‘सांस्कृतिक दूत’ बताया। सिंह ने कहा कि उनके और भारत के बीच भौगोलिक तौर दूरी बड़ी हो सकती है लेकिन कभी भी ‘भावनात्मक दूरी’ नहीं हो सकती। उन्होंने वहां एकत्रित लोगों को ‘जन धन योजना’, ‘मेक इन इंडिया’, तेज आर्थिक प्रगति के लिए आधार के कार्यान्वयन के जरिए विभिन्न क्षेत्रों में देश को विकसित करने में राजग सरकार की पहलों के बारे में बताया। गृहमंत्री ने कहा कि भारत विश्व की प्रमुख आर्थिक शक्तियों में से एक बनने की राह पर है। उन्होंने कहा कि बुनियादी ढांचा विकास से लेकर भारत में विनिर्माण को बढ़ावा देने तक मोदी सरकार ने पिछले तीन वर्षों में बहुत कुछ किया है तथा देश के लोगों की साख बढ़ाई है।

म्यामां में अपनी पहली प्रार्थना में पोप ने ‘क्षमा’ की सीख दी

$
0
0
pope-peace-message-in-yangon
यंगून, 29 नवंबर, पोप फ्रांसिस ने म्यामां में पहली बार कैथोलिक समुदाय की सार्वजनिक प्रार्थना में ‘क्षमा’ की सीख देते हुए लोगों से कहा कि वह उन्हें पहुंचे दुखों के लिए बदला लेने की इच्छा से बचें। बौद्ध बहुलता वाले देश में पोप की यह पहली यात्रा और प्रार्थना सभा है। स्थानीय अधिकारियों के अनुसार, यंगून के कायाइकसान मैदान में आयोजित इस प्रार्थना सभा में करीब 1,50,000 लोगों ने हिस्सा लिया। कैथेलिक समुदाय के लोगों को अपने स्थानीय चर्च के माध्यम से प्रार्थना सभा स्थल में प्रवेश के लिए आवेदन करना था। सभा में शामिल हुए लोगों में से कई ने पोप से मिलता जुलता परिधान पहना था। प्रार्थना सभा से पहले पोप फ्रांसिस ने अपने विशेष खुले वाहन में पूरे मैदान का चक्कर लगाया और वहां एकत्र लोगों का अभिवादन स्वीकार किया। हालांकि पोप ने कहा कि उनके म्यामां आने की वजह देश के 6,60,000 कैथोलिक ईसाई हैं। लेकिन रोहिंग्या मुसलमानों के साथ म्यामां में हो रही ज्यादतियों के कारण पोप की इस धार्मिक यात्रा ने कुछ हद तक राजनीतिक रंग ले लिया है। म्यामां की व्यापारिक राजधानी में जातीय विविधता के रंगारंग उत्सव में शामिल होने वाले श्रद्धालुओं के बीच कई महीनों से इसको लेकर उत्साह था। पोप ने म्यामां की नेता आंग सान सू ची और सेना प्रमुख मिन आंग हलियांग से भी निजी मुलाकात की है। देश की राजधानी में मंगलवार को पोप सू ची के साथ सार्वजनिक मंच पर आए थे और उन्होंने भाषण भी दिया था लेकिन रोहिंग्या संकट पर कुछ भी कहने से वह बचते रहे। उन्होंने वहां कहा, 'अधिकारों और न्याय का सम्मान करें।'वहीं सू ची ने कहा कि म्यामां का लक्ष्य सभी लोगों के अधिकारों की रक्षा करना, सहिष्णुता को बढ़ावा देना और सभी की सुरक्षा सुनिश्चित करना है। पोप की यह पहली म्यामां यात्रा है जबकि कैथेलिक ईसाई देश में पिछले 500 वर्षों से रह रहे हैं।

मुशर्रफ ने खुद को लश्कर-ए-तैयबा का ‘‘सबसे बड़ा समर्थक’ बताया

$
0
0
musharraf-said-supporter-of-lashkar
कराची/दुबई, 29 नवंबर, स्वयं को लश्कर-ए-तैयबा और उसके संस्थापक हाफिज सईद का सबसे बड़ा समर्थक बताते हुए पाकिस्तान के पूर्व तानाशाह परवेज मुशर्रफ ने कहा कि वह कश्मीर में भारतीय सेना के ‘‘दमन’’ में आतंकवादी समूह की भूमिका का समर्थन करते हैं। स्व-निर्वासन में दुबई में रह रहे 74 वर्षीय मुशर्रफ का कहना है कि मुंबई हमले का मास्टर माइंड ‘‘कश्मीर में संलिप्त’’ है और वह इस संलिप्तता का समर्थन करते हैं। हाल ही में 23 राजनीतिक दलों के महागठबंधन की घोषणा करने वाले मुशर्रफ हमेशा से जम्मू-कश्मीर में ‘‘कार्रवाई’’ करने और ‘‘भारतीय सेना को दबाने’’ के पक्ष में हैं। उन्होंने एआरवाई न्यूज से कहा, ‘‘वह (लश्कर-ए-तैयबा) सबसे बड़ी ताकत हैं। भारत ने अमेरिका के साथ साझेदारी करने के बाद उन्हें आतंकवादी घोषित करवा दिया है। हां वह (लश्कर-ए-तैयबा) कश्मीर में संलिप्त है लेकिन कश्मीर मुद्दा हमारे और भारत के बीच है।’’ स्वयं को लश्कर-ए-तैयबा और सईद का सबसे बड़ा समर्थक बताते हुए मुशर्रफ ने कहा कि वह जानते हैं कि आतंकवादी समूह और जमात-उद-दावा भी उन्हें पसंद करता है। पाकिस्तान में जमात-उद-दावा का प्रमुख सईद है। लश्कर-ए-तैयबा पाकिस्तान में प्रतिबंधित है और उसपर प्रतिबंध लगाने का फैसला मुशर्रफ सरकार ने ही लिया था। इस संबंध में सवाल करने पर मुशर्रफ ने कहा कि उन्होंने ‘‘अलग परिस्थितियों’’ में समूह पर प्रतिबंध लगाया था। हालांकि उन्होंने हालात के संबंध में कुछ नहीं कहा। सईद के नजरबंदी से रिहाई के कुछ ही दिन बाद मुशर्रफ ने आज यह टिप्पणी की है। सईद जनवरी से ही अपने आवास में नजरबंद था।

नि:शक्त बच्चों पर कार्ययोजना तैयार करने के लिये एचआरडी एवं शिक्षा से जुड़े पक्ष करेंगे मंथन

$
0
0
hrd-work-on-disable-childs
नयी दिल्ली, 29 नवंबर,  नि:शक्त बच्चों की जरूरतों को समझते हुए स्कूलों में उनके अनुकूल माहौल बनाने तथा उन्हें शिक्षा का समान एवं समावेशी अवसर प्रदान करने के लिये मानव संसाधन विकास मंत्रालय शिक्षा से जुड़े विभिन्न घटकों के साथ विचार विमर्श करने जा रही है ताकि ऐसे बच्चों की मदद के लिये कार्य योजना तैयार की जा सके। मानव संसाधन विकास मंत्रालय के एक अधिकारी ने  बताया कि नि:शक्त बच्चों :चिल्ड्रेन विद स्पेशल नीड: पर विशेष ध्यान दिये जाने की जरूरत होती है । ऐसे में इनसे जुड़े विभिन्न विषयों पर चर्चा के लिये मंत्रालय 1 दिसंबर को कार्यशाला का आयोजन कर रहा है। उन्होंने कहा कि इस कार्यशाला में शिक्षा से जुड़े विभिन्न पक्षकार हिस्सा लेंगे ताकि ऐसे बच्चों की मदद के लिये रणनीति और कार्य योजना तैयार की जा सके । उल्लेखनीय है कि स्कूलों में नि:शक्त बच्चों की जरूरतों की व्यवस्था करने के बारे में विभिन्न वर्गो की ओर से मांग उठती रही है। छह से 14 वर्ष के बच्चों को नि:शुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा का अधिकार कानून में भी इस बात पर जोर दिया गया है कि बच्चों के साथ स्कूल में भेदभाव नहीं होगा और सभी को शिक्षा का समान अवसर प्राप्त होगा । केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड भी ऐसे बच्चों के बारे में समय समय पर स्कूलों को सलाह देता रहता है। इसके बावजूद स्कूलों में नि:शक्त बच्चों की शिक्षा एवं पढ़ाई के माहौल से जुड़े कई विषय अभी भी बने हुए हैं ।

मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने माध्‍यमिक स्‍तर पर नि:शक्‍तजन समावेशी शिक्षा योजना (ईडीएसएस) वर्ष 2009-10 से प्रारम्‍भ की थी । यह योजना नि:शक्‍त बच्‍चों के लिए एकीकृत योजना (आईईडीसी) संबंधी पहले की योजना के स्‍थान पर है । इसके तहत 9वीं से 12वीं कक्षा में पढने वाले नि:शक्‍त बच्‍चों को समावेशी शिक्षा के लिए सहायता प्रदान की जाती है। यह योजना वर्ष 2013 से राष्‍ट्रीय माध्‍यमिक शिक्षा अभियान (आरएमएसए) के अंतर्गत सम्मिलित कर ली गई है। इसका मकसद सभी नि:शक्‍त छात्रों को आठ वर्षों की प्राथमिक स्‍कूली पढ़ाई पूरी करने के पश्‍चात आगे चार वर्षों की माध्‍यमिक स्‍कूली पढ़ाई समावेशी और सहायक माहौल में करने हेतु समर्थ बनाना है। इस योजना में नि:शक्‍त व्‍यक्ति अधिनियम (1995) और राष्‍ट्रीय न्‍यास अधिनियम (1999) के अंतर्गत 9वीं से 12वीं कक्षा में पढ़ने वाले ऐसे बच्चों को शामिल किया गया है जो इसकी परिभाषा के अनुसार दृष्टिहीनता, कम दृष्टि, कुष्‍ठ रोग उपचारित, श्रवण शक्ति की कमी, गति विषय नि:शक्‍तता, मंदबुद्धिता, मानसिक रूग्‍णता, आत्‍म-विमोह और प्रमस्तिष्‍क घात में से किसी एक से प्रभावित हों । इसमें नि:शक्‍तता वाली बालिकाओं पर विशेष ध्‍यान दिया जाता है जिससे उन्‍हें माध्‍यमिक स्‍कूलों में पढ़ने और अपनी योग्‍यता का विकास करने हेतु सूचना और मार्गदर्शन सुलभ हो। योजना के अंतर्गत हर राज्‍य में मॉडल समावेशी स्‍कूलों की स्‍थापना करने की कल्‍पना की गई है।

कश्मीरी कैदियों पर हमले की खबर को लेकर गृह मंत्रालय ने तिहाड़ से जवाब मांगा

$
0
0
home-minister-wants-explanation-on-tihar
नयी दिल्ली, 29 नवंबर, तिहाड़ जेल में कश्मीरी कैदियों के साथ मारपीट से संबंधित मीडिया रिपोर्ट के मद्देनजर केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इस संबंध में जेल महानिदेशक से रिपोर्ट मांगी है। बहरहाल आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि प्राथमिक सूचना के मुताबिक हिज्बुल मुजाहिदीन प्रमुख सैयद सलाहुद्दीन के बेटे सैयद शाहिद यूसुफ पर कोई हमला नहीं हुआ। आतंकवादी गतिविधियों के लिये आतंकवादियों के वित्तपोषण मामले में आरोपी यूसुफ तिहाड़ जेल में ही बंद है। मंत्रालय ने तिहाड़ जेल महानिदेशक को घटना की विस्तृत जानकारी और अब तक की गयी कार्रवाई के बारे में जल्द से जल्द रिपोर्ट पेश करने के लिये कहा है। सूत्रों ने बताया कि गृह मंत्रालय ने दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल से भी कहा है कि वह संबद्ध प्राधिकारी को इस उच्च सुरक्षा वाली जेल में सुरक्षा व्यवस्था की समीक्षा और आवश्यकता पड़ने पर जरूरी उपाय करने का निर्देश दें। उन्होंने कहा कि प्राथमिक सूचना के अनुसार तीन कैदियों के पास अनधिकृत सामग्री थी और जब जेल अधिकारियों ने इसे हटाने की कोशिश की तो कैदियों ने इसका विरोध किया और जबरन उसे हथियाने की कोशिश करने लगे। सूत्रों ने बताया कि घटना में संलिप्त कैदियों के बारे में विस्तृत जानकारी की प्रतीक्षा की जा रही है। यह पूछे जाने पर कि जम्मू कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने तिहाड़ घटना के संबंध में जानकारी हासिल करने के लिए केंद्रीय गृह सचिव राजीव गौबा को फोन किया था या नहीं, इस पर गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि संवैधानिक प्राधिकारियों के साथ गृह सचिव की बातचीत की प्रकृति विशेषाधिकार प्राप्त होती है और इसलिए मंत्रालय इस तरह की बातचीत की न तो पुष्टि कर सकता है और न ही इससे इनकार कर सकता है। इससे पहले श्रीनगर से ऐसी रिपोर्ट मिली थी कि महबूबा ने तिहाड़ जेल में कश्मीरी कैदियों पर कथित हमले के बारे में सोशल मीडिया की रिपोर्ट पर गौबा से बातचीत की थी और उनसे कैदियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने को कहा था। राज्य के सरकारी अधिकारियों ने बताया कि महबूबा ने सोशल मीडिया साइट पर घायल विचाराधीन कश्मीरी कैदियों की तस्वीरें आने के बाद गौबा से बात की थी।

अन्ना हजारे अगले साल 23 मार्च से जनलोकपाल आंदोलन शुरू करेंगे

$
0
0
anna-andolan-will-start-again
मुंबई, 29 नवंबर, सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे जनलोकपाल और किसानों के मुद्दों को लेकर अगले साल दिल्ली में 23 मार्च से आंदोलन शुरू करेंगे। लोकपाल आंदोलन का चेहरा रहे हजारे ने कहा कि उन्होंने आंदोलन शुरू करने के लिए 23 मार्च की तारीख चुनी है क्योंकि उस दिन 'शहीद दिवस'मनाया जाता है। महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले के रालेगण सिद्धि गांव में अपने समर्थकों की एक बैठक को संबोधित करते हुए हजारे ने कहा, 'जनलोकपाल, किसानों की समस्या और चुनाव में सुधारों के लिए यह एक सत्याग्रह होगा।’’ गांधीवादी हजारे ने कहा कि वह इन मुद्दों को लेकर प्रधानमंत्री को खत लिखते रहे हैं लेकिन उन्हें अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली है। उन्होंने कहा, 'पिछले 22 वर्षों में कम से कम 12 लाख किसानों ने आत्महत्या की है। मैं जानना चाहता हूं कि इस कालखंड में कितने उद्योगपतियों ने आत्महत्या की।'भ्रष्टाचार पर रोक लगाने के लिए हजारे जनलोकपाल का गठन करने की मांग करते रहे हैं। उन्होंने इसके लिए साल 2011 में 12 दिन का अनशन किया था। उनकी मांगो को संप्रग (यूपीए) सरकार ने सैद्धांतिक तौर पर स्वीकार कर लिया था।

इसके बाद हजारे ने फिर से अनशन किया था, इस दौरान उन्हें पूरे देश से समर्थन भी मिला। इसके बाद संप्रग सरकार ने लोकपाल विधेयक पारित किया। हजारे के एक सहयोगी ने आज बताया कि मोदी सरकार ने लोकपाल की नियुक्त नहीं की है। उन्होंने कहा, 'सरकार की तरफ से इसके लिए जो कारण दिए गए हैं, वह तकनीकी है।'उन्होंने कहा कि लोकपाल कानून के तहत एक समिति जिसमें प्रधानमंत्री, लोकसभा अध्यक्ष, लोकसभा में विपक्ष के नेता और प्रधान न्यायाधीश अथवा उनके द्वारा नामित कोई व्यक्ति हो, उसका गठन किया जाना चाहिए। वही समिति लोकपाल को चुने। उन्होंने कहा, ‘‘ लेकिन लोकसभा में फिलहाल विपक्ष का कोई नेता नहीं है इसलिए समिति का गठन नहीं हो सकता है। ऐसे में लोकपाल की नियुक्ति भी नहीं हो सकती है।’’

राहुल ने मोदी से कहा : ‘‘22 सालों का हिसाब, गुजरात मांगे जवाब’’

$
0
0
rahul-demand-modi-22-years-development
नयी दिल्ली, 29 नवंबर, कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने गुजरात चुनाव से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर अपना हमला तेज करते हुए प्रदेश में सत्तारूढ़ भाजपा की पिछले चुनाव में किए गए उसके वादों पर आज उससे जवाब मांगे। राहुल ने साथ ही गुजरात में भाजपा के 22 साल के शासन का मुद्दा उठाते हुए कहा कि लोग उससे जवाब मांग रहे हैं। उन्होंने ट्विटर पर लिखा, ‘‘22 सालों का हिसाब, गुजरात मांगे जवाब।’’ कांग्रेस नेता ने आवास के मुद्दे पर सरकार को घेरते हुए प्रधानमंत्री से पूछा कि क्या गुजरातियों को नये घर देने में और 45 साल लगेंगे। राहुल ने अपनी दलील के समर्थन में आंकड़ा पेश करते हुए कहा, ‘‘गुजरात के हालात पर प्रधानमंत्रीजी से पहला सवाल : 2012 में वादा किया कि 50 लाख नये घर देंगे।पांच साल में बनाए 4.72 लाख घर। प्रधानमंत्रीजी बताइए कि क्या ये वादा पूरा होने में 45 साल और लगेंगे?’’ प्रधानमंत्री और विपक्षी नेता नौ एवं 14 दिसंबर को होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले अपने अपने दल के प्रचार के लिए आज गुजरात में हैं। राहुल दो दिन चुनाव प्रचार करेंगे और इस दौरान प्रसिद्ध सोमनाथ मंदिर भी जाएंगे। कांग्रेस नेताओं ने बताया कि पार्टी उपाध्यक्ष आज और कल कम से कम तीन जिलों में जनसभाएं भी करेंगे।
Viewing all 74342 articles
Browse latest View live




Latest Images